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दोस्तो नमस्कार! मैं राज शर्मा चंडीगढ़ से एक बार फिर आप सभी के सामने अपनी एक नई कहानी को लेकर हाजिर हूं। आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि किसी भी लड़की या भाभी से दोस्ती कराने के लिए मेल न करें। मैं अपनी किसी भी महिला मित्र की जानकारी किसी अन्य को नहीं देता हूँ। हमारे बीच चुदाई हुई, कुछ महीने मजे लिए और फिर वो अपनी पर्सनल लाइफ में मस्त और मैं कमरा छोड़ कर दूसरी जगह निकल लेता हूं ताकि गोपनीयता बनी रहे।
मेरी पिछली कहानी थी स्कूल ट्रेनिंग में चूत की प्यास का इलाज़ किया
इस नयी कहानी का नायक कपिल है जिसने अपने ही गांव में रिश्तेदार की एक कुंवारी लड़की को अपने सच्चे प्यार का झांसा देकर उसकी चूत फाड़ डाली। अब आप इस पूरी कहानी का मजा लेते हुए कपिल की ही जुबानी सुनिये:
मेरा नाम कपिल है. मैं बिहार के एक गांव का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल की है। अभी तक मैंने तीन गांव की भाभियों को चोद कर चुदाई का मजा ले लिया था किंतु अब मैं किसी कुंवारी लड़की की चूत चोदना चाह रहा था। बहुत कोशिश के बाद भी कोई कुंवारी लड़की हाथ नहीं आ रही थी।
एक दिन मेरे एक रिश्तेदार की लड़की मेरे घर आई. वो 19 साल की थी। मैंने पहले कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था. चूंकि अब जब कहीं से भी चूत नहीं मिल रही थी तो मैंने इसे ही पटाने की सोची। वो दिखने में बहुत सुंदर थी. अभी तो छोटे छोटे चूचे आये थे उसके। बहुत शरीफ थी तो किसी से टांके का तो कोई चक्कर ही नहीं लग रहा था। उसका नाम रितु था।
कभी कभी ही वो हमारे घर आती थी. आज भी मम्मी के पास बैठ कर उनसे बातें कर रही थी। मेरी भी उससे कभी-कभी बातचीत हो ही जाती थी। मगर आज तो मेरी नजर उसी पर थी. वो अब पूरी चुदने लायक आइटम बन चुकी थी। बस मुझे उसे किसी भी तरह अपने झांसे में लेना था।
मैं उसके पास गया और उसे ‘हाय’ कहा। उसने भी मुस्कुराते हुए ‘हाय’ का जवाब दिया। मैंने मम्मी से कहा- मम्मी मैं रितु को थोड़ी देर अपने कमरे में ले कर जा रहा हूँ मुझे कालेज के बारे में इससे कुछ बात करनी है। मम्मी ने कहा- हां चले जाओ मैं चाय-नाश्ता बना लेती हूं तब तक. थोड़ी देर में दोनों खाने के लिए नीचे आ जाना।
मेरा कमरा पहली मंजिल पर था। मैंने उसे चलने का इशारा किया तो वो मेरे पीछे-पीछे आने लगी। रूम में पहुंचने पर मैंने उसे बैठने को बोला. वो मेरे बिस्तर पर बैठ गयी।
उसने कहा- बोलो कपिल क्या कहना है कालेज के बारे में? मैंने कहा- अरे मुझे तो तुमसे अकेले में बात करनी थी इसलिए मम्मी से बहाना बना कर तुम्हें यहाँ बुलाया है। वो बोली- ऐसी भी क्या बात करनी थी जो वहाँ नहीं कर सकते थे। चलो फिर अब बोलो।
मैं- देखो रितु जो बात मैं तुम्हें बोलने वाला हूँ अगर वो तुम्हें बुरी लगे तो सीधा मुझे बोल देना. लेकिन मेरी शिकायत किसी से कर मत करना। आज बहुत हिम्मत करके तुम से बोल रहा हूँ। रितु- ऐसी भी क्या बात है जो तुम्हें हिम्मत जुटानी पड़ रही है?
मैंने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और उसके करीब आकर बोला- रितु मैं तुम्हें बचपन से ही बहुत पसंद करता था मगर कभी कह नहीं पाया। जब भी तुम हमारे घर आयी हो मैंने हर बार ये बात तुम्हें बताने की सोची किंतु कह नहीं पाया। लेकिन इस बार जब तुम आयी हो तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?
वो एक बार तो मुझको देखती ही रह गई फिर अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली- ये तुम क्या कह रहे हो? तुम तो मेरे रिश्तेदार हो. फिर मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हो? मैं- क्यों रिश्तेदार को पसंद नहीं कर सकते हैं? ऐसा कहीं लिखा तो नहीं है? मैंने तुम्हें अपनी मन की बात बता दी है. अब जैसा तुम्हारा दिल करे वैसा करना. बस ये बात किसी को बोलना मत। वैसे हमारी दोस्ती की बात भी हम दोनों के बीच में ही रहेगी अगर तुम चाहो तो … यह कहते हुए मैंने उसकी हथेलियों में किस कर दिया।
रितु- देखो तुम भी मुझे अच्छे लगते हो लेकिन मैंने कभी इस नजर से तुम्हें देखा नहीं। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि अब क्या कहूँ। मुझे थोड़ा समय दो. मैं तुम्हें शाम तक बताती हूं। मैंने कहा- ठीक है. जब मैंने इतना इंतजार किया है तो शाम तक का भी करूंगा।
वो मुस्कुराते हुए मेरे कमरे से निकल गई। अब तो शाम तक इंतजार ही करना था। शाम तक जब भी वो मेरे सामने आती तो मैं कभी मुस्कराते हुए उसे देखता, कभी उसे आँख मार देता और कभी हाथों से फ्रेंच किस उसकी तरफ उछालता। वो भी कभी गुस्सा होने का नाटक करती और कभी मुस्कराते हुए मुझे हाथ से मारने का इशारा करती। उसकी हरकतों से लग तो रहा था कि ये लंड के नीचे आएगी पर कब आयेगी ये तो वो कुछ देर बाद ही फाइनली बताने वाली थी।
शाम को उसने मुझे इशारे से छत पर बुलाया और कोने में ले जाकर मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने आसपास देखा, शाम ढल गयी थी और थोड़ी देर में अंधेरा भी होने वाला था तो किसी के देखने का डर नहीं था।
वो बोली- सुनो कपिल, पहले तो मैंने ऐसा सोचा नहीं था. मगर जब तुम्हारी बातें सुनी तो मैंने बहुत सोचा। तुम भी मुझे बहुत पसंद हो लेकिन इस नजर से तुम्हें आज ही देखा। मैं तुमसे दोस्ती करने को तैयार हूं लेकिन ये बात हम दोनों के बीच में ही रहनी चाहिए। दोस्ती अपनी जगह है लेकिन इज्जत अपनी जगह। अगर किसी को पता चल गया ना तो हम दोनों को घर वाले जान से मार देंगे। मैंने उसका हाथ सहलाते हुए कहा- तो तुम्हारी तरफ से भी अब हां है ना। पता चलने की बात की चिंता न करो. ये बात हमारे दोनों के बीच ही रहेगी।
वो बोली- अगर हाँ न होती तो इस समय तुम मेरी बगल में नहीं बैठे होते बल्कि दिन में ही घर वालों से मार खाकर कहीं कोने में पड़े होते। “थैंक्यू रितु” ये कहकर मैंने उसे बांहों में भर लिया और उसके गालों में एक किस जड़ दिया। “अरे ये क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे, तुम तो दोस्ती के नाम पर गले ही पड़ गए।” “अरे यार दोस्तों में तो ये सब चलता ही रहता है। जब तुमने हां बोला तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।” “अच्छा चलो ठीक है. अब मैं नीचे जा रही हूं कोई देख लेगा तो बुरा होगा” वो बोली। “अरे जब दोस्त बन ही गए हैं तो अपना नम्बर देती जाओ और जाते-जाते एक किस तुम भी दे दो।”
हमने अपने नंबर आपस में बदले और वो मुझे एक किस देकर नीचे भाग गई।
थोड़ी देर में उसका भाई उसे लेने आ गया और वो अपने घर चली गयी। अब तो हमारी रोज ही बात होने लगी। जब भी वो मेरे घर आती तो किसी न किसी बहाने से मैं उसे अपने रूम में ले जाकर चूम ही लेता और इधर उधर छू कर उसकी कामवासना को भड़काने की कोशिश करने लगता।
कुछ ही दिनों में वो मेरे प्यार में पागल हो गयी। अब मैं उससे सेक्स की बातें भी करने लगा। धीरे धीरे वो मुझसे खुलने लगी. अब किस होंठों पर होने लगी। मैं उसकी चूचियाँ दबा देता था. उसकी चूत ऊपर से ही सहलाने लगा था। वो भी धीरे धीरे खुलती जा रही थी.
एक दिन मैंने उससे कह ही दिया- यार अब रहा नहीं जाता. मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूं. ये थोड़ी-थोड़ी देर में मजा नहीं आता। वो भी बोली- हां कपिल, अब मुझ से भी नहीं रहा जा रहा है जो तुमने ये आग लगा दी है. इसे बुझाने का कोई जुगाड़ बनाओ।
आखिर वो जुगाड़ एक दिन बन ही गया. उसके घर वाले किसी शादी में जाने वाले थे और उसने पढ़ाई का बहाना करके जाने से मना कर दिया तो उसके घर वालों ने मेरी मम्मी को 2 दिन के लिए मुझे उनके घर सोने को बोल दिया और आखिर हम भी तो यही चाहते थे. मैंने हां कर दी।
अब उसके घर वाले शादी में जाने की तैयारी करने लगे और हम दोनों अपनी चुदाई की। मैंने दर्द की गोलियां व आईपिल खरीद कर रख ली. लंड को चमका दिया. सारे नीचे के बाल साफ करके तैयार हो गया।
वो दिन आ ही गया जब उसके घर वाले चले गए और मैं उसकी चूत फाड़ने उसके घर पहुँच गया। वो भी पूरी तैयारी के साथ मेरा ही इंतजार कर रही थी। मैंने उसे गले से लगाया और फिर हम थोड़ी देर एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर जब मैं आगे बढ़ने लगा तो वो बोली- अब बाकी सब बाद में, पहले खाना खाते हैं. फिर मैं इस दिन को खुल कर जीना चाहती हूं।
हमने खाना खाया और घर के सारे दरवाजे अच्छे से बंद करके उसके बैडरूम में आ गए। उसने अपने घर वालों के जाने के बाद उसे बिल्कुल सुहाग की सेज की तरह सजा रखा था। मैंने उससे पूछा- रितु ये सब क्या है. तुम तो पूरी तैयारी करके बैठी हो। वो बोली- हाँ कपिल, आज की रात मैं ऐसा महसूस करना चाहती हूं जैसे आज दिन में हमारी शादी हुई हो और अब हमारी सुहागरात हो। बस तुम मुझे इतना प्यार करो कि मैं इस दिन को कभी न भूल पाऊँ.
लो जी … कहाँ मैं कुँवारी चूत चोदने के लिए इसे पटा रहा था. ये तो सुहागरात मनाने के लिए खुद ही मरी जा रही थी. लेकिन जो भी हो फ़ायदा तो मेरा ही था। मेरी सुहागरात मनाने की प्रेक्टिस जो होने वाली थी। तो लीजिये अब हमारी चुदाई की दस्तान जरा विस्तार से सुनिए-
फिर क्या था, मैंने उसे गले लगा लिया और बेड पर लिटा दिया। फिर अपने होंठों को उसके सुलगते हुए होंठों पर रख दिया तो वो मुझसे लिपट गई। फिर तो जैसे तूफ़ान आ गया, पता ही नहीं चला कि हमारे कपड़े कब हमारे जिस्मों से अलग हो गये.
मैं उसके जिस्म से खेलने लगा। कभी मैं उसके गुलाबी गालों पर प्यार करता तो कभी होंठ चूम लेता. कभी मेरी गर्म ज़बान उसके होंठों पर मचल जाती, कभी मैं उसके दूध दबा देता तो कभी मैं उन्हें प्यार करता।
फिर मेरी जबान उसके होंठों से होती हुई मुंह के अन्दर चली गई थी। हम दोनों लिपट गये और उसकी हल्की सी चीख निकल गई. मैंने उसके दोनों दूध थाम लिये थे और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। वो सिसक उठी- आह प्लीज, धीरे-धीरे करो ना। “रितु, मेरी जान … कब से तड़प रहा हूँ इस गर्म गर्म रेशमी जिस्म के लिये। कितनी प्यारी हो तुम आह …” तो वो भी सिसक उठी- सच्ची बहुत तड़पाया है तुमने। “क्या हुआ जान?” मैं मुस्कुराते हुए बोला।
उसकी शर्म से बुरी हालत हो गई। “कुछ नहीं …” वो धीरे से बोली।
मेरा गर्म गर्म सख्त लण्ड उसकी चिकनी टांगों में मचल रहा था. उसकी टांगों में जैसे चींटियां दौड़ रही थी। “बताओ ना जान… अब क्यों शरमा रही हो?” मैंने उसके होंठ को धीरे से काट लिया। उसने शरमा कर मेरा चेहरा अपने दूधों पर रख लिया।
मैं फिर उससे सटने लगा और उसकी एक चूची मुंह में लेकर चूसने लगा तो वो बिलख उठी- आह कपिल! उफ़! आह! यह कैसा मज़ा है … आह सच्ची, मर जाऊंगी मैं। “रितु मेरी जान, मेरी गुड़िया, पैर खोलो न अब …”
वो बोली- कपिल मेरे प्यार, मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं क्या करूं, अई .. मां धीरे … उफ़ उफ़ आह। मैं उसके दूध ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। “पगली डरने की क्या बात है?” मैं उसके ऊपर से उतर कर उसकी बगल मैं लेट कर उसके होंठ चूम कर मुस्कुराते हुए बोला- लाओ मैं तुम्हारा परिचय इन मस्त चीजों से करा दूँ, फिर डर नहीं लगेगा.
उसका हाथ थाम कर एकदम से अपने गर्म गर्म लण्ड पर रखा तो वो तड़प गई। मैंने उसके दोनों दूधों में मुंह घुसा कर कहा- आह … रितु मेरी जान … आह कपिल … आह-आह … अब मेरा गर्म लण्ड उसके हाथ में था, उसका हाथ पसीने से भीग गया और तभी उसने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी, मेरा हाथ अब उसकी टांगों के बीच में उसकी चूत को सहला रहा था जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। “ऊ … औ … उइ … ओफ्फ, आअ … नह … ना ना … नहीं।” और उसके पैर खुद ब खुद फ़ैलते चले गये और मेरे लण्ड को अब वो ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी। आह मेरी जान … मेरे प्यार, उफ़ कितनी प्यारी है … इतनी चिकनी … कितनी नर्म और गर्म है ये।
उसने मेरे होंठ चूम लिये और अपनी गर्म जबान मेरे होठों पर फ़ेरते हुए सिसकी- क्या कपिल? “यह मेरी जान …” मैं उसकी चूत दबा कर और उसके होंठ चूम कर बोला। “बताओ ना क्या?” तो मैंने उसके होंठ चूस कर उसकी आंखों में देख कर मुस्कुराते हुए कहा- तुम्हें नहीं मालूम इसका नाम? तो वो शरमा कर ना में मुसकुराई- ऊन्हूँ। “अच्छा तो इसका नाम तो मालूम होगा जो तुम्हारे हाथ में है?”
तो वो शरमा कर, धीरे से लण्ड दबा कर हंस दी- हट गन्दे। मैंने उसके दूध चूसते हुए एकदम से काट लिया तो वो मचल उठी- ऊउइ नहीं ना … मैंने उसका चेहरा ऊपर किया और बोला- पहले नाम बताओ, नहीं तो और सताऊंगा।
“मुझे नहीं मालूम, बहुत गन्दे हो तुम।” “अच्छा एक बात बताओ, ये कैसा है?” वो अनजान बन कर मुसकुराई- क्या?
तो उसके होंठों पर ज़ोर से प्यार करके बोला- वो जिससे तुम इतने मज़े से खेल रही हो। तो उसकी नजरें शरम से झुक गईं और धीरे से मेरा लण्ड दबा कर बोली- ये? “हाँ मेरी भोली सी गुड़िया, इसी का तो नाम पूछ रहा हूँ।” तो वो हंस दी, और शरमा कर बोली- बहुत प्यारा सा है। “बिना देखे ही कह दिया प्यारा है।”
वह मेरे सीने मैं मुंह छुपा कर धीरे से बोली- तुमने दिखाया ही नहीं तो फिर। “देखोगी जान?” तो वो मुझ से लिपट गई और अपने आप को न रोक सकी। “कब से तरस रही हूँ सच्ची।”
मैंने उसे खींच कर अपने से लिपटा लिया। मेरी पूरी जबान उसके मुंह के अन्दर थी. वो इतनी जोशीली इतनी गर्म हो गई थी कि मैं पागल हो गया। मैंने उसके दोनों दूध दबा कर लाल कर दिये और उसकी चीख मेरे मुंह में ही घुट गई. वो बुरी तरह तड़प उठी क्योंकि मैंने एक उंगली एकदम से उसकी चूत में घुसा दी। उसकी पूरी चूत भीग गई थी. उसके चूतड़ और गहराई से अन्दर उंगली लेने के लिये उछलने लगे। मेरे गर्म लण्ड के ऊपर रज की बूंदें आ गईं। मेरा लण्ड खूब चिकना हो चुका था। वो भी बेचैन हो कर सिसकी- बस, ऊफ … बस ना प्लीज, दिखा ही दो न अब, मेरी जान कब से तड़प रही हूँ।
उसने मेरे से अलग होने की कोशिश की तो मैंने उसे फिर से लिपटा कर बोला- क्या मेरी जान … बताओ ना मुझे। “मेरा, मेरा, उफ़ कैसे नाम लूं, मैं मुझे शर्म आती है न यार।” “मेरी जान, मेरा ये प्यारा तुम्हें पसंद है न? “हां हां मेरी जान है. यह तो, कितना प्यारा है।” वो लण्ड दबा कर सिसक उठी।
“तो बताओ ना अपनी जान का नाम?” मैंने उसे छेड़ते हुए कहा। “मत सताओ ना प्लीज … उफ़ आह आह, मत करो ना … मर जाऊंगी मैं सच्ची, ऊउइ … नहीं इतनी ज़ोर से नहीं, दुखती है” “क्या दुखती है मेरी जान? मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए कहा। “हाय रे मां, मैं क्या करूं प्लीज, दिखा दो ना, अब ना तरसओ अपनी रितु को।”
मैंने उसके होंठ चूस कर कहा- बस एक बार नाम ले दो मेरी जान। उसकी शर्म से बुरी हालत थी. वो मेरे सीने मैं मुंह छुपा कर सिसक उठी- मेरा … आह … मेरा वाला लण्ड!
ये सुनते ही मैं उसके होंठों को चूसने लगा और फिर हम दोनों अलग हुए और मैं उठा और उसे अपने सीने से लगा कर बैठ गया। अब जो उसकी नज़र पड़ी तो वो देखती रह गई। सावँला, सलोना, तना हुआ लण्ड उसकी हथेली पर रखा हुआ था। वो उसे देख रही थी और मैं उसके गोल, भरे भरे और तने हुए दूधों से खेल रहा था और मेरी उंगली धीरे धीरे उसकी चूत की दरार में उपर नीचे चल रही थी। उसे भी बहुत मस्ती छाने लगी थी। मेरा खूब तना हुआ 7 इंच लम्बा और खूब मोटा गर्म लण्ड भी बहुत हसीन लग रहा था जिसका सुपाड़ा मेरी चिकनी रज से गीला हो रहा था।
उसके होंठों पर होंठ रख कर उसकी चूत दबा कर मैं बोला- जान कैसा लगा मेरा। तो वो मस्त हो गई- बहुत प्यारा है सच्ची, उफ़ कितना बड़ा और मोटा है ये। “खेलो ना इससे” मैंने रितु जान को छेड़ते हुए कहा।
वो धीरे से लण्ड सहलाने लगी और मैंने उसकी चूची पर होंठ रगड़ कर उस पर जैसे ही जबान फेरी तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने पर दबा लिया। “आह … आअह … मेरी जान, मेरी रितु … उफ़ उफ़ … आह … कितनी गर्म … अह … चिकनी जबान है … अह मज़ा आ गया … उफ़ तेरी प्यारी सी चूत।” ऊम … ऊम … मेरी जान, मेरे कपिल, खूब ले लो मेरी … आह … पूरी ले लो आह …” “ऊउई … किस से खेलूं मेरी जान?” “मेरी … मेरी … अहा … मेरी च-च …चूत से … ऊफ” और उसके मुंह में मेरी जबान घुस गई।
हम दोनों मज़े से अब एक दूसरे की जबान और होंठ चूस रहे थे। मैं एक हाथ से उसकी चिकनी चूत को और दूसरे हाथ से उसके दूध दबा रहा था और वो मेरे तने हुए गर्म लण्ड से खेल रही थी जो पूरा मेरे रज से चमक रहा था.
कहानी अगले भाग में जारी है। आप कहानी पर कमेंट करके बतायें कि कहानी आपको कैसी लगी? आप मुझे मैसेज करने के लिए नीचे दी गई मेल आईडी का प्रयोग कर सकते हैं। [email protected]
कहानी का अगला भाग: रिश्तेदार की लड़की को प्यार में फंसा कर चोदा-2
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