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दिल तो मेरा भी है
प्रेषक : ठाकुर
मुलाकातों का दौर बढ़ता चला गया। अब इतनी मुलाकातों में वरुण भी अक्षरा को ठीक से समझ चुका था।
एक दिन वरुण अक्षरा से बोला- मेरे पास एक खबर है।
अक्षरा बोली- वो क्या??
वरुण ने बताया- मेरी शादी पक्की हो गई है, लड़की का नाम रेशम है।
अक्षरा सन्न रह गई, जैसे छाती में से किसी ने दिल को निकाल लिया हो, आँसू पोंछते हुए बोली- बधाई हो।
साफ पता चल रहा था कि अक्षरा वरुण को चाहने लगी थी। वरुण भी रुआंसा हो उठा.. लग रहा था वो भी अक्षरा के चाहने लगा था। उसकी दोस्त से जाने रिश्ता रहता या नहीं उसका शादी के बाद !
वरुण ने बताया- व्यापार के सिलसिले में बाहर भी जाना है, करीब 4 महीनों में लौटूँगा।
अब तो अक्षरा उठी और बस चल दी वरुण आवाज देता रह गया।
कुछ दिन बाद वरुण की शादी थी। अक्षरा को फोन मिला मिला कर थक गया था, फोन लग ही नहीं रहा था।
उसने मनोज को मेसेज भेजा कि अक्षरा को मेरी शादी के बारे में बता देना।
उत्तर आया- मैं तो जम्मू में हूँ, बस तेरी शादी के दिन आऊँगा, पर यह अक्षरा कौन है?
वरुण ने बताया- वो रंगीली…
मनोज को कुछ पता तो था नहीं… उसके सवालों की झड़ी लगने से पहले ही वरुण ने कहा- बाद में तेरे को सब बताता हूँ।
मनोज बोला- तू चिन्ता ना कर, तेरा काम करवा दूँगा।
“अहसानमंद रहूँगा !” ऐसा कह कर वरुण ने फोन रख दिया।
मनोज ने मौसी से कह कर रंगीली तक यह बात पहुँचा दी। रंगीली शादी में आई और शुभकामनायें देकर चली गई।
मनोज को शादी के कुछ समय बाद धीरे धीरे रेशम की वास्तविकता का पता चला कि रेशम एक अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद है, उसके गर्भ में जो बच्चा है वो भी वरुण का नहीं, ना वो उसको प्यार करती है।
वरुण पागल-सा हो गया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था… कि करे क्या और क्या करे??
उसको अपने मित्र मनोज की याद आई। उसने मनोज को कॉल कर सारी बातें बताई।
मनोज ने सलाह दी कि रेशम से उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछे।
रेशम को बहुत प्यार से विश्वास में लेकर वरुण ने पूछा और उसने अपने बॉय फ्रेंड का नाम अनूप बता दिया।
अब वो रेशम को लेकर अनूप से मिलने चल दिया। अनूप के पास पहुँच कर अनूप को सारी स्थिति बताई तथा अपने होने वाले बच्चे तथा रेशम को अपनाने के लिये कहा।
लेकिन अनूप इस बात के लिये तैयार नहीं हुआ तथा बहाने बनाने लगा।
तभी वरुण ने मनोज को फोन किया और मनोज इत्तेफाक से उसी शहर किसी कार्य से आया हुआ था, मनोज ने कहा- दस मिनट इंतजार कर, मैं अभी तुम्हारे पास आ रहा हूँ।
दस मिनट बाद एक पुलिस की जीप अनूप के घर के आगे रुकी और उसमें से इंस्पेक्टर मनोज 6 कांस्टेबल के साथ जीप से उतर कर घर की तरफ़ बढ़ने लगे।
उनको देख कर अनूप की सांसें उखड़ने लगी।
इंस्पेक्टर मनोज दनदनाते हुए बैठक में घुस गए, मनोज ने वरुण से गर्म जोशी से हाथ मिलाया और बोले- बताओ क्या मामला है।
वरुण ने सारी बातें मनोज को कह सुनाई। मनोज ने अनूप को कानूनी और पुलिसिया भाषा दोनों में समझाया। थोड़े प्रयास के बाद अनूप ने वरुण से माफ़ी मांगी और रेशम को स्वीकार करने के लिये राजी हो गया और मनोज के साथ वरुण अपने घर वापस आ गया।
मनोज ने वरुण से अक्षरा के विषय में पूछा। वरुण ने बताया हम अंतिम समय शादी में मिले थे। मनोज उसको लेकर काला बाजार चल दिया और सीधा मौसी के पास पहुँचा।
वरुण थोड़ा हिचकिचा रहा था परन्तु मनोज के साहस बंधाने पर वो चल दिया।
मौसी बैठी पान चबा रही थी, मनोज को देखते ही बोली- क्या इंस्पेक्टर बाबू !!! तुम जम्मू क्या चले गए, हमको तो भूल ही गए?
मनोज मौके को सम्हालते हुए बोला- ऐसी कोई बात नहीं है मौसी.. कैसी हो…? मिलता तो रहता था समय समय पर मेरा सन्देश। अब भी तो आया हूँ आपके पास !
और हँस पड़ा।
मनोज ने मौसी से रंगीली के बारे में पूछा तो मौसी ने बताया कि जब से वरुण की शादी से आई है मेरा तो कोठा जैसे चलना ही बंद हो गया है। जाने कौन है यह वरुण। जब से आई है उसी रात से ना सोती है, ना कुछ खाती है, कभी खा लिया तो खा लिया… उसकी एक थिरकन पर महफिल में सब वाह-वाह कर उठते थे अब वो ही रंगीली फीकी और सूख कर कांटा हो गई है। जाने कितना समझाया उसको, पर वो है कि समझने को तैयार ही नहीं, बस रोती रहती है।
इशारा करके बोली- यह साथ में कौन है? कुछ खातिरदारी या व्यवस्था करवाऊँ?
“वरुण है !”
सुनते ही मौसी थोड़ा कड़की, थोड़ा भड़की और बस मन मसोसकर रह गई।
मनोज बोला- इसको रंगीली से मिलना है।
रूबी को बुला कर कमरे में भेज दिया। साथ ही पीछे मनोज और मौसी भी आ खड़े हुए।
रंगीली वरुण को देखा और अनदेखा सा करके बैठ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वरुण ने पुकारा- “अक्षरा !”
कोई जबाब नहीं आया, वरुण ने फिर से पुकारा- अक्षरा !
आवाज आई- यहाँ कोई अक्षरा नहीं है।
“और रंगीली…..”
“रंगीली वो नाचने वाली….? वो तो आपसे मिलने के बाद ही खत्म हो गई थी, तब से घुंघरुओं को हाथ तक नहीं लगाया !”
“अक्षरा क्यों नहीं है यहाँ? वरुण ने कहा।
“जब आप मेरे नहीं तो अक्षरा नहीं। अक्षरा को कोई नहीं जानता था.. सिवाय आपके… रंगीली को अक्षरा बनाने का श्रेय जाता है तो सिर्फ आपको।”
वो बोली- आपके साथ घूमना फिरना, मस्ती वो कुल्फी खाना और वो एक एक पल जो आपके साथ गुजारा था.. उसी को याद कर मैं आज तक जी रही हूँ। इतना प्यार था और उसी प्यार पर विश्वास कि आप एक दिन जरूर आओगे। पर यह भी पता था कि शादी होने के बाद आप किसी नाचने वाली के साथ क्यों घूमेंगे !
… और इतना कहते ही वो रो पड़ी।
“एक मुजरे में नाचने वाली लड़की की जिन्दगी को किस कदर आपने बदल दिया आपको इस बात का अंदाजा भी नहीं। अब मुझे मेरे हाल पर अकेली छोड़ दीजिए।”
“यहाँ इस तरह घुट-घुट कर जीने को?” वरुण बोला।
अक्षरा ने कहा- उससे आपको क्या वरुण ! मैं कैसे भी रहूँ?
“तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि ये सब कुछ चल रहा था तुम्हारे जहन में?” वरुण ने कहा।
“कुछ भी बताने से पहले तुमने अपनी शादी की खबर जो दे दी थी। बता कर भी क्या होता? तुम एक सफल बिजनेस मैन हो। क्या किसी कोठे पर मुजरों में नाचने वाली लड़की से शादी करते?” रूआंसी अक्षरा बोली।
अपने को सम्हाल कर बहुत हिम्मत करके अक्षरा बोली- दीदी कैसी हैं?
मनोज बोला- हम उनको उनके घर हमेशा के लिये छोड़ आए हैं।
वरुण ने कहा- क्या तुम मेरे साथ चलोगी?
प्यारी-सी मुस्कान-स्वीकृति देख वरुण ने अक्षरा को ह्रदय से लगा लिया।
मौसी भी खड़े-खड़े देख रही थी।
मनोज और मौसी के चेहरे पर भी सुकून के भाव थे।
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