सेक्स चैट दोस्त

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मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, कहानियो को पढ़ कर मेरा भी किसी से सेक्स करने को मन करता है। अन्तर्वासना पर कहनियों का भंडार है। मेरी भी एक ऐसी ही कहानी है।

मेरे पड़ोस में एक पैंतालीस साल की औरत रहती थी, नाम था आशा! ज्यादातर शादीशुदा औरतों पर ही मेरा ध्यान जाता है क्योंकि उनकी देखने लायक चीज एक ही होती है, वो हैं उनकी चूचियाँ! जो बड़ी-बड़ी और सेक्सी होती हैं, किसी भी जवान लड़के का मन एक बार में डोल सकता है।

मैं जॉब से टेलिकॉम में हूँ। मैं कोलकाता में जॉब करता हूँ और हर रविवार को मैं साइबर कैफ़े जाता हूँ चैटिंग करने के लिए।

एक दिन मुझे साइबर कैफ़े में अलग कोने में सीट मिली। बराबर में वही औरत जो मेरी घर से कुछ दूरी पर रही थी, वो वहाँ पर कुछ इन्टरनेट से रूपए भेजने के काम से आई थी।

उसने मुझसे पूछा- आप यहाँ पर? मैंने मुस्कुराते हुए जबाब दिया- हाँ मन बहलाने के लिए यहाँ पर आ जाता हूँ। मैंने पूछा- आप यहाँ पर?

उसने बोला- मैं यहाँ पर अपने लड़के को जो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है, उसकी फीस जमा करने आई हूँ। फिर उसने कहा- मेरे भी पति आउट स्टेशन होते हैं।

ये सभी मैं बातों ही बातों में पूछ रहा था क्योंकि वह अपना काम कर रही थी और मैं अपना काम कर रहा था। मुझे पता था कि वह एक हाई सोसाइटी की औरत है। उसके कपड़े देखने से ही समझ आ जाता था, जीन्स-पैंट और गोल गले का चुस्त टीशर्ट पहनती थी। उसकी चूचियाँ कम से कम 5-5 किलो की होंगी। वैसे भी मैं उसे जब भी देखता था तो मैं मुठ मार लेता था।

एक महीने तक ऐसा ही चला, फिर कहानी में एक नया मोड़ आया। मैं हमेशा की तरह महीने की आखिरी तारीखों को साइबर जा रहा था कि अचानक उसकी कार मेरी बगल में रुकी और उसने मुझसे पूछा- आप साइबर जा रहे हैं? मैंने कहा- हाँ!

तो उसने अपनी कार का दरवाजा खोला और कहा- मैं भी वहीं जा रही हूँ, आप मेरे साथ चल सकते हैं यदि आपको बुरा ना लगे!

मैंने कहा- नहीं, मैं पैदल ही चला जाता हूँ! लेकिन उसने मेरा हाथ को पकड़ कर बोला- आ जाओ!

उसके हाथ लगने से मेरा शरीर कांप उठा, सारे रोम खड़े हो गए। फिर हम लोग साइबर आ गए, उसने इस बार एक केबिन बुक कर रखा था जो मैं नहीं जानता था।

हम लोग केबिन में गए और वो कुर्सी पर बैठ गई, उसने कहा- मुझे आपसे इन्टरनेट सीखना है, प्लीज मुझे इन्टरनेट सिखाएँ।

फिर मैं जैसे जैसे उसे बताता जा रहा था, वह वैसा ही कर रही थी। मेरा हाथ कभी कभी उसके हाथ से टकरा जाता था जिस पर उसके कोई प्रतिक्रिया नहीं होती थी और मुस्कुरा देती थी। वैसे भी मेरा लंड बर्दाश्त के बाहर हो रहा था लेकिन उसे सब पता था और वह अपनी तिरछी निगाहों से देख रही थी, जब मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गया तो मैंने उसे बोला- मैडम, मुझे कुछ काम याद आ गया है, मुझे जाना है।

उसने कहा- मैं भी चलती हूँ, आप पहले अपना काम कर लो फिर हम लोग घर चलेंगे।

मैंने सोचा कि आज तो मैं फंस गया। एक मैं सोच रहा था कि मेरा कचूमर निकलने वाला है और यह भी सोच रहा था कि आज मेरा इतनी दिनों बाद काम बनने वाला है।

फिर हम लोग अपने घर की तरफ जाने लगे, उसके घर के पास कार रुकी, मैं कार से उतरने लगा। जब वह कार से उतर रही थी तो मैं उसकी मोटी मोटी जांघों को देख रहा था।

उसने मुझे देखते हुए देख लिया था और जब मैं कार से उतर तब थैंक्स कह कर अपने घर की तरफ जैसे ही जाने वाला था कि उसने मुझसे कहा- सुनो!

मैंने कहा- क्या? उसने कहा- क्या आप आज की फीस लिए बिना ही चले जायेंगे? मैंने कहा- फीस? कैसी फीस? उसने कहा- आज जो आपने इन्टरनेट सिखाया है। मैंने मजाक में कहा- आप मेरी फीस नहीं दे पाएँगी। उसने कहा- ऐसी क्या है आप की फीस में? मैंने बात को घुमाते हुए कहा- नहीं, कुछ ऐसा नहीं! लेकिन मैं उसकी बात को समझ रहा था।

फिर हम लोग मैडम के घर के अन्दर गए और उसने मुझे बैठक में बैठने को कहा और बोली- मैं अभी आती हूँ।

आधे घंटे के बाद वो आई और जब मैंने उसे देखा तो पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई क्योंकि उसने ऐसे कपड़े पहने थे कि मेरा लंड देखते ही खड़ा हो गया। उसकी मैक्सी दो भागो में थी जिसमें उसकी चूचियाँ बड़ी-बड़ी और बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि मैं अभी जाऊँ और उसके दो बड़े बड़े दूध पकड़ कर चूस लूँ। लेकिन ऐसा नहीं कर सकता था, मैं जानता था कि वही मुझे बुलायेगी।

उसने बालों को कंघी करते हुए कहा- आप कुछ लेंगे? मैंने कहा- लूँगा तो बहुत कुछ लेकिन अभी तो सिर्फ पानी मिल जाता तो ठीक रहता। उसने कहा- मैं अभी लाई!

मैं उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देख रहा था कि उसने मुझे देखते हुए देख लिया और मुस्कुरा कर गांड को मटकाकर चल रही थी। मैंने पानी पिया और बोला- मैडम, अब मैं चलता हूँ।

जैसे ही मैं उठा कि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- इतनी जल्दी क्या है? क्या मैं तुम्हें खा रही हूँ? मैंने कहा- नहीं मैडम, ऐसी बात नहीं है!

तो उसने कहा- तो फिर कैसी बात है? क्या मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती हूँ? मैंने कहा- नहीं मैडम, यह गलत है! उसने कहा- क्या गलत है? मैंने कहा- जो आप कर रही हैं।

उसने मेरा लंड पैंट में खड़ा देख लिया था, जब उसने यह कहा कि मैं एक महीने से तुम्हारा पीछा कर रही हूँ तो मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया कि यह औरत मुझ पर इतने दिनों से ध्यान दे रही है जबकि मुझे पता ही नहीं।

उसने कहा- मैं जानती हूँ कि तुम साइबर में चैटिंग के लिए जाते हो या औरतों को पटाने को क्योंकि मैं भी तुम्हारी चैटिंग दोस्त हूँ। जिससे तुम हर सन्डे को बात करते हो।

मेरे मन में तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने उसके होंटों को चूम लिया। मेरा इतना ही करना था कि उसकी ओर से सब चालू हो गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसने कहा- हम लोगों ने जितनी भी बातें की हैं, आज उन्हें सच करेंगे। फिर उसने मेरा हाथ अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों पर रख लिया और कहा- दीपक, मेरी चूचियों को जोर से दबाओ।

और मैं उसकी 5 किलो की एक एक चूचियों को दबाने लगा, उसने मेरा लंड पकड़ कर सहलाना शुरु कर दिया और अपनी एक ऊँगली से अपनी बूर के दाने को रगड़ने लगी, कह रही थी- आज मुझे इतना चोदो कि मेरी सारी गर्मी निकल जाये!

जब मैंने उसकी बूर के पास अपनी जीभ को लगाया और दोनों उँगलियों से उसके बूर के दाने को मसलने लगा, कहा- देखो कितना मज़ा आता है!

मैं दाने को जीभ से हिलाने लगा तो उसे झटका लगा और उसने मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया और कहा- आज खा जाओ इस बूर को!

उसने अपने हाथों से अपनी बूर को चौड़ा किया और बूर से जो पानी रिस रहा था, उसे मैं चाटने लगा।

अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कह रही थी- चोदो मुझे! लेकिन मुझे आज उसके साथ पूरी मस्ती करनी थी तो मैंने कहा- अभी नहीं, थोड़ी देर बाद!

मैंने उसके निप्ल्लों को चूसना चालू किया और चूस-चूस कर उन्हें लाल कर दिया। इतना चूसा कहने लगी- जान लोगे क्या? मैंने कहा- जान नहीं लूँगा, बूर लूँगा। तो उसने कहा- तो लो ना! मैंने कहाँ मना किया है? मेरी बूर को इतना लो कि यह लाल हो जाये।

मैंने बूर में लंड डालने से पहले बूर पर दो बार लण्ड पटका और थपथपाया और बूर में जोर से डाल दिया। वह कह रही थी- दीपक, मुझे पूरी तरह से रगड़ कर चोदो! मैंने कहा- तुम्हें मैं तब तक चोदता रहूँगा जब तक तुम खुद ही बोल ना दो कि अब मन भर गया है।

और मैंने ऐसा ही किया। हम दोनों को खूब मज़ा आया। [email protected]

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