देहाती यौवन-1

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लेखिका : कमला भट्टी

आज मैं एक नई कहानी बता रही हूँ आशा है आपको पसंद आएगी !

यह घटना मुझे मेरे जीजाजी ने सुनाई थी जो उनके साथ घटित हुई !

तो सुनिए उनकी कहानी उनकी जुबानी !

मैं समीर हूँ, अभी मेरी उम्र 40 साल है। यह कहानी काफी साल पहले की है जब 2001 में जब मेरे घर पर मेरी पत्नी को पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई ! आपको पता ही है गर्भावस्था में पत्नी के साथ सेक्स नहीं होता है !

2-3 महीने पहले थोड़ा बहुत होता भी हो तो जैसे फर्स्ट गियर में गाड़ी चलती है वैसा ही हो सकता है !

और मेरे जैसे जो गाड़ी को हमेशा टॉप में चलाते हों उनका क्या होता होगा !

तो समझ लो कि मैं बहुत प्यासा था और अभी मेरी पत्नी के प्रसव डिलीवरी को सिर्फ 20 दिन हुए थे तो मेरा चांस तो कम से कम 1 “मना तो और बनना ही नहीं था ! मैं अपनी लोडेड गन के साथ इधर उधर ट्राई मार रहा था कि इसे किस पर खाली करूँ? पर कोई नज़र ही नहीं आ रही थी !

पर शायद कामदेव भगवान् को मुझ पर तरस आ गया ! मेरे पड़ोस में एक घर में शादी थी बहन और भाई दोनों की ! वो थोड़े गरीब ही थे उनकी माँ ने मुझे कहा- तुम्हारे पास कैमरा है, हम उसमें रील डलवा देंगे, तुम शादी में फोटो खींच दोगे क्या?

मैं बोला- मुझे क्या परेशानी हो सकती है, मैं अभी फ्री हूँ खींच दूंगा !

शादी के दिन सुबह ही उन्होंने मेरे कैमरे में रील डलवा दी और मैंने उनके परिवार की कुछ बुजुर्ग महिलाओं की फोटो खींची !

उस वक़्त वहाँ उनके रिश्तेदार यानि दुल्हन की माँ के बहन की दो नवयौवना लड़कियाँ भी वहाँ आई हुई थी, वो गाँव की थी और उन्होंने घाघरा-ओढ़नी और कब्ज़ा पहन रखा था।

एक 19 साल की थी और दूसरी उससे एक साल छोटी थी। दोनों की नई नई शादी हुई थी 4-6 महीने पहले ! बड़ी वाली तो ससुराल 4-5 बार जाकर आई थी पर छोटी वाली तो सिर्फ एक बार ही गई थी, उसका पति इस शादी के बाद उसे यहीं से ले जाने वाला था !

दोनों ही नाजुक गोरी और सुन्दर थी ! बड़ी वाली थोड़ी दुबली और ठिगनी थी पर छोटी वाली लम्बी और गठीले बदन की थी। बड़ी वाली के अंग मुझे थोड़े ढीले लग रहे थे पर छोटी वाली कसे बदन की थी।

अब जब उन्होंने मेरे हाथ में कैमरा देखा तो उन्होंने अपनी मौसी की अपनी फोटो खिंचवाने की भी गुजारिश कर दी।

और उनकी मौसी ने मुझे कहा- इनकी भी फोटो खींच दो !

मुझे क्या परेशानी हो सकती थी ! उनमें से छोटी वाली लड़की एक साल पहले यहाँ आकर कुछ दिन रह कर गई थी और मेरे उस वक़्त पैर की हड्डी टूटी हुई थी और मैं बैशाखी के सहारे ही इधर उधर घूमता था तब उससे मेरा नैन मटक्का हुआ था ! पर मेरी शारीरिक अक्षमताओं की वजह से कुछ हो नहीं पाया था ! पर नयनों की भाषा तो उसने और मैंने पढ़ ही ली थी तो मुझे बात याद आ गई !

उसके और मेरे दोनों के मन में चोर था तो मैं फटाफट उन दोनों बहनों की फोटो खींचने के लिए तैयार हो गया ! मैंने उनके घर पर ही एक दो फोटो खींचे कि उन्होंने फरमाईश कर दी- हम पैंट-शर्ट और जींस पहन कर फोटो खिंचवायेंगी !

तो उनकी मौसी ने कहा- इन्हें अपने घर ले जा और अपने कपड़े पहना कर फोटो खींच दे !

मेरा घर पास ही था तो मैं उन्हें घर ले गया, बीवी ने कुछ मुँह सुजा कर उन्हें देखा पर घर आये मेहमान समझ कर कुछ नहीं कहा !

घर पर आकर उन दोनों ने मेरे कपड़े पहन लिए ! बड़ी वाली ने पैंट पहनी पर शर्ट जींस का पहना ! शर्ट पर प्रेस नहीं होने के कारण उसके वक्षों के पास कुछ सही नहीं लग रहा था !

हम फोटो खींचने के लिए छत पर आ गए थे ! ऊपर एक कमरा भी बना हुआ था !

शाम का समय था, मई महीने की शुरुआत थी इसलिए मौसम सुहावना था ! मेरी पत्नी को मेरे दिलफेंक स्वाभाव का पता था पर उसकी अवस्था ऐसी थी कि उस स्थिति में वो सीढ़ियाँ नहीं चढ़ सकती थी पर अन्दर ही अन्दर चारपाई पर सोई हुई कुढ़ रही थी।

अब मैंने उन दोनों पर ध्यान लगाया !

सबसे पहले बड़ी वाली कपड़े पहन के मेरे सामने आई ! शर्ट की जेब सही करते मैंने उसके छोटे छोटे वक्ष टटोल लिए ! उसने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया ! बड़ी ठण्डी प्रतिक्रिया थी, न खुश हुई और न नाराज़ !

मैंने सोचा अब छोटी वाली पर ट्राई करते हैं जो पहले से कुछ पटी हुई है यानि नैनों की भाषा में बात हो चुकी थी। उसने मेरी जींस और शर्ट पहने थे जो उसके बदन पर कसे हुए आ रहे थे !उसने आकर मेरी नज़रों में अपने लिए अर्थ पूर्ण भाव देखा तो वो शरमा गई।

पास आकर बोली- अब मेरे कपड़े भी सेट कर दो !

मैंने भी कपड़े सेट करने के बहाने उसकी कमर, कूल्हे और पिंडलियाँ सहलाई। शर्ट सही करने के बहाने से अपना हाथ उसके पेट पर फिराया ! अंगुलियों को शर्ट एडजस्ट करने के बहाने से जहाँ तक नीचे जा सकती थी वहाँ पहुँचाई !

हालाँकि उसका त्रिभुज नहीं छू पाया पर टांगों के जोड़ के पास जो उभरा हुआ प्रदेश होता है वहाँ तक पहुँच गया ! क्या और गुदगुदा लगा वहाँ !

मेरी आवाज़ और सांसें भारी हो गई ! नाग ने फन उठाना शुरू कर दिया ! बड़ी मुश्किल से उसे संभाल पा रहा था !

ये देहाती लड़कियाँ इतनी भोली होती हैं कि मैं उनको छूकर जो भी कर रहा था वो उसे फोटो में जरूरी समझ कर करवा रही थी !

खास बात तो यह थी कि जब मैं बड़ी के कपड़े सेट करता या फोटो खींचता तो छोटी दूर हो जाती और छोटी के करता तो बड़ी दूर हो जाती ! क्या ग्रामीण बालाओं की मासूमियत थी !

खैर मैंने उनके कुछ फोटो खींचे पर मैंने अपना ध्यान और ज्ञान छोटी वाली पर लगा दिया था ! पर मैं अभी उसे मन की बात कह नहीं पाया था, क्या पता भोलेपन की वजह से मैं उसे गलत समझ रहा था ! यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने मन ही मन अपने इष्ट देव को याद किया और मुझे मौका मिल गया ! फोटो सेशन पूरा करके जब हम वापिस नीचे जा रहे थे तो सीढ़ियों के पास जो कमरा बना था वहाँ एक पलंग बिछा था, उस कमरे के दरवाज़ा नहीं था और वो सीढियों की तरफ ही था !

बड़ी वाली आगे थी वो कुछ सीढियां उतर भी गई थी पर छोटी वाली ने पूछा- यहाँ कौन सोता है?

मैंने कहा- मैं !

तो उसने कहा- यहाँ भी मेरी फोटो खींचो !

बड़ी वाली यह सुनकर कुछ ठिठकी पर फिर वो नीचे चली गई, मेरे कपड़े उतार कर अपने पहने और मेरी पत्नी से बातें करने लग गई !

अब ऊपर मैं और छोटी वाली अकेले थे भले ही कुछ समय के लिए ही हो ! मैंने अपने ईश्वर को धन्यवाद देते हुए अपना मुख्य काम चालू किया !

मैंने झूठ मूठ के फ्लैश मारे, तब तक वो पलंग पर लेट चुकी थी और बोली- अब लो फोटो !

मैंने चुपचाप उसकी सख्त गोलाइयों को पकड़ा और शर्ट के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया, मेरे होटों ने उसके होंठों को चूम लिया !

यह सब इतनी जल्दी हुआ कि वो समझे तब तक मैं उसके शरीर का भूगोल नाप चुका था ! वो हड़बड़ा कर उठी और मेरे पर क्रुद्ध और कठोर शब्दों में बोली- यह क्या कर रहे हो? तुम्हें शर्म नहीं आती? मुझे क्या ऐसी वैसी समझा है क्या?

डर, शर्म, निराशा और गुस्से से मेरे दिमाग के फ्यूज उड़ गए थे ! मुझे डर था कि यह अभी यह बात मेरी पत्नी और अपनी मौसी को जाकर बता देगी !

प्यार-काम का भूत उतर गया था, नाग मूंगफली बन गया था !

पर उसकी ललचाती अदाओं के धोखे का गुस्सा था जो मेरे मुँह से फूट पड़ा, मेरे मुँह से भी गुर्राती सी आवाज़ निकली, मैं दबंग लड़ाकू और गुस्सैल ही था, डरना तो किसी से सीखा ही नहीं था, मैं गुर्राया- साली… अभी तो मजे ले रही थी ! अपनी कमर मटका रही थी मेरे बिस्तर पर सोकर सेक्सी पोज दे रही थी? अब मादरचोद नखरे कर रही है? माँ चुदा ! भाग यहाँ से, जा कह दे जिसको कहना है?

(अब सेक्सी पोज का मतलब वो अनपढ़ ग्रामीण बाला समझी या नहीं, मैं नहीं जानता)

वो भी मेरे गुस्से को देख कर सन्न रह गई और चुपचाप नीचे चली गई, मेरे कपड़े खोल कर अपने पहने और मेरी पत्नी से कुछ भी बोले बिना अपनी बड़ी बहन के साथ अपनी मौसी के घर चली गई !

मेरा सारा मूड ऑफ हो चुका था, मैं चुपचाप अपने घर पर ही बैठा रहा, किस मुँह से वहाँ जाता !

तभी कोई बच्चा वहाँ मुझे बुलाने आ गया कि दुल्हन की माँ मुझे बुला रही है।

अब मुझे जाना ही था, शायद उसने शिकायत कर दी हो वहाँ जाकर ! मुझे उन्हें समझाना तो था ही वर्ना वो मेरे घर भी आ सकते थे।

मैं भारी क़दमों से शादी वाले घर की तरफ चल पड़ा ! हाँ कैमरा मेरे गले में ही लटका हुआ था !

मैं जब शादी वाले घर में दाखिल हुआ तो मेरा सामना दुल्हन की माँ से ही हुआ !

कहानी जारी रहेगी।

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