अब मैं किससे प्यार करूँ-2

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वो कोई हॉलीवुड मूवी थी जो हिंदी में डब की हुई थी।

शुरू होते ही हॉट सीन शुरू हो गया तो मैंने कनखियों से देख कि नैना ने अपना सर नीचे झुका रखा था और और बीच-बीच में चोर नज़रों से सीन देख रही थी। पूरे हाल में सेक्स सीन की मादक आवाज गूंज रही थी और पास की सीट के जोड़े आपस में किस्सिंग वगैरा कर रहे थे।

तो नैना ने कहा- सॉरी संजय ! यह तो एक्शन फिल्म थी इसलिए मैंने सोचा…!!

मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा- मेरी तरफ देखो…

तो उसने हल्के से मेरी तरफ देखा और फिर.. नज़रें झुका ली…

मैंने कहा- नैना, हम दोनों बच्चे नहीं हैं, औरत और मर्द के बीच में क्या होता है यह हमें पता है… कोई बात नहीं ! जब हम गलत नहीं हैं तो कोई गलती कैसे होगी।

तो उसने हाँ में सर हिलाया। 3-4 मिनट के बाद वो सीन ख़त्म हो गया तो नैना थोड़ा संभली और मूवी देखना शुरू किया। काफी रोमांचक मूवी थी, फुल ऑफ़ एक्शन !

इंटरवल के बाद फिर से सेक्सी सीन शुरू हो गया तो इस बार नैना और मैं सीन देखने लगे पर एक दूसरे की तरफ कोई नहीं देख रहा था। सीन देख कर मेरी तो हालत ख़राब, लंड फ़ूल रहा था और ऊपर-नीचे कर रहा था। मैंने काफी कोशिश की नैना से छुपाने की पर मैंने देखा की वो कनखियों से मुझे देख रही थी, मैंने कुछ कहा नहीं…

पास के बॉक्स में जो जोड़े बैठे थे, उनकी हिम्मत देख कर मैं मान गया, वो तो अपनी लड़की साथियों की चूची जोर जोर से दबा रहे थे, नैना भी ये सब देख रही थी। उस दिन पहली बार मैंने उसके गालों पर वो शर्म से गुलाबीपन देखा था।

पता नहीं मुझे अचानक क्या हुआ, जैसे कोई शक्ति थी या क्या मैंने उसके गाल पर एक चुम्मी ले ली।

उसने कुछ कहा नहीं बस उठी और चल पड़ी।

दो मिनट बाद मुझे होश आया कि मैंने क्या किया !

तो मैं दौड़ता हुआ उसके पीछे गया पर बाहर जाकर देखा तो उसकी गाड़ी नदारद। मुझे बड़ा पछतावा होने लगा कि यह मैंने क्या कर दिया।

मैंने कई बार उसे फ़ोन किया लेकिन उसने उठाया नहीं।

अगले दिन मैंने बड़ी हिम्मत जुटाई, सोचा कि आज ऑफिस में नैना से बात करूँगा। ऑफिस जाते ही वो दूर से ही मुझे दिखी, मैं जैसे ही उसकी तरफ बढ़ा, वो वहाँ से मुझे देखते ही चली गई अपनी केबिन में, मैं मायूस होकर अपने केबिन में गया और उसके एक्सटेंसन पर फ़ोन किया तो उसने उठाया नहीं। 2-3 बार के बाद उसने फ़ोन उठाया तो मैंने कहा- नैना, आई ऍम सॉरी ! पता नहीं मुझे क्या हो गया था कल ! ऐसा मैंने कैसे कर दिया, मुझे खुद कुछ नहीं पता… नैना, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।

उधर से आवाज आई- यह ऑफिस है संजय जी ! यहाँ पर हम सिर्फ प्रोफेशनल हैं, कुछ और नहीं ! कोई काम हो तभी फ़ोन करियेगा। मैं काफी मायूस हो गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा।

खैर 15-20 दिन उसने मुझसे बात नहीं की। फिर मैंने उसे एक इमेल भेजा, अपनी दिल की बात लिख कर… मैंने लिखा- डीयर नैना,

नैना मैं नहीं जानता कि मैंने तुम जैसी लड़की का दिल कैसे दुखा दिया, गलती मेरी है, खैर अगर तुम मुझसे बात नहीं करना चाहती तो कोई बात नहीं, मैं तुमसे जबरदस्ती नहीं करूँगा। हाँ इतना जरुर कहना चाहूँगा कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ तुम जैसी ही एक दोस्त पाना चाहा है। गलती मेरी थी, माफ़ी मांग चूका हूँ, अगर माफ नहीं करोगी तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाउँगा…

तुम्हारा बदकिस्मत दोस्त

संजय

और मैं अपने घर की तरफ निकाल पड़ा बिना नैना का जवाब आये। रास्ते पर ऐसे ही सोचते सोचते चल रहा था कि बेख्याली में सड़क पार करने लगा और सामने वाली कार से मेरा एक्सिडेंट हो गया।

चोट ज्यादा नहीं आई बस पैर में मोच आ गई। कार वाले ने मुझे बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, वो तुरंत उतर कर आया और पूछा- चोट तो नहीं लगी?

मैंने कहा- नहीं बस पैर में मोच आ गई है।

उसने मुझे घर तक छोड़ा, इधर ऑफिस में सबको पता चल गया कि मेरा एक्सिडेंट हो गया है तो सभी मुझसे मिलने मेरे घर पर आये शाम को और दुःख जता कर चले गए…

बॉस ने मुझे हफ्ते भर की छुट्टी दे दी क्योंकि प्रोजेक्ट को आने में अभी एक हफ्ते का समय था।

सात बजे घण्टी बजी मेरे घर की तो मैं जैसे तैसे दरवाजे की तरफ बड़ा और खोला तो सामने नैना को देख कर ख़ुशी से पागल हो गया। वो अन्दर आई और मुझे सहारा देकर बेड तक ले गई, बैठाया मुझे, फिर मेरे ही बगल में बैठ गई।

पाँच मिनट तक हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई, फिर मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और कहा- नैना, आई ऍम सॉरी ! मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो।

तो वो रोने लगी।

नैना- बेवकूफ, रास्ते पर ऐसे चलते हैं? अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो?

मैं- मर जाता और क्या?

नैना- एक घूँसा मारूँगी अगर फालतू बोला तो !

मैं- अच्छा बाबा, नहीं बोलता लेकिन रो क्यों रही हो?

नैना- मेरे बारे में सोचते जा रहे थे ना?

मैं- हाँ !

नैना- क्यों? ऐसा क्या है?

मैं- क्योंकि आप हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं और हमारा कोई और दोस्त नहीं।

नैना- तुम ना, तुम…

मैं- रोओ मत नैना… आई हेट टियर्स !

तो वो हल्का सा मुस्कुरा दी तो मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके आँसू पौंछे और बोला- नैना, एक बात कहूँ?

मैं- तुम्हारा नाम किसी ने ठीक रखा है तुम्हारी आँखें बड़ी प्यारी हैं।

नैना- फिर लाइन मारना शुरू कर दिया?

मैं- नहीं बाबा, लाइन नहीं मार रहा !

नैना- तो ये क्या है?

मैं बस उसकी तरफ देखता रहा तो उसने शरमा कर नज़रें झुका ली, फिर कहा- अच्छा बोलो, क्या खाओगे? मैं बना देती हूँ, तुम्हें चोट आई है ना !

मैंने कहा- नहीं ठीक है, मैं बाहर से कुछ मंगा लूँगा।

तो उसने कहा- पैसे मुझे दे देना ! ठीक है?

मैं हँसने लगा, कहा- जो मन करे, बना दो, वैसे बहुत दिनों बाद जला कटा खाने को मिलेगा, बहुत अच्छा लगेगा।

तो उसने प्यार से मेरे सीने पर मुक्का मारा और कहा- मैं जला कटा नहीं बनाती !

और उठ कर चली गई…

उस दिन वो सफ़ेद कमीज-सलवार पहन कर आई थी और मैं पहली बार उसे देख रहा था ध्यान से… उफ़ ! क्या हसीं बदन था उसका ! 36-24-36 का परफेक्ट साइज़ था, ऊपर से सफ़ेद कमीज से उसकी ब्रा चमक रही थी हल्की-हल्की… उफ्फ ! मैं तो उसको देख कर पागल हो गया था।

खैर मैं टीवी देखने लगा और नैना खाना बनाने लगी। खाना बनाते खाते कब नौ बज गए, पता ही नहीं चला।

उसने कहा- संजय, तुम आराम करो, मैं ये सब धो देती हूँ, फिर आती हूँ !

तभी तेज बारिश आ गई, आप सब तो मुंबई का मौसम जानते ही हैं, चेरापूंजी से कम कहाँ है।

खैर नैना बर्तन धोकर आई तो मैंने कहा- बैठ जाओ, बारिश कम हो जाएगी तो चली जाना ! गाड़ी से घर पहुँचने में कितना समय लगेगा…

नैना- नहीं गाड़ी गैरेज में दिया हुआ है ख़राब है

मैं- तो ठीक है बैठ जाओ, बारिश काम हो जाए तो चली जाना।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर बैठा लिया और पता नहीं क्यों उसकी गोद में सर रख कर लेट गया… तो वो मुझे देखने लगी कुछ बोली नहीं…

थोड़ी देर के बाद उसने मेरे सर पर हाथ रखा और सहलाने लगी…

नैना- पता है संजय, तुम्हारा दिल साफ़ है इसलिए मैं तुम्हारे साथ हूँ, नहीं तो मैं किसी को अपने पास फटकने भी नहीं देती।

मैं- हम्म, बारिश ख़त्म हो जाये तो मुझे जगा देना ! ओके !

और मैं उसके पेट की तरफ घूम गया और सो गया… मेरा मुँह उसके पेट में छुपा हुआ था और मेरी गर्म सांसें उसके पेट पर पड़ रही थी। मैंने महसूस किया कि उसका पेट और बदन हल्का हल्का कांप रहा था। मैंने वैसे ही लेटे-लेटे पूछा- क्या हुआ?

तो उसने कहा- कुछ नहीं।

मैं फिर सो गया… उसकी गोद में सोकर मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ…

काफी देर तक मैं वैसे ही रहा और वो कांपती रही… और जब बारिश बंद हो गई तो उसने मुझे जगाया…

मुझे बड़ा गुस्सा आया बारिश पर कि जल्दी क्यों बंद हो गई, फिर कहा- जा रही हो…?

नैना- हाँ, कल फिर आऊँगी, मुझे जल्दी जाना होगा, नहीं तो मेरा मकान-मालिक दरवाज़ा बंद कर देता है।

मैंने बड़े अनमने ढंग से कहा- ठीक है !

और उसके साथ दरवाजे तक गया।

नैना- अपना ध्यान रखना और किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बता देना।

जैसे ही वो दरवाजा खोलने के लिए मुड़ी, पता नहीं फिर मुझे क्या हो गया, मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ घुमाया…

वो मुझे देखने लगी…

मैंने उसकी आँखों में आँखें डाल कर कहा- नैना, तुम मुझे कभी छोड़ कर मत जाना ! नहीं तो मैं मर जाऊँगा… एक तुम ही हो जिसे मैं अपना कह सकता हूँ यहाँ, नहीं तो यहाँ मेरा है ही कौन…?

वो मेरी नज़रों का सामना नहीं कर पा रही थी और उसने नज़रें झुका ली।

हम दोनों बस एक सेन्टीमीटर की दूरी पर खड़े थे, तभी अचानक मैंने…

कहानी जारी रहेगी।

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