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मेरा नाम कमल है, 24 साल का हूँ, और 3 साल से दिल्ली में कॉल-बॉय का काम कर रहा हूँ, कॉल-बॉय अब मेरी रोजी बन चुकी है। मैं अपना विज्ञापन समाचार-पत्रों और इन्टरनेट पर देता रहता हूँ। मेरी सर्विस बड़े-बड़े होटलों और ग्राहकों के घर पर होती है। मेरी सर्विस चाहे एक महिला को देनी हो या फिर अमीर महिलाओं की पार्टी में अपनी सर्विस देनी हो मेरा काम उन महिलाओं को खुश करने का होता है।
आज अन्तर्वासना की साईट पर मैं अपना एक अनुभव आप सभी के साथ बांटने जा रहा हूँ।
दो साल पहले का यह अनुभव मेरे लिए काफी मनोरंजक था, एक पुरुष रंजन, उम्र 35 साल, ने अपनी पत्नी सीमा, उम्र 30 साल, के लिए मेरी सर्विस ली थी। इस अनुभव के विषय में मैंने उनकी पहचान छिपाने के लिए नाम बदले दिए हैं।
नवम्बर के महीने में दोपहर के समय मुझे एक फ़ोन आया वह फ़ोन रंजन जी ने किया था, मैंने उनकी कॉल उठाई तो रंजन जी ने मुझे अपना नाम बताया और पूछा- क्या आप अपनी सेवाएँ घरेलू महिलाओं को भी देते हो?
मैंने कहा- हाँ मैं अपनी सर्विस घरेलू महिलाओं को भी देता हूँ। फिर उन्होंने पूछा- क्या आप उनको अपनी सर्विस उनके घर पर भी देते हो? मैंने कहा- हाँ। उन्होंने पूछा- आप एक रात के कितना चार्ज करते हो? तो मैंने कहा- पूरी रात अगर रुकना होगा तो मैं 1500 लेता हूँ।
रंजन जी कहा- ठीक है, मैं आपको आपकी सर्विस का चार्ज दे दूँगा लेकिन सर्विस अच्छी होनी चाहिए। मैंने उनसे कहा- आप सर्विस की चिंता मत करिए, सर्विस अच्छी ही मिलेगी लेकिन आपको मेरी सर्विस किसके लिए चाहिए? तो रंजन जी ने मुझसे कहा- मुझे आपनी सर्विस अपनी पत्नी के लिए चाहिए।
उनकी इस बात से मैं चौंक गया और हैरानी के साथ पूछा-आप मजाक तो नहीं कर रहे?
तो उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि मेरी सर्विस उन्हें अपनी पत्नी के लिए ही चाहिए। मैंने फिर हैरानी से पूछा- आपके होते हुए आपको अपनी पत्नी के लिए मेरी सर्विस क्यों चाहिए? तो रंजन जी ने बताया- मुझे अपनी पत्नी को दूसरे से चुदवाते हुए देखना बहुत पसंद है और मेरी पत्नी को गैर मर्दों से चुदवाना पसंद है।
थोड़ी देर तक मैं उनकी बात पर सोचता रहा लेकिन उनके विश्वास दिलाने पर मैंने उनकी बात पर यकीन कर लिया और मैंने उनसे मीटिंग करने के लिए समय पूछा तो उन्होंने कहा- आज शनिवार है और शनिवार और रविवार को घर पर और कोई नहीं होता। मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मुझे आना कहाँ होगा? तो उन्होंने कहा- आप लाजपत नगर के बस-स्टॉप पर आ जाना, मैं आपको अपनी गाड़ी से लेने आऊँगा। और उन्होंने गाड़ी का नंबर बताया पहचान के लिए। मैंने कहा- ठीक है !
और मैंने अपनी पहचान के लिए उन्हें बताया कि मैं गुलाबी कमीज और क्रीम रंग की पैंट में आऊँगा। उन्होंने कहा- ठीक है, मैं आपको 6 बजे बताई जगह पर लेने के लिए आ जाऊँगा।
मैं उनके बताये गए समय के अनुसार लाजपत नगर पहुँच गया, 15 मिनट के बाद एक स्विफ़्ट गाड़ी उस जगह से थोड़ी आगे जाकर रुकी और उसके दरवाजे का शीशा नीचे हुआ, उसमें बैठे आदमी ने अपना हाथ खिड़की से बाहर निकाल कर मेरी तरफ इशारा किया। मैं उस गाड़ी के पास गया, उस आदमी ने मुझसे मेरा नाम पूछा, मैंने अपना नाम बताया तो उन्होंने गाड़ी का शीशा ऊपर चढ़ाया और दरवाजा खोल दिया। मैं गाड़ी में उनके साथ बैठ गया। थोड़ी देर के बाद जब मैंने उनसे पूछा- क्या आप ही रंजन जी हैं? तो उन्होंने बताया- हाँ मैं ही रंजन हूँ।
हम 10 मिनट बाद रंजन जी की कोठी पर पहुँच गए, उन्होंने गाड़ी से उतर कर खुद दरवाजा खोला और कोठी के अन्दर चलने को कहा।
मैं रंजन जी के साथ उनके पीछे चलने लगा। वे मुझे सीधा बैठक में ले गए जहाँ एक सुन्दर महिला पहले से ही सोफे पर बैठी थी। उन्होंने बताया कि यह उनकी पत्नी सीमा है।
मैंने उनकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए उनसे हेलो कहा और उन्होंने जवाब में मुस्कुराते हुए ‘हाय’ कहकर अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया। उनके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे मन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई।
उन्होंने उस समय लाल रंग का ब्लाउज और लाल बोर्डर वाली काली साड़ी पहनी हुई थी। मैं जितना सीमा जी को देख रहा था, मेरे अन्दर वासना उतनी ही बढ़ती जा रही थी। इतने में ही रंजन जी सीमा मैडम से वाइन के लिए तीन ग्लास लाने को कहा और सीमा जी रसोई की ओर चली गई।
मैंने रंजन जी को कहा- मैं ड्रिंक नहीं करता ! तो रंजन जी ने कहा- कोई बात नहीं, आप सोफ्ट ड्रिंक ले लेना। मैंने हामी भर दी।
सीमा जी को देख कर मुझे ताज्जुब हुआ कि सीमा जी इतनी खूबसूरत हैं फिर भी इन्होंने मुझे बुलाया। तभी सीमा जी कमरे में वापिस आ गई, उनके हाथ में 3 ग्लास थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं। रंजन ने सीमा को कहा कि एक ग्लास में सोफ्ट ड्रिंक मुझे दे दे।
सीमा ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए सोफ्ट ड्रिंक का ग्लास मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैंने ग्लास पकड़ा तो सीमा के गोरे हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे मन में गुदगुदी होने लगी, मन तो कर रहा था कि सीमा के हाथों को पकड़ कर उनको अपनी बाहों में भर कर उनके होटों पर अपने होठों को चिपका दूँ लेकिन उनके पति के वहीं पर होने की वजह से मैं काफी शरमा रहा था।
सीमा और रंजन ने अपना-अपना ड्रिंक खत्म किया। हम सामान्य बातें कर रहे थे कि तभी रंजन ने मुझसे बातों ही बातों में पूछा- सीमा आपको कैसी लग रही है? मुझे लगा कि शायद रंजन को ड्रिंक का खुमार हो गया है और ऐसा ही हाल मुझे सीमा का भी लग रहा था। मैंने झिझकते हुए कहा- सीमा जी के अन्दर खूबसूरती कूट कूट कर भरी है।
तो रंजन ने इस पर कहा- आप सीमा के साथ जो करना चाहते हैं, आप वो सब कर सकते हैं, आपको शर्माने की जरुरत नहीं है। मैंने सीमा की ओर देखा तो वह भी मुस्कुरा रही थी, मुझे उनकी मुस्कराहट में उनकी सहमति साफ नजर आ रही थी।
मेरी पैंट के उभार की ओर देखते हुए सीमा ने रंजन को आंखों ही आँखों में कुछ इशारा किया, मैं उस इशारे को नहीं समझ पाया लेकिन मैंने सीमा को रंजन की ओर इशारा करते हुए देख लिया था। रंजन ने मुझसे कहा- सीमा को अपने मर्द होने के बारे में तसल्ली कराओ, अपना हथियार दिखाओ। मुझे बात समझ में आ गई कि सीमा मेरा लिंग देखना चाहती थी। मुझे लगा कि अब मुझे भी शर्माना छोड़ देना चाहिए।
मैंने बैठे बैठे ही अपनी पैंट की जिप धीरे-धीरे नीचे करनी शुरू कर दी और फिर मैंने अपना हाथ पैंट के अन्दर डाला और अपने खड़े लंड को आजाद कर दिया। मैं पहले से ही जोश में था इसलिए मेरा लौड़ा पूरी तरह से अपनी उत्थित अवस्था में आ चुका था। सीमा की नजरे मेरे लौड़े के आगे वाले भाग पर टिकी थी जो एक मोटी वाली लाल लिपस्टिक की तरह लग रहा था और शायद एक बार के लिए रंजन की नजर भी मेरे लौड़े पर टिकी की टिकी रह गई।
अब मेरी झिझक काफी हद तक खुल चुकी थी, सीमा की वासना बढ़ाने के लिए अपने लंड के आगे वाले भाग को मस्ती के साथ उस पर अपने हाथ से हल्के हल्के से हिला रहा था। जब भी मैं ऐसा करता, सीमा जी की आँखें नशीली हो गई और होंठ हल्के हल्के थरथराने लगे।
अब मैंने अपनी तरफ से पहल की, मैंने रंजन के सामने सीमा के पीछे से अपना हाथ सीमा की कमर पर जमा दिया और उनकी कमर सहलाने लगा। ऐसा करते ही सीमा भी थोड़ा सा खिसक कर मेरे और समीप आ गई मैंने उनके गले और कंधे को चूमना शुरु कर दिया। सीमा भी मेरा साथ देने लगी, जब भी मैं उनके कंधे से गले की तरफ चूमता हुआ बढ़ता तो वो भी अपने गले को आँखें बंद कर के ऊपर की ओर उठा देती। हम दोनों के इस खेल का लुत्फ रंजन काफी मजे लेकर उठा रहे थे।
अब मैंने अपना हाथ सीमा जी के कमर से हटाया और ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उनकी दोनों चूचियों पर अपने हाथ रख हल्के हल्के हाथों से उनकी चूचियों को सहलाने लगा जिसकी वजह से सीमा जी धड़कने काफी जोर से तथा उनकी सांसें काफी लम्बी हो गई। थोड़ी देर के बाद मैंने सीमा के ब्लाऊज़ के बटनों को खोलना शुरु कर दिया और सीमा के ब्लाऊज़ ने उनके बदन का साथ छोड़ दिया।
सीमा मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे हिलाने लगी तो मैंने सीमा के कान में कहा- मैंने आपको अपना हथियार दिखा भी दिया है और हाथ में भी दे दिया है लेकिन इस हथियार को रखने की जगह तो अपने दिखाई ही नहीं?
इस पर सीमा ने मेरे होटों को चूमते हुए कहा- जब हथियार अपने अपने हाथ से निकाला है तो इसको रखने की जगह भी आप अपने हाथ से ही देख लो !
यह सुनते ही मैंने पहले सीमा जी की ब्रा से उनकी चूचियों को आजाद कराया और फिर उनके पति के सामने उन्हें खड़ा कर पहले उनके पेटीकोट का नाड़ा खोला, खुलते ही सीमा का पेटीकोट लहराता हुआ उनके पैरों में जा गिरा और फिर मैंने अपनी दो उंगलियाँ उनकी पैंटी की साइड में डाली और धीरे-धीरे उनकी पेंटी जांघों से खिसकाते हुए उतार दी। अब वो अपने पति सामने किसी गैर मर्द से कपड़े उतरवा कर पूरी नंगी हो चुकी थी।
अब मैंने सीमा की चूत में उनके पति के सामने उंगली डालना शुरू किया और थोड़ी देर के बाद में अपना मुँह चूत पर टिकाया और जीभ को सीमा की चूत की दरार के बीच में घुसा दिया। कभी कभी उनके दाने को अपने होटों में हल्के से दबा देता तो मेरा ऐसे करने से वो और भी उतेजना में आ जाती। इतना करने के बाद मैंने सीमा को अपनी जेब से कंडोम निकाल क़र लौड़े पर चढ़ाने को कहा। उन्होंने अपने पति के सामने मेरे लंड के टोपे पर रख क़र कंडोम को मेरे लंड पर नीचे करते हुए मेरे लंड पर चढ़ा दिया।
मैंने सीमा को अपनी गोदी में उठा क़र बिस्तर में लिटा दिया और मैं उनके ऊपर आ गया और फिर उनकी चूत पर अपने लंड को उनके पति के सामने उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा। काफी देर तक रगड़ने के बाद सीमा के पति ने मुझे सीमा की चूत में लंड घुसाने के लिए कहा।
मैंने पहले हल्के से सीमा जी के होटों को चूमा और फिर धीरे से सीमा की चूत पर अपने कूल्हे पीछे क़रके जोर से अपने लंड को सीमा की चूत में डाल दिया। सीमा के होटों से हल्की से सिसकारी निकली, हम दोनों की गर्म-गर्म सांसें आपस में एक दूसरे से टकरा रही थी और जितनी जोर-जोर से उनकी चूत में मैं अपना लंड ठोकता, सीमा अपनी बाहों का शिकंजा उतना मेरे बदन पर कस लेती।
आधे घण्टे चली इस चुदाई का अंत होने जा रहा था, हम दोनों पर हवस इस कदर हावी थी कि हमें एक बारगी यह याद नहीं रहा कि उस कमरे में हम दोनों के सिवा कोई और भी मौजूद है। हम दोनों तो एक दूसरे को भोग रहे थे, वीर्य के निकलते समय सीमा और मैं एक-दूसरे को आँखें बंद करके होटों पर चूम रहे थे, इस पूरी की पूरी घटना के साक्षी रंजन जी थे, जिन्होंने अपनी पत्नी का सम्भोग गैर मर्द के साथ देखा।
उस रात मैंने 3 कंडोम इस्तेमाल किये और सीमा जी और उनके पति को तीन बार अपना और सीमा जी का वीर्य निकाल क़र दिखाया।
सीमा मेरे से चुद क़र और रंजन मेरी चुदाई अपनी पत्नी सीमा के साथ देखकर काफी खुश थे। सुबह होने पर सीमा ने मुझे एक ग्लास दूध और कुछ मीठा खाने को दिया।
सीमा जी ने मुझे 1700 रुपए दिए और मेरा निजी नंबर लिया और कहा- मेरा जब भी मन करेगा तो मैं आपको बुला लूँगी।
मैंने कहा- मेरे चार्ज 1500 है और आप ने मुझे 1700 दिए हैं। तो सीमा ने मुझसे कहा- ये 200 रुपए आपकी अच्छी सर्विस के हैं। ये मैं आपको खुश होकर दे रही हूँ। [email protected] 2561
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