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प्रेषक : अक्षय सिंह
दोस्तो, आप सभी को अक्षय का सलाम। मैं राजस्थान के एक सुंदर शहर का रहने वाला हूँ, मेरा खुद का व्यवसाय है जो काफी अच्छा चलता है, मैं शादीशुदा हूँ।
मैं इधर उधर की बात करने की बजाये सीधा मुद्दे पे आता हूँ, पिछले महीने मेरी जिंदगी मैं कुछ ऐसा हुआ कि उसकी वजह से मुझे अब जिंदगी भर कंडोम फ्री में मिलेंगे…
मैं अक्सर एक मेडिकल शॉप पर कंडोम खरीदने जाता हूँ जो मेरे ऑफिस और घर के मध्य में पड़ता है। उस मेडिकल शॉप को चलाने वाला आदमी 40 साल के करीब होगा। मैं जब भी उसकी दुकान पर जाता, वो मेरे बिना बोले ही मेरी पसंद की ब्रांड का कंडोम का पैकेट निकाल कर दे देता क्यूंकि उसको पता चल गया था कि मुझे क्या चाहिए होता है।
उस दुकानदार की बीवी भी कभी कभी दुकान पर उसकी मदद के लिए आती थी। जब कभी उसकी बीवी दुकान पर होती तो दुकानदार उसकी दुकान के पिछले भाग में बने स्टोर में जा कर लिफाफे में रख कर मुझे कंडोम दे देता।
कभी कभी मैं रुक कर दुकानदार से बात भी करता था, मुझे पता चला कि उनका दस साल का एक लड़का है और वो दूसरे शहर के एक बढ़िया स्कूल में पढ़ता है और वहीं पर हॉस्टल में रहता है, घर पर उसकी बीवी बोर होती है इसलिए वो भी दुकान पर उसकी मदद के लिए आ जाती है।
उसकी बीवी का नाम सरिता (काल्पनिक नाम) है, उसकी उम्र 35 के आस पास है, रंग गोरा है, उसका पेट एकदम सपाट है जो कि उसके साड़ी पहनने से दीखता है।
वो साड़ी हमेशा नाभि के नीचे बांधती है जिससे मेरी नज़र हमेशा उस पर जाती थी और मैं चोरी चोरी देख लेता था, उसका फिगर 36-30-38 का है, उसने अपने बदन को काफी संवार कर रखा है वो हमेशा मेक-अप करके रहती है, अक्सर लाल लिपस्टिक लगाती है और आँखों में काजल अक्सर लगाती है।
मैं हमेशा अपनी कार से ही वहाँ पर जाता हूँ, मैंने अक्सर नोट किया कि जब भी मैं अपनी कार से उतर के दुकान की तरफ जाता वो अपने आपको दुकान में लगे शीशे में देखती है और जल्दी से काउंटर पर आकर खड़ी हो जाती।
जब जब मैं उसके पति से बात करता होता हूँ तो वो मुझे कुछ अजीब सी नज़र से देखती थी और कुछ ना कुछ करके मेरा ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश करती है। ऐसा सिलसिला कुछ महीने चलता रहा और मैंने कभी ज्यादा उस पर गौर नहीं किया क्योंकि मैं अपनी यौन जिन्दगी से खुश हूँ और शादी के बाद मैंने अपनी बीवी के अलावा कभी किसी के बारे मे सोचा नहीं है। पर मुझे पता नहीं था की 2011 की गर्मी मेरे लिए काफी गर्म होने वाली है।
मेरी बीवी कुछ दिनों के लिए अपने मायके जाने वाली थी तो उस दिन मैं ऑफिस से जल्दी घर के लिए निकल गया और रास्ते में कंडोम लेने के लिए रुका, उस समय दिन के दो बज रहे थे और गर्मी की वजह से बाज़ार भी सुनसान थे, मेडिकल शॉप पर सिर्फ सरिता थी, मैंने उसके पति के लिए पूछा तो उसने कहा कि वो कहीं काम से गए हैं।
अब मैं थोड़ी उलझन में आ गया कि एक औरत से कंडोम कैसे मांगू !
सरिता ने मुझसे पूछा- आपको क्या चाहिए?
मैं बोला- आपके पति कब तक आयेंगे?
सरिता- उन्हें तो आने में एक दो घंटे लग सकते हैं।
मैं थोड़ी देर चुप रहा और सोचने लगा कि कैसे कंडोम मांगूँ।
सरिता- आप इतना घबरा क्यों रहे हो? आपको कंडोम ही चाहिए ना ! कोई बम्ब तो नहीं?
और वो मुस्कराने लग गई- मुझे पता है वो आपको लिफाफे में कंडोम ही देते हैं। आपको कौन सा ब्रांड चाहिए, मुझे बताओ, मैं दे देती हूँ।
यह सुन कर मैं थोड़ा सहज हुआ और मैंने अपना ब्राण्ड ट्रिप्पल एक्स्ट्रा माँग लिया।
सरिता ने थोड़ी देर ढूँढा, फ़िर बोली- यह तो अभी नहीं है, आप कोई और ले लो।
मैंने कहा- नहीं, मैं वही इस्तेमाल करता हूँ !
सरिता- कोई भी ले लो ! वैसे भी ट्रिप्पल एक्स्ट्रा कौन सा पूरा चढ़ता है किसी पर?
मैं थोड़ा सोचने लगा कि यह क्या बोल रही है, फिर मैंने सोचा कि जब यह नहीं शरमा रही है तो मैं क्यों शरमाऊँ, मैंने कहा- मेरे उस पर तो पूरा चढ़ जाता है।
सरिता बोली- अच्छा? इतना बड़ा है? मैं नहीं मान सकती।
मैं बोला- इसके लिए तो आपको खुद देखना पड़ेगा !
सरिता- अगर आपके औजार पर वो पूरा चढ़ गया तो मेरी तरफ से आपको जिंदगी भर के लिए कंडोम फ्री !
मैं- ठीक है ! आप बताओ कब और कहा चढ़ा कर दिखाऊँ?
सरिता- कल मेरे पति एक फार्मा कंपनी के सेमिनार में पूरे दिन भर बाहर रहेंगे और कल सन्डे भी है, इसलिए शॉप भी नहीं खुलेगी, आप मेरे घर 11 बजे आ जाना !
मैंने कहा- ठीक है !
और उससे उसके घर का पता लिया, मैंने पूछा- आपके पड़ोसी ने देखा और पूछा कि कौन आया था तो?
सरिता- हम एक फ्लैट में रहते हैं और हमारे आस पास के फ्लैट वाले सभी छुट्टियों में बाहर गए हुए हैं, कोई प्रॉब्लम नहीं होगी !
अगले दिन ठीक 11 बजे मैंने सरिता के घर की घंटी बजाई, सरिता ने दरवाजा खोला तो उसे देख कर मैं देखता ही रहा। उसने काले और सफ़ेद रंग की साटन का गाउन पहन रखा था, उसके वक्ष बाहर की तरफ झांक रहे थे, उसने बालों का ज़ूड़ा बना कर बांध रखा था, लाल लिपस्टिक और काजल लगा रखी थी… कुल मिला कड़ वो गजब क़यामत ढा रही थी !उसको देख कर मेरे लंड मेँ हलचल मच गई।
सरिता बोली- यहीं खड़े देखते रहोगे या अन्दर भी आओगे?
मैं अन्दर चला गया और उसने दरवाजा बंद कर मुझे बैठने को कहा। मैं सोफे पर बैठ गया, वो अन्दर चली गई और कुछ देर बाद पानी का गिलास लेकर बाहर आई और मुझे गिलास पकड़ा कर मेरे पास बैठ गई।
सरिता- मैं तुम्हें आज कैसी लग रही हूँ?
मैं- बहुत ही सुंदर ! एकदम परी जैसी ! पर तुम साड़ी में बहुत ज्यादा सेक्सी लगती हो !
सरिता- तुम्हारी पत्नी ने पूछा नहीं कि सन्डे को कहाँ जा रहे हो?
मैं- वो कल ही 15-20 दिन के लिए अपने मायके गई है।
सरिता हँसते हुए- फिर तो कल उसको तो थका दिया होगा? तुम बैठो, मैं आई।
यह बोल कर वो अन्दर चली गई और मैंने टीवी ऑन कर लिया, करीब दस मिनट बाद उसकी आवाज मेरे कानो में पड़ी- अब बताओ कैसी लग रही हूँ?
मैंने देखा कि उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी है और बिना बाँहों का बड़े गले का ब्लाउज़ पहन रखा है जिसमें से उसके वक्ष कहर ढा रहे थे। उसको देखते ही मेरा लंड एकदम उसके हुस्न को सलामी देने लग गया और मेरी जींस से बाहर आने को मचलने लगा।
मैं उसके करीब गया और उसे बाँहों में लेकर उसका एक चुम्बन ले लिया- तुम कैसी लग रही हो यह मैं नहीं कोई और बताएगा ! तुम खुद ही उससे क्यों नहीं पूछ लेती हो !
सरिता ने मुझे चूमते हुए ही अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाया- यह बोल रहा है कि मेरी जैसी कोई नहीं ! यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैं- बिल्कुल सही !
हम कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते रहे और वो मेरे लंड को जींस के ऊपर से ही सहलाती रही। फिर मैं घुटनों के बल बैठ कर उसकी नाभि को चूसने लगा, सरिता के मुँह से सिसकारी निकल गई और मेरे बालों में हाथ घुमाने लग गई, उसके मुँह से मस्ती की आवाज़ निकलने लग गई।
कुछ देर बाद मैं उसे चूमता हुआ ऊपर की ओर बढ़ने लगा और उसको चूचों को दबाने लग गया। मैंने उसकी साड़ी खोल दी और अपने पूरे कपड़े खोल कर नंगा हो गया।
उसने भी उसके बाकी कपड़े उतार दिए और पूरी नंगी हो गई। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया।
उसने मुझे अन्दर बेडरूम मे चलने का इशारा किया, मैंने उसको उठाया और अन्दर बेडरूम में चूमते हुए बिस्तर पर लेटा दिया। अब मैं उसके निप्पल को चूसने लगा और अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गई थी और गर्म थी। सरिता ने मुझे ऊपर आने को कहा मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया, वो मेरे लंड को दबा दबा कर चूसने लगी।
हम दोनों ही पूरी तरह गर्म हो गए थे, मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसकी टांगो को खोला तो उसने मुझे रुकने का इशारा किया और उठ कर पास के मेज़ की ड्रावर से ट्रिप्पल एक्सट्रा का पैकेट निकला और मुस्कराते हुए बोली- इसे भूल रहे हो जिसकी वजह से यहाँ हो?
मैंने एक कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चढ़ाया और वो मेरे 8.5 इंच लंड पर पूरी तरह चढ़ गया।
मैंने सरिता को दिखाते हुए आँख मारी, उसने कहा- तुम जीत गए, अब तुम्हें यह हमेशा फ्री मिलेगा, हाँ मुझे जरूर अपने लंड का मजा लेने देना।
मैं- क्यों नहीं ! इतना तो मैं कर ही सकता हूँ।
और फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसके उरोजों को चूसते हुए उसको चोदने लग गया।
वो भी अपनी चूत को कड़क और ढीला करके मुझे मजा दे रही थी। उसको चोदते समय मुझे लगा नहीं कि वो एक बच्चे की माँ है।
मस्त चुदाई के बाद उसने हम दोनों के लिए चाय बनाई उसने मुझसे पूछा कि क्या मेरी अपनी बीवी के अलावा कोई और सेक्स पार्टनर है।
मैंने कहा- शादी से पहले तो बहुत थी पर शादी के बाद तुम पहली हो।
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हारे और भी मर्दों से सम्बन्ध हैं?
उसने कहा- नहीं, तुम पहले मर्द हो…
मैं शाम 4 बजे तक उसके घर रुका और इस दरमियाँ हमने तीन बार और सेक्स किया।
इस बात को आज 3 महीनों से ऊपर हो गए है और हम 10-12 दिन में सेक्स कर लेते हैं। सरिता पिछले कुछ दिनों से उसकी एक सहेली से मिलने को बोल रही है जोकि पास के गाँव में रहती है और टीचर है। हम लोग किसी छुट्टी के दिन मिलने वाले हैं।
आपको कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ !
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