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हरजिन्दर बरार
दोस्तो, मैं जानता हूँ कि आप सभी लोग कहानियों का आनन्द ले रहे होंगे, मैंने कुछ दिन पहले ही अन्तर्वासना कहानियों को पढ़ना शुरू किया है। एक दिन ऐसे ही ढूंढ रहा था कि इस वेबसाइट पर ध्यान गया और देखा और पढ़ना शुरू किया मुझे बहुत अच्छी लगीं।
फिर मैंने सोचा मुझे भी अपनी जिन्दगी के हसीन पल अपने दोस्तों से बताना चाहिए तो मैं अपनी जिन्दगी की एक बढ़िया कहानी भेज रहा हूँ अगर आप इसे पसंद करें तो मुझे मेल जरूर करना। वैसे मैं आपनी जिन्दगी की ऐसी बातें किसी को बताता नहीं पर आज मेरा मन कर रहा है कि मैं भी कुछ अपने दोस्तों के लिए लिखूँ।
मैं भटिंडा का रहने वाला हूँ, एक बार मैं अपने दोस्त को फ़ोन कर रहा था, जब मैंने नंबर लगाया तो गलती से किसी लड़की को लग गया, मैंने उससे माफ़ी मांगी और फ़ोन काट दिया।
फिर अपने दोस्त से बात की, उसके दस मिनट बाद उस लड़की का फ़ोन आ गया कि आप कभी भी मेरा यह नंबर न लगाना।
तो मैंने उसे कहा- गलती से लग गया था इसके बाद ऐसा नहीं होगा।
पर मैंने वो नंबर अपने पास सेव कर लिया, अगले दिन मैंने फिर दस बजे फ़ोन किया तो फ़ोन बंद था। फिर मैंने शाम को कॉल की तो उसने फ़ोन उठाया और पूछने लगी- अब क्यूँ फ़ोन किया?
तो मैं इधर उधर की बातें करने लगा। फिर अचानक वो मेरे से खुल कर बातें करने लगी। उसने अपने बारे में जो बताया वो इस प्रकार है।
मेरा नाम राजवीर (फर्जी नाम) है, मैं बरनाला में रहती हूँ और बी.एड कर रही हूँ भटिंडा से !
भटिंडा का नाम सुन कर मैं खुश हो गया और उसने बताया कि वो भटिंडा में ही पी जी में रहती है, अब छुट्टियाँ होने के कारण घर पर ही है।
फिर फ़ोन पर 5-6 दिन रोज बात होती रही। मैंने उसको देखने की चाहत रखी तो उसने कहा कि जब वो छुट्टियों के बाद भटिंडा आएगी तो जरूर मिलेगी।
तीस दिसम्बर को उसने मेरे को बोला- तुम बरनाला आ जाओ, हम एक दूसरे को देखेंगे, अगर हम में कोई भी दूसरे को पसंद नहीं करेगा तो हम फिर बात नहीं करेंगे। अगर हम एक दूसरे को पसंद करेंगे तो मैं तुम्हारे साथ आऊँगी क्यूँकि मेरी छुट्टियाँ खत्म हो रही हैं। मैंने भटिंडा तो आना ही है और मैं सुबह प़ी.जी ना जाकर शाम तक तुम्हारे साथ रुकूँगी।
मैंने बोला- ठीक है।
अगले दिन मैं सुबह तैयार हुआ, इतने में उसका फ़ोन आ गया- ठीक दस बजे तक आ जाना।
मैं दस बजे तक बरनाला बस स्टैंड पहुँच गया, उसको फ़ोन किया तो उसने बोला कि वो दस मिनट में आ रही है।
मैं उधर ही रुक गया। दस मिनट बाद उसका फ़ोन आया कि वो बस स्टैंड के सामने खड़ी है।
मैं उधर गया, देखा कि एक लड़की खड़ी है उसके हाथ में बैग है, उसने काला कमीज और काली सलवार पहन रखी थी और काली ही टोपी ले रखी थी। मुझे वो वही लगी और मैं उसके पास से उसे देखने के लिए गुजरा, देखा, उसका रंग गोरा था, कद भी ठीक था, देखने में ठीक लग रही थी।
मैंने फिर फ़ोन लगाया और देखा कि वही काले कपड़ों वाली लड़की फ़ोन उठा रही है, मैंने उससे कहा- अपने बारे में बताओ।
तो उसने वही काले कपड़ों के बारे में बताया।
मैं उसके पास गया और बात की तो उसने बताया कि वो ही राजवीर है।
हम उधर ही एक छोटे से होटल पर बैठ कर बातें करने लगे।
उसने कहा कि उसे मैं पसंद हूँ और वो मेरे साथ जाने के लिए तैयार है।
हम दोनों ने बस पकड़ी और भटिंडा आ गये !
फिर मैं उसे बस स्टैंड पर रोक कर अपने बाइक ले आया और हम दोनों होटल में खाना खाने गये।
मैंने उसको बताया- मेरे एक दोस्त के पास कमरा है, अगर कहो तो हम उधर जा कर आराम से बैठ सकते हैं।
तो उसने बोला- मैं तेरे साथ बैठने आई हूँ और कुछ नहीं होगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
तो मैंने उसको हाँ कर दी। मेरे पास दोस्त के कमरे की चाबी पहले से थी, मैं उसे लेकर कमरे पर चला गया। मैंने उसे रास्ते में किस्सिंग के लिए मना लिया था।
कमरे में जाकर हम बेड पर लेट गये थोड़ी इधर उधर की बातों के बाद के बाद मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसको चूमने लगा। फिर मैंने उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। वो मना करती रही लेकिन मैं दबाता रहा तो दो मिनट में ही उसको अच्छा लगने लगा, मैंने उसका कमीज उतार दिया।
वाह, क्या मस्त बदन था उसका ! गोरा गोरा जो काली कमीज में दिखाई नहीं देता था, उसके मम्मे चूसने वाले आम की तरह थे। मैं उसकी एक चूची चूसने लगा और दूसरी पर हाथ फेरता रहा।
मैंने उसके गाल, गर्दन और मम्मे अच्छी तरह से चूसे, वो बुरी तरह सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उसकी सलवार में हाथ डालना चाहा तो उसने रोक दिया और बोली- पहले ही बहुत हो चुका है।
मैंने उसको समझया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है पर फिर भी वो नहीं मानी।
मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरू किया तो वो कस कर मुझे बाँहों में लेने लगी और अह ऊ अह ऊ … करने लगी।
फिर मैं उसके पेट को चूमने लगा और चूमते वक़्त मैंने उसका नाड़ा खोल दिया।
अब वो कुछ नहीं बोली और मैंने उसके होंठ चूसते हुए उसके अंडरवीयर में हाथ डाल दिया। उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी, वो जोर से सिसकरियाँ ले रही थी। मैंने उसका अंडरवीयर उतारना चाहा तो उसने रोक दिया। फिर मैंने अपनी शर्ट उतार दी !
मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। मैंने फ़िर उसे नंगी होने के लिए बोला और कहा- मैं लंड तेरी चूत में नहीं दूंगा।
तो वो मान गई, उसने अपनी सलवार और अंडरवीयर उतार दिया।
मैंने उसके होंठ चूमते वक़्त अपनी पैंट और अंडरवीयर उतार दिया और उसके चूतड़ों को मसलने लगा और उसके ऊपर आ गया। उसकी चूत से पानी निकलने लगा। मेरे पूछने पर उसने बताया कि अभी तक उसने किसी के साथ सबंध नहीं बनाये हैं।
मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज एक कुंवारी चोदने को मिली है।
मैं लंड उसके मुँह में डालने लगा तो उसने रोक दिया। मैंने उसकी चूत को चाटना चालू किया तो वो पांच मिनट में ही झर गई।
मैंने फ़िर उसको अपना लंड चूसने को बोला तो अब वो मान गई और मेरे सुपारे को मुँह में ले लिया और थोड़ा-थोड़ा चूसने लगी।
पर एक मिनट बाद ही उसने बाहर निकाल दिया। मैं उसको चूमता रहा और उसकी नाभि पर हाथ फेरता रहा वो जोर से मुझ बाँहों मैं कसने लगी। मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ना चाहा तो उसने रोक दिया।
तो मैंने उसे चूमना बंद किया और एक तरफ़ होकर लेट गया।
आगे की कहानी बाद में !
कहानी कैसे लगी जवाब जरूर देना। 2510
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