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प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा
उसकी गीली झांटों से मेरे होंठ गीले हो गये थे। फिर मैंने अपना मुख उसकी चूत में झांटों के साथ छुपा लिया। जीभ निकाल कर लप लप करके चाटने लगी। वो मारे उत्तेजना के बिस्तर पर लोट लगाने लगी। तभी उसने मुझे पलट कर दबा लिया और अपने नीचे मुझे दबा कर असहाय सा कर दिया। उसकी बड़ी सी चूत मेरी छोटी सी मुनिया को अब जोर से रगड़ रही थी। मेरा भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो गया था। मारे आनन्द के मैं भी बेहाल हुई जा रही थी। उसका बड़ा सा शरीर मुझे मसले जा रहा था। मुझे तो अपनी ट्यूशन की फ़ीस वसूल हो गई थी। उसने मेरी छोटी छोटी चूचियाँ दबा दबा कर मुझे बेहाल कर दिया था। मैं तड़प उठी थी और फिर मेरी छोटी सी चूत ने जोर से अपना पानी छोड़ दिया। उसी समय सेण्डी मिस का भी सारा जोश तड़प कर बाहर निकल पड़ा और जोर से झड़ गई।
अभी भी वो मेरी टांगों पर घुटने के बल बैठी हुई थी। उसने मेरी गेन्दों को छोड़ दिया, उसके चेहरे पर पसीने की बून्दें उभर आई थी। उसके नाक के नथुने जोर जोर से फ़ूल और पिचक रहे थे।
“मिस … अब उतरो तो …”
मिस मेरे ऊपर से उतरते हुये बोली- दिव्या बेबी … विशाल होता तो साले का लण्ड चूत में घुसा लेती।
… उफ़्फ़्… कैसे बोली थी वो !
“छीः मिस … उसका तो छोटा सा होगा …”
“बेबी, चुदवा के देखेगी … तेरा बॉय फ़्रेंड है ना … जरा चुदवा के तो देख …”
“मिस … मजाक कर रही हो … मैं और विशाल…”
“तेरे पीछे तो वो अपना लण्ड लिये घूम रहा है … कल उसका लण्ड घुसवा के देखना …
मिस्… कैसा होगा ?
जब लण्ड पूरा बड़ा हो जाता है ना तो लड़का चोदने के लिये कुत्ते की तरह से लड़कियों के पीछे भागता है।”
“मिस आप तो बस … कुछ भी बोल देती है … ऐसे थोड़े ही ना होता है …”
दूसरे दिन …
मैं तो समय से पहले ही मिस के घर पहुँच गई, उसे लगा कि आज फिर से कोई मस्ती होगी। मिस तो कुछ करने के मूड में तो थी ही। उसने मुझसे एक प्रेम पत्र लिखवाया और विशाल के आते ही सेण्डी मिस बोली …
“विशाल कोन्ग्रेचुलेशन…”
“किस बात का मिस …?”
“ए लव लेटर फ़ोर यू फ़्रोम दिव्या बेबी …” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
विशाल की बांछे खिल उठी। उसने झपट कर वो पत्र ले लिया। उसने मुझे आंखें फ़ाड़ कर देखा … मैं बड़ी सेक्सी स्टाईल से विशाल को मुस्करा कर देखने लगी।
“अब तुम दोनों मेरे बेडरूम में जाओ और स्वीट स्वीट बातें करो … हम तुम दोनों के लिये कुछ लाता है।”
मिस ने मुझे और विशाल को बेडरूम में चले जाने को कहा और मुझे आँख मार दी। मतलब यह था कि मैं विशाल से चुदवा लूँ। मेरे तो हाथ-पांव फ़ूलने लगे, शरम सी आने लगी। जैसे ही मिस ने दरवाजा बन्द किया … विशाल ने अपनी बाहें फ़ैला दी।
“आई लव यू दिव्या …” मैं तो शरम से जमीन में गड़ सी गई।
दूसरे ही पल मैं विशाल की बाहों में थी। उसका लण्ड फ़ूल कर सख्त हो गया था। उसने मुझे बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया था। मुझे भी नशा सा आने लगा था। कितने समय से मैं इस पल का इन्तजार कर रही थी। मैंने भी प्रतिउत्तर में उसे चूमना शुरू कर दिया था। उसने मेरे स्तन दबाने शुरू कर दिये थे। मैं उत्तेजना में बह निकली थी। मुझे सब कुछ बहुत लुभावना लग रहा था। उसका एक हाथ मेरी चूत को भी दबाने लग गया था। मैंने भी अपनी चूत को उभार कर उसके हाथों से सहलवाने लगी थी। मेरी फ़्रॉक को उसने ऊपर कर दी थी। उसने जल्दी से मेरी फ़्रॉक उतार दी। मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैंने भी उसकी जीन्स के बटन और जिप खोल कर उसे ढीली कर दी थी, फिर बाकी काम उतारने का उसी ने कर दिया था। फिर कमीज भी उतार फ़ेंकी। बस मेरे शरीर पर चड्डी ही थी। उसने तो चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी।
वो नंगा … उफ़्फ़ कितना मोहक लग रहा था, बिल्कुल किसी कामदेव की तरह … मैंने उसका लण्ड देखा तो चौंक पड़ी। इतना मोटा … उफ़्फ़्फ़ … एक दम गोरा … सुपाड़ा खुला हुआ गुलाबी सीधा तना हुआ। मिस ठीक कह रही थी … कि एक बार घुसवा कर देख, मजा आ जायेगा।
उसने मुझे धीरे से बिस्तर पर लेटा दिया, मेरी चड्डी धीरे से उतार दी। फिर मेरे ऊपर लेट गया, मुझे अपने नीचे दबा दिया। हम दोनों प्यार में खो चले थे। उसका कठोर लण्ड मेरी नरम चूत को सामने से ठोकरे मार रहा था।
“ऐसे नहीं … ऐसे …” मिस की आवाज जैसे मीलों दूर से आ रही थी।
मिस ने विशाल का लण्ड मेरी चूत को खोल कर दरार में फ़ंसा दिया। फिर उन्होंने विशाल के चूतड़ों पर प्यार से हाथ फ़ेरा और उसे मेरी चूत पर दबा दिया। धीरे से उसका लण्ड मेरी भीगी हुई चूत में उतर गया। एक तेज मीठी सी टीस उठी और मेरी चूत ने ऊपर उठ कर उसका लण्ड स्वीकार कर लिया। एक दो बार दबाव से उसका लण्ड मेरी चिकनी चूत में पूरा उतर गया। मीठा मीठा सा अहसास भीतर तक सुख दे गया। मेरी आंखें बन्द हो चली थी। विशाल मेरे ऊपर छा गया था। उसके मधुर धक्के मुझे भी चूत उछालने के लिये प्रेरित कर रहे थे। अब एक ताल में हम दोनों कमर चला रहे थे।
मिस बड़े प्यार से हम दोनों को सहला सहला कर हमे उत्साहित कर रही थी।
“मिस … आह्ह्ह … बहुत आनन्द आ रहा है … पहले क्यों नहीं बताया …”
“पहले मन लगा कर चुद तो लो … मजे तो ले लो … विशाल अब जोर से चोद जरा…”
विशाल ने अपनी नजरों को उठा कर मिस को देखा और जोश में आकर जोर जोर से शॉट लगाने लगा। मैं अब चीख चीख कर अपनी खुशी का इजहार करने लगी थी। खूब अच्छे अच्छे … मधुर से शॉट लगाये उसने। अब तो मेरी नसे भी खिंचने लगी थी। शरीर अकड़ने लगा था … और फिर कुछ ही समय में मैं झड़ने लगी थी। विशाल भी जोर जोर से झटके लगा कर अपनी अभिलाषा पूरी कर रहा था। फिर वो भी झड़ने लगा था।
सेण्डी मिस ने चुदाई समाप्त होने पर हम दोनों को बधाईयाँ दी और मिठाई खिलाई। फिर बोर्नविटा डालकर गरम दूध पिलाया।
मिस ने हमारी इस चुदाई पर बहुत खुशी जाहिर की, फिर कहा- भई विशाल … बेबी को तो तुमने चोद चोद कर खुश कर दिया …पर मेरा टैक्स…?
मुझे शर्म आने लगी। मैं समझ गई थी वो चुदने को कह रही थी। मैंने मिस की तरफ़दारी की।
“विशाल भईया … अब मिस का मतलब समझो … उन्हें भी एक ब्रेक चाहिये।”
“श्श्श… श… भईया नहीं कहो…”
“धत्त, मैं तो भईया ही कहूंगी … वर्ना लोग क्या कहेंगे !”
मिस हंस पड़ी- तो विशाल टैक्स का क्या हुआ…?
“मिस आपकी आज्ञा चाहिये…बस…”
“जरा देखूँ तो … जनाब सोये हुये है कि अभी भी फ़ड़फ़ड़ा रहे हैं…”
मिस ने विशाल का लण्ड पकड़ लिया। उसे थामते ही लण्ड फ़ूलने लगा, कड़क होने लगा। मिस विशाल को खींच कर बिस्तर पर ले आई। उसने पहले अपने छोटे छोटे कपड़े उतार दिये फिर अन्त में अपना हाफ़ पैंट भी खींच कर उतार दिया। काले काले चमकीले मम्मे … सीधे तने हुये … सांवली सी गाण्ड … दो गोल गोल मोहक चूतड़ सुडौल … एक गहरी चिकनी खाई बीच में। मिस।
थोड़ी सी झुकी- विशाल देखो तो मेरी गाण्ड …”
आह्ह्ह … दोनों मस्त गोल चूतड़ों के मध्य झुर्रियां लिये हुये एक गोल सा छेद … गीला गीला सा … चमचमाता हुआ … विशाल का मन बरबस ही उस ओर खिंच चला … उसकी जीभ निकली और उसके छेद पर चलने लगी। मिस गुदगुदी के मारे मस्त होने लगी। विशाल ने मिस की गाण्ड को खूब चाटा। मिस भी आनन्द के मारे निहाल हो उठी। विशाल को तो सेण्डी मिस के भरे हुये गदराये जिस्म का आनन्द मिल रहा था, वो बहुत ही जोश से उसका बदन दबा रहा था। उसने मिस की बड़ी सी झांटों भरी चूत देखी तो उसका मन उसे चाटने के लिये मचल उठा। उसने अपना चेहरा थोड़ा सा झुकाया और और उसकी गीली झांटों को चाटता हुआ उसकी खिली हुई चूत तक पहुँच गया।
मिस ने भी अपनी टांगें और चौड़ी कर ली। उसकी रस भरी फ़ांक भीतर से एकदम लाल थी। उसका दाना भी बड़ा था, छोटी सी चमड़ी से मारे जोश के उभर कर बाहर निकला हुआ था।
मिस ने विशाल को अब बिस्तर पर लेटा दिया था। उसके कड़क लण्ड को वो अब चूस रही थी। विशाल का लण्ड तो तन कर जैसे फ़टा जा रहा था। मेरे मुख में भी पानी आ गया और एक बार फिर से चुदने इच्छा बलवती होने लगी। मिस ने अब अपना शरीर थोड़ा सा उठाया और आगे झुक कर अपनी चूत को उसके लण्ड के सामने कर दिया और उसे अपनी चूत से सटा लिया।
“दिव्या … तू क्या देख रही है … मदद कर ना…”
मैंने विशाल का लण्ड का सुपाड़ा मिस की लाल सुर्ख चूत में फ़ंसा दिया। मिस ने अपनी चूत ऊपर से दबाई तो लण्ड भीतर सरक गया। मिस की मुख से एक मीठी सी आह निकल गई। फिर तो बस मिस ने अपनी ताकत से अपनी चूत को उसके लण्ड को अन्दर बैठा दिया। मात्र दो तीन धक्कों में लण्ड पूरा अन्दर समेट लिया था। विशाल ने मिस के काले काले और भारी बोबे अपने हाथों से दबा रखे थे। मिस अब उसके ऊपर मर्दो का आसन बनाये हुये अपनी कोहनी पर आ गई थी और विशाल के मुख को चूमते हुये शॉट लगाने लगी थी। विशाल तो मारे आनन्द के नीचे से अपना लण्ड उछाल रहा था।
कमरे में गीली चूत की फ़च फ़च आवाजें तेज हो गई थी। उनकी आहें और सीत्कारें कमरे में गूँजने लगी थी। मैं यह सब देख कर तमतमाने लगी थी। मैंने भी विशाल को चूमना शुरू कर दिया था। मैं उसका लौड़ा अपनी चूत में घुसा लेना चाहती थी। पर हाय ईश्वर ! यह कलूटी उसका पीछा छोड़े तब ना ! मिस ने तो जोर जोर से चुद कर अपनी इच्छा पूरी कर ली थी। दोनों झड़ कर शान्त हो गये थे।
“विशाल … प्लीज बस एक बार मुझे और चोद दे … बड़ी चुदने की लग रही है।” मैंने विशाल से विनती की।
“ओह्ह ! दिव्या प्लीज, मिस ने तो मुझे पूरा ही निचोड़ दिया है … मेरी तो हालत देख ना …”
मैं तो बस मन मार कर रह गई। अब मुझे कल तक का इन्तजार करना था।
दूसरे दिन मैं समय पर मिस के घर पहुंच गई थी। पर विशाल मेरे से पहले ही वहां पहुंच गया था और बेडरूम में मिस को चोद रहा था। मैंने अपना बैग वहीं रख दिया और उन्हें चुदाई करते हुये देखती रही। उन दोनों को जैसे मेरी उपस्थिति से जैसे कोई मतलब ही नहीं था। मिस चुदाई पूरी करके उठ कर बैठ गई। कपड़े वगैरह ठीक से पहन लिए और किताबें ले कर मेज पर आ गई। आज मिस ने अपने मन से बहुत अच्छा पढ़ाया। पर तुरन्त पढाई के बाद उन्होंने विशाल को फिर से पकड़ लिया और चुदने के लिये बेडरूम में चली आई, मुझे हल करने के लिये एक एक्सरसाईज दे दी।
मैं तो बस विशाल का इन्तजार करती रही कि मिस निपट जाये तो मैं भी एक बार चुदवा लूँ। पर विशाल मिस को चोद कर बहुत थक जाता था। और अधिक चोदने लायक ही नहीं पता था। अब यही सिलसिला चल निकला था। सेण्डी मिस विशाल से खूब चुदवाती और मैं बस इन्तजार ही करती रह जाती।
अब तो मुझे मिस से और विशाल से खीज सी आने लगी थी। मैं समझ गई थी कि मुझे मोहरा बना कर मिस ने विशाल को अपने कब्जे में ले लिया था और मैं तो बेचारी बस तरसती ही रह जाती थी। विशाल से मैं कई बार बाहर भी मिली पर वो तो अब मेरे से नजर भी चुराने लगा था। धीरे धीरे मैंने विशाल से नाता तोड़ लिया था। मिस से ट्यूशन भी छोड़ दी थी।
परीक्षा के बाद एक दिन विशाल मुझसे मिला और बोला- दिव्या, प्लीज मुझसे बात करो ना …
उसके स्वर में दीनता थी !
“अपनी मिस के पास जाओ … खूब चोदो उसको … जाओ !!”
अब मुझे उससे कोई सरोकार नहीं था। मैंने अब एक दूसरे सुन्दर से लड़के से दोस्ती कर ली थी।
“दिव्या, मिस ने दूसरा लड़का पटा लिया है … मुझसे उसका जी भर गया है। वो तो बहुत मतलबी निकली।”
“मैंने भी रोहन से दोस्ती कर ली है, वो मुझे कितने प्यार से चोदता है, मुझे तो वो बहुत प्यारा है।”
विशाल मुझे देखता ही रह गया … मिस ने उसे काम में लेकर फ़ेंक दिया था। मैंने नई दोस्ती कर ली थी। विशाल अधर में लटक सा गया था। … पर हां, उसका उदास चेहरा अब भी कभी कभी मुझे नजर आ जाता था … मुझे दया तो बहुत आती थी … पर शायद वो इसी काबिल था…
दिव्या डिकोस्टा
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