This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
दोस्तो, आज मैं आपको एक वास्तविक घटना सुनाने जा रहा हूँ। मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ का रहने वाला हूँ। और मेरे मामा-मामी जी भी मेरठ के रहने वाले हैं।
आज से लगभग एक साल पहले जब मेरे मामा आफिस के काम से एक महीने के लिये बम्बई चले गये थे तो उन्होंने फोन से मुझे कहा- तुम्हारी मामी अकेली है घर में, तुम उसके पास आकर रहो। मामा के दो बच्चे हैं जो 6 और 10 वर्ष के हैं।
मुझे मामा के यहाँ आये अभी दो दिन ही हुए थे कि मैंने देखा कि मामा के यहाँ एक आन्टी जी बहुत आया करती थी जो पड़ोस में ही रहती थी, उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया था, वे एक टीचर थी और मेरठ में ही एक प्राइमरी स्कूल में कार्यरत थी। उनकी उम्र लगभग 35 वर्ष की होगी, देखने में गोरी, लम्बी-चौड़ी, उभरे हुए वक्ष उनकी सुन्दरता को
और भी बढ़ा देते हैं, देखने में एक दम ज्वाला लगती थी। समझ में नही आता था कि इतनी सुन्दर औरत को कोई कैसे तलाक दे सकता है।
मेरी उम्र लगभग लगभग 25 वर्ष और मुझे वैसे भी औरतों को चोदने में बहुत मजा आता है। उन्होंने मुझे जब पहली बार देखा तो एकदम देखकर नजरें झुका ली। तभी मेरी मामी ने उन्हें मेरे बारे में बताया। उसके बाद तो हम दोनों का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि हम दोनों एक दूसरे से बहुत घुल-मिल गये थे।
एक दिन मामी को बच्चों के पेरेन्टस मीटिंग में जाना था तो जाने से पहले बोली- राजू मैं जा रही हूँ, अगर तुम्हारा मन न लगे तो तुम पास ही आन्टी के घर चले जाना। मुझे लौटने में देर हो सकती है क्योंकि मुझे वहाँ से मार्केट भी जाना है। यह कहकर मामी तो चली गई, मैं बहुत देर तक इधर-उधर टहलता रहा। उसके बाद मैंने घर का ताला लगाया और आन्टी के घर चला गया।
आन्टी घर पर अकेली लेटी हुई थी, घर का दरवाजा खुला हुआ था। आन्टी डबलबैड पर लेटी हुई कुछ सोच रही थी कि अचानक मुझे देख कर चौंक गई। उन्होंने सूट पहना हुआ था उस दिन मैंने देखा कि आन्टी के स्तन काफी बड़े थे, वे मुझे देखकर अपना दुपट्टा अपने कंधों पर डालती हुई बोली- अरे राज तुम? आओ, अच्छा हुआ तुम आ गये, मेरा मन नहीं लग रहा था, तुमसे मन भी लग जायेगा। मैंने कहा- हाँ, मैं भी बोर हो रहा था, मामी बाहर गई हुई हैं। ‘अच्छा किया कि तुम यहाँ चले आये, अब हम दोनों खूब बातें करेंगे।
और मैं भी उनके बिस्तर पर लेट कर बातें करने लगा। मैंने गौर से देखा कि आन्टी की आखें लाल हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वे रो रही हों। मैंने पूछा- क्या हुआ आन्टी? मुझे ऐसा लग रहा है कि शायद आप रो रही थी। आन्टी बोली- कुछ नहीं ! ऐसे ही पुरानी बातें याद आ गई। मैंने कहा- मुझे तो बता सकती हो, मुझे अपने दोस्त ही मान लो।
आन्टी बोली- राज, तुम नहीं जानते मुझे अकेले रहने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है आखिर एक औरत को भी एक मर्द की जरूरत होती है जो उसके अकेलेपन को दूर कर दे।
मैंने कहा- आन्टी, आप मुझ पर भरोसा कर सकती हो, आज से मैंने आपको अपना प्रिय दोस्त मान लिया है। क्या आप मुझे अपना दोस्त नहीं मान सकती? आप अपना गम मुझसे कह कर दूर कर सकती हो। आन्टी इतना सुनते ही मुझसे चिपक कर रोने लगी।
उस दिन के बाद पता नहीं क्यों आन्टी ने मेरे दिल में जगह बना ली और वे भी मुझे पसन्द करने लगी। फिर तो मैं उनके पास रोज जाने लगा और वे भी अपना सारा काम छोडकर मुझसे घण्टों बातें करने लगी।
एक दिन जब मैं उनके घर गया तो देखा कि वे कपड़े बदल रही थी, उन्होंने पेटीकोट-ब्लाउज पहन रखा था और साड़ी पहनने जा रही थी, ऐसा लगता था जैसे वे कहीं जा रही हो। जैसे ही उन्होंने मुझे देखा तो वे रूक गई और बोली- राज आओ बैठो, मैं मार्केट जा रही हूँ !
लेकिन जाने क्यों वे मुझे उस दिन बहुत सुन्दर दिख रही थी, मैंने कहा- मैं यहीं खड़ा सही हूँ।
और मैं कुछ देर उन्हें देखता रहा, उन्हें इस तरह देखकर मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी, वो गोरा गोरा गदराया हुआ जिस्म उस पर बड़े बड़े स्तन ब्लाउज से बाहर निकले ही जा रहे थे। आन्टी बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
मेरा ध्यान एकदम टूटा, मैंने कहा- आन्टी मैं सोच रहा हूँ कि आप इतनी सुन्दर हो, कोई भी अपनी जान से ज्यादा आपको प्यार कर सकता है, फिर भी आपको अंकल ने कैसे छोड़ दिया?
तभी आन्टी मेरे पास आई और मेरे गले में अपने दोनों हाथ डालते हुए बोली- क्या तुम मुझसे प्यार करते हो? तो मैं एकदम सोच में पड़ गया, मैंने कहा- आन्टी, प्यार तो मैंने आपसे पहली ही नजर में कर लिया था लेकिन सोच नहीं पा रहा था कि आपसे कैसे कहूँ।
यह सुनकर आन्टी ने अपने दहकते हुए होंटों का रस पिलाना शुरू कर दिया और ऐसे एक दूसरे से ऐसे लिपट गये जैसे पता नहीं कब के मिले हों। आधा घण्टा तक हम दोनों एक दूसरे को होंटों को चूसते रहे फिर मैं अपने घर आ गया।
दूसरे दिन आंटी मेरे मामी के पास आई और बोली- कल रात को मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे घर में घुस आया है। और मैं डर गई, पूरी रात नहीं सो पार्इ। मामी ने कहा- तुम राज को अपने घर सुला लेना। मैं राज से कह दूंगी। रात को करीब 8.00 बजे मामी ने कहा- तुम आन्टी के यहाँ सो जाना, उन्हें रात में डर लगता है। मैंने नाटक करते हुए कहा- मुझे वहाँ पर नींद नहीं आयेगी। तो मामी बोली- एक-दो दिन की ही बात है, तुम वहीं सो जाना।
रात को मैं आन्टी के यहाँ गया तो आन्टी बिस्तर पर लेटी हुई थी, मैंने कहा- आपने खूब अच्छा बहाना सोचा? आन्टी बोली- राज, मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो चुकी हूँ, तुम्हारा साथ पाने के लिये हर समय बेचैन रहती हूँ, तुम तो जानते हो कि मैं कब से अकेली रह रही हूँ, आखिर मेरी भी इच्छा होती है कि मुझे एक आदमी का सानिध्य मिले।
फिर क्या था, मुझे खुली छुट्टी मिल चुकी थी, मैंने आन्टी के होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
आन्टी बोली- अभी नहीं, पहले लाइट तो बन्द कर दो। मैंने कहा- अब मुझसे क्या शरमाना? मैं भी आपको कब से बिना कपड़ों के देखने के लिये बेताब हूँ।
आन्टी ने कहा- मुझे शर्म आयेगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं। मैंने आन्टी से कहा- आज रात यह मान लो कि मैं तुम्हारा पति हूँ।
फिर मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। आन्टी बोली- ऐसे शर्म नहीं जायेगी, जरा रूको, मैं अभी आती हूँ।
और कुछ देर बाद दो गिलास और एक बोतल वाइन की लेकर आई। उसके बाद हम दोनों ने 2-2 पैग वाइन के लिये। पैग लेने के कुछ देर बाद मैं आन्टी की चूत का रस पीने के लिये उतावला होने लगा। बस फिर क्या था, मैंने सबसे पहले आन्टी की साड़ी उतारनी शुरू कर दी और उनका गोरा पेट और नाभि सामने थी, मैंने हाथ फिराते हुए उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया। आन्टी ने अपनी आँखें बन्द कर ली और अपने हाथ से मेरी जांघ सहलाने लगी। वो मेरे लण्ड को पकड़ना चाहती थी।
मुझे औरत की चूत को चूसने में बहुत मजा आता है, जब भी ऐसा पल आता है तो मैं चूत के दाने को मुँह में लेकर जरूर चूसता हूँ और चूत का रसपान करता हूँ।
कुछ देर बाद मैं आन्टी के पैरों की तरफ आया और उनके पेटीकोट को नीचे खींच कर हटा दिया। आन्टी की क्या चूत थी, बिल्कुल साफ, एक भी बाल नहीं था।
उसके बाद मैंने आन्टी की दोनों जांघों को एक दूसरे से अलग कर चौड़ा दिया उनकी जांघें काफी चौड़ी थी। चूमते हुए मैं धीरे-धीरे ऊपर गया और उनकी चूत को चूमने लगा। आन्टी सी-सी करने लगी।
उसके बाद मैंने उनकी टांगों को उठाकर घुटनों के बल मोड़कर चौड़ा करवा दिया, उसके बाद उनकी चूत का दाने को जीभ से सहलाने लगा। आन्टी पूरी मस्ती में आ गर्इ, सी-सी कर रही थी।
साथ ही मैं अपने हाथ की उंगली उनकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा तो आन्टी सिसकारने लगी वे झड़ने ही वाली थी कि उन्होंने मुझे रोक दिया लेकिन मेरा मन अभी भरा नहीं था, मैंने ऊपर आकर उनके ब्लाउज को खोल दिया तथा उनकी ब्रा भी निकाल दी और फिर उनके बड़े-बड़े चूचों ने तो मेरे होश ही उड़ा दिये। उनके निपल बिल्कुल तने हुए थे, मैं उनको मुँह में लेकर काफी देर तक सहलाता रहा। उसके बाद आन्टी ने झटका देकर लिटा दिया तथा मेरे होंठों को चूसने लगी।
फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और उसके बाद मेरे अण्डरवीयर में हाथ डालकर मेरा तना हुआ लण्ड निकाल लिया। मेरा लोहे जैसा लण्ड देखकर वो पागल सी हो गर्इ और मेरे लण्ड को उतावलेपन से चूसने लगी। लण्ड के मुंह में जाते ही जो गर्म-गर्म अहसास हुआ, ऐसा लगा जैसे मानो मेरा शरीर उड़ने लगा हो, ज़न्नत मिल गर्इ हो।
उसके बाद मुझसे रहा नहीं गया, 69 की अवस्था में आकर मैंने फिर आन्टी की चूत को चसना शुरू कर दिया। काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा, इस बीच मैं एक बार झड़ चुका था लेकिन आन्टी सब कुछ अन्दर ही ले गई। उसके बाद मेरा लण्ड चूसते चूसते कुछ देर बाद वह फिर तन गया। हम दोनों के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था।
अन्त में आन्टी ने कहा- राज, मेरे ऊपर आ जा ! अब मैं ज्यादा देर नहीं रह सकती ! मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दो।
मैं आन्टी के ऊपर आ गया और चूत के मुंह पर लण्ड का सुपारा रखा और एक जोरदार झटका दिया कि लण्ड चूत के अन्दर !
उसके बाद हमारी झटकों की गति तेज होती गई, आन्टी जोर से कहने लगी- फाड़ दे इस साली चूत को ! इसने मुझे बहुत परेशान किया है।
मैं भी जोर जोर से झटके लगाने लगा। कुछ देर बाद आन्टी बोली- राज, अब मैं तुम्हारे ऊपर आ जाती हूँ। आन्टी मेरे ऊपर आ गई, फिर वो झटके लगाने लगी, मैं उनके कूल्हों पर हाथ रख कर सहलाने गया क्योंकि वे काफी बड़े थे, मुझे काफी आनन्द दे रहे थे।
आन्टी एक बार पहले ही झड़ चुकी थी और अब वो दूसरी बार झड़ने वाली थी। कुछ देर झटके लगाने के बाद आन्टी झड़ गई और मेरे भी लण्ड ने फव्वारा छोड़ दिया।
उस रात मैं अपना लण्ड आन्टी की चूत में ही डालकर सोया रहा। जब भी मन करता, हम लोग चुदाई करना शुरू कर देते थे। हमने सुबह के 6 बजे तक 4 बार चुदाई की, उसके बाद तो हम दोनों रोजाना समय निकाल कर दिन में दो बार चुदाई कर ही लेते थे।
आजकल मैं अपने घर पर हूँ लेकिन आन्टी से मेरी आज भी फोन पर बात होती है और हम दोनों आज भी चुदाई कर लेते हैं, कभी कभी मैं मामा मामी के घर आ जाता हूँ और वो छुटटी ले लेती हैं। कभी मेरठ के किसी होटल में कमरे में बुलवा लेता हूँ और उनसे मिलता हूँ और चुदाई करता हूँ। आन्टी एक महीने में लगभग 4-5 बार होटल आ ही जाती है। आज तक किसी को हमारे बारे पता नहीं है और न ही किसी को कोई शक है। [email protected] 2470
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000