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कहानी का पिछ्ला भाग: प्यासी कली- 1
रूपाली ने फ़ार्म हाउस के अन्दर गाड़ी रोक दी, बंगले का गेट खोला और मुझे अन्दर आने के लिये कहा।
उसने दरवाजा बन्द कर लिया तो मैंने पूछा- हम कहाँ पर आये हैं? तो उसने बताया- यह फ़ार्म हाउस मेरी एक सहेली का है और यहाँ पर कोई आता जाता नहीं है। और बोली- हम लोग अकेले हैं, क्या सोच में पड़ गये? मैंने कहा- कुछ नहीं!
मैंने उसको अपनी बाहों में खींच लिया और एक फ़्रेन्च किस कर दी और पूछा- क्या सब काम खड़े होकर ही करना है? तो वो हंस कर बोली- चलो, बेडरुम हमारा इन्तजार कर रहा है। मैं भी हंसने लगा। वो बोली- मुझे गोद में लेकर बेडरूम में ले चलो।
मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया, उसने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दी और गोद में ही मुझे किस करने लगी। मैं भी उसको मसलता हुआ बेडरुम में ले गया और लेजाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
फ़िर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके गुलाबी होठों को तबियत से चूसने लगा और धीरे-धीरे ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा. मेरा जोश बढ़ने लगा और जब मैं उसके स्तनों को जोर जोर से दबाने लगा तो वह बोली- जरा धीरे से दबाओ, अब ये तुम्हारी ही हैं, जरा अपनी समझ कर दबाओ!
और वो आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउईइम्म्मां… उम्म्ह्ह्ह करने लगी और उसकी आँखें बन्द होने लगी। वो एकदम अपनी अन्तर्वासना के नशे के वशीभूत हो गई और सिसकारियाँ भरने लगी।
फ़िर मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरु किए। उसने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी वो एकदम कयामत लग रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने देर ना करते हुये उसकी साड़ी उसके कमर तक चढ़ा दी, और पैन्टी के ऊपर से ही एक जोरदार चुम्मा उसकी चूत का ले लिया और उसकी साड़ी और पेटीकोट को उतार फ़ेंका।
मैंने अपना भी पैण्ट शर्ट उतार दिया और सिर्फ़ अण्डरवीयर में रह गया था।
उसकी पिण्डलियों से मैंने उसको चूमना शुरु किया और उसकी जान्घों से होता हुआ उसके चूचों को चूसने लगा तो वो एकदम से उछल पड़ी और जोर से मुझसे लिपटने लगी, उसके मुँह से कामुक आवाजें निकल रही थी जैसे वो बरसों से प्यासी हो।
फ़िर मैं उसके सारे शरीर पर चुम्बन करते हुये उसकी नाभि को अपने जीभ से कुरेदने लगा. मुझे वहाँ से एक बहुत अच्छी सी खुश्बू आ रही थी और नाभि कुरेदते हुये ही मैंने उसकी पैंटी अपने उंगलियों से सरका सरका कर निकाल दी।
उसकी चूत देखकर मेरे मुँह से आह निकल गई। एकदम मक्खन की तरह चिकनी चूत थी बिना बाल की पतली लम्बी दरार वाली चूत जो मुझे बहुत पसन्द है।
जब मैंने उसकी दरार पर हाथ फ़ेरा तो वो बहुत गर्मा गई और झट से उसने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया।
मैंने भी देर ना करते हुए झट से अपना अण्डरवीयर उतार कर उसके हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया।
वो मेरे लण्ड को गौर से देखने लगी तो मैंने पूछा- क्या हुआ? उसने कहा- इतना लम्बा और मोटा लण्ड तो मेरे पति का भी नहीं है? तो मैंने कहा- तब तो तुम्हें पलंगतोड़ मजा आयेगा।
अब मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर उसकी गहराई नापने लगा और उसके दाने को सहलाने लगा।
वो उछल पड़ी तो मैंने उसकी चूत को एक फ़्रैंच किस कर दिया तो वो तो एकदम से पागल सी हो गई और सिसकारियाँ भरने लगी- उह्ह् हं… आआ आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह …
मैं उसकी चुत की दीवार पर अपने होंठ रगड़ने लगा और जीभ से हल्के हल्के चूत को कुरेदने लगा तो उसके चुत से जूस निकलना शुरु हो गया था.
मुझे भी मजा आने लगा था तो मैंने अपनी जीभ को और अन्दर तक डाल कर उसकी चूत को टटोलने लगा. वो एकदम उछल पड़ी और बोली- आज तक मेरे पति ने कभी अपनी जीभ अन्दर नहीं डाली और मैं ऐसा मजा पहली बार ले रही हूँ, प्लीज पूरी जीभ को अन्दर तक डालो।
मैं धीरे धीरे अपनी जीभ को उसके चूत में अन्दर तक डालने लगा. वो हाय्य हूऊऊउ म्म्म्म … आआऊ ऊउच्च… कर रही थी और अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी।
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली तो उसने कहा- डालो जीभ को अन्दर जल्दी! और मैं बड़े प्यार से उसको अपनी जीभ से चोदने लगा था।
थोड़ी देर में वो झड़ने लगी, मैंने देखा कि उसकी आँखें खुल नहीं रही थी, और उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था।
अब वो शांत हो गई थी और मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाल ली।
उसने मुझे दीवार के सहारे पीठ लगा कर खड़ा कर दिया और खुद नंगी ही उकड़ु बैठ गई जैसे कि पेशाब करने बैठी हो. और उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरु कर दिया।
मुझे तो जन्नत का मजा आने लगा, उसके लण्ड चूसने के इस स्टाइल से मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया था। वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी और कभी कभी तो इस तरह चूसती जैसे कि गन्ने का रस चूस रही हो।
वह दुबारा गर्मा गई थी और मुझसे कहने लगी- अब मेरी चूत तुम्हारा लण्ड चूसना चाहती है।
मैं उसका इशारा समझ गया और उसको गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लण्ड उसकी चूत की दरार पर रख कर हल्के हल्के रगड़ने लगा. तो वो पागल हो गई और मुझसे कहा- जल्दी से पेल दो! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
मैं उसके शब्दों पर जोश में आ गया और अपने लण्ड के सुपारे को उसकी चूत के मुहाने पे रख कर धक्का मारा तो सुपारा अन्दर चला गया तो वो हल्के से चिल्ला उठी।
मैंने दूसरा धक्का थोड़ा जोर से मारा तो वो मुझे धकेलते हुए बोली- बाहर निकालो। तो मैं रुक गया, मुझे उसके दर्द का अहसास होने लगा, उसके मुंह से आवाज भी बन्द हो गई थी।
मैंने उसको थोड़ी देर आराम करने दिया और पूछा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं? उसने कहा- एक लड़का है।
तो यह सुनकर मैं हैरान हो गया और कहा- तुम्हारा एक बच्चा भी है तो चूत का दरवाजा इतना छोटा क्यों है?
उसने बताया- डिलिवरी के बाद चूत में टांके लगे थे तो छेद छोटा हो गया था और तेरा लण्ड तो मेरे पति से बड़ा और मोटा भी तो है।
मैं हंसने लगा और बातों ही बातों में अपने लण्ड को उसकी चूत में सरकाता गया और वो आह्ह्ह … आह्हन कर रही थी।
मैंने उसे अपनी बातों में लगा कर रखा और एक जोरदार धक्का मारा तो उसकी चीख निकल गई और उसने मुझे दांत काट खाया।
मैं उसके सिर को हाथों में उठा कर उसको प्यार से चूमने लगा तो वो सामान्य हो गई और जोश में आने लगी।
मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिये तो उसने कहा- धीरे ररे… से करो … मर गई आ आह्ह्ह्ह… तो मैं अपने लण्ड को प्यार से अन्दर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद उसको मस्ती आने लगी तो मैंने धक्के तेज कर दिये और वो कमर उठा उठा कर साथ देने लगी- हाययय आऊऊच … उइ मां… आहाह्ह … श्श्श्ष्ह्ह्ह … वाऊउ… और जोर दे डाल मेरे राजा … मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी और जबरदस्त धक्के मारने लगा.
कभी वो अपना कमर से ऊपर की तरफ़ धक्के मारती तो कभी गोल गोल घुमाती. उसको इतना मजा आ रहा था कि उसकी आँखें नहीं खुल रही थी।
वो इतनी मदहोश हो चुकी थी कि उसने अपने टांगें मेरी कमर में लपेट रखी थी।
मेरा लण्ड उसके गर्भाशय से टकराने का मुझे महसूस हो रहा था.
उसने मुझे जोर से दबोच लिया और बोली- वाह, तुमने मुझे जन्नत में भेज दिया, अब यह रूपाली सदा के लिये तेरी हो गई, जब जी चाहे बुला लेना, मैंने ऐसा मजा आज तक नहीं लिया. हाय्य्य्य … श्श्श्श ह्ह्ह. और जोर जोर से मुझे चूमने लगी.
मैं भी पूरी गति से चोद रहा था और वो जोर जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से! और जोर से! ऐसे ही! मुझे जीभर कर चोदो मेरे राजा. कमरे में फ़च फ़च की आवाजें गूंज रही थी।
थोड़ी देर में वो बोली- मेरा तो निकलने वाला है!
तो मैंने और गहराई में धक्के मारने शुरु कर दिये और वो झटके खाने लगी- मारर डाला! और मुझे बांहों में बड़े जोर से दबा लिया और शान्त पड़ने लगी.
इधर मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने उससे कहा तो उसने कहा कि अन्दर ही निकाल दो, कोई टेन्शन नहीं है।
फ़िर मेरा भी पानी छुटने लगा तो उसने बांहों में जोर से दबोच लिया और मैं उसकी चूत में झड़ने लगा और करीब 5 मिनट तक उस पर लेटा रहा।
वो बोली- तुम्हारा बीज तो काफ़ी गर्म है। मैंने कहा- क्यों नहीं होगा?
तो उसने कहा- थोड़ी देर मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहो, अच्छा लग रहा है।
मैं कुछ देर लेटा रहा, फ़िर उठ कर उसकी चूत देखी तो बिल्कुल लाल थी।
फ़िर मैं बाथरुम गया और बाहर आकर कपड़े पहनने लगा, वो वैसे ही लेटी हुई थी.
मैंने पूछा- घर नहीं जाना क्या? तो उसने कहा- घर जाने का आज मन नहीं है।
और बोली- तुमने प्यास बुझा दी और मुझे थका दिया और तुम नहीं थके? मैंने कहा- इसी को तो मर्द कहते हैं।
फ़िर उसने मुझे उठकर चूम लिया और साड़ी पहनने लगी और मुझे ‘आई लव यू; कहा, तो मैंने भी जवाब दिया। उसने कहा- मेरी सहेलियाँ भी तुमसे मिलना चाहेंगी! तो मैंने कहा- मोस्ट वेल्कम।
फ़िर उसने मुझे मेरे घर के पास में अपनी कार से छोड़ दिया।
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