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होली है ही मस्ती का त्यौहार! हर एक के अन्दर की कामुकता को, अन्तर्वासना को बाहर लाने वाला! लोग हाथों में रंग लेकर गालियाँ गाते हैं जैसे : समधन की मेढ़ी पर सुआ बोले.. यानि समधन की चूत के दरवाज़ा पर तोते की चोंच जैसा सुपारा तैयार है चोदन के लिए!
हर बार होली पर बुड्ढे और जवान सपना सजाते हैं कि इस बार बहू, चाची, मामी, दीदी, पड़ोसन या कोई कमसिन कली के स्तन रंग लगाने के बनाने हाथ लग जाएँ या फिर गाण्ड छू जाए। लेकिन कुछ के सपने अधूरे रह जाते हैं और कुछेक के पूरे हो जाते हैं.. पूरे हुए सपनों की कहानी है यह..
सुरेश मेडिकल की पढ़ाई करने शहर आया था। कोई 19 साल की उम्र, सामान्य दुबला-पतला शरीर और जैसा कि होता है इस उम्र में, पढ़ाई के बीच बीच में दिन में तीन बार मुठ मार लेना।
उसके कमरे में ही उसका साथ रहता था अमित जो उससे एक साल छोटा था। दोनों दोस्त थे साथ ही पढ़ते, साथ ही मस्ती करते, साथ ही ब्लू फिल्म देखते।
सर्दियों के दिन थे, दोनों एक ही रजाई में बैठ कर पढ़ रहे थे और दोनों के लण्ड खड़े थे और बीच बीच में वे उसको सहला रहे थे, दोनों जानते थे कि जब तक मुठ नहीं मारेंगे, साला लण्ड बैठेगा नहीं और वे पढ़ नहीं पाएँगे।
हालाँकि दोनों काफी खुले हुए थे पर दोनों के मन में कभी यह ख्याल नहीं आया कि एक दूसरे का सामान देख लिया जाए।
उस दिन उत्तेजना वश अमित का हाथ सुरेश के हथियार पर चला गया, सुरेश ने उसकी मदद करते हुए अपना पजामा नीचे सरका दिया। अमित अब उसके खड़े लण्ड को सहलाने लगा, सुरेश का लण्ड कोई सात इंच का था, सामान्य से थोड़ी ज्यादा मोटी चमड़ी थी उसकी, थोड़ी मुश्किल से नीचे होती थी, मगर हो जाती थी। अमित ने हाथ थोड़ा नीचे किया तो सुरेश की थैली भी सहला दी, उसकी गोलियाँ लटकी हुई थीं और नर्म थी।
अमित ने रजाई ऊपर कर दी और सुरेश का नंगा लण्ड उसके सामने था जो उत्तेजना से आगे से गीला हो चुका था। अमित को पता था कि 4-5 झटकों में उसकी पिचकारी छूट जाएगी।
मगर इसी मौके पर अमित ने खुद का पजामा भी ढीला किया और अपना काला चमकता लण्ड आज़ाद कर दिया। अमित का लण्ड सुरेश की तुलना में लम्बा थोड़ा ज्यादा था मगर पतला था। उसके आंड मज़बूत और सख्त थे मगर छोटे भी लगते थे। अमित के लण्ड के आसपास ज्यादा झांटें थी जबकि सुरेश का लण्ड एकदम गोरा और चिकना था।
“यार, तेरा सुपारा एकदम गुलाबी है जबकि मेरा भूरा!” अमित बोला। उधर सुरेश भी उसके लण्ड को हिला रहा था,”तेरे अंडकोष मज़बूत है जबकि मेरा ढीला!” वो बोला। “देखते हैं वीर्य किसका मज़बूत है!” कह कर दोनों एक दूसरे को मुठियाने लगे।
दोनों ने लगभग एक साथ पानी छोड़ा, अमित का पानी थोड़ा ज्यादा गाढ़ा था जबकि सुरेश का कम था और थोड़ा पतला भी!
उसके बाद से कई बार दोनों एक दूसरे को रजाई के अन्दर मुठिया देते हालाँकि दोनों ने कोई समलैंगिक हरकत नहीं की थी जैसे चूसना या गाण्ड मारना-मरवाना वगैरह!
मगर दोनों की लण्ड में जिज्ञासा ज़रूर थी..
अमित और सुरेश मेडिकल की किताबों में अपने लण्ड के आकार-प्रकार और उसके गुण दोष के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते रहते।
उनका एक सीनियर था जिसका नाम था यासीन! वो भी कई बार उनकी मदद के हिसाब से या ऐसे ही उनसे मिलने आता रहता।
सर्दियों में ऐसे ही एक दिन दोनों रजाई के अन्दर एक दूसरे का औजार सहला रहे थे कि यासीन आ गया।
अमित ने दरवाज़ा खोला और यासीन समझ गया कि उसका लण्ड खड़ा है। उसने अन्दर आते ही दरवाज़ा बंद कर दिया और बोला- तुम्हारे पास तेल है क्या सर में लगाने वाला? “हाँ बॉस, है!” अमित बोला।
वो कोशिश कर रहा था कि अपने लण्ड को टांगों के बीच में दबा के रखे। “कौन सा है भोसड़ी के?” उसने पूछा। “जी बॉस, सरसों का!” अमित ने कहा। “दो मुझे जल्दी से!”
अमित ने सरसों के तेल की बोतल यासीन को पकड़ाई, वो जैसे ही पास गया, यासीन ने तुरंत उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया- यह क्या है मादरचोद? पढ़ाई करता है या चुदाई के बारे में सोचता है?
अमित को कुछ समझ नहीं आया। तभी यासीन बोला- बता मादरचोद! नहीं तो यहीं कपड़े खोल दूँगा और तेरा खड़ा लण्ड बाहर सबको दिखाऊँगा/ “बॉस, ऐसे ही खड़ा हो गया था।” अमित बोला। “अच्छा तो यह बैठेगा कैसे?” “अपने आप बॉस!” अमित बोला। “ठीक है, उतार पजामा! मैं भी देखूँ तेरा लण्ड अपने आप बैठता है या नहीं? और नहीं बैठा तो सबके दिखाऊँगा भड़वे!” यासीन बोला। “उतार पजामा जल्दी से मादरचोद!” उसने कहा।
अमित ने डरते डरते पजामा घुटनों तक किया। “नहीं चूतिये, पूरा उतार!” यासीन चिल्लाया। अमित ने पजामा पूरा सरका दिया, अब उसका लण्ड खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बना रहा था।
“लण्ड तो मादरचोद है तेरा, बता किसी को चोदा आज तक या सिर्फ मुठ ही मारता रहा?” किसी से नहीं किया बॉस!” अमित बोला।
“गाण्ड भी नहीं मारी किसी की? यासीन बोला। “नहीं बॉस।” “एक दूसरे की भी नहीं? उसने कहा। “नहीं बॉस!” अमित बोला।
“तू चुप क्यूँ है? तू भी बोल भड़वे!” यासीन ने सुरेश से कहा। “नहीं बॉस, मैंने भी कभी किसी से नहीं किया।” सुरेश बोला। “अच्छा खोल अपना पजामा, दिखा औजार मुझे!”
सुरेश भी नीचे से नंगा हो गया, दोनों खड़े लण्ड लेकर यासीन के सामने खड़े थे। दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन गाण्ड फट रही थी। “अच्छा मेरी गाण्ड मारोगे?” यासीन बोला। दोनों कुछ नहीं बोले।
“देखो, या तो हाँ बोलो या फिर तुम दोनों को मैं ऐसे ही नीचे हॉल में ले जाता हूँ, वहाँ एक दूसरे की मारना सबके सामने।”
सुरेश और अमित डर के मरे चुप ही रहे। यासीन ने अपनी लुंगी उतार दी। उसका लण्ड दोनों को अजीब लगा मगर वे जानते थे कि मुसलमानों में खतना होता है यानि यासीन के लण्ड की आगे की चमड़ी कटी हुई थी, यानि अब उसको कभी लण्ड का कैंसर नहीं होगा।
यासीन का लण्ड आधा खड़ा था, मगर वो था विशाल! काफी मोटा था और सुपारा भी मोटा था, उसके अंडकोष भी बड़े थे।
यासीन उल्टा हो गया और बोला- सुरेश, मेरी गाण्ड में तेल लगा! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
और वो कुर्सी पर उल्टा हो कर बैठ गया। सुरेश उसकी गाण्ड पर तेल लगाने लगा। “यूँ नहीं मादरचोद! तेल से गाण्ड को हल्का हल्का खोल! नहीं तो लण्ड अन्दर कैसे जायेगा तेरा मादरचोद!”
सुरेश ने अब उंगली से तेल के साथ साथ गाण्ड को थोड़ा थोड़ा खोलना शुरू कर दिया, यासीन ओऊ आह करने लगा- हाँ चूतिये, ऐसे ही करता जा! मज़ा आ रहा है। तू मेरे आगे आ मादरचोद! उसने अमित को बोला।
अमित जैसे ही उसके सामने आया, उसने उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, अमित का लण्ड कोई पहली बार चूस रहा था वो भी यासीन।
यासीन अब अमित के लण्ड को अपने मुँह से चोद रहा था, उसका लण्ड उसके थूक से गीला हो चुका था। उधर सुरेश गाण्ड को गीली करने में लगा हुआ था।
“अब तेल छोड़ कुत्ते, लण्ड डाल मेरी गाण्ड में! और बेरहमी से चोदना अपने बॉस को! नहीं तो तेरा लण्ड काट कर तुझे हिजड़ा बना दूंगा।” यासीन बोला।
सुरेश ने गाण्ड के छेद पर लण्ड रखा और सरका दिया। “याअल्ला ओह्ह माँ!” यासीन बोला।
मगर उत्तेजित सुरेश तब तक आधा लण्ड सरका चुका था और झटके दे रहा था यासीन मुँह और गाण्ड दोनों से चुद रहा था। उधर अमित से ज्यादा सब्र नहीं हो रहा था, बॉस..! कह कर वो झ गया, यासीन प्यासे कुत्ते की तरह उसका वीर्य चाट गया। उधर यही हाल सुरेश का था ज़िन्दगी में पहली बार उसके लण्ड को कोई छेद मिला था उनसे भी अपने गुब्बारे खाली कर दिए। दोनों झड गए। यासीन ने उनसे रात में दो दो बार और चुदवाया। अब यासीन कई बार आता और चुद के जाता। मगर आदमी को चोदते चोदते दोनों खुश नहीं थे मगर डर के कारण कुछ बोल भी नहीं पाते थे।
एक दिन हिम्मत कर के दोनों ने यासीन से पूछ ही लिया कि वो गाण्डू कैसे बना।
तो सुनिए यासीन की जुबानी : अगले भाग में पूरे हुए सपने-2
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