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जीजाजी से मेरी रोजाना बात होती थी और उनकी बातों का मुख्य विषय सेक्स ही होता था। पहले मुझे उनकी बातों से बोरियत होती थी पर कभी कभी अच्छी भी लगती थी !
वे बार बार मेरी चूत चाटने का जिक्र करते तो मेरे खयालों में उनका अधगंजा सर मेरी टांगों के बीच महसूस होता और ऐसा लगता जैसे उनकी जीभ मेरी चूत को लपर-लपर चाट रही है और आनन्द से मेरी आँखे बंद हो जाती।
उनके बार बार कहने पर भी मैं अपनी चूत को नहीं छूती पर कई बार उनकी बातों से जो आधा-एक घंटा चलती, मैं स्खलित हो जाती पर कोई 20-25 दिन में एक बार, वैसे मेरी स्तम्भन शक्ति बहुत मजबूत है, जीजाजी को और मेरे पति को मुझे डिस्चार्ज करने में पसीने आ जाते हैं, जिसमें भी मेरे पति से तो मैं कई बार डिस्चार्ज होती ही नहीं हूँ, पर मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि उनके चोदने और डिस्चार्ज नहीं होने के बाद भी मैं किसी से चुदवाऊँ ! मैं किसी चीज जैसे कोई खड़ा तकिया, सोफे का हत्था या पति के कुल्हे की हड्डी के ऊपर में चूत के घस्से लगाती और अपने आप स्खलित हो जाती !
पर कभी कभी जीजाजी की बातों से ही स्खलित हो जाती।
वे कई बार मुझे कहते- मुझे अब तेरी आइसक्रीम की याद आ रही है या तुझे जल्दी ही चोदना है।
पर अब मेरे गाँव में वो स्थिति नहीं थी, मम्मी-पापा भी घर पर रहते थे हालाँकि मेरी भाभी अपने पीहर चली गई थी पर मेरी मम्मी की नज़रें बड़ी घाघ थी और मैं की सेक्स के लिए अपनी इज्ज़त का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी जो मुझे वैसे भी कम पसंद था !
फिर जीजाजी ने मुझे एक योजना बताई- मैं तेरी दीदी को तेरे गाँव लेकर आता हूँ। फिर हम वहाँ एक रात रुक जायेंगे और दूसरे दिन तू अपनी मम्मी और दीदी को कहना कि ससुराल से कोई चीज लानी है, जीजाजी के साथ बाइक पर जाकर ले आऊँगी और वहाँ तेरे ससुराल में तो कोई होगा नहीं, सब दूर रहते हैं। हम वहाँ थोड़ी देर रुक कर चुदाई करके वापिस आ जायेंगे, वहाँ कोई आएगा तो नहीं?
तो मैंने कहा- वहाँ मैं किसी जेठानी या उनके बच्चों को बुलाती हूँ, तभी आते हैं, वैसे कोई नहीं आएगा, और हाँ, हम ऐसा कर सकते हैं।
तो जीजाजी खुश हो गए !
पर हर बार उनकी और मेरी किस्मत काम नहीं कर सकती , वही हुआ।
जीजाजी रवाना हुए मेरी दीदी के साथ बाइक पर और उसी शहर में रहने वाली मेरी दूसरी दीदी ने कहा- फिर हम सभी चलते हैं, और बच्चे भी !
मेरे छोटे जीजाजी व्यापारी हैं, उनके टाटा सफारी गाड़ी है और उन्होंने गाड़ी-ड्राइवर भेज दिया और अब उस गाड़ी में मेरे जीजाजी, जीजी, छोटी जीजी उनके और बड़ी वाली जीजी के बच्चे यानि पूरी बारात साथ थी !
जब वे आये तो मैं और मेरी मम्मी-पापा बहुत खुश हुए।
बस मायूस लगे मेरे जीजाजी !
पर जैसे उन्होंने हार नहीं मानने की जैसे कसम खाली हो !
हाँ, जो ड्राइवर था, 25-26 साल का, वो भी मुझ पर मरता था, मुझे उसकी आँखों से ऐसा लग रहा था !
उस ड्राइवर ने मोबाईल देखा जो बाहर हाल में चार्ज हो रहा था और उसमें मेरे मैसेज पढ़ने लगा। हालाँकि मेरे मैसेज इन्बोक्स में ऐसा कुछ नहीं था पर मैंने उसे मना कर दिया पर मोबाईल रखते रखते उससे अपने मोबाईल में मिस काल कर लिया !
अब कुछ ठण्ड का समय था, जीजाजी ने उस ड्राइवर को पूछा- तू बाहर बरामदे में सो जायेगा?
तो बोला- बाहर ठण्ड लगेगी !
एक तरफ एक कमरा बना हुआ था जिसमें मेरा भाई पढ़ता रहता है, मैंने कहा- तू वहाँ जाकर सो जा !
वो बुझे मन से वहाँ चला गया ! अब जीजाजी उस हाल में सोने की कोशिश में थे पर मैंने कहा- जो अन्दर दो कमरे हैं, उनमें एक में मेरे मम्मी-पापा सो जायेंगे और एक में आप और दीदी सो जाओ। इस हाल में मैं, छोटी दीदी और सारे बच्चे सो जायेंगे।
अब जीजाजी कुछ न नुकुर कर रहे थे पर मैंने उनको जबरदस्ती उठा दिया और कहा- हम इतने सारे इस हाल में ही सो सकते हैं, उस कमरे में तो नहीं सो सकते !
अब जीजाजी मेरी तरफ हसरत भरी निगाहों से देखते हुए दीदी के साथ उसी कमरे में जाने के लिए तैयार हो गए। मैंने इशारों से उन्हें सख्ती से मना कर दिया था कि कोई कोशिश न करना। क़ल मेरी ससुराल में आपका काम हो जायेगा, पर वे आइसक्रीम-आइसक्रीम कर रहे थे तो मुझे उनका खतरा बराबर बना हुआ था !
उस हाल में एक लकड़ी का तख्त पड़ा था, मैं और मेरा बेटा उस पर लेट गए, मेरी छोटी वाली दीदी और बच्चे नीचे बिस्तर बिछा कर सोने लगे। वैसे तख्ता छोटा ही था पर मैं और मेरे बेटे के सोने के बाद भी थोड़ी जगह बची हुई थी, और मैंने जीजाजी की निगाहों को उस जगह को देखते हुए देख लिया था तो मैंने फटाफट मेरी छोटी जीजी की बेटी को अपने पास तख्ते पर बुला लिया।
जीजी ने कहा- तुम दोनों आराम से सो जाओ !
पर मैंने जीजाजी का रास्ता बंद करने के लिए उस लड़की को भी पास सुला लिया। अब एक तरफ मेरा बेटा बीच में मैं और दूसरी तरफ वो मेरी भानजी !
यानि मेरी जीजाजी से बचने के मोर्चा बंदी पूरी, अब मैं अपने को सुरक्षित महसूस कर रही थी। यह सब जीजाजी को दिखा कर मैंने अपनी सेक्स के प्रति अनिच्छा जता दी थी पर मुझे पता था जीजाजी सारी मोर्चाबंदी ध्वस्त कर देंगे।
वैसे मैं कभी बिना चड्डी नहीं रहती हूँ पर जिस दिन जीजाजी मेरे साथ रहते हैं, उस दिन मैं चड्डी पहनती ही नहीं हूँ बस मैक्सी, ब्रेजरी और पेटीकोट पहन कर मैं सो गई और जीजाजी को जीजी के साथ उस कमरे में सोने भेज दिया जिसमें मैंने उस दिन जीजाजी से चुदवाया था।
थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई !
कोई रात के 12 बजे होंगे कि मुझे लगा मेरी टांगों पर कोई हाथ फेर रहा है। मैंने आँखे खोली तो मैंने देखा कि हाल में बाहर बरामदे से कुछ प्रकाश आ रहा है, सब नींद में सोये हुए हैं और जीजाजी शाल ओढ़े हुए और लुंगी लगाये हुए मेरे पैरों की तरफ खड़े खड़े मेरी जांघों पर हाथ फेर रहे थे।
मैंने अपना सर धुन लिया और उन्हें इशारों से उन्हें वापिस कमरे में जाने के लिए कहने लगी पर वे बार बार धीरे धीरे मिन्नत भरे स्वर में मुझसे आइसक्रीम खिलाने की कह रहे थे। मैंने भी थक हार कर सोते सोते ही अपनी मैक्सी ऊपर खींच ली नीचे वैसे भी मैंने कुछ नहीं पहना था तो मेरी चूत निरावृत हो गई, मैंने मैक्सी एक तरफ से ही खांची थी इसलिए मेरी पूरी जांघें नहीं उघड़ी थी सिर्फ हल्की सी चूत की झलक जीजाजी को मिल गई थी। वे वहाँ खड़े खड़े ही मेरी चूत पर झुक गए और अंगुली से मेरे दाने को सहलाने लगे।
मैंने भी उस स्थिति में जितनी टांगें खोल सकती थीम खोल ली और जीजाजी का मुँह मेरी जांघों में घुस गया, उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थी और फिर मेरे चूत के छेद में घुस कर अन्दर-बाहर हो रही थी !
जीजाजी की जीभ मेरी चूत में अन्दर और अन्दर जा रही थी, उनके होंट मेरे चूत के दाने को रगड़ रहे थे, उनकी गर्म सांसें मेरी चूत के अन्दर तक महसूस हो रही थी और चूत चाटने के दौरान उनके मुँह से जो लार गिर रही थी वो मेरी चूत से फिसल कर मेरी गुदा द्वार से होती हुई नीचे बिस्तर में जज्ब हो रही थी और उस लार के साथ मेरे स्खलन का पानी भी शामिल था जिसका एक धब्बा सा बिस्तर पर बन गया था !
मैं भी आनन्द में अपने घुटने मोड़े मोड़े ही टांगें उठा रही थी और जीजाजी के दोनों हाथों के पंजे मेरी दोनों नंगे जांघों पर गड़ से रहे थे, उनकी अंगुलियाँ और नाख़ून जैसे मेरे मांस में घुसे जा रहे थे पर मुझे आनन्द की अधिकता से उसका दर्द महसूस नहीं हो रहा था !
अब तक मैं दो बार पानी छोड़ चुकी थी और उन्हें चूसते चूसते दस मिनट हो गए थे, अब शायद उनका मुँह दुःख रहा था इसलिए वे रुक रुक कर चाट रहे थे और शायद झुके झुके उनकी कमर भी दर्द करने लगी थी, आखिर उम्र का असर तो रहता ही है। पर उन्हें मेरी चूत चटवाने की कमजोरी का पता चल गया था, मुझे भी अपनी इस कमजोरी का पता तब चला था कि चूत चाटने पर मैं आत्मसमर्पण कर देती हूँ जब पहली बार उन्होंने एक तरह से मेरा देह शोषण ही किया था !
चूत चाटने में तब भले ही मेरा सेक्स का मन नहीं हो पर इससे मैं डिस्चार्ज हो जाती हूँ !
अब जब मैं डिस्चार्ज हो गई तो मुझे वहाँ की स्थिति का ज्ञान हुआ, मैं उन्हें रोकना और वापिस कमरे में भेजना चाहती थी क्योंकि में अपने इज्जत के मामले में कोई समझौता नहीं करना चाहती थी और मेरी इज्जत में उनकी इज्जत भी तो शामिल थी। वहाँ किसी को पता चलना मतलब मेरे साथ उन्हें भी नीचा देखना पड़ता !
अब मैंने उनको इशारों से वापिस जाने का कहा !
वे मुझे कन्धों से पकड़ कर बैठा कर रहे थे फिर मैंने बैठे हो कर देखा जीजाजी का लण्ड अंडरवियर और लुंगी में होने के बाद भी खड़ा होकर लुंगी को तम्बू बना रहा था पर अब मुझे इस समय उससे कोफ़्त हो रही थी, यह कोई जगह नहीं थी इस काम के लिए !
मैंने कहा- क्या है? अब आप जाओ ! मैंने आपकी बात रख दी आइसक्रीम खाने वाली, वो आपने पेट भर कर खा ली अब आप जाओ !
वे मुझे मिन्नत से धीरे धीरे कह रहे थे, कह क्या रहे थे, सिर्फ हम फुसफुसा रहे थे कि एक बार नीचे आकर चुदा लो। उन्होंने अपने लुंगी की अंटी से कंडोम भी निकाल लिया था। मैंने सोचा कि जनाब पूरी तैयारी के साथ आये हैं !
पर मैंने गुस्से से कहा- कहाँ चुदवाऊँ? यहाँ जगह तो नहीं है ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने अपने पास भांजी को सुलाया था, उस बात से मैं मन ही मन खुश थी, वर्ना वे मेरे पीछे उस तख्ते पर सो जाते !
अब मैंने उन्हें फिर फुसफुसा कर कहा- अब आप चले जाओ !
पर उनके मिन्नतें चलती रही तो मुझे गुस्सा आने लग गया ! मैंने उनको चेतावनी दी कि अगर आप अभी यहाँ से नहीं जाते हो तो में आपसे मेरे रिश्ते तोड़ लूंगी !
और कहावत भी कह दी- आधी छोड़ पूरी को ध्यावे, आधी मिले न पूरी पावे ! अब अगर नहीं गए तो जो ये आइसक्रीम मिली वो भी कभी नहीं मिलेगी !
अब जीजाजी ने हथियार डाल दिए उनके चेहरे पर उनकी वासना पूर्ति नहीं होने का गुस्सा झलक रहा था। शायद वे मुझे कुछ कहना चाहते थे पर उन्होंने अपने मन बात दबा ली और चुपचाप अपने कमरे की तरफ रवाना हो गए और मुझे भी बहुत गुस्सा था उन पर इसलिए उस वक़्त मुझे कोई दया नहीं आई।
मैंने सोचा कही फिर से ना आ जायें, इसलिए हाल का दरवाज़ा बन्द किया, दायें-बायें जो मेरे पहरेदार सो रहे थे, उन्हें अच्छी तरह अपने पास सुलाया और सो गई। हालाँकि 4-5 बजे मेरी भांजी तख्ते से नीचे अपनी मम्मी पर गिर गई थी पर मैं चैन की नींद सोती रही और छः बजे ही जगी !
सुबह मैं उठी तब मुझे अपने बर्ताव पर कुछ दुःख हुआ और मैंने सोचा कि मैंने तो स्खलित होने के मज़े ले लिए और बेचारे जीजाजी रह गए !
अभी तक वे उठे नहीं थे, बड़ी दीदी ने चाय बनाई थी और उन्होंने मुझे कप देकर कहा- अपने जीजाजी को उठा कर चाय दे आ !
मैं चाय लेकर गई और जीजाजी को उठाया। मेरे उठाने पर वे उठ गए और कमरे में कोई नहीं था इसलिए मैंने उनके गाल पर चुम्बन दिया। चुम्बन देते ही वो रात का गुस्सा भूल मुस्कुराने लगे, फिर बोले- तेरे पास से आने के बाद यह जो पलंग और दीवार के पास जगह है उस पर बिस्तर डाल कर उस पलंग से तेरी दीदी को उठाया और तेरा सारा गुस्सा उस पर निकाल दिया और उसकी जम कर चुदाई की !
मुझे हंसी आ गई- अरे तब तो अच्छा रहा, मेरी दीदी को आनन्द आ गया होगा !
वे बोले- मैंने उसे इतनी बुरी तरह से चोदा कि वो 7-8 मिनट तक तो मेरे हाथ पांव जोड़ती रही, करहाती रही। फिर कोई उसे आनन्द आया होगा तब तक उसका चेहरा आँसुओं से भीग गया था।
पर सेक्स पूरा होते होते उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी और बार बार पूछ रही थी- आज आपमें कोई भूत-प्रेत घुस गया क्या?
अब मैं उसे क्या बताता कि तेरी छोटी बहिन ने यह मुसीबत तेरे लिए भेजी है !
मैंने हंस कर कहा- अरे, तब तो अच्छा हुआ कि दीदी के आनन्द स्रोत खुल गए, औरत के दर्द में मज़ा भी रहता है इसलिए मेरी दीदी को इस बुढ़ापे में आनन्द मेरे कारण आया है तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई और आपका पानी भी निकल गया यह दोहरी ख़ुशी की बात है ! आपको भी फिर आराम से नींद आई होगी मेरी तरह !
और हम जीजा साली की इन हंसी मुस्कुराती बातों से रात के सारे गिलेशिकवे दूर हो गए और मैंने हंस कर कहा- तभी दीदी आज अकड़ी अकड़ी चल रही है, आपने उन्हें तूफानी रफ़्तार से और लम्बे समय तक चोदा है !
और फिर मैं किसी के आने की आहट से उनके कमरे से बाहर आ गई।
अभी जीजाजी को मुझे चोदने की एक आस और बाकी थी और उन्होंने कहा- अभी गाड़ी लेकर तुम और मैं तुम्हारे गाँव चलेंगे और वहाँ इस ड्राइवर को गाड़ी में बैठा रखेंगे और अपन अन्दर कुछ मस्ती कर लेंगे !
मैंने उन्हें कोई जबाब नहीं दिया, सिर्फ मुस्कुराती रही। मुझे पता था कि बाइक पर तो जीजी मुझे और जीजाजी को मेरे गाँव भेज देती, अब इतनी बड़ी गाड़ी है फिर वो हम दोनों को ही क्यों भेजेगी, अब तो वे सब ही साथ ही चलेंगे।
और वही हुआ, सारी बारात साथ रवाना हुई और उस बारात में मेरे भाई के रूप में और बढ़ोतरी हो गई। अब जीजाजी के सारे अरमान धुल चुके थे।
और हम रवाना हुए तो मेरी मम्मी ने कहा- यहाँ से दूध ले जा ! वहाँ कम से कम इन्हें चाय तो पिला देना।
मेरे जीजाजी पहली बार ही आये थे और मेरे नया मकान बना था, एक कमरे में एक चारपाई बिछी थी, उसे वो बड़े हसरतों से देख कर बोले- काश मैं और तुम इस चारपाई पर कुछ देर सोते !
मैंने मुस्कुरा कर कहा- आज यह आपकी किस्मत में नहीं है ! इस पर मेरे साथ सोने वाला परदेस में है, आपका नंबर नहीं आएगा इस चारपाई पर कूदने का !
उनका चेहरा मायूस हो गया !
कहानी जारी रहेगी।
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