पड़ोसन भाभी ने अपनी बहन की चूत दिलायी-2

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दोस्तो, कैसे हो सब? मैं एक बार फिर से सभी लड़कों के लंड और लड़कियों की चूतों को गर्म करने के लिए आ गया हूं. इस कहानी का ये अंतिम भाग है जिसमें आपको बहुत मजा आने वाला है.

भाभी की चूत चुदाई कहानी के पिछले भाग पड़ोसन भाभी ने अपनी बहन की चूत दिलायी-1 में मैंने आपको बताया कि कैसे भाभी ने मेरे बच्चे को जन्म दिया और मैंने भाभी की चूची का दूध पीया और भाभी को अपने लंड का माल पिलाया.

शिवानी भाभी (बदला हुआ नाम) ने मुझसे अपनी बहन की चूत चुदाई करवाने की बात भी कही. भाभी ने अपनी बहन आरती (बदला हुआ नाम) को घर बुला लिया और मुझे कहा कि मैं आरती को बाहर घुमाने के लिए ले जाऊं.

अब आगे की कहानी:

आरती और मैं दोनों तैयार हो गये थे. मैं आरती को बाइक पर लेकर जाने वाला था. हम दोनों नीचे आ गये. मगर मैं अपने हेलमेट को ऊपर ही भूल गया. मैंने आरती से कहा कि तुम 2 मिनट रुको, मैं ऊपर से हेलमेट लेकर आता हूं. वो बोली- ठीक है, जल्दी आना.

मैं ऊपर गया तो भाभी अपने कमरे में आराम कर रही थी. भाभी मुझे देख कर बोली- शुभम, आज तुम्हें किसी भी तरह इसकी चुदाई करनी ही है. मैंने कहा- ठीक है भाभी, आज मैं आपकी बहन चोद दूंगा. वो मेरी बात पर हँस पड़ी.

भाभी के होंठों पर मैंने अपने होंठ रख दिये और उनको लिप किस करने लगा. फिर मैंने भाभी की चूची को नंगी किया और उसके बूब्स पर मुंह लगा कर दूध पीने लगा. तभी नीचे से आरती आवाज देने लगी. मैं फिर भाभी को हग करके नीचे आ गया.

नीचे आते ही आरती बोली- बहुत टाइम लग गया हेलमेट लाने में? मैंने कहा- क्या करता, हेलमेट मिल ही नहीं रहा था. बहुत ढूंढने के बाद मिला. वो बोली- ठीक है. अब चलो. जल्दी चलो, नहीं तो मूवी छूट जायेगी. मैंने बाइक निकाली और आरती दोनों ओर पैर करके बैठ गयी जैसे लड़के लोग बैठा करते हैं.

हम दोनों निकल लिये. रास्ते में थोड़ी दूर चलने पर ही आरती मेरी पीठ से चिपकने की कोशिश करने लगी. जैसे ही ब्रेक लग रहा था वो मेरी पीठ से चिपक रही थी.

उसकी चुदास समझ कर मैंने भी बाइक को जानबूझकर गड्ढे में से निकालना शुरू कर दिया. जैसे ही गड्ढे से बाइक निकलती तो आरती की चूचियां मेरी पीठ से सट जाती थीं. वो भी अपनी चूचियों को मेरी पीठ से रगड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी.

मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मन कर रहा था कि उसको रास्ते में ही चोद दूं लेकिन बीच सड़क में चुदाई नहीं हो सकती थी. फिर वो बोली- ऐसे गड्ढे से बाइक मत निकालो, वरना मैं ऐसे ही चिपकती रहूंगी. मैंने कहा- अगर तुम पहले ही चिपक जाती तो मुझे इस तरह गड्ढे से बाइक निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

यह सुनकर आरती ने अपनी छाती को मेरी पीठ से चिपका लिया. वो पूरी तरह से मेरी पीठ से अब सट कर बैठ गयी. मैं समझ गया कि ये लाइन पर आ गयी है.

जल्दी ही हम लोग मॉल में पहुंच गये. हमने गाड़ी को पार्किंग में लगा दिया. उसके बाद ऊपर गये और मूवी की टिकट लेने लगे. मैंने पूछा- टिकट कौन सी सीट की लेनी है, आगे की या पीछे कोने वाली सीट की? वो बोली- पीछे कोने वाली सीट की. मैं मुस्करा दिया.

हम लोग अंदर जाकर बैठ गये. बैठ कर बातें करने लगे. मूवी अभी शुरू नहीं हुई थी. मैंने आरती से पूछा- तुम्हें मैं पसंद आ गया क्या जो मेरे से इस तरह चिपक रही थी?

पहले तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया, फिर वो बोली- हां. मुझे तो अच्छे लगे लेकिन तुम्हें मैं अच्छी लगी या नहीं ये मुझे नहीं पता. मैंने कहा- अगर तुम मुझे अच्छी नहीं लगी होती तो मैं तुम्हें मूवी दिखाने के लिए नहीं लेकर आता. मेरी बात पर वो मुस्करा गयी.

उसके बाद हम लोग मूवी देखने लगे. मूवी को लगे हुए काफी टाइम हो गया था. कम लोग ही आये हुए थे. हमने आसपास देखा तो कोई नहीं था. दूसरी तरफ कोने में दो कपल ही बैठे हुए थे.

मूवी के दौरान मैं कभी उसको किस कर देता तो कभी उसकी चूचियों को छेड़ देता. वो दिखावटी सा नखरा कर रही थी लेकिन रोक नहीं रही थी. फिर मैंने उसकी टीशर्ट में हाथ डाल दिया.

उसकी चूचियों को जोर से दबाने लगा. उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं जिनको वो कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी. मैंने उसकी टीशर्ट को बिल्कुल ऊपर कर दिया और उसकी ब्रा को भी ऊपर करके उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा.

वो मेरे बालों को सहलाने लगी. अंधेरे सिनेमा हॉल में लड़की की चूचियों को पीने का अलग ही मजा आ रहा था. मैंने उसकी जीन्स की ओर हाथ बढ़ाये तो वो रोकने लगी. मैंने कहा- जीन्स ढीली करो.

उसने जीन्स का बटन खोल दिया. मैंने अंदर हाथ देकर उसकी चूत में उंगली दे दी. साली की चूत पहले से ही बहने लगी थी. वो एक नम्बर की चुदक्कड़ लड़की थी. अब मुझे शिवानी भाभी की बात का पूरा यकीन हो गया था.

मैं उसकी चूत के पानी को अपनी उंगली से निकाल कर चाट रहा था. कुछ देर तक मैंने ऐसे ही उसकी चूत में उंगली डाल कर उंगली को चाटा. उसके बाद मैंने उसको जीन्स सही करने के लिए कहा.

उसने जीन्स ऊपर कर ली. फिर मैंने उसको अपने पैरों में बैठने के लिए कहा. वो एक बार कहते ही मेरे पैरों में आकर बैठ गयी. मैंने उसको अपनी जीन्स की जिप खोलने के लिए कहा तो उसने जिप भी खोल दी.

फिर उसने अंदर हाथ डाल दिया. मेरा लौड़ा तना हुआ था. मैंने लंड को बाहर करने के लिए कहा. उसने मेरे लंड को पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैंने उसको लंड चूसने के लिए कहा तो उसने एक बार में ही मेरा लंड पूरा मुंह में ले लिया.

वो तेजी से मेरे लंड को चूसने लगी. पूरा लंड मुंह में लेकर वो मस्ती से चूस रही थी. साली एकदम से रंडी की तरह चूस रही थी. उसको लंड चूसने का बहुत एक्सपीरियंस था. बहुत सारे लंड चूस चुकी होगी ऐसा लग रहा था उसकी चुसाई को देख कर.

उसके द्वारा लंड चुसाई करवाने में मैं 5 मिनट भी नहीं टिका और मैं उसके मुंह में ही झड़ गया. वो मेरे लंड का पूरा पानी पी गयी. उसने मेरे लंड को जीभ से चाट चाट कर साफ कर दिया.

तब तक इंटरवल का टाइम होने वाला था. मैंने कहा- जब तक इंटरवल हो, तुम बाथरूम में जाकर अपनी ब्रा और पैंटी उतार लाना. उतार कर बैग में रख लेना. उसने वैसा ही किया.

इंटरवल के दौरान वो ब्रा और पैंटी को उतार कर आ गयी. मैंने पहले उसकी चूचियों को पीया और फिर उसकी चूत को चाटने की कोशिश की लेकिन सीट के आगे जगह कम थी इसलिए चूत चाटने का हो नहीं पाया.

फिर मैं दोबारा से उसकी चूचियों पर लग गया. उसकी चूचियों को खूब दबाया और मसला. वो सिसकार रही थी लेकिन मूवी की आवाज में किसी को पता नहीं लग रहा था. अब मैं उसकी चूत मारना चाह रहा था. मैंने कहा- चलो घर चलते हैं. वहां पर मस्ती करेंगे. वो बोली- घर पर तो दीदी है, वहां कैसे होगा? मैं बोला- तुम बहाना मार कर मेरे रूम में आ जाना. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.

आरती तैयार हो गयी अपनी चूत चुदवाने के लिए. हम दोनों जल्दी से घर वापस आ गये. घर आकर मैंने शिवानी भाभी को सारी बात बताई. भाभी बोली- बहुत अच्छे, अब उसकी चूत को जमकर चोदना. उसकी चूत को फाड़ देना. मैंने कहा- हां भाभी, उसकी चूत की प्यास को बुझा दूंगा मैं आज.

फिर मैं अपने रूम में आ गया. थोड़ी देर के बाद मैं भाभी के पास गया. आरती भी वहां बैठी थी. मैंने नाटक सा करते हुए भाभी से कहा- मैं और आरती मेरे रूम में कुछ बातें करने के लिए जा रहे हैं. भाभी बोली- ठीक है. कर लो.

भाभी को पता था कि उसकी बहन की चुदाई का प्लान बन चुका है. मैं और आरती रूम में आ गये. हमने दरवाजे को लॉक किया और एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े. दो मिनट में ही हमने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया.

मैंने आरती की टांगों को फैला दिया और उसको बेड पर लिटा कर उसकी चूत में मुंह दे दिया. उसकी चूत पहले से ही पानी छोड़ कर गीली हो गयी थी. मैंने पूरी जीभ भाभी की बहन की चूत में दे दी और तेजी से उसको चोदने लगा.

कुछ ही देर में आरती की चूत ने पानी छोड़ दिया. उसके बाद वो मेरे लंड को चूसने लगी और पांच मिनट में ही उसने मेरे लंड का पानी निकलवा दिया जिसे वो अंदर मुंह में ही पी गयी. फिर हम दोनों शांत लेट गये.

थोड़ी देर एक दूसरे के नंगे जिस्मों को सहलाने के बाद दोनों फिर से गर्म हो गये. मैंने अपने लंड पर कॉन्डम लगा दिया और आरती की चूत चोदने लगा. मेरे लंड के तेज धक्कों से उसकी तेज चीखें निकलने लगीं. मैंने उसको आवाज कम करने के लिए कहा. वैसे भाभी को पता था कि उसकी बहन अंदर कमरे में चुदने के लिए गयी है.

दस मिनट की चुदाई में आरती एक बार फिर से झड़ गयी. फिर मैं भी झड़ गया. उसके बाद वो कपड़े पहन कर चली गयी. जाते हुए मैंने उसको बोला कि रात को भैया-भाभी के सोने के बाद आना. वो हां करके चली गयी.

भाभी के पास जाकर मैंने उनको बताया कि उनका काम हो गया है. मेरी बात सुनकर भाभी खुश हो गयी. मैंने कहा- वो रात में फिर से चुदने के लिए आयेगी. भाभी बोली- ठीक है, मैं तुम्हारे भैया को पता नहीं लगने दूंगी. वैसे वो रात में नहीं रहेंगे. तुम आराम से उसकी चूत चोदना.

रात को 12 बजे आरती मेरे रूम में आयी. उस रात मैंने तीन बार उसकी चूत चोदी. तीन दिन तक आरती की चुदाई चलती रही. भाभी को सब पता था कि उसकी चुदाई कैसे हो रही है. एक दिन भाभी बोली- शुभम, मेरा मन तुम्हारा माल पीने के लिये कर रहा है. तुम एक कॉन्डम में अपना माल भर कर दे दो.

मैंने वैसा ही किया. भाभी को कॉन्डम में वीर्य भर कर दे दिया. मैंने पूछा- आपने क्या किया उस पानी के साथ? भाभी बोली- बाद में बताऊंगी.

चौथे दिन आरती अपने घर जाने लगी. जाने से पहले वो मेरे रूम में मिलने के लिए आयी. हम दोनों बातें करने लगे. आरती बोली- मैं आपको बाद में घर जाकर कॉल करूंगी. मैंने कहा- ओके, मुझे तुम्हारे फोन का इंतजार रहेगा.

मैं बोला- एक बार जाते हुए प्यार नहीं करोगी? वो बोली- अगर दीदी आ गयी तो? मैंने कहा- तुम्हारी दीदी को मैं कह कर आता हूं कि आरती के साथ मैं कुछ बात कर रहा हूं.

ये बोल कर मैं शिवानी भाभी के पास गया और उनसे कहा कि मैं आपकी बहन की चुदाई करके थोड़ी देर में वापस भेज रहा हूं. भाभी बोली- ठीक है, लेकिन आज उसको ऐसे चोदना कि उसको चलने में भी दिक्कत हो जाये. मैंने कहा- ठीक है.

उसके बाद मैं रूम में आ गया. मैंने आते ही आरती के कपड़े उतार दिये. उसको नंगी कर दिया. नंगी करने के बाद मैं उसकी चूचियों को पीने लगा. उसके बूब्स को काटने लगा. वो मस्ती में हो गयी. उसके बाद मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी.

आरती ने मुझे नीचे बेड पर लिटा लिया और मेरे लंड को चूसने लगी. पांच मिनट तक उसने मेरे लंड को बहुत मस्ती में चूसा. फिर मैंने उसकी चूत में जीभ से चाटा और वो झड़ गयी.

उसके बाद मैंने अपने लौड़े पर कॉन्डम लगा दिया. मैंने उसकी चूत में लंड डाला और जोर से चोदने लगा. अबकी बार मैंने उसको बहुत जोर से चोदा. वो चिल्लाने लगी- आआआ … आह्ह … लग रहा है अंदर, आराम से करो, आई … ईईई … आह्ह … आराम से करो शुभम।

मैंने उसकी नहीं सुनी. मैं उसकी चूत को उतनी ही स्पीड से चोदता रहा. 20 मिनट तक मैंने उसकी चूत को खूब चोदा बिना रुके हुए. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये.

कॉन्डम मेरे वीर्य से भर गया था. मैंने लंड को बाहर निकाल लिया. मैंने उसको वीर्य से भरा कॉन्डम दिया और उसको पीने के लिए कहा. वो मेरे माल को पी गयी.

फिर वो उठने लगी. मैंने कहा- जान… एक बार गांड भी चोदने दो. वो बोली- अब जब मैं दोबारा आऊंगी तब चोद लेना. मैंने कहा- ठीक है. वो फिर बाथरूम में गयी साफ करने के लिए.

उसके बाद वो तैयार होकर जाने लगी. मैंने कहा- मैं तुम्हें बस डिपो तक छोड़ देता हूं. वो बोली- ठीक है चलो. हम दोनों साथ में गये और मैं उसको छोड़ कर आ गया.

आते ही मैं भाभी के पास गया. भाभी बोली- जी भर कर चोद दिया न उसको? मैं बोला- हां भाभी, जैसे आपने कहा था वैसे ही चोद दिया आपकी बहन को. मगर आपने ये चुदाई करवाई क्यों? वो बोली- जब रात में साथ में सोयेंगे, तब बताऊंगी.

फिर मैंने कहा- भाभी, बहुत थकान हो रही है. अपना दूध पिला दो. भाभी ने अपनी चूची खोल दी. मैं भाभी की चूची पीने लगा. मैं भाभी का दूध पीया और थोड़ी ताकत मिली.

भाभी की चूची पीकर मैं जाने लगा तो भाभी बोली- अपना माल तो पिला दे! मैंने कहा- अभी तो बहुत थका हुआ हूं. आपकी बहन भी दो बार पी गयी. अभी और नहीं बचा है. रात में पिला दूंगा. वो बोली- ठीक है.

वहां से जाकर मैं अपने रूम में जाकर सो गया. उसके बाद रात को 8 बजे मेरी नींद खुली. मैं उठा और फ्रेश हुआ. भाभी अपने बेटे के साथ खेल रही थी. मैं भाभी के पास गया.

उसके बाद भाभी ने हमारे बेटे को मुझे दे दिया और किचन में चली गयी. खाना खाने के बाद हम दोनों साथ में लेट गये. मैंने भाभी की चूचियों को छेड़ते हुए पूछा- अब बताओ भाभी कि आपने अपनी बहन की चुदाई मेरे से क्यों करवाई?

भाभी बोली- उसकी चूत मैंने इसलिए चुदवाई क्योंकि उसने मेरी जिंदगी खराब की है. मैंने कहा- वो कैसे? भाभी बोली- मैंने इसको तुम्हारे भैया के साथ दो बार सेक्स करते हुए देखा है. उस दिन के बाद से मुझे ये पसंद नहीं है. इसीलिये मैं इसको यहां नहीं बुलाती हूं.

वो बोली- जीजा-साली की चुदाई एक साथ मिलते ही शुरू हो जाती है. अब भी मैंने इसको तुम्हारे भैया कि गैरमौजूदगी में बुलाया है. अगर वो होते तो मैं इसको नहीं बुलाती. ये अपने जीजा के लंड को भी चूत में ले जाती है. मुझसे ये बर्दाश्त नहीं होता है.

इतना कहते हुए भाभी रोने लगी. मैंने भाभी को चुप करवाया. उसके बाद मैंने भाभी को लिप किस किया. हम दोनों गर्म हो गये. मैंने भाभी की चूची नंगी कर ली और पीने लगा.

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुठ मारने लगी. मैं भाभी की चूची चूस रहा था और वो मेरे लंड को रगड़ रही थी. फिर शिवानी भाभी ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. दस मिनट तक भाभी ने मेरे लंड को मजे से चूसा.

मैं भाभी के मुंह में ही झड़ गया. भाभी मेरे माल की बूंद-बूंद पी गयी. उसके बाद हम दोनों लेट गये. मैंने भाभी की चूत को छेड़ना शुरू कर दिया. फिर उसकी चूत को चाटते हुए मैंने कहा- भाभी मुझे आपकी रबड़ी पीना है. वो बोली- बाद में पी लेना. अब मैं थक रही हूं.

उसके बाद हम दोनों साथ में लिपट कर सो गये. फिर अगले दिन भैया भी घर आ गये. उसके बाद रोज का वही रुटीन हो गया. अब भैया के सामने कुछ नहीं हो पाता था. मैं अपने ऑफिस चला जाता था और भाभी हमारे बेटे के साथ बिजी हो जाती थी.

दोस्तो, यह कहानी यहीं पर खत्म होती है. कहानी में आपको मजा आया हो तो मुझे अपने मेल के जरिये जरूर बतायें. आप कहानी पर कमेंट करना भी न भूलें.

अगली कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे शिवानी भाभी ने मुझे नीचे वाली भाभी की चूत भी दिलवाई. दो-दो भाभी की चूत मैंने कैसे चोदी, इस बारे में जानने के लिए थोड़ा इंतजार करें. मुझे आप लोगों के रेस्पोन्स का भी इंतजार है. [email protected]

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