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मेरा नाम कुमार है, मुम्बई में रहता हूँ। मुम्बई में ही मेरी एक गर्लफ़्रेंड है मोनिषा बसु, बहुत सुन्दर और सेक्सी है। मैं उसकी चुदाई अक्सर करता रहता हूँ और उसके बिना मुझे चैन भी नहीं आता है। पर यह कहानी मेरी मित्र मोनिषा की नहीं है बल्कि उसकी मॉम की है।
एक बार मैं मोनिषा के घर उसके बिना बताये पहुँच गया था। मोनिषा ने कोई बहाना बना कर मुझे बैठक में बैठाया और फिर वो मुझे पर बहुत नाराज हुई। वो नहीं चाहती थी कि मैं उसके घर आऊँ और सबकी नजर मुझ पर पड़ जाये। वो मुझसे छुप छुप कर ही मिलती थी और उसी तरह की चुदाई करवाने में उसे मजा आता था। तभी मोनिषा की मॉम बैठक में आ गई। मोनिषा ने मेरा परिचय एक मित्र के रूप में कराया।
मोनिषा की माँ मोनिषा की तरह ही रूपवती थी। कोई चालीस वर्ष के लगभग होगी वो। बड़े बड़े नयन, तीखी दिल में चुभ जाने वाली तेज आँखें, सुती हुई नाक, पतली कमर, मस्त चूचियाँ, उफ़्फ़ गाण्ड की गोलाई… कितनी मस्त… बस दिल करने लगा कि अपना लण्ड निकाल कर उसमे घुसेड़ दूँ।
उसकी मॉम ने भी मेरे देखने के अन्दाज से समझ लिया था कि मैं भी लौंडियाबाज़ हूँ, तभी उसकी मॉम ने मुझसे कहा- कुमार जी, मैंने कुछ कहा… आपका ध्यान किधर है?
“ओह… माफ़ करना मॉम… मैं कुछ सोचने लग गया था। फिर से प्लीज कह दीजिये।” “आप ठण्डा, गर्म कुछ लेंगे?” “बस, धन्यवाद… मुझे जल्दी जाना है, प्लीज आप बैठिये ना!” “नहीं, बस मुझे भी अब निकलना है… आप आते रहिये।”
उनकी नजरों से लगा कि शायद वो यह भी जान गई थी कि यदि मैं लौण्डियाबाज़ हूँ तो उसकी बेटी तो जरूर ही चुद चुकी होगी। मोनिषा की मॉम इतना कह कर कूल्हे मटकाते हुये चल दी। उफ़्फ़्फ़ साली दिल को चीर गई… क्या मस्त चाल थी, मेरा तो दिल निकाल कर रख दिया। मॉम की अदाओं से मुझे मालूम चल गया था कि मॉम की चूत में और उनकी गाण्ड में मेरे लण्ड के लिये काफ़ी जगह है। “ऐ, क्या देख रहे हो? मोनिषा ने तीखी आवाज में कहा” “अरे यार, तेरी मॉम है या जादू… बिलकुल तेरे जैसी, कड़क माल…!” “अब बद्तमीजी नहीं कुमार!”
मैं उसकी मॉम की सुन्दर यादें संजोये हुये, तड़पते दिल को लेकर मोनिषा के यहाँ से चला तो आया, पर घायल दिल हाय हाय करता रहा। शायद पहली नजर में दिल चला जाना इसी को कहते होंगे। अब मैं मोनिषा की मॉम के चक्कर में रोज उसके घर जाने लगा। उसकी मॉम कभी मिलती और कभी नहीं मिलती। क्या करूँ, क्या ना करूँ, समझ में नहीं आ रहा था।
पर अचानक एक ख्याल मेरे दिमाग में कौंध गया। मैं तुरन्त उसे अमल में लाया। मोनिषा के अन्दर कमरे में जाते ही मैंने उसका मोबाईल उठाया और जल्दी जल्दी उसकी मॉम का नम्बर ढूंढने लगा। फिर जल्दी से मैंने उसे कागज में लिख लिया। मोनिषा के आते ही मैं जाने के लिये उठ खड़ा हुआ। मुझे अब बात करने की जल्दी जो थी। मैंने मोनिषा को जल्दी जल्दी दो बार उसके होंठों को चूमा और बाहर निकल आया।
“अब रोज रोज आना बन्द करो, मुझे मरवाओगे क्या?” “ओह बाबा, ठीक है, रोज रोज नहीं आऊँगा अब!”
मैंने घर आकर मोनिषा की मॉम को फ़ोन लगाया। फ़ोन बार बार कट रहा था, कोई रेस्पॉन्स नहीं था। मैं बहुत निराश हुआ।
एक दिन मैं मोनिषा के साथ एक मॉल में कुछ खरीदने गया था। अचानक मेरा दिल धड़क उठा। उसकी मॉम वहीं मॉल में मिल गई। मॉम एक मीठी मुस्कराहट के साथ मुझे देखा तो मैं हड़बड़ा गया। कसे हुये चूतड़, केट वॉक जैसी चाल ने एक बार फिर से मेरे दिल पर चाकू छुरियाँ चला दी। इस बार उसकी मॉम ने मुझे गहराई से देखा जैसे मेरे शरीर को नाप तौल रही हों। “आफ़्टरनून मॉम्…” “हाय… कैसे हो?” “आप यहाँ कैसे? अरे वो मोबाईल की सिम खरीदने आई थी, ना जाने पुरानी वाली ने कैसे काम करना बन्द कर दिया। “लाईये मैं ले आता हूँ, वो सामने मेरे दोस्त की शॉप है।”
मैंने अपने मित्र की शॉप से उन्हें सिम दिलवा दी। मॉम ने पेपर साईन करके और फोटो दे कर वो चली गई। मैंने वो पेपर पूर्ण करवाये। मैंने मॉम के फोटो की एक कॉपी और निकलवा ली और अपने पर्स में रख ली। नये नम्बर को अपने मोबाईल में भी स्टोर किया और चला आया। शाम को मैंने धड़कते दिल से मॉम को फोन किया। “मॉम, मैं कुमार…” “ओह कुमार, कैसे हो?” “सिम तो अच्छी तरह चल रही है ना?” “जी हाँ, आपका बहुत बहुत धन्यवाद कुमार जी। घर आइएगा।” “जरूर मॉम, कोई काम हो तो बताना?” “अरे हाँ! मुझे हेयर ड्रायर चाहिये था, क्या दिलवा दोगे मुझे?”
मेरा दिल उछल पड़ा, मॉम ने मुझे बुलाया! यह क्या हो गया? “हाँ, जरूर मॉम! मैं अभी आता हूँ!” “नहीं नहीं कुमार जी, आप मत आइये, मैं ही आती हूँ, आपको पिक कर लूंगी।” “जी… जी… मैं इन्तजार कर रहा हूँ!!”
मैंने तुरन्त कपड़े बदले, परफ़्यूम लगाया, बालों को अच्छी तरह से शैम्पू किया वगैरह वगैरह… इतना तो मैं मोनिषा को पटाते समय भी नहीं सजा संवरा था।
बीस मिनट में कार का हॉर्न बजा। मैं तो कमरे के बाहर ही उनका इन्तज़ार कर रहा था। मैं उनके आते ही कार की तरफ़ लपका। “आ जाओ…”
मॉम ने दरवाजा खोला। एक भीनी सी मदहोश करने वाली महक नथुनों से टकरा गई। मैं मॉम को निहारता हुआ चट से उनकी बगल में बैठ गया। मुझे तो बार बार उनका कोमल शरीर बल खाता हुआ नजर आ रहा था। उनकी मधुर मुस्कान मेरे होश उड़ा रही थी। “अरे बताओ तो कहाँ जाना है?” “वो… वो… मॉम गलत आ गये!” “अरे तो बताते क्यों नहीं…?”
उन्हें मैंने अपने मित्र की दुकान से हेयरड्रायर दिला दिया। वापिसी में उन्होंने एक रेस्तरां पर गाड़ी रोक दी। “वो वाला केबिन खाली है ना…?” “जी मेम…”
बैरा आगे आगे चला और परदा हटा कर उसने हम दोनों को इज्जत से बैठाया। मोमबत्ती को जला कर बिजली बन्द कर दी। मॉम ने दो कॉफ़ी मंगाई। फिर सामने बैठ कर मुझे देखने लगी। “आप ऐसे क्यों देख रही है?” “देख रही हूँ, मेरी बेटी ने तुम जैसा सुन्दर लड़का पसन्द किया है!” “जी, पसन्द नहीं, बस हम दोनों दोस्त हैं।” “बस दोस्त ही? तो क्या रोज रोज मुझे देखने आते हो?” “जी… जी… सॉरी मॉम… आप हैं ही इतनी सुन्दर…!” “फ़्लर्ट कर रहे हो?” “सच मॉम… आप वाकई में बहुत अच्छी हैं!”
मैं मॉम को अपने कब्जे में लेने के लिए सावधानी से बात कर रहा था। वो जयप्रदा जैसी अभिनेत्री सी लगती थी। मस्त भारी गाण्ड, बस लण्ड घुसाने का दिल करने लगा था।
तभी मेरे मन में सनसनी सी फ़ैल गई। मॉम का एक पैर मेरे पैरों से टकरा रहा था। उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुये मेरा पैर धीरे से दबा दिया। मेरा दिल धड़क उठा। मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाया। मैंने दूसरे पैर से उनकी साड़ी में पैर घुसा कर मलमली टांगों को हल्का सा घिस दिया। “कुमार, तुम्हारे घर में और कौन कौन है?” “जी, एक भाई है, एक बहन है और मम्मी-पापा है, पर वो सब गांव में हैं। मैं यहाँ बिल्कुल अकेला किराये के घर में रहता हूँ।” “तो चलो घर चलें, कॉफ़ी पिलाओगे?”
उनके पैर ने मेरे पैर को दबाया। मैं समझ गया लोहा गरम हो रहा है। मॉम की आँखों में नशा तैरने लगा था। उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथों पर रख दिया। मैंने भी जोश में आकर जल्दी से उनका हाथ दबा दिया। “तो चलें?”
मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। बार बार जोर लगा रहा था। मन में खुशी थी कि मॉम तो स्वयं ही चालू निकली। मॉम ने बिल चुकाया और हम घर की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में मैं मॉम की जांघों पर हाथ रख कर बात करता रहा, उन्हें दबाया भी! वो बस मेरे हाथ को हटाती ही रही। फिर मुस्करा कर बोली- बहुत उतावले हो रहे हो? “मॉम, आप चीज़ ही ऐसी हैं!” “अब शान्त बैठे रहो और घर का रास्ता बताओ!”
मैं रास्ता बताता रहा और मेरे कहने पर उन्होंने मेरे घर के सामने गाड़ी को रोक दिया। मैं बहुत इज्जत के साथ उन्हें कमरे में लाया, बिस्तर पर बैठाया। “अभी कॉफ़ी बना कर लाता हूँ!” “अरे कॉफ़ी किसे पीनी है? अभी तो पी थी।”
मॉम के चूतड़ नीग्रो लड़कियों की तरह कसे हुए थे, मेरे लण्ड को पागल कर रहे थे। मॉम की मुस्कराहट मुझे उसे चोदने के लिये बुला रही थी। “मॉम, आपको देख कर लगता है कि मैं आपका गुलाम बन जाऊँ!” “तो जैसा मैं कहूँगी, करोगे?”
मैं उनके नजदीक बैठ गया, दोनों के चेहरे समीप होते गये और अब आपस में हमारे होंठ टकरा गये। “आप कहिये तो क्या करना है?” “अब भी क्या कहने की जरूरत है?”
उफ़्फ़! मॉम के खुशबूदार पत्तियों जैसे होंठ मेरे अधरों से भिड़ गये। उनकी छलकती हुई चूचियाँ मेरे सीने से टकरा गई। मॉम का एक हाथ मेरी गोदी में गिर गया और मेरे लण्ड के मस्त उभार के ऊपर आ गया। “इसे तो सम्हालो! कैसा फ़ूल कर तड़प रहा है?”
मेरे लण्ड पर उनके कोमल हाथों का दबाव मुझमें उबाल ला रहा था। मैंने उन्हे धीरे से बिस्तर पर धक्का देते हुये लेटा दिया और फिर धीरे से टांगें उठा कर मॉम को अपने नीचे दोनो टांगों के मध्य दबा लिया। मॉम सिसक उठी। उनकी मस्त चूचियों को मैंने पहले तो सहलाया। उफ़्फ़! कितनी सधी हुई कड़क चूचियाँ थी। उन्हें दबाने में और मसलने में बहुत ही आनन्द आ रहा था। “अब क्या ऐसे ही करते रहोगे…? अपना लौड़ा तो निकालो?” “मॉम पहले आपके मस्त शरीर का मजा तो ले लूँ, लौड़ा तो चूत में बाद में घुस ही जायेगा।”
पर मॉम को तो चुदना था। उन्होंने जबरदस्ती मुझे नंगा कर दिया और जल्दी से खुद भी नंगी हो गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
आह! मैं तो मॉम का शरीर देख कर स्तब्ध रह गया। चिकना तराशा हुआ बदन, काम की देवी जैसी मूर्ति! पर मॉम को जैसे फ़ुर्सत ही कहाँ थी। उन्होंने मुझे पकड़ा और जोर से बिस्तर पर पटक दिया। “हरामी, साले बस देखता जा रहा है, तेरी तो अभी…”
मॉम ने बड़ी ताकत से मुझे अपने नीचे दबोच लिया। मैं तो बस फ़ड़फ़ड़ाता रह गया। मॉम की चूत क्या भोसड़ा था। बड़ी सी चूत खुली हुई, लपलपाती हुई लाल सुर्ख, लौड़ा लेने को तड़पती हुई।
उनकी चूत ने जोर से मेरे लण्ड पर दो तीन थप थप करके जैसे थपेड़े मारे फिर जाने कैसे मेरा तना हुआ सख्त लण्ड मॉम की चूत को चीरता हुआ भीतर समाने लगा। मॉम ने एक झटके से धक्का मारा। “भेन चोद, ढीले… तेरी तो… लण्ड को चोद कर रख दूंगी!”
फ़च से मेरा पूरा लण्ड पूरा जड़ तक उसे ठोक गया। मैं थोड़ा सा कुलबुलाया पर मॉम ने मुझे समय ही नहीं और गालियाँ देते हुये अपनी चूत मेरे लण्ड पर जोर जोर से पटकने लगी। “मॉम को पटायेगा? साले हरामी, तेरे लण्ड में इतना दम है..लेटे रह साले… चुद ले अब मॉम से भी…!” मॉम की इतनी तेजी उन्हीं को मार गई और वो चीखती हुई झड़ने लगी। वो मेरे ऊपर धम्म से गिर सी गई, मैं नीचे दबा हुआ अपना लण्ड उसकी झड़ी हुई चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।
मॉम ने मेरे बालों पर प्यार से हाथ फ़ेरा और बोली- कुमार, रुक जाओ। अभी मेरी ताजा गाण्ड बाकी है, उसे चोद डालो, मजा आ जायेगा!!!
मॉम पास में ही अपनी गाण्ड उभार कर घोड़ी बन गई। मेरे लण्ड उसकी गाण्ड का स्वागत करते हुये, उसमें घुस पड़ा। फिर मैंने मॉम की चिकनी गाण्ड तबियत से चोदी। खूब सारा वीर्य मैंने उसकी चूतड़ों पर गिराया, उसका चूतड़ों पर लेप किया। जेनीफ़र लोपेज जैसी सुन्दर गाण्ड जो सिर्फ़ मारने ही बनी होती है। जाने कितने लण्ड मॉम की गाण्ड में घुसे होंगे, कितनो ने अपना माल उसके अन्दर निकाला होगा!! बेटी की गाण्ड चोदने के बाद मम्मी की गाण्ड दी! मेरी तो बल्ले बल्ले हो गई।
मॉम चुदा कर खड़ी हो गई, मुझे बहुत प्यार से उन्होंने चूमा और धीरे से बोली- कुमार, तुमने मोनिषा को कितनी बार चोदा होगा? “अरे नहीं मॉम, वो तो बस मेरी मित्र है, चोदा तो उसकी मॉम को है!” “सच बताओ, वर्ना फिर बाय-बाय समझो!”
“सच मॉम, हम लड़के-लड़कियों में तो बस दोस्ती ही होती है, अब यह तो लड़की पर होता है कि वो चुदना चाहती है या नहीं। वो चुदना चाहे तो हमें उसे चोदने में भला क्या हर्ज है। पर हम दोनों में से किसी ने इसके लिए पहल नहीं की, हमने कुछ नहीं किया। फ़िर गर्भ ठहरने का खतरा भी तो होता है ना!” “आजकल तो गोलियाँ हैं, कोई खतरा ही नहीं है, मैं भी इस उमर में गोली ही लेती हूँ!” फिर वो संतुष्ट होकर चली गई। मम्मी ने मुझसे वादा लिया कि मैं मोनिषा को इस बारे में कुछ नहीं बताऊँगा।
फिर धीरे से बोली- तुम्हें तो झूठ बोलना भी नहीं आता। मुझे पता है तुम मोनिषा बहुत चोदते हो, भले ही तुम कसम खा लो, पर मैं यह जानती हूँ। साली चुदक्कड़, कुतिया… राण्ड क्या कहूँ बस मजा आ गया था।
फिर मॉम ने अपने चूतड़ मटकाये और केट वॉक करती हुई बाहर निकल गई। मेरा झूठ पकड़ा गया था, पर मेरे चेहरे पर एक विजेता की मुस्कान थी।
बाद में मॉम ने मुझे बताया कि समय समय पर मोनिषा का मोबाईल चेक करती थी। उसके एस एम एस पढ़ लेती थी, जिसमें ताजा चुदाई की बातें लिखी होती थी, गाण्ड मराने की बातें लिखी होती थी, कभी कभी तो चुदाने और गाण्ड मराने के स्टाईल की बातें भी होती थी।
मैं मॉम को मम्मी कह कर चोदता हूँ और वो मुझे बेटा कह कर मेरा लण्ड लेती है। मैं मॉम से कहता हूँ कि दोनों माँ-बेटी एक दूसरे को अपना भेद क्यूँ नहीं बता देती, मुझे भी दोनों को सामने बैठा कर चोदने कितना आयेगा, पर मेरी बात मॉम नहीं मानती है।
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