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प्रेषक : राजवीर
रिंकी की मामी अपने मायके गई तो मामा ने रिंकी को चोदने में देर नहीं लगाई और उसे नेता जी से चुदवाने की बात भी कर ली।
रिंकी अच्छे से तैयार हो गई। शाम को उसके मामा विस्की और कुछ खाने को लाये।
ठीक आठ बजे नेता जी जिसका नाम मनोज था वो आ गया।
मनोज ने आते ही पूछा- कहा है तेरी भांजी? कई दिनों से कोई जवान लड़की नहीं मिली। आज सारी कसर निकाल दूंगा।
इतने में रिंकी सामने आ गई उसे देखते ही मनोज के मुँह में पानी आ गया। आता भी क्यों ना, वो बिना कपड़ों के जो आई थी।
उसे देखते ही मनोज उस पर टूट पड़ा, उसकी दोनों चूचियाँ कस के दबाने लगा और होंठ चूमने लगा।
रिंकी उसके भार को संभल ना पाई और सोफे पर गिर गई। मनोज भी उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी चूची चूस के के लाल कर दी। उसने अपने कपड़े उतार दिए और लण्ड दिखा के बोला- मुँह में लो थोड़ी देर।
रिंकी ने वैसा ही किया, लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। फ़िर रिंकी घोड़ी बन गई, मनोज ने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया पर लण्ड फिसल कर उसकी गाण्ड में चला गया। रिंकी चिंहुक उठी। नेता जी उसकी गाण्ड मारने में मग्न हो गए।
दस मिनट बाद मनोज ने पानी रिंकी की गाण्ड में निकाल दिया। उसके बाद तीनो नंगे हो गए और विस्की का दौर चल गया। एक बोतल ख़त्म हो गई विस्की की जिसमें से रिंकी ने तीन पेग पिए थे।
अब मनोज लेट गया और बोला- रिंकी, अब तू मेर ऊपर आ जा।
रिंकी मनोज के ऊपर आ गई और उछल-उछल कर चुदने लगी। तभी वरुण आया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड पे रखा और धक्का दिया, उसकी गाण्ड मारने लगा।
रिंकी को कुछ मालूम नहीं चल रहा था कि क्या हो रहा है वो उस वक़्त नशे में थी।
दोनों ने सारी रात इसी तरह रिंकी को रगड़ा। रिंकी अगले दिन दोपहर के दो बजे उठी, उसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।
और फिर उसकी मामी के आने के बाद भी रिंकी चुदती रही।
फिर साल ख़त्म हो गया, रिंकी अपने शहर अपने घर आ गई पिंकी के पास।
पिंकी ने रिंकी को अपनी कहानी सुनाई और रिंकी ने पिंकी को अपनी।
जिससे रिंकी कुछ दिन अपने भाई से भी चुदी और फिर दोनों एक ही कॉलेज में यानि मेरे शहर में आ गई, वो भी मेरे घर में किरायेदार बन कर।
इस तरह हम दोनों बहनें ऐसी बन गईं और सोचा जहाँ मिल जाएँ वहीं मजे ले लेंगी।
उसके बाद वो जाने लगी और मुझे शाम को कमरे में आने के लिए कहा।
तभी जाते जाते पिंकी रुकी और बोली- क्यों ना हम किसी दिन कॉलेज न जाएँ और उसके बहाने हम कहीं घूमने चलें, तुम हमें रास्ते में मिल जाना।
मैंने भी कहा- ठीक है ! हम रास्ते में मिलेंगे।
पिंकी ने कहा- लेकिन तुम गाड़ी लेकर नहीं आना, हम ऐसे ही घूमेंगे बस में।
मैंने कहा- चलो ठीक है।
हमने अगली सुबह मिलने का वादा किया। वो दोनों सुबह कॉलेज के लिए निकल गई और मैं भी निकल गया, वो मुझे रास्ते में मिल गई। हम बस में बैठ गए। तीन सीट वाली पर दोनों बहनें आजू-बाजू और बीच में मैं बैठा। बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी और हमें कोई देख भी नहीं रहा था, कंडक्टर आया और टिकट देकर आगे चला गया। रिंकी को बस के अन्दर ही शरारत सूझी। उसने वहीं पर मेरा लण्ड सहलाना चालू कर दिया। मेरा लण्ड खड़ा हो गया मैंने भी उसकी टॉप के अन्दर हाथ डाल दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसकी नंगी चूचियों को दबा रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और मुँह में लेकर चूसने लगी। इतनी जोर से लण्ड चूस रही थी कि पाँच मिनट में ही मैं उसके मुँह में झर गया।
फिर हम सबसे पहले एक पार्क में रुके और एक खाली जगह देखने लगे। वैसे पूरा खाली था, कुछ ही लोग थे, हम एक जगह झाड़ियों के पीछे बैठ गए और मैं पिंकी को चूमने लगा। मैंने पिंकी का टॉप ऊपर कर दिया और उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो मेरा लण्ड निकाल कर चूसने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसकी जींस नीचे करवा दी। और जैसे ही उसकी चूत पर अपना लण्ड रखा, पता नहीं कहाँ से एक पुलिसवाला आ गया और उसके साथ एक लेडिज़ पुलिस वाली भी थी।
उनको देख पिंकी ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये, मैं अभी करने ही जा रहा था तो पुलिसवाले ने कहा- शर्म नहीं आती पब्लिक प्लेस में ऐसे काम करते हुए? पुलिसवाली ने भी दोनों लड़कियों की तरफ देख कर कहा- कुछ तो शर्म करो ! कॉलेज के बहाने यहाँ आ जाती हो गाण्ड मरवाने।
मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये।
पुलिसवाले ने कहा- चलो थाने में ! जब अन्दर रहोगे एक दिन तो अक्ल ठिकाने आ जाएगी।
मैंने रिंकी को आँख मारी तो उसने कहा- सर, प्लीज़ हमें जाने दीजिये, कुछ ले देकर ख़त्म करिए !
और कह कर उसने पुलिसवाले का लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
पुलिस वाला हंसने लगा और अपनी जिप खोलने लगा तो पुलिसवाली ने कहा- यहाँ नहीं, पब्लिक प्लेस है, कहीं और ले चलो इनको।
उन्होंने हमें जीप में बैठा लिया और पुलिसवाली के घर ले गया जहाँ वो अकेली रहती थी। पुलिसवाली का नाम हेमा था और पुलिसवाले का नाम सुमीत था। सुमीत एकदम काले रंग का था।
जाते ही उसने अपना लण्ड पैंट से निकाल कर रिंकी के मुँह में दे दिया और उसके बाल पकड़ कर धक्के लगाने लगा। हम बैठ कर सिर्फ देख रहे थे।तभी सुमीत ने कहा पिंकी से- तू क्या बैठी है? यहाँ आ कपड़े उतार के।
पिंकी ने सारे कपड़े उतार कर उसके पास गई। सुमीत अब सोफे पर बैठ गया और पिंकी ने अपनी चूत उसके मुँह पर लगा दी।
इस बीच रिंकी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और फ़िर से उसका लण्ड चूसने लगी।
मेरे बगल में बैठी हेमा की साँसें भी गर्म होने लगी थी, मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया था।सुमीत ने मुझे भी कहा- तू क्यों खाली बैठा है? चल कपड़े उतार और हमें देख कर मुठ मार !
मैंने अपने कपड़े उतार दिए और लण्ड पकड़ कर हिलाने लगा। मैंने हेमा की तरफ देखा तो वो कभी मुझे तो कभी मेरे लण्ड को देख रही थी।
हेमा एक सेक्सी बदन वाली गोरी लड़की थी। 24-26-34 आकार होगा उसका।
मैंने उसको देख कर कहा- आप इनमें शामिल नहीं होंगी?
हेमा ने जवाब दिया- नहीं ! मेरा महीना आ रहा है।
तो मैंने कहा- तो क्या हुआ/ पीछे से डलवा लो।
हेमा ने कहा- नहीं, उसमे दर्द होता है।
मैंने पूछा- कभी किया है?
उसने नहीं में उत्तर दिया।
मैंने कहा- जब तक करोगी नहीं, तब तक मालूम कैसे चलेगा कि चूत से ज्यादा मजा है।
“नहीं, सुमीत बड़ी बुरी तरह से गाण्ड मारता है ! एक बार मेरे सामने एक लड़की की गाण्ड मारी थी। बुरी तरह चिल्ला रही थी वो !”
मैंने कहा- तो क्या हुआ? मैं तो हूँ ना ! मैंने भी कई बार गाण्ड मारी है, मैं तो आराम से करता हूँ।
हेमा ने पूछा- तुम ? तुम मार लोगे मेरी? बच्चे से लग रहे हो ! कितनी उम्र है तुम्हारी?
मैंने कहा- इक्कीस साल।
तो उसने कहा- मेरी 27 है, मेरी आग कैसे शांत करोगे?
मैंने कहा- तुम्हारी आग मैं नहीं मेरा लण्ड शांत करेगा।
इतना कह कर मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और वर्दी के ऊपर से ही उसकी चूची जोर से दबाने लगा जिससे उसकी सिसकारी निकल गई। वो भी मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर बाद उसने मुझसे अलग होकर कहा- दम तो है तुम में ! पर यहाँ नहीं, चलो, अन्दर चलते हैं दूसरे कमरे में।
कमरे में जाते ही मैं उसके ऊपर टूट पड़ा और उसे बिस्तर पर गिरा दिया और चूची दबाने लगा, होंठ चूसने लगा।
उसने मुझे रोकते हुए कहा- अरे, कपड़े तो उतार लेने दो।
मैंने कहा- नहीं, मेरी एक इच्छा थी कि किसी पुलिस वाली की मारूँगा ! आज वो इच्छा पूरी हो गई, सारे कपड़े उतार दोगी तो इच्छा दबी रह जाएगी।
“अरे, तो पैंट तो उतार लेने दो।”
फिर मैंने उसकी पैंट उतार दी। उसने व्हिस्पर लगाया हुआ था, मैंने वो भी उतार दिया, शर्ट के बटन खोल दिए, ब्रा ऊपर उठा दी, चूचियाँ चूसने और दबाने लगा। कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी चूचियाँ चोदने लगा। फिर और ऊपर आकर उसके मुँह में अपना लण्ड दे दिया वो मेरा लण्ड जोर जोर से चूसने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसके उल्टा लिटा दिया और तेल लेकर उसकी गाण्ड में लगाया और अपने लण्ड पर भी अच्छी तरह मालिश के बाद मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखा और धीरे से धक्का दिया। थोडा सा लण्ड अन्दर गया फिर एक और धक्का और सुपारा अन्दर गया। थोड़ा तेज धक्का दिया तो आधा लण्ड चला गया अन्दर। धीरे धीरे करते करते मैंने पूरा लण्ड ऐसे ही डाल दिया।
हेमा कहने लगी- और कितना रह गया?
मैंने उसके कान में कहा- चला गया पूरा अन्दर !
उसने कहा- मुझे पता भी नहीं चला और पूरा अन्दर चला गया, तुम तो बड़े माहिर हो।
“हाँ वो तो हूँ ! चलो, अब तमन्ना पूरी हो गई ! सारे कपड़े उतार दो, अभी मुझे ब्लू लाइन चलानी है।”
उसने शर्ट और ब्रा उतार दी मैंने उसकी दोनों चूचियाँ कस के पकड़ ली तेज और लम्बे धक्के लगाने लगा। आधा तो कभी आधे से ज्यादा लण्ड बाहर निकालता और झटके से दे देता। हर झटके में उसकी आह निकल जाती। उसकी चूची दबा दबा कर लाल कर दी और 15 मिनट तक चोदता रहा।
मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- मुँह में।
मैंने लण्ड बाहर निकाला और उसके मुँह में लण्ड डाल कर चोदने लगा और ढेर सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया।
वो सारा माल गटक गई।
फिर हम बिस्तर पर लेट गए। बाहर से अभी भी तेज आवाज आ रही थी, मैंने झांक कर देखा तो…
कहानी जारी रहेगी।
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