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पर पलक ने ड्राईवर के लिए सीधे मना कर दिया और बोली,” मैं सरिता को साथ में लेकर चली जाऊँगी गाड़ी चलाने के लिए पर नो ड्राईवर !”
मेरे ऊपर भड़कते हुए बोली,”गधे, तू कार चलाना क्यों नहीं सीख लेता?”
मैंने कहा,”तू है न उसके लिए मेरी ड्रायवर ! और ना मुझे तब कार चलाना आती थी ना अभी आती है/”
चूंकि मेरे साथ जा रही थी तो अंकल को ना तो करना ही नहीं था सो हमने सामान पैक किया और दोपहर करीब दो बजे इंदौर से महेश्वर के लिए पलक की कार से निकल गए।
पलक ने घर से निकलते वक्त काले रंग का सूट पहना था और उस सूट में वो गजब की दिख रही थी और मेरी निगाहें भी आज बदल चुकी थी उसके लिए तो और गजब की दिख रही थी वो !
पलक के घर से निकल कर हम मेरे घर गए, वहाँ मैंने अपने कपड़े पैक किए और लोअर और टी शर्ट पहन कर हम लोग घर से निकल गए।
थोड़ी ही देर बाद हम लोग नवलखा चौराहा पार कर चुके थे, यह पहली बार था कि हम इतनी देर चुप रहे साथ होने पर भी !
और जैसे ही नवलखा चौराहा पार किया, मैंने कहा,”सरिता को नहीं लेगी क्या? उसका घर तो पीछे रह गया !”
पलक मुस्कुरा कर बोली,” तू सच में गधा है, हमारे साथ कोई और नहीं आ रहा है ! सिर्फ हम दोनों हैं, समझा…?”
“मतलब यह सब तू पिछले तीन दिन से प्लान कर रही है?” मैंने पूछा।
उसने मुंडी हिलाई और बोली,”हाँ !”
मैंने कहा- ठीक है, आगे से वाइन ले लेंगे !”
तो बोली,”नहीं, यह मैं नशे में नहीं करना चाहती, आई वान्ट टू लूज़ माई विर्ज़िनिटी इन मैइ फ़ुल सेन्सेज़ ! आई वान्ट टू फ़ील एवेरी मूमेंट ऑफ़ इट !( मैं अपना कौमार्य पूरे होश में खोना चाहती हूँ, मैं इसका हर पल महसूस करना चाहती हूँ)
मैंने कहा,”तू सच में यह करना चाहती है?”
बोली,”तो तुझे अभी तक यकीन नहीं हुआ क्या?
उसने कार सड़क के किनारे रोक दी और आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमने लगी और मेरा दायाँ हाथ अपने सीने की बाईं गोलाई पर रख दिया और बोली- फील कर इसको !
“एण्ड यू आर नॉट इन लव विद मी?” (और तुझे मुझ से प्यार नहीं हुआ है?) मैंने कहा।
वो बोली,”हाँ पागल ! नहीं हुआ है, अब चले नहीं तो यही रात हो जायेगी।”
मैंने कहा,”चल !”
और फिर बात करते हुए मैंने उसे बताया कि आज पहली बार मैंने उसे उस नजर से देखा तो वो फिर से शरमा गई।
मैंने उससे कई बार पूछा कि वो यह अंकित के साथ क्यों नहीं करना चाहती, पर उसने मेरे कई बार पूछने के बाद भी मुझे यह नहीं बताया और बोली- हम वहाँ पहुँच कर ही बात करेंगे ना !
हम करीब छः बजे शाम को महेश्वर पहुँचे… वहाँ पर अंकल ने पहले ही दो कमरे बुक करा रखे थे तो हमें होटल की कोई दिक्कत नहीं थी। हम लोगों को होटल वालों ने दोनों कमरे दिखाए और जैसे ही बैरा कमरे से बाहर निकला, पलक बिना कुछ कहे कूद कर मेरे ऊपर चढ़ गई और उसने बेतहाशा मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
वो पूरी तरह से मुझ पर चढ़ी हुई थी, मेरी कमर पर उसने दोनों टांगे लपेट रखी थी और उसके दोनों हाथों को उसने मेरी गर्दन के गिर्द लपेट रखा था, वो जैसे ही ऊपर चढ़ी तो मैंने भी दोनों हाथों का सहारा दे दिया था उसे और मैं भी उसके साथ चुम्बनों का मजा ले रहा था, साथ ही साथ मेरे हाथ पलक की पैंटी की महसूस कर रहे थे, मैंने ऐसे ही पलक को अपनी बाहों में भरे हुए ही बिस्तर पर लेटा दिया और मैं खुद उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा और एक हाथ उसके सर के नीचे ले जाकर उसके बालों से खेलने लगा।
मेरा लण्ड लोअर के अंदर था पर पूरी तरह से पलक की फैली हुई टांगों के बीच चूत पर टकरा रहा था और वो भी इस सब का पूरा मजा ले रही थी।
हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और कभी मैं पलक की जीभ चूस रहा था और कभी वो मेरी ! इसी बीच मेरे दूसरे हाथ से मैंने पलक का एक स्तन दबाना शुरू कर दिया जिससे उसे और मजा आने लगा।हम दोनों इसी तरह से काफी देर तक एक दूसरे को चूमते और चूसते रहे और फिर मैंने घुटनों के बल बैठ कर पलक को उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया, उसकी दोनों टांगें फैल कर मेरी कमर को लपेटे हुए थी और उसकी चूत मेरे लण्ड पर टकरा रही थी।
मैंने उसकी कुर्ती उतारने की कोशिश की तो उसने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए और मैंने बड़े ही आराम से उसकी कुर्ती उतार दी। कुर्ती के नीचे उसने एक काले रंग की शमीज पहनी हुई थी और उसके अंदर एक काले ही रंग की ब्रा भी थी जिसके किनारे समीज के किनारों से दिख रहे थे।
मैंने जब शमीज उतारने की कोशिश की तो बोली- अभी नहीं, इसे बाद में उतारना प्लीज…
और मैंने उसकी बात मान कर उसकी शमीज छोड़ दी और उसे गर्दन पर चूम लिया, जवाब में उसने भी मुझे गालों पर चूमा और मेरे सर को अपने वक्ष पर रख कर मुझे कस के पकड़ा और उसकी चूत को मेरे लण्ड पर दबा कर उसे महसूस करने लगी।
अद्भुत था वो अहसास भी !
वो मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी, मैं उसकी शमीज की नीचे उसकी चिकनी कमर को महसूस कर रहा था और उसके उसके कंधों को उसके बालों सहित सहला रहा था। ना वो हिल रही थी ना मैं हिल रहा था सिर्फ एक दूसरे को पूरी तरह से महसूस कर रहे थे कपड़ो को ऊपर से ही।
थोड़ी देर हम ऐसे ही रहे, फिर उसने मुझे ढीला छोड़ा, मेरे होंठों को एक बार चूमा और बिस्तर पर लेट गई और सलवार की तरफ इशारा करते हुए बोली- इसे उतार ना !
मैंने उसकी सलवार के साथ ही उसकी पैंटी भी उतारने की कोशिश की तो बोली- नहीं, सिर्फ सलवार ! पैंटी नहीं प्लीज…
मैं क्या कहता, मुझे उसकी बात माननी ही थी… तो मैंने एक ही झटके में उसकी सलवार उतार दी।
जब मैंने उसे सलवार उतरने के बाद देखा तो मैं एक बार तो देखता ही रह गया… दो चिकनी टांगों के बीच एक प्यारी सी काली पैंटी ने चूत को ढक रखा था और उसकी काली शमीज पलक की पूरी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी।
गजब की खूबसूरत लग रही थी वो…
मैं सिर्फ उसे देखते ही रह गया और मेरी नजरों के कारण वो शरमा सी गई, उसने दूसरी तरफ चेहरा कर लिया और मुझसे बोली,”प्लीज यार, ऐसे मत देख, शर्म आती है।”
दोस्तो, यकीन मानो एक लड़की जितनी बिना कपड़ों के सेक्सी हो सकती है उससे ज्यादा सेक्सी वो कम कपड़ों में लगती है !
कम से कम मुझे तो लगती है ! और यह बात पलक को बहुत अच्छे से पता थी।
मैं कुछ सेकंड तक उसे और देखता रहा और फिर मैंने उसकी पैंटी उतारने की कोशिश की तो वो बोली- नहीं, इसे मत उतार।
मैंने कहा,”अब मत रोक, नहीं तो तेरा देह शोषण हो जायेगा मुझसे !”
वो बोली,” ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन….”
“लेकिन क्या?”
उसके लिए अगले भाग का इन्तजार कीजिए !
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