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दोस्तो, सबसे पहले मैं माफ़ी मांगना चाहता हूँ इतने लेट अपडेट के लिए! दरअसल दो बार कहानी लिखने के बाद किसी ना किसी वजह से डिलीट हो गयी और अब तीसरी बार लिखकर भेज रहा हूँ और मजेदार बात ये है दोस्तों की इस बार अपना अनुभव बुआ ने खुद लिखा है मैंने सिर्फ थोड़ी एडिटिंग की है.
तो प्रस्तुत है बुआ की चुदाई का अगला किस्सा उन्ही की जबानी:
स्कूल में टीचर की चूत चुदाई की कहानी के पिछले भाग मेरी बुआ की चुदाई के किस्से में आपने पढ़ा कि एक दिन मैं स्कूल में थी और बारिश हो रही थी. हालात कुछ ऐसे बने कि मैं अपने साथी टीचर से चुद गयी. लेकिन हमारी चुदाई को किसी ने देख लिया और फिर गांव के एक मर्द ने मुझे उसी से थोड़ा ब्लैकमेल करके चोद दिया.
अब आगे:
अगले दिन मैं स्कूल पहुंची तो सीधा अंदर जा कर बैठ गयी. मैं बाहर बरामदे में छात्रों को नहीं पढ़ाना चाहती थी क्योंकि मुझे डर था कि उन दोनों में से कोई आ न जाये.
मैं अंदर छात्रों को पढ़ा रही थी और मेरे दिमाग में एक डर लगा हुआ था कि कहीं उन दोनों ने किसी को बोल ना दिया हो.
मैंने ध्यान दिया कि उन दोनों लड़कों (जिन्होंने उस दिन रूम में पट्टी बिछाई थी) में से एक लड़का आया था. पर लल्लन का बेटा जिसका नाम राजू था, नहीं आया. मैंने सोचा दूसरे लड़के को बुलाकर उसके बारे में पूछूँ. पर पता नहीं क्यों मैंने नहीं पूछा.
कुछ समय बाद मैं सामान्य होने लगी. मुझे लगा कि अब सब ठीक है. तभी बाहर एक औरत आयी और मेरे बारे में पूछने लगी. बृजेश ने उसे अंदर भेज दिया.
उसने आते ही नमस्ते की. मैंने उसकी नमस्ते का जवाब दिया और आने की वजह पूछी.
उसने कहा- मुझे अपने लड़के के बारे में बात करनी है वो यही पढ़ता है. मैंने पूछा- क्या नाम है उसका? उसने बोला- राजू. मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी ‘राजू की माँ? लल्लन की बीवी?’
फिर भी मैंने सामान्य दिखने का प्रयास करते हुए बोला- हां, बताओ क्या बात करनी है? उसने कहा- मैडम जी, मेरा लड़का पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देता और पता नहीं क्या उलटी सीधी चीजें देखता सुनता रहता है. आप थोड़ा ध्यान दो उस पर!
मेरे अंदर का डर बढ़ने लगा. लगता है इसे सब पता चल गया कि इसके लड़के ने मुझे क्या करते देखा है.
पर उससे ज्यादा बड़ा सवाल था कि क्या इसे कल के बारे में भी पता चल गया? कि कल मैं इसके पति और पति के दोस्त के साथ?
मैं यही सब सोच रही थी कि उसने बोला- लगता है मैं गलत समय आ गयी हूँ. इंटरवल में आऊँगी तब बात करेंगे. फिर मेरे बिल्कुल पास आकर धीरे से बोली- दस मिनट में स्कूल के पीछे मिलो. और बाहर चली गयी.
मैं समझ गयी कि इसे सब पता चल गया है और अब मेरी खैर नहीं. ऐसे ही इसके पति ने मुझे स्कूल के पीछे बुलाया था. और आज ये.
पर इसके पति ने तो अपनी और अपने दोस्त की ठरक मिटा ली थी. मेरे साथ पर ये क्या करेगी?
खैर जैसे तैसे छात्रों को पढ़ने के लिए कुछ बता कर मैं बाहर आ गयी. लंच में अभी आधा घंटा बाकी था मैंने बृजेश को बोला- मैं आती हूँ थोड़ी देर में.
फिर मैं स्कूल के पीछे चली आयी. वहां कुछ दूरी पर वो औरत खड़ी थी. उसने मुझे आने इशारा किया और खेत की तरफ आ गयी. मैं उसके पास पहुंची तो उसने बोला- मैडम जी, मेरा लड़का बहुत बिगड़ गया है. मैंने कल उसे उसके दोस्त से बात करते सुना. बहुत गन्दी बातें कर रहा था.
मेरे मुँह से अचानक निकल गया- किस बारे में? वो मुस्कुरा के बोली- आपके बारे में.
मैंने उसकी तरफ चौंक कर देखा. उसने कहा- हाँ बोल रहा था कि आप मास्टर साहब के नीचे लेटी थी नीचे से नंगी होकर.
मैंने इधर उधर देखा कही कोई है तो नहीं. उसने इतने जोर से बोला था कि आसपास कोई भी सुन सकता था. वो आम रास्ता नहीं था फिर भी खेतों की तरफ आने वाले लोग आसपास हो सकते थे. उसने मेरा हाथ पकड़ा और खेत के अंदर अंदर ले गयी. वो एक बहुत बड़ा गन्ने का खेत था. वो सामने से गन्नों को हटाती रास्ता बना रही थी, मैं उसके पीछे चलती जा रही थी.
काफी अंदर ले जाने के बाद एक ऐसे जगह देखकर हम रुक गए जहाँ गन्ने थोड़े काम थे और खड़े होने के लिए अच्छे से जगह थी. मैं चुपचाप उसकी तरफ देख रही थी.
उसने कहा- मेरा नाम विमला है. अब आप मुझे बताओ कि राजू जो कह रहा था, सही बात है? मैं चुप रही.
तभी उसने राजू को आवाज दी. वो भी कहीं से निकल आया. शायद पहले से ही यही था. आते ही उसने मुझे नमस्ते किया. टीचर होने की वजह से मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया- स्कूल क्यों नहीं आये आज? वह अपनी माँ की तरफ देखने लगा.
विमला बोली- क्या करेगा स्कूल आकर? क्या क्या सीखता यहाँ सब पता है मुझे. फिर वो राजू से बोली- चल अब बता जल्दी कि कल तू क्या बात कर रहा था टिंकू से? क्या देखा तूने स्कूल में? अगर एक शब्द भी छुपाया था तो खाल खींच दूंगी.
वो अपनी माँ से दूर हटकर खड़ा हो गया और मेरे तरफ देखकर बोलने लगा- उस दिन मास्साब ने हमें कमरे में पट्टी बिछाने को कहा. मैंने और विक्की ने पट्टी बिछाई और बाहर आ गए. मैडम जी और मास्साब अंदर चले गए. तभी विक्की ने मुझे बताया कि मास्साब मैडम जी के चूतड़ दबा रहे थे और लेटकर देने को कह रहे थे. तब हम दोनों ने धीरे से खिड़की के पास जाकर देखा अंदर मास्साब मैडम जी के ऊपर लेटकर कमर हिला रहे हैं. उनकी पैंट खुली हुई थी और मैडम जी की टांगें और चूतड़ नंगे हैं. हमें किसी के चेहरे नहीं दिख रहे थे, बस पीछे से दिख रहे थे. मास्साब ने पैंट थोड़ी खिसकायी थी पर मैडम जी जितनी दिख रही थी उतनी नंगी थी और अपने पैरों को मोड़कर घुटने ऊपर करके लेटी थी. मास्साब के कमर हिलाने से इनके चूतड़ लहरा रहे थे जो बहुत अच्छे लग रहे थे. एकदम गोरे और बड़े बड़े गुब्बारे जैसे.
उसके इतना कहते ही विमला ने उसे जोर से थप्पड़ मारा और वहां से भाग जाने को कहा.
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरे स्कूल का लड़का मेरे बारे में अपने दोस्त से ऐसे बातें कर रहा था. उसने इतना ढंग से बताया था कि मुझे ही वो पल याद आने लगा साथ ही मन में गुस्सा भी आया कि अगर उस दिन ये नहीं होता तो आज ये सब ना सुनना पड़ता.
विमला मेरे पास आयी और मुझसे बोली- देखा कैसा दीवाना हो गया आपको नंगी देख कर. चलो ये बताओ मेरा मर्द कैसा लगा? अब मैंने उसे आश्चर्य से देखा मतलब इसे पता है कि मैंने इसके पति के साथ?
वो बोली- कल रात में मेरा मर्द मुझे बार बार नशे में आपका नाम लेकर भोग रहा था और इतनी ताकत से कि मैं झेल ही नहीं पायी और वो गुस्से में रात को ही खेत पर चला गया. तब से अभी तक नहीं आया. तभी मैं आपसे मिलने आयी कि मैं भी देखूं ऐसा क्या है आपके पास जो मेरा लड़का और मर्द दोनों पागल हो गए हैं.
मैं शर्म और डर से गड़ी जा रही थी कि अब क्या करेगी ये औरत? क्या पूरे गांव में बदनामी हो जाएगी? पर उसने मुझसे अपनी साड़ी उठाने को कहा. मैं उसे कुछ भी बोलने कि स्थिति में नहीं थी.
वो बोली- क्या हुआ? सिर्फ मर्दो के सामने साड़ी उठाती हो? औरतों से शर्म आती है? उठाओ जल्दी.
मैंने धीरे से अपनी साड़ी को पकड़ा और पेटीकोट के साथ ऊपर उठाने लगी. मेरी टाँगें नंगी होने लगी. धीरे धीरे मैंने अपनी साड़ी को कमर तक उठा लिया और मेरी टाँगें मेरी जांघों तक नंगी हो गयी.
विमला मेरे पास आकर नीचे बैठ गयी और मेरे जांघें सहलाने लगी उसके हाथ लगाते ही मेरे शरीर में झुरझुरी हुई. वो बोली- हम्म … हैं तो बहुत गोरी टांगें … चलो और ऊपर उठाओ. मैंने साड़ी को और ऊपर पेट तक चढ़ा लिया और मेरी पैंटी भी दिखने लगी.
उसने मेरी कमर पर पैंटी की इलास्टिक में उंगलियाँ फंसायी और एक झटके में घुटनों तक खींच दी. मैं नीचे से नंगी हो गयी थी.
उसने मेरी योनि को हाथ लगाया, मैं झनझना गयी. मैं खेत में अपनी साड़ी कमर तक अपने हाथों उठाकर नीचे से नंगी खड़ी थी और एक औरत मेरे नाजुक अंगों से छेड़छाड़ कर रही थी. फिर उसने एक उंगली से मेरी योनि को सहलाया मेरी साड़ी हाथों से छूट गयी.
उसने वापस से उठाकर मुझे पकड़ा दी और मेरी योनि को उँगलियों से फैलाकर देखने लगी. मैंने अपनी आंखें बंद कर ली.
फिर वो बोली- ये तो बहुत गहरी होगी ना? मेरे मर्द का ही बहुत बड़ा है, मैं तो झेल नहीं पाती. और आपने तो मेरे मर्द के बाद भूरे को भी निचोड़ लिया. चलो घूम जाओ. मैं चुपचाप पीछे घूम गयी.
उसने मेरे नंगे नितम्बों को सहलाया. मैंने आँखें बंद कर ली. वो उन्हें हल्के हल्के दबाते हुए बोली- ये तो बहुत मुलायम हैं. और इतने गोरे मक्खन जैसे. मैं चुप खड़ी थी.
फिर उसने मेरे नितम्बों पर एक चपत लगायी और मुझे साड़ी उतारने को बोला. मैंने कुछ नहीं किया और खड़ी रही.
उसने बहुत जोर से मेरे नितम्बों पर चांटा मारा मैं उछल पड़ी. वो बोली- औरतों के सामने नंगी होने में शर्म आती है? या दूसरों के हाथों कपड़े उतरवाने में मजा आता है? मैं कुछ नहीं बोली.
उसने मेरे नितम्बों को छोड़कर मेरी साड़ी खींचनी शुरू कर दी. मैं उसके हाथों की कठपुतली बन चुकी थी. साड़ी निकलने के बाद उसने पेटीकोट का नाड़ा भी खींच दिया. पैंटी तो पहले से ही घुटनों में थी.
उसने मुझे ब्लाउज उतारने को बोला. मैंने समझ गयी कि ये मुझे बिना कपड़ों के नंगी खड़ी करके मुझे जलील करना चाहती है. पर उसकी आवाज धीमी थी. इसका मतलब वो नहीं चाहती थी कोई और हमें ऐसे देखे.
मैं ये सब जल्दी खत्म करके वापस जाना चाहती थी इसलिए मैंने अपने ब्लाउज के बटन खोल के ब्लाउज उतार दिया. अब मेरे शरीर पर ब्रा और घुटनों में फंसी पैंटी थी. उसने आगे बढ़कर मेरे हाथ से ब्लाउज लिया फिर मेरी ब्रा का हुक खोला और झटके उतार ली. साथ ही नीचे झुककर मेरी पैंटी भी पैरों से नीचे निकाल दी और पेटीकोट भी उठा लिया. मेरे सारे कपड़े उसके पास थे.
और वो एक झटके में वहां से निकल गयी. मैंने जल्दी से बोला- अरे सुनो तो! पर वो नहीं रुकी.
मैं हड़बड़ा कर उसके पीछे जाने लगी. तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं ऐसे बाहर नहीं जा सकती. मैं वहीं रुक गयी और सोचने लगी कि अब क्या करूं? मैं अपना पर्स और मोबाइल टेबल पर ही रखकर आयी थी.
कुछ देर मैं ऐसे ही खड़ी रही. तभी मुझे खेत के एक तरफ कुछ हलचल सुनाई दी. मुझे लगा वो वापस आ गयी. मैं उसकी तरफ जाने ही वाली थी कि मुझे आदमी की आवाज सुनाई दी. मेरा दिमाग चकरा गया मैंने सोचा आज तो गयी मैं.
मैंने इधर उधर देखा और गन्नों के अंदर घुस के छिप गई. मेरे चलने से गन्ने हिले और वो आदमी इधर ही आने लगा.
तभी मुझे 4-5 आवाजें सुनाई दी- कुछ है … इधर कुछ है. मैं डर के मारे नीचे बैठकर झुक गयी और सिमट गयी.
वो आवाजें पास आ गयी. मैंने देखा 4-5 आदमी बिल्कुल उसी जगह के आसपास खड़े थे जहाँ मैं और विमला खड़ी थी. वो इधर उधर देखने लगे. उनके साथ विमला नहीं थी.
मुझे कुछ देर के लिए यह गलतफहमी हो गयी थी कि इन्हें विमला ने ही भेजा था. पर उनकी बातों से पता लगा कि वो रखवाले हैं और ऐसे ही अंदर जानवर वगैरह देखने आये हैं.
थोड़ी देर वो इधर उधर देखते रहे और मैं खुद को और समेटे झुकी हुई अधलेटी हो गयी.
फिर वो इधर उधर हो गए. मैं उनमें से किसी की नजर में नहीं आना चाहती थी. वरना मुझे ऐसे हालत में देखकर ये इतने आदमी क्या करते ये सोचकर ही मेरे पसीने छूट गए. और मैं दुआ करने लगी कि इनमें से कोई मुझे ना देखे.
कुछ देर बाद आवाजें आने बंद हो गयी. शायद वो चले गए.
लेकिन मैं फिर भी नहीं उठी कि कहीं आस पास हुए और मेरे हिलने से वापस आ गए तो क्या होगा. मैंने खुद को देखा. मैं बिना कपड़ों के अपने घुटनों और कोहनी के बल झुकी हुई थी. मेरे आस पास गन्ने थे.
मैं बहुत देर तक ऐसे ही पड़ी रही. मेरे पास विमला का इंतज़ार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था.
बहुत देर के बाद विमला आयी और उसी जगह जगह खड़ी होकर इधर उधर देखने लगी. जब मुझे तसल्ली हो गयी कि वो अकेली है तो मैं बाहर आयी. मुझे देखकर वो मुस्कुरायी और बोली- कहाँ गयी ऐसे नंगी? कोई मर्द मिल गया था क्या?
और फिर उसने कुछ गन्दी बातें मुझे बोली और मैं चुपचाप सुनती रही.
फिर उसने मेरे कपड़े मुझे दिए. मैंने देखा कि मेरी ब्रा और पैंटी नहीं थी. वो शायद उसने रख ली थी. मैंने बिना कुछ बोले ऐसे ही कपड़े पहन लिए और हम दोनों बाहर आने लगी. उसने मुझे रोका और बाहर निकल इधर उधर देखा और मुझे बाहर आने का इशारा किया.
हम दोनों स्कूल के पास आ गयी. तब उसने मुझसे बोला- अगर दोबारा मेरे मर्द के साथ कोई हरकत की तो ध्यान रखना बहुत बुरा अंजाम होगा. यह बोलकर वो वहां से निकल गयी और मैं स्कूल के अंदर आ आ गयी.
छुट्टी हो गयी थी, सारे बच्चे जा चुके थे. मुझे देखकर बृजेश मेरे पास आया और मुझसे बोला- आपका ही इंतज़ार कर रहा था. सामान उठाइये, फिर बंद करते हैं. मेरे दिमाग में मेरे साथ हुई घटना और उस औरत की धमकी गूंज रही थी.
मैंने बृजेश को बोला कि वो जाये, मैं चाबी भिजवा दूंगी. वो चला गया और मैं अंदर आ गयी.
अंदर कुर्सी पर बैठकर मैं सोचने लगी कि उस औरत ने मुझे जलील किया और धमकाया. अगर ये बात मैं अपने घर पर बता दूँ तो उसका खंडन ख़त्म कर दिया जायेगा. पर अगले ही पल मैंने सोचा कि बताऊँगी क्या? कि उसके बेटे ने मुझे अपने सहकर्मी से सम्बन्ध बनाते देखा और उसके पति ने अपने दोस्त के साथ … मैं सोचकर सहम गयी कि अगर घर पर पता चल गया तो क्या होगा.
मेरे दिमाग में सारी घटना घूमने लगी बृजेश से लेकर लल्लन और भूरे तक. पर पता नहीं कैसे ये सोचते सोचते मैं उन पलों को याद करने लगी जब मैं और बृजेश अंदर थे और वो लड़के हमें झांककर देख रहे थे. वो लड़का कैसे अपनी माँ और मेरे ही सामने मेरे नग्न नितम्बों की बाते कर रहा था. और वो खँडहर जहाँ उसका बाप मुझमें समाया हुआ था और भूरे अपना लिंग मेरे हाथों में पकड़ा कर मेरे स्तनों को मसल रहा था मेरे शरीर पर नाम मात्र के कपड़े थे. उसके तेज प्रहारों को मैं अपने अंदर महसूस कर रही थी.
मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी और मैं सोचने लगी कि मैं कैसे नंगी होकर खेत में झुकी हुई थी. अगर मुझे उन लोगों ने वैसे देख लिया होता तो शायद इस वक़्त खेत में होती और वो आदमी मुझे निचोड़ रहे होते.
ये सब सोचते हुए मैं उत्तेजित होने लगी और धीरे धीरे खुद को सहलाने लगी. मेरी आँखें बंद होने लगी और मैं मदहोश होने लगी.
तभी मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया और मेरे होश उड़ गए. वहां लल्लन खड़ा था और मुझे देख रहा था.
मैं हड़बड़ाहट में उठकर खड़ी हो गयी. वो अंदर आया और मेरे एकदम पास आकर खड़ा हो गया.
मैं दूसरी तरफ पलट गयी. वो अब मेरे पीछे था और आगे बढ़कर सट गया. मेरे आगे मेज थी और मैं आगे नहीं बढ़ सकती थी. वो ऐसे ही मुझसे चिपक कर खड़ा हो गया और अपनी कमर को इधर उधर चलाने लगा. उसका कमर के नीचे का हिस्सा मेरे नितम्बों से रगड़ रहा था.
मैं ना चाहते हुए भी उन पलों को याद करने लगी जब वो मेरे अंदर था. मैं पहले से ही उत्तेजित थी और उसकी हरकतें मुझे मदहोशी की हालत में ले आयी.
तभी वो कुछ पीछे हटा. मैंने उत्सुकतावश पीछे गर्दन घुमाकर देखा. वो अपनी पैंट की ज़िप खोल रहा था. मैंने जल्दी से मुँह आगे घुमा लिया. मैं सन्न रह गयी कि क्या अब ये फिर से मेरे साथ?
तभी उसने दोनों हाथों से मेरे नितम्बों को थाम लिया और हल्के से दबाया. मेरी साँसें तेज हो गयी.
साड़ी के ऊपर से ही उसने नितम्बों को फैला कर अपना लिंग मेरे पीछे लगा दिया और रगड़ने लगा. मैं अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.
तभी उसने एक हाथ मेरी पीठ पर रखा और मुझे टेबल पर झुका दिया और मेरी साड़ी को पेटीकोट के साथ पकड़ कर कमर तक उठा दिया. अब मैं एक बार फिर उसके आगे नंगी थी.
उसने मेरे नंगे नितम्बों को सहलाया और अपने लिंग को मेरे नितम्बों पर पटकने लगा. फिर वो हट गया. मैंने फिर उत्सुकतावश पीछे देखा तो वो कंडोम पहन रहा था. मैं वापस आगे देखने लगी.
फिर उसने मेरी कमर पकड़ कर मुझे पीछे से ऊँचा किया और अपने लिंग को मेरी योनि पर रखा और हाथ आगे बढ़ाकर मेरे ब्लाउज पर रख दिए. और इतनी देर तब पहली बार वो कुछ बोला- बिना ब्रा और पैंटी के आयी हो आज? लगता है कल बहुत मजा आया तुम्हें? यह बोलकर उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोलने शुरू कर दिए.
मैं उसे रोकना चाहती थी पर रोक नहीं पायी. और उसने सारे बटन खोल दिए. पर ब्लाउज उतारा नहीं.
उसने ऐसे ही मेरे नंगे स्तन थाम लिए और अपना लिंग वापस सेट करके मेरे अंदर सरका दिया. जैसे जैसे वो अंदर घुस रहा था, मेरी जांघें अपने आप खुल रही थी. मेरी उत्तेजना चरम पर थी, उसके लिंग की गर्माहट मैं बर्दाश्त नहीं कर सकी और बह गयी.
मैं निढाल होकर मेज पर झुक गयी और अपने हाथों को पीछे लेजाकर उसे रोकने लगी. वो बोला- क्या हुआ? इतनी जल्दी झड़ गयी? अभी तो पूरा गया भी नहीं, निकाल लूँ क्या? मैंने कहा- हम्म्म.
उसने अपना लिंग बाहर निकालना शुरू कर दिया. जब लगभग पूरा बाहर चला गया उसने अचानक फिर से धक्का मार दिया मेरे मुँह से चीख निकल गयी. उसने मेरे स्तनों को पकड़ कर जोर से कमर हिलाना शुरू कर दिया. उसके लिंग की रगड़ से मैं फिर उत्तेजित होने लगी.
वो बिना रुके लगतार धक्के लगा रहा था और मैं आगे से उठती चली गयी. उसने मेरे स्तन पकड़ रखे थे और मुझे पकड़ कर खुद से चिपका लिया. मैं पंजों के बल ऊँची हो गयी. वह एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे योनि के दाने को सहलाने लगा. मैं उत्तेजना मे सिसकारियाँ भरने लगी.
वो बहुत तेजी से कमर और हाथ चला रहा था. मैं चरम सीमा पर पहुंच गयी और फिर निढाल हो गयी.
उसने मुझे वापस मेज पर झुका दिया और अपना काम जारी रखा. वो मेरे नितम्बों को सहलाने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली और मेरी नजर दरवाजे के बाहर चली गयी. और मेरी आँखें फ़ैल गयी.
बाहर विमला खड़ी थी और छुपकर हमें देख रही थी. मैंने पलट कर लल्लन को देखा. वो मेरे नितम्बों को घूर रहा था. वो पीछे की तरफ था तो उसे दरवाजे के बाहर नहीं दिख रहा था पर मैं मेज पर झुकी थी तो मुझे वो दिख गयी थी.
स्कूल का गेट बंद नहीं था और कोई भी आ सकता था. ये सब मैंने पहले क्यों नहीं सोचा.
अब मुझे लल्लन के धक्के अच्छे नहीं काग रहे थे, मैं उठना चाहती थी पर वो लगा हुआ था.
जब मैंने फिर उठने की कोशिश की तो उसने मेरे नितम्बों पर मारते हुए कहा- बस थोड़ी देर और करने दो. मैं उसको कुछ बोल पाती, इससे पहले ही विमला अंदर आ गयी.
अब ये स्थिति थी कि मैं मेज पर झुकी हुई थी और जो आदमी मेरे अंदर समाया हुआ मेरे नितम्बों को सहलाता हुआ धक्के मार रहा था, उसकी बीवी हमारे सामने खड़ी थी. मुझे उसकी चेतावनी याद आयी. एक बार तो उसने मुझे कुछ घंटे के लिए नंगी करके छोड़ दिया था पर अब उसने मुझे रंगे हाथ पकड़ लिया है. अब क्या होगा?
दोस्तो, आगे अगले भाग में, कृपया अपना फीडबैक जरूर भेजे. [email protected]
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