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पुरुषोत्तम शास्त्री
मैं पुरुष शास्त्री अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं अपनी पहली और सच्ची कहानी लिख रहा हूँ, मुझे आशा है कि आप इस कहानी पर अपनी राय भेज कर मेरा मनोबल बढ़ाएँगे।
मैं एक मस्त गठीले शरीर और लण्ड का मालिक हूँ और पेशे से पण्डित हूँ।
एक बार पण्डिताई के काम से मैं जयपुर गया। वहाँ मेरी खूब आवभगत हुई। मुझे नौ दिन वहाँ रहना था।
यजमान की दो बेटियाँ थी, उनमें से एक तलाकशुदा थी पर दोनों ही माल थी। छोटी वाली जिसका नाम जिया था, वो तो बस कयामत थी। मैं उसे दिल से चाहने लगा था।
एक दिन मैं नहा रहा था तो वो तलाकशुदा, जिसका नाम था रिया, मुझे घूरने लगी। वो मेरे शरीर को ऐसे देख रही थी जैसे कि खा ही जायेगी।
मुझे शर्म आने लगी पर वो बेशर्मों की तरह मेरे गीले अण्डरवियर में चिपके लण्ड को निहार रही थी। मैं जल्दी से नहा कर अपने कक्ष में आ गया। वहाँ जिया चाय लिए खड़ी थी। मैंने चाय लेने के बाहाने उसके हाथों को छू लिया तो वो शरमा कर भाग गई।
रिया और जिया सगी बहनें थी पर दोनों में रात-दिन का अन्तर था। उनका मकान बड़ा था और रहने वाले कम, इस कारण सभी अलग-अलग कमरों में सोते थे।
मैं रात को 8 बजे अपने कमरे में लेट गया था। रिया रात को दूध लेकर आई और मुझे सोता देख वहीं बैठ गई।
मैं रात को तहमद बांध कर सोता हूँ जो रात में अक्सर खुल जाती है। उसने अण्डरवियर में मेरे कड़क और आठ इन्च के लौड़े को देखा और अन्डरवियर के ऊपर से ही लौड़े को अपने मुँह में ले लिया।
मेरी अचानक नींद खुल गई और मैं उससे दूर हट गया।
वो बोली- अब ना तरसाओ मेरे राजा, मैं जानती हूँ तुम जिया से प्यार करते हो, मैं तुम दोनों को मिला दूँगी।
मुझे उस पर दया आ गई क्योंकि तीन साल से वो तलाकशुदा थी। मैंने आज पहली बार उसे गौर से देखा, क्या हुस्न था, दूध सा शरीर, 34-28-36 का बदन !
मैंने उसके गुलाबी होंठों को चूमना शुरु किया ही था कि वो मुझसे लिपट गई।
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु किये और उसकी ब्रा उतार कर उसके चूचों को जमकर दबा दबा कर चूसा। उसके गोरे स्तन लाल टमाटर से हो गये। उसने मेरी अण्डरवियर को नीचे सरका अपने गुलाबी होंठ मेरे लण्ड पर रखे और चूसने लगी।
मैं तो जन्नत की सैर करने लगा। मैं उसकी चूत में अगुली करने लगा।
अचानक उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर बैठ कर चूत के निशाने पर लण्ड टिका कर जोर का झटका दिया। आधा लण्ड अन्दर चला गया और उसकी जोर से चीख निकल गई- अअअअइई ईउउमममा !
और पाँच मिनट बाद वो जोर-जोर से उछलने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं भी कमर से झटके लगा कर चोदने लगा।
वो दो बार झड़ गई। मैंने उसे घोड़ी बनाकर भी चोदा।
अचानक मैंने कमरे के दरवाजे में लगे काँच में देखा कि जिया हमें देख रही थी।
और फिर वो भाग गई।
रिया बोली- मैं संभाल लूँगी।
मैंने कपड़े पहने और सो गया।
अगली कहानी कैसे मैंने दोनों बहनों को एक साथ चोदा आपके ईमेल मिलने के बाद !
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