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अनिल सच ही बोल रहा था, रमेश का लण्ड आसानी से आ-जा रहा था, दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था और मैं गाण्ड उठा-उठा कर लण्ड खा रही थी।
पूरा कमरा आह आह्ह ऊह्ह उह की आवाज़ से गूंज रहा था।
अनिल गाण्ड सहला रहा था और चूचे चूस और मसल रहा था। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों का फैलाव भी चेक कर रही थी।
फिर उसने एक ऊँगली गाण्ड में डाल दी पूरी ! और आगे-पीछे करके ऊँगली से चोदने लगा।
अब अनिल का लण्ड भी फुफकारने लगा था, उसने उठ कर मेरे मुँह के पास अपना लण्ड कर दिया, खड़ा होने के बाद उसका लण्ड बहुत बड़ा हो गया था, मैं उसके सुपारे पर जीभ फेरने लगी तो मुझे भी अच्छा लगा और लण्ड और तमतमा गया।
फिर मैं सुपारा चाटने लगी और उसने मेरे मुँह में लण्ड डाल दिया। अब मेरी चूत और मुँह की चुदाई एक साथ होने लगी।
रमेश चूत का बाजा बजा रहा था तो अनिल मुँह में चोद रहा था। मुँह में जब ज्यादा अंदर लण्ड पेल देता तो मेरी साँस रुक जाती थी।
करीब आधे घंटे बाद मैं रमेश के लण्ड पर झड़ गई और उसके लण्ड को अपने काम-रस से नहला दिया।
रमेश को हटा कर अनिल मेरी चूत पर अपना मुँह लगा कर मेरा सारा रस पीने लगा और चूत को चूसने लगा।
मुझे असीम आनन्द आ रहा था।
रमेश उठ कर मेरे मुँह के पास आ गया और अपना मेरी चूत के रस से भीगा लण्ड मेरे मुँह के आगे कर दिया।
मैं उसके लण्ड के मोटे हिस्से को चाटने लगी तो उस पर मेरा और उसका मिश्रित रस बड़ा स्वादिष्ट लगा। फिर मैं उसे पूरा चूसने लगी तो वो जोश में भर गया और अपना माल मेरे मुँह में छोड़ने लगा। जब तक मैं उसका लण्ड मुँह से निकालती, तब तक ढेर सारा माल मुँह में भर गया और बाकी मेरे चेहरे और चूचियों पर गिरा।
मुँह वाला माल मैं निगल गई लेकिन लगा कि उलटी हो जाएगी परन्तु संभल गई। जो माल चूचियों और चेहरे पर गिरा, उसकी मालिश उसने कर दी।
अब अनिल मुझे चोदने के लिए मेरी जांघों के बीच में आ गया, मेरी चुदी हुई चूत के मुँह पर अपना सुपारा रगड़ने लगा, मोटे और बड़े लण्ड का अहसास कर चूत पानी निकालने लगी।
फिर अनिल ने जोर मारा तो चूत फैलती हुई उसके लण्ड के लिए रास्ता देने लगी, लण्ड चूत के दीवारों को रगड़ता हुआ मेरी बच्चेदानी तक चला गया। लण्ड को समायोजित करने में चूत पूरी गाण्ड तक फ़ैल गई।
अब मेरी और अनिल की झांटे आपस में छूने लगी थी, मैंने अनिल की कमर पकड़ ली, वो बोला- देखता हूँ कि बंसल साहब की बेटी में कितना दम है।
मैंने उसे चूमा और वो मुझे चोदने लगा, उसका 7 इंच का लण्ड मेरी बच्चेदानी पर टकरा रहा था, हर झटके पर मेरी आह निकल जाती। मैंने चूत को ढीली छोड़ दी नहीं तो फटने का डर लग रहा था। अनिल पूरी मस्ती और जोश से मेरी फ़ुद्दी चोद रहा था और रमेश मेरी गाण्ड में उंगली डाले हुए था था। मेरी चूचियाँ अनिल की छाती से पिस रही थी और मेरे होंठ अनिल चूस रहा था।
चोदते चोदते अचानक अनिल पलट गया और मैं उसके ऊपर हो गई और चूत से लण्ड निकल गया लेकिन रमेश ने हाथ लगा कर चूत में अनिल का लण्ड डाल दिया। अब मैं अनिल को चोद रही थी और रमेश मेरे चूतड़ फैला कर मेरी चूत जिसमें अनिल का लण्ड घुसा हुआ था चाटने लगा।
गज़ब का मज़ा आ रहा था- अनिल को चोद रही थी और रमेश मेरी चूत, गाण्ड और अनिल का लण्ड तीनों को चाट रहा था !
थोड़ी देर बाद अनिल मुझे घोड़ी बना कर चोदने लगा और मैं रमेश का लण्ड चूसने लगी। अनिल ने मेरी कमर को दोनों हाथों से क़स रखा था और पूरा लण्ड गपागप पेल रहा था।
चोदते चोदते अचानक अनिल ने झटके से लण्ड बाहर खींच लिया तो चूत से चप की आवाज़ निकल गई, फिर झटके से पूरा लण्ड पेल दिया तो मेरे मुँह से आह निकलनी चाही लेकिन मुँह में लण्ड होने के कारण आवाज़ घुट कर रह गई।
रमेश चूत के पानी से अपनी उंगली गीली करके मेरी गाण्ड में डाल कर उसे भी हिलाने लगा। मुझे अब उसकी उंगली से मज़ा आने लगा था। जब गाण्ड थोड़ी और ढीली हुई तो अपना अंगूठा डाल कर हिलाने लगा। अब मेरी गाण्ड में अंगूठा तो चूत में लण्ड था तो मुँह में रमेश का लौड़ा !
मैं तीनों तरफ से चुद रही थी, बहुत मज़ा आ रहा था मुझे !
फिर दोनों ने अपना अपना स्थान बदल लिया, रमेश पीछे आ गया और अनिल ने मेरे मुँह में डाल दिया, रमेश मेरी चूत-गाण्ड चाटने लगा। गाण्ड पर जब उसकी जीभ जाती तो गज़ब का आनन्द आता।
फिर रमेश अपना लण्ड मेरी चूत में डाल कर चोदने लगा लेकिन मेरी चूत अनिल के लण्ड जितनी खुल गई थी और रमेश का लण्ड का पता ही नहीं चल रहा था, शायद रमेश को भी चूत में मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड पर लगा कर धक्का मारा तो उसका लण्ड अंदर चला गया। दर्द तो बहुत हुआ लेकिन हिम्मत करके सह गई और वो गाण्ड चोदने लगा।
मुझे मज़ा तो नहीं आ रहा था लेकिन उसकी ख़ुशी के लिए गाण्ड मरवाती रही। करीब 10-15 मिनट बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा, फिर तो गाण्ड गपागप लण्ड लेने लगी, उसके अंडकोष मेरी चूत से टकरा कर मुझे बहुत मज़े दे रहे थे, हर धक्के पर मैं गाण्ड उसकी ओर धकेल देती और उसका लण्ड पूरी गहराई को नाप लेता।
और जल्दी ही उसने मेरी गाण्ड में अपना माल छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद उसका लण्ड गाण्ड से बाहर निकल गया।
अब बारी अनिल की थी, मैं उसके ऊपर चढ़ कर चुदने लगी, अब तक मेरी चूत और गाण्ड दोनों फ़ैल चुकी थी और मैं पूरे जोश से चुद रही थी। अनिल मेरे चूचे मसल रहा था, मैं भी बीच बीच में अनिल के छोटे छोटे चुचूक चूसती, काटती। चूंकि मेरी गाण्ड भी चुद चुकी थी इसलिए गाण्ड से कई बार पाद निकल रही थी और थोड़ी देर में ही मैं झड़ गई और पूरा रज अनिल के लण्ड को पिला दिया।
फिर उसने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतड़ों पर चढ़ गया।
मैं समझी कि अब वो मेरी गाण्ड में डालेगा लेकिन उसने मेरे पेट के नीचे तकिया लगा दिया जिससे मेरी गाण्ड ऊपर को उठ गई तो उसने चूतड़ों को हाथ से फैला दिया और चूत में लण्ड लगा के गप से पूरा डाल दिया।
मैं कराह उठी तो बोला- डार्लिंग अब तुझे इस तरह चोदूँगा कि पिछली सारी चुदाई भूल जाओगी !
और वो लगा मुझे चोदने गपागप !
उसका लण्ड मेरी चूत की ऐसी तैसी कर रहा था तो मेरे चूतड़ स्प्रिंग का काम कर रहे थे, उसके हर धक्के पर चूतड़ उसे बाहर धकेल देते उसकी छाती मेरी नंगी पीठ पर रगड़ रही थी।
वो मेरी पीठ, गर्दन और मेरे कानों को चूमता तो कभी काट लेता। मैं आःह आह्ह करती और चूतड़ उठा कर उसे मज़ा देती, उसकी झांटें मेरे चूतड़ों पर रगड़ खाती तो स्वर्ग का आनन्द आता था, बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
इसी अवस्था में चोद चोद कर उसने मुझे मस्त कर दिया, फिर मुझे सीधी कर के लिटाया और चढ़ गया मेरे ऊपर और लगा चोदने ! मेरी चूत में लण्ड ठसाठस जा रहा था, मैं चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी, चूत लण्ड की लड़ाई में पच-पच, पचाक जैसी आवाज़ें आ रही थी।
अचानक वो चूत में माल गिराने लगा उसका गर्म-गर्म माल पूरे वेग के साथ मेरी बच्चेदानी पर गिर रहा था, उसके जोश को चूत संभाल नहीं सकी और मैं भी झड़ गई, मेरे मुँह से आह आह्ह उह उईए मम्मी मैं मर गई जैसी आवाज़ें निकल रही थी।
और हम ऐसे ही सो गए। सुबह मेरी नींद 11 बजे खुली तो देखा कि वो दोनों जा चुके थे और मेरा घर पर बाहर से ताला लगा था। मैंने ही उनसे ऐसा करने को बोला था।
मेरा पूरा शरीर टूट रहा था, बिस्तर की चादर की ऐसी-तैसी हो गई थी। सामने मम्मी की मुस्कराती फोटो दिख रही थी, शायद उनको भी अपनी बेटी के औरत बनने की ख़ुशी थी।
मैं अंगड़ाई लेकर बाथरूम में गई तो मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। गाण्ड, चूत, चूचियाँ, चूतड़, होंठ सारे दर्द कर रहे थे।
पहले टायलेट और सू-सू करके गाण्ड चूत से उनका माल निकाला, शीशे में देखा तो मेरे चूचियों, चूतड़, पेट, पीठ, जांघों पर करीब बीस जगह चूसने और काटने के नीले रंग के गहरे निशान बन गए थे। मुझे बाद में एक सहेली ने बताया कि इन निशानों को लव-स्पॉट कहते हैं।
मैंने नाश्ता किया और फिर सो गई। शायद इतनी चुदाई हो गई थी कि कई दिनों तक लण्ड के बारे में सोच कर भी चूत में दर्द होने लगता था।
तो दोस्तो, यह थी मेरी औरत बनने की आप बीती सत्य कथा !
आगे अब मेरी कहानियाँ आती रहेंगी।
तब तक के लिए आप सबके मोटे लम्बे लौड़ों को मेरी चूत का चुम्बन !
पूनम
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