एक के साथ दूसरी मुफ़्त-2

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प्रेषक : संजय शर्मा

उसने मुझे कहा- अंदर अलमारी में मेरे बॉय फ्रेंड का सूट रखा है, वही पहन लो।

यह कह कर वो दोनों अपने अगले पेग को ख़त्म करने में लग गई। मैं अंदर गया पर मुझे वो सूट नहीं मिला तो मैंने अपनी दोस्त को आवाज़ दी।

थोड़ी देर में वो अंदर आई, तब तक उसके कदम हिलने लगे थे, वो सीधे अंदर आई और मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी और बोली- सूट तो यहाँ था ही नहीं तो मिलेगा कहाँ से।

मैं भी हंसने लगा और उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरे ऊपर लेट कर मुझे अविरत चूमने लगी। मैंने भी उसको चूम रहा था और हम दोनों एक दूसरे को चूमने में इतने व्यस्त हो गए कि हम लोगों को मनीषा का ध्यान ही नहीं रहा।

तभी हमें दरवाजे पर आहट सुनाई दी तो हम लोग अलग अलग हो गए। दरवाज़े पर मनीषा खड़ी हुई हम लोगों को देख रही थी।

वो अंदर आई और बोली- मुझे नहीं लगता कि संजय को अब सूट की जरुरत है।

हम लोगों ने एक दूसरे को देखा तो वो हंस कर बोली- इसको यहाँ देखते ही मुझे लगा था कि कुछ तो बात है ! पर तुमने पार्टी की बात कह कर मुझे टाल दिया पर अब तो मुझे पता चल गया कि यहाँ क्या गुल खिलने वाले हैं।

उसने राधिका को सॉरी बोला और कहा- मेरे कारण तुम दोनों का कार्यक्रम ख़राब हो गया है, मैं तो कबाब में हड्डी बन गई हूँ। पर कोई बात नहीं, मैं दूसरे कमरे में सो जाऊँगी। तुम लोग यहाँ जो मर्ज़ी हो, कर सकते हो ! मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।

यह कह कर वो जाने लगी तो मेरी दोस्त ने उसका हाथ पकड़ा और कहा- तू चाहे तो इस कबाब में हड्डी की जगह मसाले का काम कर सकती है।

यह सुन कर मनीषा मुस्कुराई और मेरी तरफ देखने लगी।

तो राधिका बोली- संजय को कोई परेशानी नहीं होगी।

मैंने कहा- मुझे एक के साथ दूसरी मुफ़्त मिल रही है तो मुझे क्या परेशानी होगी।

तब राधिका बोली- चलो, अपने ड्रिंक ख़त्म कर लें, फिर खेल शुरु करेंगे।

अब हम लोगों में कोई शर्म नहीं थी और हम लोग वापस कमरे में आ के अपने ड्रिंक ख़त्म करने लगे। राधिका मेरे साथ बैठ गई और मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगी। हम एक दूसरे से चिपक कर बैठे थे और मेरा एक हाथ राधिका के गले में था।

राधिका ने मनीषा को भी मेरे पास आ कर बैठने को कहा तो वो भी अपना ग्लास लेकर मेरी बगल में बैठ गई। मैंने अपना ग्लास रख कर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने से चिपका लिया। उसने अपने ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया और अपने हाथों से मुझे पिलाने लगी।

उधर राधिका का हाथ मेरे लण्ड पर पहुँच गया था और वो उसको सहला रही थी।

मैंने मनीषा के बालों में हात फेरते हुए उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया तो उसने अपनी आँखें बंद करके अपने होंठ मेरे तरफ कर दिए। अब मैंने अपने होंठ उसके रस भरे होंठों पर रख दिए और उनको चूसने लगा।

अब हम तीनों पूरे मूड में थे, हमने अपने अपने ग्लास रख दिए और राधिका ने उठ कर लाइट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया, वो आकर मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ गई और अपने होंठ मेरे लण्ड पर रख दिए और पैंट के ऊपर से ही उसको चूमने लगी। मैं अभी तक मनीषा के होंठों को चूस रहा था।

कभी मैं उसकी जीभ को चूसता, कभी वो मेरी जीभ को चूसती। मैं थोड़ी देर तक उसके रसीले होंठों का मज़ा लेता रहा, फिर मैंने अपना मुंह नीचे कर उसकी छाती पर लगा दिया। मैंने अपने हाथ से उसके नाईट सूट के ऊपर के दो बटन खोल दिए जिससे उसके वक्ष की हल्की सी झलक मुझे दिखने लगी।

नीचे राधिका ने मेरी पैंट की जिप खोल दी थी तो मैंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। अब मेरा मुँह मनीषा के सीने पर, एक हाथ मनीषा के नितम्बों पर और दूसरा मनीषा के सिर पर जो मेरे लण्ड को चूम रही थी।

मैं सिर्फ चड्डी में था और मेरा लण्ड बहुत टाईट हो चुका था। मैं क्या करता दो दो मस्त माल मेरे हाथ में जो थे।

अब मैंने मनीषा के टॉप के सारे बटनों को खोल दिया, उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो उसके गोरे बदन पर बहुत मस्त लग रही थी साथ ही उसके चूचों का आधा भाग उसमें से बाहर झलक रहा था। मैं उसको चूम रहा था, फिर मैंने राधिका के हाथ पकड़ कर उसका टॉप भी निकल फेंका। राधिका का हाथ अब तक मेरी चड्डी के अंदर चला गया था और वो मेरे लण्ड से खेलने में मस्त थी।

मैंने मनीषा को खड़ा किया और उसका पजामा भी नीचे खींच दिया तो वो शरमा गई पर मैंने उसका हाथ पकड़ के अपनी ओर खींच लिया। वो मेरे ऊपर गिर सी गई और मेरा मुँह उसके स्तनों के बीच में आ गया। उसके जिस्म की खुशबू मुझे पागल बना रही थी।

मैं उसके वक्ष पर चुम्बन किये जा रहा था और मनीषा भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मेरी टांगों के बीच बैठी राधिका मेरी चड्डी के ऊपर से मेरे लण्ड को चूम रही थी और अब वो मेरी चड्डी उतारने लगी थी। मैंने अपने को थोड़ा उठा लिया जिससे उसको मेरी चड्डी उतरने में आसानी हो गई और जल्दी ही मेरी चड्डी भी मेरे शरीर से अलग हो गई।

अब मेरा खुला लण्ड राधिका के हाथ में था और वो उसको चूम रही थी। मैंने मनीषा के ब्रा के हूक खोल दिए और मेरी आँखों के सामने उसके चूचे झूल रहे थे। मैंने उन्हें अपने हाथों में लेकर दबाना शुरु कर दिया और उसके चुचूकों को भी मसला।

जब भी मैंने उसके चुचूकों को मसलता, उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकलती जो मुझे और मदहोश बना रही थी।

अब मनीषा ने अपने उरोज को अपने हाथ में लेकर मेरे मुँह से लगा दिया और मैंने उसको चूसना शुरु कर दिया। एक अजीब सी खुशबू आ रही थी उसमें से।

उधर राधिका मेरे लण्ड की मुठ मारने लगी थी जो मेरे पागलपन को और बढ़ा रही थी। मैंने अपना एक हाथ उसके सिर पर रख रखा था और उसका मुँह अपने लण्ड की ओर बढ़ा रहा था, वो अपनी जीभ से मेरे लण्ड को चाट रही थी तो मैंने उसको कहा- राधिका डार्लिंग, अब नहीं रहा जा रहा !

तो वो मुस्कुराई और अपना मुँह खोल कर मेरे लण्ड को अंदर-बाहर करने लगी। मैं ख़ुशी से पागल हो रहा था। अब मैंने मनीषा के पजामे को नीचे सरका दिया और उसको नीचे करने लगा तो मनीषा ने अपने हाथ से अपना पजामा उतार दिया। उसने काले रंग की वी शेप की पैंटी पहनी हुई थी जो उसकी चूत में घुसी हुई थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ रख दिया।

यह देख कर राधिका भी जोश में आ गई और उसने भी अपना पजामा और ब्रा उतार दी। मेरे सामने दो खूबसूरत लड़कियाँ केवल पैंटी में थी और मैं पूरा नंगा उन दोनों के बीच में !

अब मेरा लण्ड सीधा तना खड़ा था, राधिका ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मनीषा नीचे बैठ के मेरे लण्ड से खेलने लगी। उसने जल्द ही मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी।

मैं सोफे पर बैठा था और राधिका ने अपनी दोनों टाँगे चौड़ी कर के मेरे सामने झुक कर खड़ी हो गई। मैंने अपने हाथों से उसके गोरे जिस्म से उसकी ब्रा अलग कर दी और उसके मम्मों को दबा कर चूसने लगा। मेरा हाथ उसकी चूत को सहला रहा था। अब वो थोड़ी ऊपर हुई और उसकी चूत मेरे मुँह के पास थी और उसमें से मस्त खुशबू आ रही थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चूमा और पैंटी को नीचे उतार दिया।

उसकी बिना बालों वाली गुलाबी चूत मेरे मुँह के पास थी। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल के उसको चूसने लगा।

राधिका मेरे सिर पर अपने हाथ रख के मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी और मैं अपनी मस्ती में उसकी चूत चाट रहा था। मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत को पूरा अपने मुँह में रख लूँ पर वासना के कारण उसकी चूत फूली हुई थी बिल्कुल पाव की तरह, तो मैं जितना हो सकता था उसकी चूत को मुँह में ले ले कर चाट रहा था, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसको चाट रहा था।

अब उन दोनों ने मुझे नीचे लेटा दिया और मनीषा मेरे मुँह के पास मेरे सिर के दोनों और अपने पैर करके घुटनों के बल बैठ गई। उसकी वी शेप पैंटी पीछे से उसकी गाण्ड की दरार में घुस रही थी, मैंने अब उसकी पैंटी को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। कसम से उसकी चूत तो राधिका से भी सेक्सी थी, एकदम गुलाबी और क्लीन शेव की हुई थी। अब वो अपनी चूत मेरे मुँह पर रख कर इस तरह बैठ गई कि मैं उसकी चूत को आराम से चाट सकूँ।

उधर राधिका ने मेरे लण्ड को पकड़ कर थोड़ी देर मुठ मारी फिर मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर लगा कर मेरे लण्ड पर बैठ गई और थोड़ा सा जोर लगाया।

पहले से चुदी हुई चूत में मेरे लण्ड को जाते देर नहीं लगी और जल्द ही मेरा लण्ड उसकी चूत में सैर कर रहा था। वो उचक उचक के मेरे लण्ड को अपनी चूत में ले रही थी और मैं जन्नत की सैर कर रहा था। एक लड़की मेरे मुँह पर बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी और दूसरी अपनी चूत में मेरा लण्ड ले रही थी, दोनों साथ साथ।

मेरे दोनों हाथ मनीषा के चूचों को दबा रहे थे।

थोड़ी देर में मनीषा की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो मेरे मुँह में ही झड़ गई। वो मेरे बगल में ही लेट गई, राधिका अभी तक मेरे लण्ड पर उचक रही थी।

अब मैंने अपने दोनों हाथ राधिका के नितम्बों पे रखे और नीचे से जोर जोर से धक्के मारने शुरु कर दिए। थोड़ी ही देर में हम दोनों भी झड़ गए और मैंने अपना पानी राधिका की चूत में ही छोड़ दिया। अब राधिका भी मेरे दूसरी बगल में आकर लेट गई। हम तीनों थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहे पर मेरा लण्ड ने मनीषा की चूत का स्वाद नहीं चखा था सो थोड़ी ही देर में वो फिर अपने जोश में आने लगा।

मैंने राधिका की और देखा तो वो आंखें बंद किये हुए लेटी थी और यही हाल मनीषा का भी था। अब मैंने अपने हाथ मनीषा के वक्ष पर रख कर मसलना शुरु किया, मनीषा ने अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा और मुस्कुराने लगी।

शायद वो समझ गई थी कि मैं क्या चाहता हूँ।

मैं उठा और उसकी टाँगे चौड़ी करके उसकी चूत चाटने लगा, फिर मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा।

तभी राधिका बोली- संजय आराम से ! मनीषा को चुदे हुए बहुत समय हो गया है तो उसकी चूत थोड़ी कसी होगी।

तो मनीषा बोली- कोई बात नहीं, मैं दर्द सह लूँगी और कौन सी मेरी चूत पहली बार लण्ड खा रही है सो उतना दर्द नहीं होगा।

उन दोनों की बातें सुन के मेरा लण्ड फिर से अपना आकार ले चुका था।मैंने मनीषा की टांगों को और चौड़ा किया और उसकी चूत के छेद पर अपना टोपा रख कर धीरे धीरे जोर लगाने लगा।

राधिका भी मनीषा के पास आकर उसके होंठों को चूमने लगी।मैंने मनीषा का ध्यान बंटाने के लिए उसके स्तन दबा रहा था और अपने धक्के तेज कर रहा था और अचानक मैंने एक जोर का धक्का मारा तो मनीषा के मुँह से जोर से चीख निकली पर क्योंकि राधिका के होठ उसके होंठों पर थे तो आवाज़ तेज नहीं हो पाई।

मेरा लण्ड एक ही झटके में उसके पूरा अंदर चला गया था क्योंकि उसकी सील पहले ही टूटी हुई थी, मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई और न ही मनीषा को उतना दर्द हुआ जितना एक कुंवारी लड़की को अपनी सील तुड़वाते हुए होता है।

अब मैंने जोर जोर से झटके लगाने शुरु कर दिए और मनीषा भी अपनी गाण्ड उचका के मेरा साथ दे रही थी। राधिका कभी उसके होंठों को चूसती तो कभी उसके चुचूकों को।

मैं भी मनीषा के वक्ष और राधिका की गाण्ड पर हाथ फेर रहा था। राधिका ने अपनी गाण्ड मेरी ओर कर रखी थी और उसकी गाण्ड का छेद मुझे साफ़ दिख रहा था क्योंकि वो घोड़ी की तरह मनीषा के ऊपर झुकी हुई थी तो उसके नितम्ब पूरे चौड़े थे और गाण्ड का छेद काफी आराम से दिख रहा था। मैंने उसके छेद में ऊँगली करके उसको भी मज़े दे रहा था। जल्दी ही मनीषा ने भी अपना पानी छोड़ दिया और मैं उसके ऊपर पूरी तरह से लेट के उसको चोदने लगा। पानी छोड़ने के बाद मनीषा तो पस्त हो गई तो सारी मेहनत मुझे ही करनी रही थी सो थोड़ी देर उसकी चूत को चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड वहाँ से निकाल कर राधिका के मुँह में डाल दिया जो अभी तक वहीं थी और उसके मुंह को चोदने लगा, वो भी मेरा साथ दे रही थी और जल्दी मैंने अपना पानी उसके मुँह में छोड़ दिया जिसको वो बड़े आराम से पी गई।

हम लोग लेट गए और थोड़ी देर में नंगे ही सो गए।

फिर हमने रात में उठ कर एक ट्रिप और ली और अगली ट्रिप सुबह-सुबह। फिर हमने यह खेल दुबारा खेलने के लिए दिन और समय तय किया और अपने अपने घर निकल गए। इसके बाद हमने कई बार यह खेल खेला और मैंने उन दोनों की गाण्ड भी मारी।

उन दोनों की गाण्ड की खूबसूरती का वर्णन मैं अपनी अगली कहानी में करुँगा। आपको यह कहानी कैसी लगी, हमेशा की तरह जरुर बतायिगा, मुझे आपके प्रोत्साहन भरी मेल का इंतजार रहेगा।

धन्यवाद

संजय शर्मा

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