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प्रेषक : आलोक कुमार
काफी दिनों बाद अपनी नई कहानी भेज रहा हूँ और उम्मीद करता है कि आप सबको पसंद आयेगी।
इस बार काफी दिनों बाद मुझे एक कॉल मिला, मैं भी बिना किसी काम के बेकार बैठा था, मेरे दलाल ने मुझे बता दिया था कि एक शादीशुदा महिला है, नाम (बदला हुआ) रीमा, शहर लखनऊ की हैं, बात करेंगी और जैसा हो तय कर लेना।
मैं इसके लिए तैयार हो गया। उसी रात रीमा का फोन आ गया और उसने बताया कि वह मुझे बुला कर अपनी शरीर की प्यास बुझाना चाहती है।
मैं बोला- आप जब चाहेंगी मैं आ जाऊँगा।
वह बोली- आप अगर आ सको तो सोमवार को आ जाओ और बुधवार को शाम चले जाना।
मैं बोला- ठीक ! इसका मतलब आप तीन दिन के लिए मुझे अपने साथ रखेंगी। मैं आ जाऊँगा, आप अपना पता और मैं कैसे आप तक पहुँचूंगा, बता देना।
वह बोली : मेरा नंबर आप सुरक्षित कर लो और जब आना तो एक फोन कर लेना मैं आपको ले लूंगी।
सोमवार को मैंने तैयार होकर उसको फोन किया और बोला- आप बताओ, मैं आ रहा हूँ !
बोली- आप कहाँ हो?
मैं बोला- चार बाग पर हूँ !
उसने वहीं रुकने को कहकर फोन काट दिया।
मैं वहाँ खड़े खड़े एक घंटा बीत गया। मैं ऊबने लगा, सोचा फिर फोन करता हूँ, लेकिन 15 मिनट बाद उसका फोन आया- आप जहाँ भी हैं। रेल-आरक्षण वाली तरफ आ जाओ, वहाँ लाल मारुति दिखेगी।
मैं तुरंत उधर गया तो सामने ही लाल कार थी, मैंने फोन लगाया, बोला- मैं सामने खड़ा हूँ, आप दरवाजा खोल दें।
उसने कार खोल दी मैं तुरंत अंदर बैठ गया।
हम लोग पौने घण्टे में उनके घर पहुँच गए। अंदर आकर उन्होंने मुझे अपना कमरा दिखाया और कहा- आप यहाँ फ्रेश हो लो ! फिर बात करतें हैं।
और वह कमरे से निकल कर अपने दूसरे काम में लग गई।
मैं बाथरूम में गया, गर्म पानी से अच्छे से नहा कर बाहर आया। रीमा भी काम समेट कर आ गई। घर काम करने वालों को उसने तीन दिन की छुट्टी दे दी।
उसने मुझे बताया कि उसका पति स्वस्थ है लेकिन सेक्स में कुछ भी समय नहीं देता, अपने काम में लगा रहता है, अगर दिया तो भी दस मिनट और फिर सो गया या फिर कोई आ गया या फिर काम पर निकल गया, घर पर समय नहीं देता। कोई बच्चे नहीं हैं, शादी हुए आठ साल हो गये।
मैंने कहा- क्या आप या आपके पति बच्चे नहीं चाहते?
तो बोली- क्यों नहीं, लेकिन सारी कोशिश बेकार हो गई।
मैं बोला- क्या मैं आपकी सहायता करूँ?
तो वह बोली- कैसे?
मैं बोला- अगर आप चाहें तो आपको मैं अपना वीर्य दे सकता हूँ।
रीमा बोली- ठीक है, लेकिन हो सकेगा?
मैं बोला- अगर आप कहो तो !
उसने कहा- ठीक है !
फिर हम लोग खाना खाकर अपने कमरे में गए। रात हो रही थी, आठ बज गए थे, मैं बोला- आपकी सेवा करूँ?
बोली- हाँ, उसी के लिए आये हो।
मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार कर पायजामा खोल दिया और अन्डरवीयर में उसके सामने खड़ा हो गया, उसको बोला- क्या आप कुछ अलग चाहेंगी।
उसने कहा- अब तुम्हारा घर है, तुम जो चाहो करो।
मैं उसको पूछा- कोई तेल है?
उसने बताया- हाँ है।
और उसने मुझे तेल की शीशी दे दी।
मैंने उससे पूछा- लाइट हल्की कर दूँ?
और फिर उसको लेटा कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको तेल लगाना शुरु किया और कंधे से लगाते हुए उसके चूतड़ों तक आया और वहाँ पर लगाने के बाद पैरों की तरफ गया।
उसको मजा आ रहा था, उसकी आवाज नहीं निकल रही थी, बिल्कुल शांत थी।
फिर मैं बोला- आप सीधी लेट जाएँ।
वह पलट गई। क्या बड़े बड़े चूचे थे मस्त और बुर पर झांट भरी पड़ी थीं।
मैं बोला- क्या आपकी झांट साफ़ कर दूँ?
उसने कहा- अब तुम जो करो, मैं तैयार हूँ।
मैं अपने साथ शेविंग किट लाया था, उसको निकाला और गर्म पानी के साथ झाग बनाकर रीमा की झांट पर लगाने लगा। उसको इतना करने से ही सिरहन आने लगी।
फिर क्या था, मैं भी उसको खूब ब्रश से अच्छे से रगड़ने लगा। उसकी बुर के अंदर तक ब्रश जा रहा था। वह लाल हुई जा रही थी।
उसको इतना मजा आ रहा था कि उसी में कहने लगी- आज कुछ कर दो इसके अंदर।
फिर अपना रेज़र लेकर उसके बाल साफ़ करने लगा। बार बार पानी से रेज़र धोना पड़ रहा था।
उसके बाल साफ करने के बाद जब बुर की नोक पर साफ़ करने लगा तब वहां सावधानी से उसके बुर की किनारी एक हाथ से पकड़ी और फिर उसके बाल साफ़ करने लगा। उसके किनारी इतनी चिकनी थी कि बार बार छूट जाती थी हाथ से ! फिर भी उसको पूरा अंदर तक साफ़ कर दिया।
फिर तौलिए से ऊपर पौंछा और फिर उसकी बुर के अंदर डाल कर सब साफ़ किया। वह मजा लेकर सफाई करवा रही थी।
फिर तेल लिया और उसकी छाती पर लगाया और उसकी चूची पर लगाया और मसलने लगा। उसका खूब मालिश करने से ही उसका पानी निकल पड़ा था।
धीरे से नीचे हाथ लगाया और उसके बुर पर हाथ फेरने लगा। तेल हाथ में लेकर उसके बुर पर डाला और उसकी बुर की मालिश करने लगा। उसकी बुर की मालिश करते करते रात के दस बज गए। वह अपनी बुर की प्यास बुझाना चाह रही थी, उसने कहा- अब मालिश कल कर लेना, आज बुर की प्यास बुझा दो।
और फिर मेरे लिंग को अपने हाथ से लेकर उस पर तेल लगा कर उसकी मालिश करने लगी। मेरा लिंग तन गया।
फिर क्या था उसका पानी निकल रहा था, वो थक चुकी थी, क्या करता, डाल दिया और वह भी अपने आप से ही उचक उचक कर मजा लेने लगी।
वह अपना पानी गिराने वाली थी कि मैं बोला- रुको ! और उसकी चूत को अपने मुँह पर सटा लिया, उसने अपना पानी जब गिराया तब वह हल्का गाढ़ा था और हल्का दूधिया था, उसका स्वाद भी थोड़ा अलग था, उसमें अजीब सी महक थी जो मदहोश कर दे। उस पानी को मैं चाट गया। इसे देख कर रीमा के अंदर एक जोश भर गया और वह फिर चुदने को बैठ गई और मेरे लिंग को जो ठंडा हो गया था, चूस कर तैयार किया और फिर अपनी चूत के अंदर डाल लिया।
उसने खूब मजा लिया, मेरा पानी गिरने को था तो उसने कहा- अब आप पानी बाहर न गिरने देना, सब चूत में डालना है, मुझे बच्चा लेना है।
और फिर मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। उसने भी अपना पानी गिरा दिया था। मेरा पानी भी उसमें भर कर बाहर आने लगा तो रीमा ने जल्दी से एक तकिया लिया और अपने कमर के नीचे लगा लिया जिससे उसकी चूत ऊंची हो गई और पानी बाहर आना बंद हो गया।
वह भी थक कर चूर हो गई थी, मैं भी। हम लोग नंगे ही सो गये और सुबह देर से जगे।
सुबह ठण्ड ज्यादा थी, मन नहीं कर रहा था कि उठें।
हम लोग देर से सो कर उठे, नहा कर नाश्ता किया और फिर बाहर घूमने निकल गए। सहारागंज में घूमे और कुछ सामान खरीदा और फिर वहीं खाना खाकर घर आ गये और अपने कमरे में जाकर आराम करने लगे। हम दोनों ही सो गये। शाम के चार बजे आँख खुली तो देखा कि रीमा कमरे में ही बैठी है।
मैं बोला- आप कब उठी?
रीमा बोली- बस मैं भी अभी जगी।
मैं बोला- आप कुछ लेंगी चाय या कॉफ़ी।
वह बोली- आप क्या लोगे?
मैं बोला- कॉफ़ी।
रीमा बोली- लाती हूँ !
और चली गई, पाँच मिनट में वह कॉफ़ी बना कर ले आई। हम दोनों ने कॉफ़ी पी और फिर मैंने उसको कहा- चलो कुछ मालिश हो जाये।
वह तैयार हो गई।
कमरे में जाकर उसको बिस्तर पर लेटा दिया और तेल हाथ में लेकर उसके ऊपर डाल दिया।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैं भी चड्डी में था। चुपचाप तेल लगाने के बाद उसकी गांड को तेल पिलाया, साथ में उसके बुर के अंदर तेल भर कर उसको पलट दिया और उसकी बुर की मालिश करने लगा।
उसको पैर को फैला कर लेटने को कहा, उसकी बुर गुलाबी साथ में काले रंग की उसकी पंखुड़ियाँ थीं।
मैं उसकी पंखुड़ियों की मालिश करने लगा। एक पंखुड़ी पकड़ कर दूसरे हाथ से उसकी मालिश कर दी। फिर दूसरी की। तकरीबन 15 मिनट इसी तरह करता रहा फिर उसके दाने की मालिश की। उसका दाना मालिश के कारण लाल हो गया था और उसको मजा आ रहा था। फिर धीरे से उसकी बुर के अंदर उंगली डाल कर उसके अंदर का फूल छुआ। वह गिनगिना गई। धीरे धीरे उसके फूल को मालिश देने लगा।
वह ऐंठ गई और बोली- अब मालिश रोक कर मेरे अंदर अपना फल लगा दो !
और फिर मैंने उसके ऊपर चढ़ कर अपना लण्ड उसके अंदर डाल दिया, उसको कस कर चोदा।
आगे की कहानी अगली बार ……
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आलोक
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