चरित्र बदलाव-7

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रात को करीब 11 बजे दरवाजे की घण्टी बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि ज्योति नशे में थी और उसके साथ एक लड़का खड़ा था. मैंने उस लड़के का नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम अनिल है. मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा. फिर हम दोनों ने सहारा देकर ज्योति को बिस्तर पर लिटा दिया.

रात ज्यादा होने के कारण मैंने अनिल को रात वहीं पर रुकने के लिए कहा तो वो मान गया और मैं और अनिल योगी के कमरे में आकर सो गए. मैंने सुबह जल्दी का अलार्म लगा दिया और सुबह 5 बजे ही उठ गया.

मैं सुबह-सुबह ही आयशा के कमरे में चल दिया. मैंने आयशा के रूम का दरवाजा बजाया, आयशा ने उठकर दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि वो नाईटी में है, मैं अंदर घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया क्योंकि आयशा को देखने के बाद अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था. मगर आयशा ने कहा- ज्योति दीदी घर पर है अभी हम नहीं कर सकते. मैंने कहा- ज्योति तो सो रही है और वो सात बजे से पहले नहीं उठेगी!

तो आयशा मान गई और मैं योगी के पापा के कमरे में गया और वहाँ से दो कंडोम उठा कर ले आया ताकि आयशा को चोदने के बाद मुझे अपना लण्ड जल्दी में बाहर ना निकलना पड़े.

आयशा के कमरे में आने के बाद मैंने जल्दी से उसके कपड़े उतारे और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया. इस बार आयशा इतना नहीं चिल्लाई क्योंकि अब उसकी चूत कुंवारी नहीं थी. मैंने उसको 6:30 बजे तक चोदा, उसके बाद वो स्कूल के लिए तैयार होने चली गई.

उसके स्कूल जाने के बाद 8 बजे मैं ज्योति के कमरे में उसको जगाने के लिए गया तो उसके कपडे अस्त-व्यस्त थे. तब मैंने देखा कि ज्योति की छाती पर काटने के निशान थे. मुझे समझते भी देर ना लगी कि ज्योति ने कल किसी के साथ चूमा-चाटी की है मगर उस निशान को छोड़ मैंने ज्योति को आवाज़ लगाई जिसे सुनकर वो जग गई.

उसके बाद मैंने अनिल को भी उठा दिया और मैं रसोई में आ गया. कुछ देर में मैं चाय लेकर अनिल के कमरे में गया तो देखा कि वहाँ कोई नहीं था.

मैं समझ गया कि ज्योति ने सब कुछ इस अनिल के साथ ही किया है.

उसके बाद मैं चाय लेकर ज्योति के कमरे में गया और जब मैं पहुँचा तो नजारा देख मुझे गुस्सा आ गया क्योंकि ज्योति अपने ही घर में सिगरेट जला कर बैठी थी और दोनों बैठ कर सिगरेट पीते हुए बातें कर रहे थे.

मगर यह मेरा नहीं योगी का घर था इसलिए मैं कुछ नहीं कर पाया और चुप रह गया.

मैं फिर उन दोनों की बातों में शामिल हो गया, बातों ही बातों में पता चला कि वो लड़का तो ज्योति का बॉयफ़्रेंड है. कुछ देर के बाद ज्योति फ्रेश होने चली गई और मैं और अनिल बातें करने लगे. अनिल मुझसे कहने लगा- मैं ज्योति को अभी चोदना चाहता हूँ.

मैंने भी कह दिया- हम दोनों एक साथ इस रण्डी को चोदेंगे! तो अनिल ने हाँ कह दी. शायद अनिल ज्योति को पहले भी चोद चुका था.

ज्योति जब नहा कर बाहर निकली तो अनिल और मैं तो ज्योति को देखते ही रह गए क्योंकि ज्योति ने उस वक्त काले रंग का चमकदार सूट पहना हुआ था जिसे देख किसी का भी मन डोल जाए. अनिल ने उठकर ज्योति को पकड़ लिया मगर ज्योति ने उसे झटक दिया, शायद ज्योति मेरी वजह से शरमा रही थी.

अनिल बोला- मेरी रानी! तू कब से दो लण्डों से चुदवाना चाहती थी, आज हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करेंगे.

यह बात सुनकर ज्योति घबरा गई, मगर अनिल काफी शातिर खिलाड़ी था, उसने देर ना करते हुए ज्योति का सूट उतार फेंका और ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध मसलने लगा.

मैंने भी उठ कर उसकी पेंटी उतार दी और उसकी चूत चूसने लगा. उसकी चूत में एक अजीब सा नशा था क्यूंकि उसने एक दिन पहले ही चूत मरवाई थी.

हम दोनों ने ज्योति को पकड़ा और ले जाकर सोफे पर बिठा दिया, हम दोनों ने एक-एक चूचा पकड़ लिया और मसलने लगे. मैंने अपनी पैंट खोली और अपना लंड ले जाकर ज्योति के मुँह के पास ले गया तो ज्योति ने खुद ही उसे पकड़ा और चूसने लगी क्योंकि वो इस खेल में काफी माहिर खिलाड़ी थी तो वो सब कुछ जानती थी और काफी देर तक मेरा लण्ड चूसती रही.

जैसे ही मैंने अपना लण्ड हटाया, अनिल ने अपना लण्ड उसके मुँह में घुसा दिया और मैं उसके दूध मसलने लगा. फिर मैंने ज्योति को अपनी बाहों में उठाया और अंदर ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया. मैंने अनिल को एक तरफ करते हुए एक जोर का झटका ज्योति की चूत में लगा दिया.

ज्योति बहुत जोर से चिल्ला उठी शायद अनिल का लण्ड मुझसे छोटा था इसलिए ज्योति को ज्यादा दर्द हुआ. मैं 10 मिनट तक उसकी चूत पेलता रहा, इस बीच ज्योति दो बार झड़ गई. उसके बाद मैंने पानी छोड़ दिया.

मैं हट गया और अनिल उसकी चूत मारने के लिए गया.

इतने में मैंने फिर से पाना लण्ड जाकर ज्योति में मुँह में रख दिया और वो उसको बड़े मजे से चूसने लगी. थोड़ी ही देर में अनिल भी झड़ गया और हम एक दूसरे के ऊपर लेट गए.

फिर मैंने ज्योति को उल्टा किया तो ज्योति मना करने लगी. शायद ज्योति ने उससे पहले कभी गाण्ड नहीं मरवाई थी, मगर मैंने उसकी एक भी ना सुनी और उसके दोनों चूतड़ों के बीच में अपना लण्ड घुसाने लगा. मुझे देख अनिल भी जोश में आ गया. फिर मैंने सामने की तरफ़ से ज्योति को अनिल के ऊपर लिटाया और पीछे से मैं ज्योति की गाण्ड में धीरे धीरे अपना लंड घुसाने लगा.

20 मिनट तक गाण्ड मारने के बाद मैं रुका और मैंने ज्योति को सीधा कर दिया और उसके बाद हम काफी देर तक बिस्तर पर लेटे रहे.

उसके बाद हमने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया, लगभग 11 बजे अनिल चला गया और उसके बाद मैंने और ज्योति बातें करने लगे. तभी ज्योति मुझसे बोली- तुम मेरे साथ सेक्स करने की फीस नहीं दोगे? तो मैंने भी कह दिया- जो चाहे मांग लो मेरी जान!

ज्योति ने एक सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी, वो पहली बार था जब मैंने सिगरेट पी थी. फिर हम सिगरेट पीते हुए एक-दूसरे से बातें करने लगे. लगभग दो बजे आयशा भी घर वापिस आ गई. शाम को 7 बजे योगी का फोन आया कि वो आज रात ही 10-11 बजे तक घर पहुँच जायेंगे.

आगे मेरी जिंदगी में क्या-क्या हुआ! जैसे उस रात भाभी के कमरे में कौन था और आगे क्या-क्या हुआ, यह मैं बाद में लिखूँगा! अपनी राय बताने के लिए मुझे मेल कीजिये! [email protected]

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