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प्रेषक : हरेश जोगनी
बड़ा अजीब नज़ारा था, दो गेंद जो मुश्किल से उस कपड़े से बंधे थे, वो उछल कर राजेश के हाथ में आ गए। फिर मैंने भी उसकी पैंट उतारी और पैंटी भी उतारी। अब उसकी गोल गोल गोरी गाण्ड भी हमारे हाथों में थी। मस्त मुलायम मक्खन जैसी गाण्ड थी, मैंने उसकी गाण्ड को चूमना चालू किया तो स्वीटी बोली- हाय, क्या मस्त लग रहा है ! एक के हाथ में मेरे दोनों लड्डू और दूसरे के हाथ में मेरी मुलायम गाण्ड। मेरे भड़वे मर्द के तक़दीर में नहीं थी ऐसी मस्त बीवी। अब तुम्हारे तक़दीर में है।
राजेश- तुम हरेश का लण्ड घोड़ी बन कर चूसो, मैं पीछे से पहले गाण्ड फिर भोसड़े में चोदूँगा।
स्वीटी- हरेश, तुम पलंग पर खड़े हो जाओ, मैं घोड़ी बनती हूँ। चल रे राजेश, डाल दे मेरी गाण्ड में ! मार ले ! तेरे में जितना दम है, निकाल दे।
जैसे ही राजेश का लौड़ा अपनी गाण्ड में लिया और मेरा लौड़ा मुँह में लिया तो थोड़ी ही देर में जवानी का जादू चालू हो गया, तीनों की सिसकियाँ शुरू हो गई।
स्वीटी- राजेश, भोंसड़ी के ! मार मेरी गाण्ड मार ! एक महीने से किसी ने नहीं मारी ! कोई भड़वा इतने पैसे देने को तैयार नहीं था। अह आआअ आया इ इ इ उह उह उह ।
मैं- ले मेरी स्वीटी राण्ड, मेरे लौड़े को भी चखा अपने मुँह का मज़ा।
स्वीटी- हरेश, सीधे से बात कर ! मैं कोई शौक से राण्ड नहीं बनी।
मैं- देख तू पैसे लेती है चुदवाने के तो राण्ड ही हुई न ?
स्वीटी- अच्छा भड़वे, ला अपने लौड़े को मेरे मुँह में डाल दे। चोद डाल मेरे मुँह को भी। इतने दिन हुए जो भी आये लौड़ा अन्दर डाला, हिलाया, पानी निकाला और पैंट पहनकर चला गया। आज मुझ पर चुदवाने का बुखार चढ़ गया है। चोदो भोंसड़ी के।
राजेश- स्वीटी, अब अपने भोंसड़े में डलवा ले !
स्वीटी- हाँ डाल ना ! मैं थोड़ा नीचे झुकती हूँ।
राजेश- ले ले ! ले, ले भोसड़ी की ! राण्ड ले ! तेरे भोसड़े की भूख मिटा देते हैं हम।
स्वीटी- हाँ बस मस्त ! गया लौड़ा अन्दर तक ! चल चालू कर अपनी गाड़ी।
राजेश ने उसको चोदना चालू किया ही था, उतने में पड़ोस के कमरे से किसी औरत और मर्द की आवाज सुनाई दी।
स्वीटी- कौन? रूपा है काया री? मिला क्या कस्टमर?
रूपा- हाँ री ! यहाँ वहाँ भटक रहा था ! जैसे ही पास आया तो खींच लिया अन्दर ! बहुत मस्त गोरा चिट्टा है रे ! क्या रे? इधर-उधर क्यों भटक रहा था? जो पसंद आई उसके पास चले जाने का। देखा तू रात भर रुकने वाला है और बाजू के कमरे में मेरी सहेली के ऊपर दो कस्टमर चढ़ रहे हैं। तू शरमा मत ! मैं तुझे सिखा दूँगी चोदने का। मेरे सारे कपड़े उतार तू और मैं तुझे नंगा करती हूँ।
यह सुनकर मैं स्वीटी और राजेश तीनों की साँसें गर्म हुई, हमारी सिसकारियाँ जोर से होने लगी।
स्वीटी- हरेश, क्या मस्त लौड़ा है रे ? चूसने दे रे ! अब पड़ोस के कमरे में चुदाई होगी तो सुनकर मेरी आग और भड़क उठी है।
राजेश- हाँ साली ! उनकी बातें सुनकर अब तो मस्ती का पारा और ऊपर चढ़ गया। अरे ओ पड़ोसी ! तू नया नया मेरे जैसा चोदने आया है न? बिलकुल डर मत तेरी सहेली सब सिखा देगी। पहले उसके गेंद दबा दे, मैंने भी वही किया और फिर गाण्ड मार दी और अब इस राण्ड की आगे से चुदाई कर रहा हूँ। तू भी अपने वाली राण्ड को चूस ! चूसने के बाद में चोद ! नया है तो रात भर में 3-4 बार तो चोदेगा ही।
पड़ोस के कमरे से उस लड़के की आवाज आई- तुम्हारी बातें सुन कर मेरा डर चला गया और तुम्हारी तरह मैं इस रंडी को चोदूँगा।
रूपा- क्या रे भड़वे? रण्डी मत बोल। यह गाली होती है। अभी तू नया नया चोदने का सीख रहा है। अच्छा नहीं लगता रे ! मजबूरी से करना पड़ता है।
स्वीटी- अरे बोलने दे रे रूपा ! हम रण्डी तो हैं ! क्या पैसे नहीं लेती चुदवाने के ? बोलने दे ! उसका क्या कसूर? जिसने बनाया उसका कसूर है। मुझे तो कोई रण्डी बुलाता है तो अब अच्छा लगता है। औरत को डर किस चीज का होता है सिर्फ पराये मर्द से चुदने का, अब कोई डर नहीं। ऐ लड़के, जम कर चोद मेरी प्यारी रण्डी सहेली को और मेरे राजेश और हरेश, तुम भी चालू रखो अपना चोदम-चोद।
इधर राजेश के चुदाई के बाद मैंने स्वीटी को अपनी गोद में मेरी तरफ मुँह करके गाण्ड में लौड़ा लेकर ऊपर-नीचे होने कहा। करीब 5 मिनट बाद मैंने उसको भोंसड़े में लौड़ा लेने कहा।
इस चुदाई में दस मिनट लगे होंगे। मैंने पानी नहीं छोड़ा मैंने मुँह में एक च्युइंगगम चबा रखी थी जिससे चुदाई लम्बी चल रही थी। इस बीच राजेश ने कोंडोम हटाकर उसके मुँह में लौड़ा मेरे माथे पर से देना चालू किया जिससे मुझे झुक जाना पड़ा। मेरे बाद राजेश ने दुबारा अपने लौड़े को खड़े खड़े स्वीटी के भोसड़े में डाल दिया और दोनों हाथों से जांगो को पकड़कर उसकी चुदाई चालू की।
आखिर में मैंने लेटते हुए उसको मेरे लौड़े को मेरी तरफ पीठ करके लेने कहा और राजेश ने उसके भोसड़े में और मैंने उसके गाण्ड में चुदाई की बरोबर !
उसकी गाण्ड में और भोसड़े में पानी चूता पर कोंडोम के कारण अन्दर नहीं गया। हमने कोंडोम हटा दिए और लौड़ा साफ़ करके नंगे ही स्वीटी के अगल बगल में सो गए।
बाहर सड़क पर चहल-पहल शुरू हो गई थी तो हमने स्वीटी को जगाया और उसके हाथ में रुपये दिए और सीधे से लिटाकर उसको बारी-बारी चोदा।
उसने मस्त अंगड़ाई लेते हुए हम दोनों का चुम्मा लिया। फिर राजेश ने उसको पैंटी और काली पैंट पहना दी और मैंने उसको टीशर्ट पहना दी।
स्वीटी- बहुत मस्त मज़ा आया। बहुत महीने बाद किसी ने ऐसे जम के चोदा। कभी याद आई तो आना। तुम क्या आओगे/ तुम मर्द भंवरे जैसे एक फूल से दूसरे फ़ूल को चूसने वाले। फिर भी याद आई तो आना।
हमने बाहर आकर देखा तो हमारे जैसे रात वाले ग्राहक रण्डियों को रात भर चोद कर बाहर निकल रहे थे।
और कुछ अपने मुँह छिपाने की कोशिश कर रहे थे।
इतने में रेशमा आई- क्यों मज़ा आया ना? स्वीटी ने कोई तकलीफ नहीं दी ना? आना दोबारा ! मेरे यहाँ मस्त मस्त रण्डियाँ बाहर गांव से भी आती रहती हैं धंधा करने के लिए।
स्वीटी हमें दरवाजे तक छोड़ने आई और रूपा का ग्राहक भी बाहर आया। वो मुँह छुपा रहा था पर हमसे हाथ मिलाया और मैं और राजेश तुरंत टैक्सी पकड़ होटल पहुँच गए। होटल का मैनेजर समझ गया था कि रात भर हम कहाँ रहे होंगे। वो मूंछों में हस रहा था। हम कमरे में जाकर नहाना-धोना करके होटल का बिल चुका कर स्टेशन की तरफ चल दिए। राजेश ने मुझसे हाथ मिलाया और गले मिला, मिलकर बोला- यार तुमने दोनों तरीके के सेक्स का मज़ा दिलाया। शुक्रिया, फिर मिलेंगे।
यह थी मेरी एक दोस्त से एक अजीब सी मुलाक़ात !
अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजना।
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