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प्रेषक : अमित शर्मा
सबसे पहले गुरु जी को धन्यवाद कि उन्होंने मेरी सभी कहानियाँ अन्तर्वासना पर प्रकाशित की। जैसा कि आप सब को मैंने बताया था कि मैं सोनीपत में रहता हूँ। मेरा नाम अमित है और मैं एक प्लेबॉय हूँ।
यह कहानी बहुत लम्बी है कि मैं जिगोलो कैसे बना। मैं देखने में सुन्दर हूँ और मेरा कद 5’11” है, मेरे लण्ड की लम्बाई सात इंच है।
तो दोस्तो, यह तो हो गया मेरे बारे में ! अब मैं आपको अपनी एक घटना बताता हूँ !
अभी कुछ दिनों पहले मेरी बुआ की लड़की की शादी थी। वहाँ हमारे सभी रिश्तेदार आये हुए थे, मेरी एक दूर के रिश्ते में लगने वाली मौसी भी आई हुई थी जिसे पता नहीं कैसे पता चल गया कि मैं जिगोलो भी हूँ।
मुझे यह तब पता चला जब मेरी मौसी ने मेरे ऊपर यह फ़िकरा कसा कि आजकल तो नौजवान लड़के पैसों के लिए कुछ भी करते हैं। उनकी इस बात पर मुझे गुस्सा आया कि जरूरतमंद औरतों और लडकियों की मदद करना क्या गलत काम है। उस समय तो मैं वहाँ से उठ कर ऊपर छत पर चला गया।
थोड़ी देर बाद मौसी भी ऊपर आ गई और वहाँ मैं और सिर्फ मेरी मौसी ही थी। मौसी दिखने में तो एकदम सच में कमाल थी, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, एकदम मस्त गाण्ड !
मुझे ऐसे फिगर वाली कम ही औरतें सेक्स के लिए बुलाती हैं।
मौसी ने मुझे कहा- तू तो बहुत बड़ा हो गया है?
मैं गुस्से में तो था ही, मैंने भी बोल दिया- मेरा वो भी बड़ा हो गया है।
तभी मौसी बोली- उसी का तो जायजा लेने आई हूँ !
अब तो मेरा गुस्सा ख़त्म और मुझमें वासना उतर आई।
रात का समय था छत पर काफी अँधेरा था। मौसी मेरे करीब आई और उन्होंने मेरे लोअर में हाथ डाल दिया, मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ कर बोली- यह तो सच में बड़ा हो गया है !
और लोअर को नीचे सरका दिया। अंडरवियर तो मैंने पहना ही नहीं था। वो झुक कर बैठ गई और मेरे लण्ड को पकड़ कर मुँह से चूसने लगी। मुझे उनके बारे में पहले से ही पता था कि वो अपने समय की बहुत बड़ी राण्ड रह चुकी थी, उनके पति भी अब बीमार रहते हैं तो सेक्स की आग तो उनमें लगनी ही थी।
कुछ देर चूसने के बाद वो उठी तो मैं उनके होटों को चूमने लगा और धीरे धीरे उनकी मस्त चूचियाँ दबाने लगा। वो भी बहुत गर्म हो गई थी। उन्होंने साड़ी पहन रखी थी।
हमें थोड़ी जल्दी भी थी क्योंकि वहाँ किसी के आने का डर था, ऊपर वैसे तो कोई आता जाता था नहीं, फिर भी वो जगह सुरक्षित नहीं थी।
मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उनकी पैंटी नीचे करके बिल्कुल उतार दी। अब चूसने की बारी मेरी थी, मैं नीचे झुक कर बैठ गया और उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर कर दिया उन्होंने भी अपने पैर थोड़े से फैला लिए ताकि चूत के दर्शन अच्छे से हो जायें और मैं आराम से चूस सकूँ।
उनकी चूत गीली थी और जैसे ही मेरी जीभ ने चूत पर दस्तक दी उनकी तो आह निकल गई। उनकी चूत का स्वाद सच में काफी अच्छा था। मैं उसे मस्ती के साथ चूस रहा था। कुछ देर बार मैंने उन्हें वहीं घोड़ी बनने को कहा क्योंकि हमें थोड़ी जल्दी थी इसीलिए सारे कपड़े उतार नहीं सकते थे हम।
वो भी यह बात समझती थी इसीलिए उन्होंने देर नहीं लगाई, वो घोड़ी बन गई और मैंने अपने लण्ड को को उनकी चूत पर रखा और धक्का लगाया तो लण्ड पूरा उनकी चूत में चला गया। उनके मुँह से मीठी सी आह निकली और उनकी सांसें तेज तेज चलने लगी।
मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए। हम दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था और मैंने तो यह सोचा भी नहीं था कि ऐसे मौके पर भी मुझे चूत मिल जाएगी।
मैंने धक्के तेज तेज लगाने शुरु कर दिए, थोड़ी देर बाद मौसी का पानी निकलने लगा। एकदम से मेरे दिमाग में आया कि उनकी गाण्ड भी तो अभी बाकी रहती है, चूत का काम तो पूरा हो गया।
मैंने लण्ड को चूत से निकाला, लण्ड पर इतनी चिकनाई थी कि वो आराम से गाण्ड में जा सके। मौसी को शायद यह अहसास नहीं था कि मैं उनकी गाण्ड भी मरूँगा।
मैंने एक ही झटके में गाण्ड में लण्ड उतार दिया उनकी गाण्ड भी थोड़ी ढीली ही थी पर उन्हें बहुत दर्द हुआ, वो बोली- गाण्ड मरवाए तो मुझे कई साल हो गये हैं, आराम से कर !
पर मैं कहाँ रुकने वाला था, लण्ड को बाहर निकालता और अंदर तक डाल देता। अब मुझे बहुत मजा आने लगा था।
कुछ देर बाद मैंने भी अपना सारा पानी उनकी गाण्ड में निकाल दिया। हम दोनों ने कपडे ठीक किये।
मौसी बहुत खुश थी, मुझसे मेरे गले लगी और नीचे चलने को कहा। मौसी का घर पास ही था, उन्होंने बहाना बनाया कि मुझे काम है किसी को भेज दो मेरे साथ !
और मुझे अपने साथ अपने घर ले गई। वहाँ कोई नहीं था, सब के सब शादी के लिए दूसरे घर गये हुए थे जहाँ मैं आया हुआ था।
वहाँ हमने क्या क्या किया वो मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
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