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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा सलाम !
यह मेरी पहली कहानी है। मेरा नाम अवनीश यादव है, मैं कम्पयूटर साइंस तृतीय वर्ष का छात्र हूँ। बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी बारहवीं की परीक्षा पास करके बी. टेक. में प्रवेश लिया था। मैंने होस्टल में रहना तय किया क्योंकि मैंने सुन रखा था कि हॉस्टल की जिन्दगी बड़ी बिंदास होती है। रसिक तो मैं था ही परन्तु रैगिंग के कारण बहुत डर भी लग रहा था। लेकिन वहाँ के नए-नए दोस्तों से मिलकर थोड़ा अच्छा भी लग रहा था। मेरे हॉस्टल में जो कमरे थे उनमें दो छात्र एक साथ रहते थे। जब मैं होस्टल में आया तो उस समय तक मैं अपने कमरे में अकेला ही था एक हफ्ते के बाद एक दिन जब मैं कालेज से वापस आया तो मैंने देखा कि मेरे कमरे में एक लड़का बैठा था उसके साथ एक 60-62 साल का आदमी भी था।
मेरे पूछने पर पता चला कि वो लड़का मेरे कमरे में रहेगा और वो आदमी उसके दादाजी थे, उसके दादा दूसरे दिन ही चले गए।
दो-तीन दिन में ही मेरी मेरे पार्टनर से ठीक ठाक पहचान हो गई और हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए। मेरा पार्टनर आई.टी. से था और उसका नाम मनोज था, लोग उसे पंडित कहते थे। पंडित देखने में बहुत ही सुँदर और गठीला था। जब वो सुबह बाथरूम से नहा कर आता था तो मुझे उसकी भीगी हुई अंडरवीयर से उसका लंड और उसकी गोलियाँ महसूस होती थी और मेरा मन मचल उठता था। यहाँ मैं एक चीज़ बता देना चाहता हूँ कि मै शुरू से ही गाण्डू था और मैंने अपने गाँव में कई लड़कों को पटाया था और मौका मिलते ही मैं उनसे गाण्ड मरवाया करता था लेकिन यहाँ आकर मेरी यह कामना दब सी गई थी लेकिन अपने पार्टनर का लौड़ा देखने के बाद से मेरी पुरानी इच्छा फिर से जाग उठी थी और मैं उससे गांड मरवाने का मौका तलाश रहा था।
मैंने उसे पटाने की कोशिश शुरू कर दी।
एक दिन जब वो रात में सो रहा था तो मैंने धीरे से उसके पैंट की जिप खोलकर उसका लौड़ा बाहर निकाल लिया। उसका लौड़ा देखते ही मैं दंग रह गया। उसका लौड़ा एकदम काला और मोटा, छः इंच लम्बा सुप्त अवस्था में ही था। उसे देखकर मेरी गाण्ड रोमांच से भर गई और धीरे-धीरे मैं उसे सहलाने लगा।
मेरा मन तो कर रहा था कि उसका लौड़ा मुँह में लेकर उसे आइसक्रीम की तरह खूब चूसूं लेकिन डर रहा था कि कहीं मेरा पार्टनर जाग न जाये इसलिए केवल हाथ से ही सहला रहा था।
लेकिन फिर मैंने धीरे से उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा। मेरा पूरा ध्यान उसके लण्ड पर था पर वास्तव में मेरा पार्टनर नींद से जाग चुका था और एकदम जोश में आ चुका था।मैंने जैसे ही देखा कि वो जाग चुका है तो मैं डर गया और उससे माफ़ी मांगने लगा।
लेकिन उसने कहा- तू साले डर मत ! मैं किसी से नहीं कहूँगा, बस तुम एक बार अपनी गान्द मुझसे मरवा लो !
बस मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई थी। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक खूब चूमा और उसका लौड़ा मुँह में लेकर खूब चूसा। थोड़ी देर बाद वो उठा और वैसलीन की डिब्बी ले आया और मुझसे बोला- इसे मेरे लण्ड पर लगा दे।
मैंने आधी डिब्बी उसके लण्ड पर लगा दी और आधी अपनी गाण्ड में खूब अच्छी तरह से लगा दी ताकि मरवाते समय बिलकुल भी तकलीफ न हो।
फिर मैं कुत्ते की तरह लेट गया और उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू किया लेकिन जल्द ही मेरी ख़ुशी तकलीफ में बदल गई क्योंकि उसका लौड़ा बहुत ही मोटा और कठोर था। मुझे लगा आज तो मेरी गाण्ड ही फट जाएगी लेकिन जल्द ही मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा और मैं उछल उछल कर उसका साथ देने लगा।
उस रात उसने तीन बार मेरी गाण्ड मारी, मुझे बहुत ही मज़ा आया।
दूसरे दिन सुबह मेरी गाण्ड बहुत ही दर्द कर रही थी और मैं कालेज भी नहीं जा पाया।
फिर हम लोगों ने कई बार गाण्ड मारने और मरवाने का खेल खेला जिसकी कहानी मैं बाद में लिखूँगा।
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