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नमस्कार प्रिय पाठको, मैं आदित्य, दिल्ली से एक बार फिर आप लोगों को अपनी कहानी सुनाने आया हूँ। मेरी पिछली कहानी
बड़े घर की लड़की की बड़ी प्यास
आप लोगो को बहुत पसंद आई और मुझे कई मेल भी मिले उसके लिए धन्यवाद।
दोस्तो ! चुदाई ऐसा मज़ा है कि बार बार लेने का मन करता है। जब तक कोमल मेरे साथ रही हमने सेक्स का बहुत मज़ा लिया पर उसके जाने के बाद मुझको नए साथी की तलाश थी, रोज रोज मुठ मार कर कब तक काम चलता?
मेरी यह कहानी मेरी किरायेदार भाभी की चुदाई की है जो मेरे घर में किराये पर रहती थी। मेरे किरायेदार का नाम अशोक था, घर में उनकी पत्नी यानि मेरी भाभी और उनकी दो लड़कियाँ रहती थी। पास रहने से हमारा उनके यहाँ आना जाना हो गया था। भाभी बहुत ही सुन्दर और दिखने में बहुत सेक्सी थी। भाभी को देख कर मेरा मन उनको चोदने का होता था। भाभी से मेरी खुल कर बात होती थी और कई बार मैं उनको अश्लील चुटकले भी सुनाया करता था पर वो कुछ कहती नहीं थी। मुझको लगता था कि वो कुछ चाहती हैं पर रिश्ते के कारण कहने की हिम्मत नहीं होती थी।
उन्होंने एक दिन मुझे बताया कि उनकी चूत में बहुत दर्द रहता है।
तो मैंने उन्हें एक तरीका बताया कि भैया से चुदाई करवाया करो..
वो बड़े उदास मन से बोली- यह नहीं हो सकता !
मैंने कहा- क्यों भाभी?
तो वो बोली- तेरे भैया तो ढंग से चोद ही नहीं पाते ! अब तू ही कुछ कर !
मुझे लगा जैसे मेरी मन मांगी मुराद पूरी हो गई हो, मैंने कहा- वो तो ठीक है पर करेंगे कहाँ? घर पर तो सब लोग रहते हैं !
तो उन्होंने कहा- कल सुबह आ जाना !
अगले दिन जब मैं भाभी के कमरे में गया तो देखा कि भाभी ने गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी, उनके गुलाबी गाल इतने सुन्दर लग रहे थे कि मैं चूमे बिना नहीं रह सका, 35 की होकर भी वो 25 की लग रही थी ! और मैं 24 का छोरा !
आग तो लगनी ही थी !
मैंने उनके ओंठ चूम लिए और भाभी भी मेरे ओंठ चूमने लगी !
मैं उनसे लिपट गया और वो मुझसे !
मैंने भाभी की कमर को चूमा तो उनके मुँह से उफ़…… की आवाज आई !
मैंने फिर चूमा !
फ़िर उफ़.. उफ़ !
मुझे भाभी की कमर चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। भाभी बिन पानी मझली की तरह तड़प रही थी और मै उन्हें लॉलीपोप की तरह चाट रहा था।
दोस्तो, मुझे औरत का जिस्म और चूत चाटने में बहुत मज़ा आता है, मैंने भाभी के पूरे जिस्म को चाटा।
फ़िर मैंने भाभी को फर्श पर लिटा दिया और उनके सारे कपड़े उतार दिये। गोरा बदन देख कर मेरा लंड आठ इंच से दस इंच का हो गया। आज गोरा जिस्म मेरे सामने तड़प रहा था और मैं उसे चूस और चाट रहा था।
भाभी के जिस्म ने मुझे पागल कर दिया, मैं उनके जिस्म को चाटता रहा और वो तड़पती रही।
अब भाभी की चूत की बारी थी !
भाभी ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया !
मुझे तो चूत की ही तलाश रहती है कि कोई चुदवा ले, चटवा ले !
और आज गुलाबी चूत देख कर तो मैं झट से उस पर टूट पड़ा, मैंने भाभी की चूत को धीरे से जीभ से चाटा, भाभी के मुँह से आह.. आह… आह…. की आवाज आने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आया।
मैंने भाभी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा, भाभी के मुँह से आह. आह …. की आवाज निकल रही थी।
मैं आज भाभी की चूत खा जाना चाहता था, मैं कभी चूत को चाटता और कभी चूसता ! बड़ा मज़ा आ रहा था !
भाभी की आँखें बंद थी और उन्होंने अभी तक मेरा लण्ड नहीं देखा था, वो तो शायद चाटने से ही झड़ चुकी थी !
हाँ दोस्तो, मेरे चाटने से ही भाभी झड़ गई !
मैं क्या करता ! मेरा लंड तो खड़ा ही रह गया !
मैंने भाभी को फिर से चूमना शुरु किया पैर से लेकर सिर तक ! बीस मिनट के बाद भाभी फिर गर्म हो गई।
इस बार मैं कोई मौका नहीं गंवाना चाहता था तो मैं भाभी के ऊपर आ गया।
भाभी बोल रही थी- आदित्य चोद ! जल्दी चोद मेरे रजा ! चोद दे मुझे !
अचानक मेरा लण्ड भाभी के हाथ में आ गया….
भाभी ने कहा- यह क्या?
और मेरे लण्ड को गौर से देखा। इतना बड़ा नौ इंच लब्बा और दो इंच मोटा? हैं?
मेरा लण्ड देख कर कोई भी यही कहेगा जो भाभी ने कहा….
नहीं ! यह तो बहुत मोटा-बड़ा है ! मैं नहीं ले पाऊँगी ! प्लीज ! आदित्य मैं चाट लेती हूँ, चूस लेती हूँ, प्लीज चूत में मत डालो !
प्यारे दोस्तो, अब आप ही बताओ, खड़े लण्ड पर धोखा क्या होता है?
मैं क्या करता?
मैंने भाभी से बोला- चलो पहले चूस लो, फिर डालूँगा !
मगर वो सिर्फ चूसने के लिए ही मानी।
मैंने कहा- चलो, ठीक है !
भाभी ने मेरा लण्ड हाथ में लेकर चूसना शुरु किया पर वो उनके मुँह में पूरा नहीं जा रहा था, मगर भाभी बड़े प्यार से चूस रही थी, मुझे मज़ा आ रहा था।
मैंने भाभी से फिर कहा- मुझे चूत में डालना है !
तो वो मान गई पर बोली- तेल लगा कर करना !
मैंने अपने लंड पर तेल लगया और भाभी की चूत पर भी !
मैंने भाभी को फ़र्श पर लिटाया और अपना लंड चूत पर रखा ही था कि भाभी बोली- दर्द हो रहा है ! नहीं जायेगा !
मेरे बहुत समझाने पर वो मानी।
मैंने फिर डालना चाहा पर जा ही नहीं रहा था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा है या भाभी की चूत छोटी है?
मुझे बहुत जोश चढ़ रहा था तो मैंने किसी बात की परवाह किये बिना ही लण्ड भाभी की चूत में धकेल दिया।
एक ही झटके में लण्ड अन्दर और भाभी की चीख बाहर !
पूरे घर मे फ़ैल गई भाभी की आवाज..
मैं डर गया।
अब अपनी गलती का एहसास हुआ कि मैं भाभी के मुँह पर हाथ रखना भूल ही गया !
यों तो बहुत सारी कुंवारी चूतें फाड़ी थी मैंने मगर आज भाभी की चूत फाड़ने में बहुत मज़ा आया, मगर यह मज़ा दो पल का था।
भाभी की चीख की आवाज मम्मी तक जा चुकी थी।
मम्मी की आवाज आई- क्या हुआ?
मैं डर गया और भाग खड़ा हुआ।
मैं कपड़े हाथ में लेकर अपने कमरे में भाग गया।
मम्मी को भाभी ने बोल दिया- कुछ नहीं ! छिपकली थी ! मैं डर गई थी।
दोस्तो, मुझे फिर बाथरूम में जाना पड़ा।
उसके बाद भाभी ने मुझे कभी नहीं दी..
कुछ दिनों बाद उन्होंने मेरा घर खाली कर दिया और मैं तड़पता ही रह गया।
काश कोई मिल जाती जो मेरी प्यास बुझा देती !
मैं दुआ करुँगा कि आपको भी ऐसी ही कोई पड़ोसी, भाभी मिले या हो सकता है आपके पड़ोस में ऐसी भाभी हो जिस पर आपकी नज़र नहीं गई हो !
आपको मेरे जीवन की यह घटना कैसी लगी, कृपया मुझे मेल करके जरूर बताएँ !
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