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प्रेम गुरु और नीरू बेन को प्राप्त संदेशों पर आधारित
प्रेषिका : स्लिम सीमा
मैंने उसे पास पड़े सोफे पर धकेल दिया और उसकी पैंट की जीप खोल दी, फिर कच्छे के अंदर हाथ डाल कर उसका लण्ड बाहर निकाल लिया।
मेरे अंदाज़े के मुताबिक उसका काले रंग का लण्ड 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था. मैंने उसके टोपे की चमड़ी को नीचे किया तो उसका गुलाबी सुपारा ऐसे चमकने लगा जैसे कोई मशरूम हो !
मैंने झट से उसका सुपारा अपने मुँह में भर लिया, मैं उकड़ू बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से उसके लण्ड को चूसने लगी।
वो तो आ.. ओह… ब… भरजाई जी … एक मिनट… ओह… करता ही रह गया !
अब उसे भी मज़ा आने लगा था, उसने मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ लिया और उसे अपने लण्ड की ओर दबाने लगा। मैं कभी उसके लण्ड का सुपारा चूसती, कभी अंदर तक उसके लण्ड को निगलने की कोशिश करती पर वो तो आधा ही मेरे मुँह में जा पाता।
फिर उसने अपनी कूल्हों को थोड़ा सा ऊपर करते हुए अपनी पैंट और अंडरवीयर नीचे खिसका दिया। मैंने एक हाथ से उसके लण्ड को पकड़ रखा था और अब दूसरे हाथ से उसके टट्टे भी पकड़ कर मसलने चालू कर दिए। एक दो बार मैंने उसके लटकते टट्टों को भी अपने मुँह में भर कर चूसा। मैंने उसके मशरूम जैसे सुपारे को अपने दाँतों के बीच दबा सा दिया तो वो कुनमुनाने लगा।
“ब… भरजाई जी…. ओह… मेरा… निकल जाएगा….!”
पर मैं कहाँ मानने वाली थी ! कितने दिनों से मैं उस ताज़ा और गाढ़ी मलाई को खाने के लिए तरस रही थी। मैंने अपनी चुस्कियाँ तेज़ कर दी।
अब उसे भी लगने लगा था कि मैं उसके लण्ड को छोड़ने वाली नहीं हूँ तो उसने भी मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़ कर लिया और खड़ा हो गया। मैं अपने पंजों के बल हो गई। अब वो मेरा सिर पकड़े ले बढ़िया तरीके से अपने लण्ड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा जैसे यह मुँह ना होकर चूत हो।
वा आँखें बंद किए आ… उन्ह… या… करने लगा था।
कोई 4-5 मिनट की चूसाई के बाद मुझे लगा मेरा गला दर्द करने लगा है, मैंने अपना मुँह हटाने का मन बनाया ही था पर उसने मेरा सिर ज़ोर से अपने हाथों में पकड़ लिया और बोला,”भरजाई.. जी आ.. अब रूको मत… मेरा … निकालने वाला है जी इईईईईईईईईई ईईईईई ”
और उसके साथ ही मेरा मुँह अपनी गर्म, गाढ़ी मलाई से भरता चला गया। मैं उसकी पिचकारियों से निकलते उस रस को गटागट पीती चली गई, वो आ… उन्ह… या… करता ही रह गया।
“आ… मेरी सोनियो… मेरी जान…!”
मैंने उसके वीर्य की अंतिम बूँद तक निचोड़ कर ही उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर आने दिया था, लण्ड थोड़ा सिकुड़ गया था पर अब भी वो बेल पर लटकी किसी तोरी की तरह ही लग रहा था।
“मज़ा आया ?” मैंने पूछा।
“ओह.. भरजाई जी आज ते मज़ा ई आ गिया ? बड़े दिन्नां बाद पानी निकल्या !”
“ओये होये मेरे मिट्ठू !”
“एक बार चूत मार लेने दो ना प्लीज़…?”
“ना बाबा ना … तुम्हारा बहुत मोटा है, मेरी तो फट ही जाएगी !”
“अरे नहीं मेरी बुलबुल ! ऐसा कुछ नहीं होगा !”
“चलो ठीक है… तुम बिस्तर पर चलो, मैं अभी आती हूँ !”
दरअसल मैं उसे कुछ समय देना चाहती थी, अभी अभी मैंने उसका रस निचोड़ा था, मैं चाहती थी कि थोड़ी देर उसे आराम मिल जाए तो फिर मैं तसल्ली से अपने दोनों छेदों का कल्याण करवाऊँ !
मैंने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया और फिर अपने नितंबों को थिरकाते हुए बड़ी अदा से बाथरूम में आ गई।
बाथरूम में मैंने अपनी लाडो पर खूब सारी क्रीम लगाई और फिर ट्यूब में बची बाकी की क्रीम अपनी अपनी महारानी के छेद में पिचका दी।
मैं अपनी कमर लचकाती हुई अब बाथरूम से बाहर आ गई। जस्सी बिस्तर पर बैठा अपने टनाटन लण्ड को हाथ में पकड़े सहला रहा था।
साले ये 18-19 साल के लौंडे कितनी जल्दी दुबारा तैयार हो जाते हैं !
एक गणेश है बस एक बार पानी निकाल देने के बाद तो मेरे लाख कोशिश करने पर भी उसका दुबारा खड़ा नहीं होता।
मुझे आते देख कर वह जल्दी से खड़ा हो गया और मुझे बाहों में भर कर नीचे पटकने लगा।
“ओह.. रूको.. मैं नाइटी तो उतार दूँ ?”
मैंने अपनी नाइटी निकाल फैंकी। वह तो पहले से ही नंग-धड़ंग था, उसने झट से मुझे अपनी बाहों में भर लिया। वो मेरे मम्मों को चूसने लगा और अपना एक हाथ मेरी लाडो पर फिराने लगा। मैं अभी उसका लण्ड अपनी लाडो में लेने के मूड में नहीं थी।
आप हैरान हो रहे हैं ना ?
कहानी अगले भागों में जारी रहेगी।
आपकी नीरू बेन (प्रेम गुरु की मैना)
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