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प्रेषक : संदीप शर्मा
मैं चाची को धक्के लगा लगा कर जोर जोर से चोद रहा था और चाची हर धक्के पर वाह मेरे राजा …. और जोर से …. और जोर से …. चोद दो…. आज आग बुझा दी तुमने मेरे राजा मेरी चूत की जैसी बातें बोल रही थी।
हर धक्के पर चाची के मुँह से आवाज निकल रही थी और मेरा जोश और बढ़ रहा था। तभी चाची ने अपनी चूत का पानी एक बार और छोड़ दिया और मैंने भी अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाये और दस-बारह धक्कों में ही मैं भी चाची की चूत में ही झड़ गया।
इसके बाद मैं तो काफी देर तक चाची की चूत में ही लण्ड डाल कर पड़ा रहा, लम्बी लम्बी सांसे लेता रहा जब तक कि मेरे शरीर में थोड़ी जान नहीं आ गई और चाची मुझे पकड़ कर सो गई।
कुछ मिनटों के बाद जब मेरे शरीर में थोड़ी सी जान आई तो मैंने देखा कि चाची के बाल अभी भी हल्के गीले ही थे और चाची क्या सुंदर लग रही थी ! मैं क्या बताऊँ आपको !
इस सबके बाद मुझे भूख लग गई थी और मैं यह भी जानता था कि चाची को अगर मैं फिर से चोदना चाहता हूँ तो उनके शरीर में थोड़ी सी जान भी होनी चाहिए जो मैं पहले ही पूरी तरह से निकाल चुका था। मैं उठा, अंडरवियर पहना, फिर रसोई में चला गया। चूंकि चाची के ससुर इंदौर में ही रह चुके हैं और उनके परिवार के कई लोग इंदौर में ही रहते हैं इसलिए उनके पास गैस चूल्हा भी था जिससे मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई रसोई में कुछ भी पकाने में।
मैंने रसोई में दूध को शक्कर डाल कर गर्म किया, रात के जो चावल रखे थे उन्हें भूना और गर्मागर्म दूध और चावल लेकर चाची के पास गया, उनको जगाया और खाने के लिए दिया। जैसे ही मैंने चाची को खाने के लिए चावल दिए और चाची ने दूध देखा तो उनका पहला सवाल था- यह किसने बनाया?
मैंने जवाब दिया- मैंने ही बनाया है !
यह सुन कर चाची बोली- भूख लगी थी तो मुझसे बोल देते, मैं बना देती !
और मेरा जवाब था- आप भी तो थक गई थी, अगर मैंने बना दिया तो क्या गलत हो गया? और मैं जानता हूँ आपको भी भूख लगी होगी इस खेल के बाद !
यह सुनना था कि चाची ने मुझे गले लगा लिया और फिर एक प्यारा सा चुम्बन दे दिया और इसके बाद चाची बड़े प्यार से मुझे चुम्बन पर चुम्बन देती रही और मुझे ऐसे चूमती रही जैसे मुझसे ज्यादा प्यारा कोई है ही नहीं उनके लिए इस पूरी दुनिया में।
उसके बाद मैंने उनको अलग किया और अपने हाथों से खाना खिलाया, दूध पिलाया और उनके साथ मैंने भी खाया। इस सबके बाद चाची ऐसी फ़िदा हुई कि बोली- तुम बताओ राजा जी, मैं क्या करूँ तुम्हारे लिए?
मैंने कहा- रहने दो चाची ! अभी बोलूँगा तो पीछे हट जाओगी ! मेरे मन की कोई नहीं करता है !
यह सुन कर चाची बोली- तुम जान मांग लो राजा ! वो भी हाजिर है ! मैं बिलकुल मना नहीं करूंगी किसी भी बात के लिए ! तुम जो कहोगे वो करूंगी !
मैंने कहा- ठीक है ! पहले खा लो अच्छे से, फिर उसके बाद अपने बाल सुखा लो अच्छे से ! फिर बताता हूँ !
यह सुनना था कि चाची ने फिर से चूमना शुरू कर दिया।
मैंने पूछा- अब मैंने क्या कर दिया जिसका यह इनाम मुझे दे रही हो?
तो बोली- आज तक इतना प्यार से मुझे कभी भी तुम्हारे चाचा ने नहीं बोला !
बोली- शादी के पहले जो था उसने भी कभी मेरी चिंता नहीं की, इतनी ज्यादा जितना तुम करते हो !
मैंने जवाब दिया- चाची, आपको मैं आठ साल से प्यार करता हूँ, बस आपको भोगने का मन नहीं था, पर मैंने आपको प्यार किया है, वही निभा रहा हूँ।
चाची ने खाया और उठ कर बाल सुखाने लगी…
क्या गजब लग रही थी यार वो….
उस वक्त उनको देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और जब चाची बाल सुखा कर आई वो भी मेरे लंड को देख कर मेरे पास आकर मेरे गले लग गई और बड़े प्यार से बोली- बताओ ना ? क्या करूँ मैं तुम्हारे लिए ?
मैंने कहा- ठीक है, बताता हूँ !
आगे क्या हुआ जानने के लिए अगली कड़ी का इन्तजार करिये और आपने मेल मुझे भेजते रहिये।
अभी आप मुझे मेल करिये आप को मेरी कहानी कैसी लगी …. कोशिश करूँगा आपके मेल का तुरंत जवाब देने की।
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