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आप सभी दोस्तों का बहुत बहुत धन्यवाद !
आपने मेरी कहानी को बहुत पसंद किया। दोस्तो, उस कहानी का दूसरा भाग लेकर आपके सामने हाजिर हूँ ! देरी के लिए माफ़ी चाहूँगा, लेकिन क्या करता एक्सीडेंट के कारण लगभग चालीस दिन होश नहीं था, उसके बाद ठीक होने में थोड़ा वक्त लग गया पर वादा करता हूँ कि अब जब तक इस कहानी को पूरी तरह से आप तक नहीं पहुँचा देता आराम नहीं करूँगा।
वैसे इस बीमारी में भी एक कहानी बन गई है जो चाची के कारण ही है लेकिन वो बाद में ! पहले यह कहानी :
मैं उन्हें चूसता रहा और वो मेरा सर दबा कर चीखती रही और फिर एक लम्बी चीख के साथ झटके मारने लगी और हर झटके पर ढेर सा रस मेरे मुँह में आने लगा। जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो बड़े प्यार से मेरे सर को पकड़ कर अपने पास लिया और मेरे होंठों को चूम कर बोली- आज तुमने मेरा जीवन धन्य कर दिया !
और मेरा जवाब था- अभी तो सिर्फ शुरुआत है चाची ! पूरी रात तो अभी बाकी है !
चूंकि मैं तो अभी भी संतुष्टि से कोसों दूर था और मेरे शरीर की आग तो अभी भी जल ही रही थी इसलिए मैंने चाची को गोद में उठाया और आंगन के पास ही छप्पर की छाँव में डले हुए तख़्त (लकड़ी का पलंगनुमा बिस्तर) पर लेकर आ गया और पास ही पड़े हुए सूखे तौलिए से चाची का बदन एक हाथ से पोंछने लगा और दूसरे हाथ से उनके गीले बाल सहलाने लगा। इस सबका कुछ यूँ असर हुआ कि चाची फिर से गर्म होने लगीं।
और इस बार उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पीठ और सर पर पीछे की तरफ से घुमाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया….। क्या बताऊँ दोस्तो, उनकी नर्म-नर्म उँगलियाँ ऐसा जादू कर रहीं थी कि मुझे वैसी अनुभूति तब तक कभी भी किसी भी लड़की या औरत से नहीं मिली थी। जब तक मैंने उनके बदन को पौंछ कर सुखाया तब तक वो फिर से पूरी तरह से जोश में आ चुकीं थी…. और अब उन्होंने मेरे हाथों से तौलिया लिया और धीरे धीरे कर के मेरे बदन को पौंछ कर सुखाना शुरू कर दिया।
और सबसे अच्छी बात यह हुई कि इसी वक्त बिजली आ गई और सौ वाट का बल्ब कम वोल्टेज के कारण कम रोशनी देते हुए चालू हो गया।
इस बीच मेरे दायें हाथ से उनके बालों को सहलाना जारी ही था। जब तक मेरा पूरा बदन सूखता तब तक तो चाची की हालत खराब हो चुकी थी।
इस हालत में आने के बाद चाची का खुद पर से नियंत्रण तो जैसे खत्म ही हो चुका था और चाची मुझ से लगभग याचना वाली आवाज में बोली- राजा जी, अब मत तरसाओ ना !
और मैंने चाची की तरफ एक प्यार भरी निगाह से देखा, उनकी आँखों को चूमते हुए उनसे कहा- आपसे अभी कहा ना कि पूरी रात अभी बाकी है ! और आपको मैं आज वो सुख देना चाहता हूँ जो पिछले आठ सालों से आपको देने के लिए सोचता रहा हूँ। क्या आप मेरी इच्छा को पूरा नहीं करना चाहती?
उनका इतना सुनना था कि उन्होंने मेरे होठो को चूमते हुए जैसे अपनी मौन स्वीकृति दे दी।
मैंने उनके होंठों पर एक प्यारी सी चुम्मी दी और कहा- मैं आपको यकीन दिलाता हूँ, आप निराश नहीं होंगी।
और इसके बाद उनकी जैसे एक मौन स्वीकृति मिल गई।
इसके बाद मैंने पास ही पड़ा हुआ गद्दा ले कर तख़्त पर बिछा दिया और उस पर चाची को लेटा कर उनके धुले और सूखे बदन को चूमना शुरू किया। इसका असर कुछ यूँ हुआ कि चाची की तड़प बढ़ती ही गई।
अब मैं बड़े ही आराम से अपनी जुबान को उनके मुँह के अंदर ले जाकर चला रहा था, उनके होंठों को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई रसीला फल हो और चाची पूरी समर्पण भावना के साथ मेरे हर काम में सहयोग ही कर रही थी। अब तक चाची की तड़प काफी बढ़ चुकी थी तो मैंने सोचा कि उन्हें थोडा और मजा देकर स्खलित कर दूँ ताकि उनकी तड़प थोड़ी कम हो जाये।
पर इस आग को बुझाने के लिए पहले इसे पूरा भड़काना जरूरी था, इस तड़प को कम करने के लिए पहले इसका बढ़ाना जरूरी था, और बिना उस तड़प को बढ़ाए तो चाचीजी को मैं वो मजा दे भी नहीं पाता जिसका मजा उन्हें शायद आज तक नहीं मिला था।
मैंने चाची को सीधे कमर के बल लेटाया, उनके सर को बड़े प्यार से अपने हाथों में लिया और उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। चाची ने लगभग तुरंत ही खुद को मेरे हवाले कर दिया और इसका फायदा उठाते हुए मैंने अपने पैरों से चाची के दोनों पैर फैलाए और मेरे लण्ड की एक हल्की सी टक्कर उनकी चूत पर लगी, जिसका नतीजा यह हुआ कि चाची लगभग उछल गईं। मैं उन्हें चूमता रहा और उनकी दोनों टाँगें फैला कर अपने घुटनों और पंजों के बीच में कुछ इस तरह से फंसा ली कि वो मचल तो सकती थी लेकिन अपनी टांगें न हिला सकती थी ना अपनी कमर को ज्यादा उठा सकती थी, और इसके तुंरत बाद मैंने उनके दोनों हाथ अपने हाथों में ले कर उनको लगभग बेबस कर दिया।
अब आगे मैं क्या करने वाला था, चाची को इस बात का अंदाजा भी नहीं था।
आगे क्या हुआ वो जानने के लिए मेरी अगली कड़ी का इन्तेजार करिए ….
हा हा हा हा हा
नहीं नहीं ! मैं अगली कड़ी तक इन्तेजार नहीं करवाऊँगा बस थोड़ी सी ठिठोली करने की सूझी थी मुझे !
वो तो इस उम्मीद में बैठी हुई थी कि बस अब मेरा लण्ड उनकी चूत में जाकर उनकी आग को बुझाएगा लेकिन मेरे इरादे तो कुछ और ही थे।
मैंने अपनी जीभ को चाची के होंठों से चलाना शुर किया, उनकी गर्दन पर होता हुआ मैं उसे उनके बड़े बड़े दूधों पर ले आया और वहाँ चलाने लगा। कभी उनके दायें दूध पर तो कभी बाएँ पर और इस सब के बीच मैं दो बातों का खास ध्यान रख रहा था, एक तो यह कि मेरी जबान गलती से भी उनके दूध के चुचूकों पर ना लगे और दूसरा यह कि मेरा लण्ड गलती से भी उनकी चूत पर न छूने पाए।
इसका नतीजा यह हुआ कि चाची की तड़प और बढ़ गई, आग और ज्यादा भड़क गई और वो बेचारी चीख चीख कर कहने लगी- अब मत तड़पाओ, अब तो करो ना, राजा जी क्यूँ तड़पा रहे हो?
उस ठंड के माहौल में भी चाची के चेहरे पर पसीने की बूंदें झलक रही थी, जो उनको और भी सुंदर बना रही थी।
जब मैंने देखा कि चाची की हालत बहुत खराब हो चुकी है, वो कामाग्नि में जल जल कर लगभग बेहोश हो चुकी हैं, मुझे लगा अब देर करना ठीक नहीं होगा तो मैंने चाची को ढीला छोड़ा, अपने लण्ड को चाची की पूरी तरह से गीले हो चुके योनि-द्वार पर रखा, एक हाथ उनके बाएँ हाथ के नीचे से लेकर उनकी गर्दन को सहारा देते हुए गर्दन को थोड़ा ऊपर उठाया, बायें हाथ को उनकी कमर के नीचे डाल कर कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाया और थोड़ा सा धक्का मैंने लण्ड से उनकी चूत पर लगाया।
इसका नतीजा यह हुआ कि मेरा लण्ड सरकता हुआ चाची की चूत में आधे से ज्यादा उतर गया।
जैसे ही मेरा लण्ड चाची की चूत में गया, वो होश में आ गईं और मैंने उनको पूरी तरह से उठा कर मेरे लण्ड पर बैठा लिया। जैसे ही मेरा पूरा लण्ड चाची की चूत में गया, चाची के मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गई और बड़े प्यार से बोली- राजा जी….
अब अपने बायें हाथ से मैं उनके बालों को सहला रहा था, दायाँ हाथ उनकी कमर और गाण्ड को सहारा दिए हुए था और मेरे होंठ चाची के चुचूक चूस रहे थे। अब चाची मेरी गोद में बैठ कर तेजी से अपने आप को चुदवा रहीं थी।
मुझे यह करते हुए तीस सेकंड भी नहीं हुए होंगे कि चाची की तड़प एकदम से बढ़ गई, मैं जानता था कि अब चाची के आने का वक्त हो गया है, मैं अभी तक घुटनों के बल बैठा हुआ था इसलिए चाची को ज्यादा धक्के नहीं लगा पा रहा था, इसलिए मैंने थोडा सा उठ कर अपनी अवस्था बदली और मैं मेरे पुट्ठे के बल बैठ गया, अब हम दोनों एक दूसरे को पूरी ताकत से चोद रहे थे।
और इस सबके बीच चाची के मुँह से : राजा जी तुमने मुझे जीत लिया ! आआऽऽऽ आअहहऽऽ उफ्फऽऽ फ्फ्फफ्फ़ ! मैं तुम्हारी दासी हो गई हूँऊऊऊ ! तुम मेरे मालिक होओओओ ओओ ..! आह आह .. उफ्फ्फ उफ्फ्फ जैसी आवाजें लगातार आ रही थी..
अचानक चाची ने धक्के लगाना बंद कर दिया, उनका पूरा बदन ऐंठने लगा तो मैं समझ गया कि चाची आने वाली हैं, पर ऐसी हालत में चाची का धक्के लगाना ना मुमकिन था जो कि मैं पहले से ही जानता था, इसीलिए मैंने अपनी जांघों का इस्तेमाल करते हुए चाची की तरफ के धक्के लगवाने शुरू किए और अगले कुछ सेकंड में चाची की चूत से अंदर से जैसे कोई झरना फूट गया जिससे मेरा पूरा लण्ड भीग गया और चाची, वो तो लगभग बेहोश ही हो चुकी थी और पूरी तरह से मेरे ऊपर गिर चुकी थी …
अब की बार उनके मुँह से कोई आवाज नहीं निकली थी.. मैंने लण्ड को बाहर निकाले बिना चाची को अपनी बाँहों में लिया और मैं सीधा लेट गया और चाची को मेरे ऊपर लिटा लिया।
इसके बाद क्या हुआ जानने के लिए मेरी कहानी की अगली कड़ी का इन्तजार कीजिए…
संदीप शर्मा
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