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दोस्तो, आप का हैरी फिर हाजिर है अपनी सच्ची कहानी की अगली कड़ी लेकर !
दोस्तों आप लोगोँ का बहुत प्यार और बहुत सारे मेल मिले ! सभी का बहुत बहुत शुक्रिया !
मेरी कहानी “चुद ही गई पड़ोस वाली भाभी” के पहले भाग में आपने पढ़ा कि मैंने कैसे भाभी की चूत की चुदाई की और अब अक्सर करता रहता हूँ !
अब नए घटनाक्रम पर आते हैं कि मैंने भाभी को कैसे बहला फुसला कर उनकी गांड मारी ! वो मान नहीं रही थी गांड मरवाने के लिए।
हुआ यों कि एक दिन दोपहर में भाभी का फ़ोन आया कि उनकी बेटी की स्कूल की वैन रास्ते में ख़राब हो गई है और उनके पति घर से दूर किसी दूसरी जगह गए हैं, मुझे रास्ते में मिलो, दोनों चल कर ले आते हैं बेटी को !
मैं चल पड़ा ऑफिस से ! भाभी रास्ते में मुझे मिल गई, मेरी बाइक के पीछे बैठ गई और मुझे पीछे से पकड़ लिया। उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ मेरे पीठ पर लग रही थी। उन्होंने मेरे जांघ पर अपना हाथ रख लिया और मेरे लंड को दबाने लगी। मेरा लंड पैंट में बहुत फड़फड़ा रहा था, एकदम विकराल रूप में हो गया था, भाभी उसे मसल रही थी और अपनी चूचियाँ मेरे पीठ से दबा रही थी।
बाइक पर काफ़ी धीरे धीरे चलते हुए हम वैन के पास चले गए और उनकी बेटी को लेकर घर चले आये।
घर आते ही मैंने भाभी को पकड़ पर बेड पर पटक दिया, उनकी चूचियाँ दबाने लगा और चूमने लगा। वो गर्म तो हो रही थी पर भाभी ने कहा- बाद में करते हैं, बेटी दो घंटे बाद ट्यूशन चली जायेगी फिर जो करना है कर लेंगे ! अभी छोड़ो !
फिर मैं उनके घर से चला आया और दो घंटे बाद गया !
उस दिन भाभी ने साड़ी पहन रखी थी, उनके ब्लाऊज से उनके मोटे मोटे मोमे दिख रहे थे। मैं जाते ही भाभी को पकड़ कर चूमने लगा तो भाभी ने कहा- रुको तो ! इतनी आग लगी हुई है क्या?
मैंने कहा- हाँ आग तो बहुत लगी है ! जान, इसे बुझा दो !
फिर भाभी ने मुझसे कहा- हैरी, तुम जानते हो मुझे बवासीर हो गई है, कल डॉक्टर के पास गई थी, वो बता रहा था।
मैंने कहा- यार, यह तो परेशानी वाली बात है।
उसने कहा- हाँ, है !
फिर मैंने कहा- चलो, ठीक हो जाएगा !
और उनके विशाल चूचों को पकड़ कर दबाने लगा भाभी का ब्लाऊज खोल कर !
उनके बड़े बड़े चूचे मस्त उछल रहे थे, मैं उन्हें चूस रहा था, भाभी भी मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से दबा रही थी।
फिर मैंने भाभी की साड़ी और पेटीकोट उनके बदन से अलग कर दिया। भाभी पूरी नंगी किसी अप्सरा से कम नहीं लगती थी, जैसे आप लोगों ने ममता कुलकर्णी को देखा होगा, वैसे थी भाभी मस्त !
भाभी ने मेरे भी कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को सहलाने, दबाने लगी और कहा- हैरी, अब मैं तुमसे शायद कुछ दिनों बाद न मिल पाऊँ क्योंकि हम लोग यह मकान छोड़ कर जा रहे हैं यहाँ से !
मुझे बहुत धक्का लगा, मैंने कहा- क्या भाभी? सब मूड खराब कर दिया तुमने !
मैंने कहा- सच में जा रही हो या बस ऐसे ही बोल रही हो?
उसने कहा- नहीं ! सच में जा रहे हैं ! आपकी कसम !
मेरा खड़ा लंड बैठ गया, मैं बहुत उदास हो गया। भाभी मेरे पास गोद में बैठ गई और कहने लगी- उदास मत हो, कभी-कभी तुमसे मिलूँगी आकर या तुम आ जाना !
और मेरे होंटों को चूमने लगी, लंड को फिर से सहलाने लगी।
मैं भी उनके स्तन दबाने लगा और चूसने लगा। उस दिन मैंने भाभी के पूरे बदन को चूमा, उनके कान के नीचे जहाँ औरतों को सबसे ज्यादा सेक्स होता है, उसे चूमता रहा। फिर धीरे-धीरे उनके वक्ष के नीचे नाभि में और अन्त में उनकी चूत में !
भाभी पूरी गर्म हो गई थी और सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊ ऊह्ह्हा आ आआ आअह कर रही थी !
मैंने भाभी की चूत के दाने को खूब चाटा और चूत के अन्दर भर अपनी जीभ करने लगा।
मैंने भाभी को कहा- भाभी, आज 69 की अवस्था में चुसाई करते हैं।
मैंने भाभी की चूत में अन्दर जीभ घुसा दी और भाभी मेरे लंड को गप-गप चूस रही थी मजे से, वो बीच-बीच में मेरे लंड को दांतों से काट भी लेती।
मैं भी उनकी चूत के दाने को काट लेता तो वह उछल पड़ती।
हमने करीब दस मिनट एक दूसरे की चूत और लण्ड की चुसाई की। उनकी चूत से जोर से पानी गिरने लगा, वो शायद झड़ गई थी, भाभी ने मेरा मुंह अपनी चूत पर दबा लिया और मेरे लंड को जोर से काट लिया।
मेरी आह निकल गई।
पढ़ते रहिए ! कहानी जारी रहेगी।
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