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गलती की सजा-1
सुन्दरी बोली- सब करेगा? तू अंदर आ! आज दिखाती हूँ तुझे किसी लड़की को नहाते हुए देखने का मजा! उसने मुझे अंदर बुलाकर नंगा होने को कहा। मैं बोला- प्लीज़ छोड़ दो! तो वो बोली- ठीक है! तुम्हारे पापा को बोलती हूँ! मैं बोला- मत बोलो! फिर वो बोली- तो जो मैं कहूँ, वो कर!
मैं धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगा और नंगा हो गया। मुझे नंगा देख कर वो हंसने लगी। वो मेरे पास आई और मेरे लण्ड पर एक झापड़ मारा।
झापड़ इतना जोर से मारा कि मेरा लण्ड फिर से उतना ही जोर से खड़ा होकर हिनहिनाता हुआ उसके हाथ को छू गया। अब क्या! सुन्दरी बोली- वाह क्या लण्ड है! मुझे चोदेगा क्या? मैं तो अंदर से खुश हो गया पर बोला- नहीं, मुझे छोड़ दो!
इस बार उसने मेरा लण्ड जोर से पकड़ लिया और बोली- नहीं चोदेगा? आज चल, तुझे तेरे बाप के पास इसी हालत में लेकर चलती हूँ! मैं घबरा गया, बोला- ठीक है! ठीक है! आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा।
इसके बाद उसने मुझे कहा- चल बहनचोद, मुझे प्यार कर!
मैंने पहले डरते हुए सुन्दरी को बाँहों में भर लिया फिर उससे उठाकर लिटा दिया। जब मैं उसे बाँहों में भर रहा था तो मेरी छाती से उसकी नुकीली चूचियाँ टकरा रही थी जो मेरे लण्ड को और भड़का रही थी।
अब तो मैं अपने को जन्नत के समीप पा रहा था।
मैंने देखा कि सुन्दरी ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं तो मैंने पहले उसके माथे को चूम लिया, उसके बाद उसके गालों को चूमने लगा।
फिर क्या, सुन्दरी अपने आपे में ना रही और मेरे होठों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मेरा जोश तो दुगना हो गया और मैं उसके होंठों को संतरे की फ़ांकों की तरह चूस-चूस कर पीने लगा। मेरा जोश इतना बढ़ गया कि मैंने उसके कमीज की जिप खोल दी और कमीज को उसके सरीर से आज़ाद कर दिया। अब उसकी काली ब्रा उसकी चूचियों को आधा ढकती नज़र आ रही थी।
मैंने उसके पेट पर चुम्बन करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसके बाद का दृश्य तो बेहद मनोरम था। मैं तो इतनी मस्त लौंडिया को अपने सामने नंगी पाकर फ़ूला न समाया।
उसने काले रंग की चुन्नट वाली कच्छी पहन रखी थी जो उसकी बुर की सुन्दरता पर बादल की तरह मंडरा रही थी। मैंने उसकी बुर पर चूमना शुरु कर दिया तो मुझे बुर से पानी निकलता हुआ सा महसूस हुआ।
सुन्दरी बोली- मेरे चन्दन राजा, आज मेरी बुर को फाड़ कर रख दे! बहुत सताती है यह बहन की लौड़ी!
मैं यह सुनते ही बोला- सुन्दरी डार्लिंग, आज मैं अपने कुंवांरे लण्ड को तेरी बुर के लिए कुर्बान कर दूँगा।
उसके बाद मैं उसकी गोरी-गोरी बाँहों को चूमने लगा और उसके पीठ पर किस करते हुए उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। और उसकी उठती-गिरती चूचियों को गौर से देखने लगा। सुन्दरी की सांसें एकदम गर्म हो चुकी थी, वो अब चुदने को बेकारार थी। मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा, वो जोर से आ आ आ आह्ह हह हहह… करने लगी।
मैं रुका नहीं, एक चूची को दबाने लगा तथा दूसरी को चूसने लगा। वो अब धीरे धीरे आ आह हह हह ह…! उ उ उ ह ह ह .. सी सी…! करने लगी।
सच बोलूं तो उसके चूची से लग रहा था जैसे कुछ अमृत निकल कर मेरे मुख में आ रहा था और आकर मेरे लण्ड को और भी खड़ा होने के लिए उकसा रहा था।
मैंने 10-12 मिनट चूचियाँ को चूसने के बाद पेट को चूमना शुरु कर दिया और फिर धीरे से कब और नीचे चला गया, पता नहीं चला।
मैंने सुन्दरी को उसकी कच्छी से आज़ाद कर दिया। वाह! मैं सुन्दरी की बुर को इतनी पास से देख कर पागल हो गया! कसम से पूरी बुर क़यामत ही लग रही थी और बुर के गुलाबी छेद के साथ भूरे रंग का गाण्ड का छेद तो क्या कयामत था! मैंने उसकी गाण्ड मारने का भी सोच लिया।
मैं उसकी बुर को सहलाने लगा। सुन्दरी पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुख से अचानक ही निकल पड़ा- और चूस ले मेरे चन्दन राजा आज इसे, मुझे तृप्ति दे दे!
मैं बुर के पास उगे हुए बालों को हटाते हुए छेद में उंगली डालने लगा।
वो उई… माँ आ अ आ…! आह य या हह हह हह… करने लगी। मैं उसकी चूत में उंगली घुसा कर बुर के दाने को चूसने लगा। सच बोलूं तो उसके दाने से अजब सा स्वाद आ रहा था जो मुझे बहुत अच्छा लगा। जीवन में पहली बार ऐसा स्वाद मैंने लिया था। उसकी चूत से हल्का-हल्का पानी रिसने लगा जो गाढ़ा और चिपचिपा था। फिर मेरी तृष्णा और बढ़ने लगी और मैं सुन्दरी की चूत को चूसने लगा और सुन्दरी जोर से सिहर-सिहर कर सिसकारियाँ भरने लगी- आह आ आ हह हह हह ह…! ऊ ऊ ओह ह ह ह ह हह ह ह! माँ आ ई इ इय ई ई य ई य इ ई इ…! मार दिया आ अ अ अ अ…! खा जाओ…! और चूस! चूस चूर कर इसका रस निकाल दे…!
मैं गाण्ड पर कुछ ज्यादा मर मिटा था…! मैं सुन्दरी की गाण्ड को भी चाटने लगा और जीभ को गाण्ड के भूरे छेद में घुसेड़ने का प्रयत्न करने लगा।
वो गाण्ड उचका-उचका कर चिल्लाने लगी- अब और देर मत कर! चोद दे, मैं पागल हो जाऊँगी!
लेकिन मैंने अपना खड़ा लण्ड जो लगातार लार बहा रहा था, उसके मुख में डाल दिया। वो झट से उसे चूस-चूस कर पीने लगी। मेरा लण्ड उसके मुख को चोदने लगा। फ़िर 5 मिनट चूसने के बाद बोली- मैंने तुझे बुर चोदने के लिए बोला था, मुंह नहीं! हरामी कहीं के! चोद मेरी चूत को!
यह सुनते ही मैंने अपना लण्ड उसकी बुर के मुख पर रखा और रगड़ने लगा। वो अपनी बुर उचकाने लगी। मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए एक बहुत ही जोरदार धक्का लगाया और आधा लण्ड उसकी बुर में उतार दिया।
वो बिलबिलाने लगी-…मैया री मैया…!मार दे रे आज…! बड़ी फ़ड़ाफ़ड़ा रही थी…! और जोर से मार…!
मेरा जोश दुगना हो गया और मैंने पूरे जोर से धक्का मारा और पूरा लण्ड उसकी बुर में था। अब वो सिसकार कर बोल रही थी- बड़ा दर्द हो रहा है! पर तू रुकना मत! जोर जोर से चोद! चिथड़े-चिथड़े कर दे मेरी बुर के…! ओह्ह हह ह हह…!
मैं भी अपने सुपारे में थोड़ी जलन महसूस कर रहा था लेकिन मजा बहुत आ रहा था। मेरा काला 7 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा लण्ड आज गोरी चूत को चोद रहा था। मैंने धक्के लगाने चालू रखे, सुन्दरी भी मेरा साथ देने लगी। सुन्दरी की प्यासी चूत को मैं तृप्त कर रहा था, सुन्दरी उचक-उचक कर मेरा साथ दे रही थी और मनमाफिक लण्ड अपनी चूत में पिलवा रही थी।
सुन्दरी बोल रही थी- मेरे चन्दन राजा आज बजा दे मेरी बुर का बाजा! लण्ड से मेरी बुर को खोद दे! हह हह ह…! ओऊ ओऊ ओ…ई ई य य या अ अ…!
मैं भी कम नहीं था- यह लो मेरे लौड़े का वार! आज चोद चोद के तुझे रानी बना दूंगा…! ये ले…संभाल इसे…सुन्दरी डार्लिंग…! चोद-चोद के तुझे आज ही माँ बना दूंगा!
सुन्दरी भी और जोर से धका देने लगी- चोद मेरे राजा चोद…फाड़ दे आज मेरी बुर को! तेरे लण्ड को नहीं छोड़ूंगी… आज या तो तेरा लण्ड रहेगा या मेरी बुर…!
मैंने इस बार दांत को पीसते हुए बहुत ही घातक प्रहार किया, सुन्दरी बिलबिला गई- माय…! चोद मेरे रजा…
मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी को टक्कर मार रहा था, उसे और भी मजा आने लगा और वो बुर को और भी ऊपर उठा कर पूरा लण्ड को हड़पने लगी।
10-15 मिनट बाद वो जोर से बोलने लगी- जोर से चोद मेरे राजा! मैं झरने वाली हूँ…
मैं भी अपने चरमसीमा पर पहुँच चुका था, मैंने भी जोर से धक्के लगाने शुरु कर दिए और बोला- ये लो मेरी सुन्दरी रानी, आज अपना अमृत, पुरुष शक्ति तेरी बुर देवी को समर्पित करता हूँ…!
सुन्दरी बकती रही- ओह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह…! और जोर से… और जोर से मेरे राजा! फाड़ दे! फाड़ दे…आ आ अ आ हह ह हह…! मैं झड़ी…ओह्ह ह्ह्ह हह ह… आह्ह हह हह ह!!!!
वो झर चुकी थी, मैंने भी कुछ धक्कों के बाद अपना लण्ड रस उसकी चूत में उड़ेल दिया।
फिर क्या!
आपका चन्दन [email protected]
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