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दोस्तो, मेरा नाम है वरिंदर, अन्तर्वासना की हर चुदाई को पढ़-पढ़ कर मुझे बहुत आनंद आता है और रात को मैं लैपटॉप पर कहानी अपनी बीवी को पढ़वा कर फिर उसको चोदता हूँ। आपने मेरी कहानी का पहला भाग पढ़ा, अब आगे:
वो खड़ी हुई और मुझसे लिपट गई, उसकी छाती का दबाव जब मेरी छाती पर पड़ा, मैं तो पागल होने लगा। वही लड़ाई-झगड़ा! वही बचकानी बातें!
मैंने भी पी रखी थी, अपनी बाँहों को पीछे ले जाकर उसकी पीठ पर कसते हुए मेरा हाथ जब उसके ब्लाऊज़ के ऊपर उसके जिस्म पर लगा, उसने खुद को और कस लिया, वो रोने लगी। मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर टिका दिए- चुप हो जाओ पिंकी! मैं हूँ ना! मेरे होंठों की छुअन से वो कसमसा सी गई, मानो करंट का झटका लगा हो!
लेकिन उसने मुझे और कस लिया मेरा हाथ पीठ से अब नीचे बढ़ने लगा, उसके पेट पर चला गया, साड़ी के ऊपर से उसकी गांड पर हाथ फेरा- बस चुप हो जाओ पिंकी! आओ बैठो! इतने में साडू का फ़ोन बजा- पिंकी आई है क्या यहाँ?
मैंने कहा- नहीं आई! लेकिन उसका फ़ोन आया था, शायद वो आपसे गुस्सा थी, लेकिन मोना नहीं है इसलिए बोली कि किसी गुरुद्वारे में रात काट लूंगी। गुस्सा कम होगा घर लौट आएगी और कहीं नहीं गई।
उसने मुझे दुबारा कस लिया- थैंक्स! मुझे आज के लिए रखने के लिए!
‘नहीं ऐसी बात नहीं है यह भी तो…!! यह भी तो तेरा घर है, इसमें थैंक्स वाली क्या बात है? तुम फ्रेश हो लो फिर डिनर मंगवाता हूँ!’
‘मैं बना लेती हूँ ना!’ ‘नहीं तुम घर रोज़ बनाती हो! आज बैठ कर खाओ!’ ‘वाह जीजा! बहुत खातिर करने के मूड में हो?’ ‘मूड में तो में हर पल रहता हूँ!’
वो चली गई वाशरूम, मैंने अपना पैग बनाया और उसको पीते पीते टी.वी पर चल रहे अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच चल रहे क्रिकेट मैच देखने लगा।
इतने में वाशरूम से आई- क्या बात है! अकेलेपन का फायदा उठा रहे हो दारु पीकर? ‘ऐसी बात नहीं! उसके होते भी लगाता हूँ!’ ‘क्या खाओगी? यह पेम्पलेट पकड़ो और देखो, बताओ! मैं फ़ोन कर देता हूँ, खाना आ जाएगा।’ ‘शाही पनीर, दाल मखनी, बटर नान, सलाद और खीर मंगवा लो।’
मैंने आर्डर दिया और इतने में पिंकी के मोबाइल पर उसके पति का यानि मेरे साडू का फ़ोन आया। उसने उठा लिया और दोनों बहस करने लगे, आवाज़ साफ़ बाहर तक सुन रही थी- कौन से गुरुद्वारे में हो? मैं लेने आता हूँ।
‘आज तो मैं गुरु घर में रहूँगी, कम से कम यहाँ पाठ सुनकर शांति तो मिलती है। घर में वही किच-किच!’
उसने गाली निकाल दी, झगड़ा हो गया, फिर रोने लगी- हाय मेरी किस्मत! कोसती हूँ उस दिन को जिस दिन घर वालों के खिलाफ चली गई इस नामर्द के लिए!
वो हिचकियाँ लेने लगी, मैंने पैग खींचा और उसके बराबर बैठ गया, उसके गले में बाजू डाल अपनी तरफ खींचा- बस चुप! रोना बंद करो! बहुत दुखी हूँ मैं! ‘पिंकी, बस अब रोना बंद!’
वो अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाकर रोने लगी। मैंने उसको बाँहों में कस लिया उसकी गर्दन पर चूम लिया, मैं बहक रहा था। वो इतने करीब आती जा रही थी, ऊपर से दारु का सरूर था, बोली- लाओ, आज हम भी पीकर देखेंगे! सुना है गम को भुला देती है।
‘तुम पिओगी?’ हाँ!’ ‘नहीं जाने दो!’ ‘नहीं वरिंदर! बहुत दुखी हूँ, लाओ! अगला पैग अपनी साली का बनाया हुआ पीना!’ उसने दो मोटे पैग बना दिए। ‘इतने बड़े?’ ‘कुछ नहीं होगा!’
उसने घूँट भरा- कड़वी है! ‘हाँ, तभी तो दुःख दूर कर देती है!’ उसने आँखें बंद करके पूरा पैग गटक लिया।
मैंने अपना पैग धीरे धीरे ख़त्म किया, चार पांच मिनट बाद उसको जब सरूर हुआ- वाह वरिंदर जीजू! सच में यह चीज़ मस्त है! कमरा घूम रहा है या मैं? ‘तुम घूम रही हो!’
मैं बैड के एक किनारे बैठा था, वो सामने पड़ी कुर्सी पर! उठकर बैड के दूसरे तरफ वाले किनारे बैठ गई, रिमोट पकड़ा, म्यूजिक चैनल लगा दिया।
पिंकी सरक कर मेरे और करीब आ गई, दोनों बैड पर बैठे थे, सामने मर्डर फिल्म का सेक्सी सीन वाला गाना चलने लगा, उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख लिया। ‘क्या हुआ पिंकी? सीन देख कर पति की याद आने लगी?’
‘जीजू, उसका नाम लेकर मूड खराब ना करो, मुश्किल से बदला है!’ उसने अपना हाथ मेरे सीने पर रख दिया, सहलाने लगी।
मैंने उसके गले में बाहें डाल दी उसके कान के नीचे अपने होंठ रख दिए, यह औरत का रिमोट कण्ट्रोल होता है, ना जाने मैंने कितनी औरतों का रिमोट चलाया था।
उसके मुख से हल्की सी सिसकी निकली और आंखें बंद होने लगी। मैं अब होंठ रगड़ने के साथ सांसें लेकर उसको मदहोश करने लगा।
उसने अब अपनी टांग मेरी जांघ पर टिका दी- क्या हुआ जीजू? रुक क्यूँ गए? उसने अब हाथ टीशर्ट के नीचे से मेरी छाती पर रखा, वहाँ के बाल सहलाने लगी- चलो एक एक हल्का सा पैग और हो जाए। इतने में दरवाज़े पर घण्टी बजी। खाने वाला था, उसने पैकेट दिया, मैंने पेमेंट की और अंदर आया।
इतने में उसने पैग बना डाला। वो बार के पास खड़ी थी, मैं उसके पास गया पीछे से उसको बाँहों में भर लिया, उसकी पीठ पर चुंबन जड़ दिया, वो सिसक उठी।
मेरा हाथ उसके चिकने सपाट पेट पर रेंगने लगा। एक हाथ उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लगा। मैंने उसका पल्लू पकड़ा, वो घूमने लगी। मैंने उसकी साड़ी उतारी, पेटीकोट-ब्लाऊज़ में वो कयामत लग रही थी।
मैंने अपनी टीशर्ट उतार फेंकी, उसको अपनी और घुमाया उसके होंठ चूम लिए। मेरी बांह उसकी कमर पर चली गई, वहाँ से झटका देकर उसको अपने साथ चिपका लेता- पिंकी, तुम बहुत खूबसूरत दिख रही हो!
आपकी पत्नी की बड़ी बहन हूँ! उससे दो कदम आगे हुंगी! मैंने उसके ब्लाऊज़ को उतार दिया और कुछ ही देर में वो सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी।
उसने भी मेरे लोअर को खोल दिया, बाकी का काम मैंने अपने आप उतार कर कर दिया। वो लिपट गई, बोली- उस दरिन्दे की पिटाई झगड़े से तंग हूँ। बस, अब सब भूल जाओ! अपने हाथ से एक पैग बनाओ। ऐसे ही चलकर आना मॉडल की तरह!
वो पैग बना लाई, मैंने कहा- एक बात कहूँ? लगता नहीं है कि तेरी दस साल की बेटी होगी। उसने पैग पकड़ा दिया और खुद का पी लिया, मुझे लगा अब उसको और नहीं पीने दूंगा, वरना वो सो जायेगी और मेरा मूड खराब होगा।
आगे क्या हुआ? अगले भाग में… [email protected]
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