This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मित्रो, कैसे हैं आप… मुझे मालूम है कि आप सब बेसब्री से मेरे प्रथम पिया मिलन की दास्तान सुनने के लिए बेताब हैं। बहुत से मेल मिले है मुझे इस बारे में। अब आगे की दास्ताँ सुनो।
पर पहले क्या हुआ ये जानने के लिए मसक कली मौसी-1 मसक कली मौसी-2 मसक कली मौसी-3 और पिया संग पीहर में ! जरूर पढ़ें।
जैसा कि आपको पता है मेरी बात मान कर मेरे पति अजय पाल सिंह ने रात सिर्फ बातें कर के गुजार दी। मैं भी खुश थी क्यूंकि मेरे दिल में जो डर था वो कुछ देर के लिए टल गया था। मौसी ने मम्मी को चाय बनाने को कह कर रसोई में भेज दिया और अधीर होकर मुझसे पूछ्ने लगी- ठीक रहा? मैं गर्व से बोली- मैंने कुछ होने ही नहीं दिया। मौसी आश्चर्य से बोली- क्या? हाँ मौसी ! हमने कुछ ऐसा किया ही नहीं ! अभी तक तो बच गई ! आगे पता नहीं क्या होगा?
मौसी थोड़ी संतुष्ट भी दिखी और थोड़ी बेचैन भी ! बोली- जंवाई सा नै कोसिस बी ना करी? मैंने उत्तर दिया- शायद इनका मन तो था कुछ करने का पर मैंने टाल दिया, कहा कि जब हनीमून पर जाएंगे तब करेंगे ! मौसी बोली- इब जिज्जी नै के बतावैगी? मैं बोली- मैं क्या बताऊंगी? मौसी बोली- अगर जिज्जी नै कुछ बूझ लिया ते? ‘तब की तब देखेंगे’- कह कर मैं मन ही मन खुश होते हुए बाथरूम में घुस गई।
पर वहाँ मेरा मन यही सोच रहा था कि सुहागरात कैसे मनेगी? दिन निकला और मेरी विदाई का समय आ गया। माँ-बापू ने अपनी लाडली को खुशी के आँसुओं से नम आँखों के साथ डोली में बैठाया और विदा कर दिया। डोली की गाड़ी में बैठते ही फिर से एक बार फिर रात का डर मुझे सताने लगा था। अगर आज रात को फिर अजय ने मिलन के लिए कहा तो…? यही सोचते सोचते ससुराल पहुँच गई।
ज्यूँ ज्यूँ रात नजदीक आई, दिल की धड़कन फिर से बढ़ने लगी। दिल में गुदगुदी भी हो रही थी। एक दिल तो कह रहा था कि जिस मज़े और मस्ती के लिए हर लड़की इस रात का इंतज़ार करती है वो हसरत पूरी कर लूं। आखिर एक दिन तो अजय को पता लगना है। पर घर की भीड़भाड़ ने मेरे और अजय के मिलन को फिर से अधूरा रख दिया।
अगले चार-पाँच दिन देवी-देवताओं की पूजा और रिश्तेदारों से मिलने में बीत गए। हमारा मिलन अभी तक अधूरा ही था। हर रात हम सिर्फ आने वाली जिंदगी की बातें करते और फिर एक दूसरे की बाहों में सो जाते। मेरी इस बात को मेरे पति देव ने कुछ ज्यादा ही गम्भीरता से ले लिया था कि जो भी करेंगे हनीमून पर ही करेंगे। इन पांच दिनों में पति ने हनीमून की अच्छे से तैयारी कर ली और फिर वो दिन भी आ गया और हम शिमला के लिए निकल लिए। अब तो मेरा दिल भी पिया मिलन को बेचैन हो रहा था। शिमला का यह सफर मुझे बहुत लंबा लग रहा था पर अपने पिया के कंधे पर सर रख कर मैं हनीमून के सपनों में खो कर सो गई। पहाड़ों की घुमावदार रास्तों पर न जाने कब नींद आ गई।
शाम को करीब छ: बजे हम शिमला पहुँच गए। होटल पहले से बुक था। कमरे में पहुँचते ही इन्होने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरा चेहरा पकड़ कर अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए। मुझे इस का अंदाजा नहीं था सो हड़बड़ा गई। फिर उन्हें अपने से थोड़ा दूर धकेलते हुए बोली- पहले सफर की थकावट उतार लो फिर…!
मैं बिस्तर पर बैठ गई। इन्होंने पहले ही दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था, और अब अपने कपड़े उतार रहे थे। मुझे लगा कि ये तो अभी शुरू हो रहे हैं !
पर मेरे अच्छे बालम कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गए। तब तक मैंने भी अपना सामान निकाल कर अलमारी में रख दिया। जल्दी ही वो आ गए और फिर आते ही मुझे पकड़ने की कोशिश करने लगे पर मैं उनसे छूट कर बाथरूम में घुस गई। नहाने के लिए शावर चला दिया और नंगी होकर उसके नीचे खड़ी हो गई।
मैं अब सोच रही थी कि नहा कर बाहर जाते ही क्या होने वाला है। सोचते सोचते मेरा बदन तपने लगा था, पानी की बूँदें इस तपिश को और भड़का रही थी मानो शावर से पानी नहीं पेट्रोल बह रहा हो। दिल के किसी कोने में एक डर भी था पर अब तो सोच लिया था जो होगा देखी जायेगी। अब तो जवानी की यह प्यास बुझ कर रहेगी। बहुत इंतज़ार करना पड़ा था इस रात के लिए।
मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी थी। मैं जब बाथरूम से बाहर आई तो हैरान रह गई। पूरा कमरा एक भीनी सी सुगंध से महक रहा था और बेड पर गुलाब के फूलों की पंखुडियाँ बिखरी हुई थी। वो कमरे के कोने में खड़े मुझे ही तांक रहे थे। मैंने उनकी तरफ देखा तो मैं खुद से ही शरमा गई। वो अब भी सिर्फ तौलिया लपेटे खड़े थे।
मैं शरमो-हया की मारी सर झुका कर खड़ी हो गई तो वो मेरे पास आये और मेरी ठोड़ी को अपने हाथ से ऊपर की तरफ उठाया। मेरी तो शर्म के मारे आँखें नहीं खुल रही थी। उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए। मेरा सारा शरीर सिंहर उठा। मैंने उनका दूसरा हाथ अपनी मतवाली गांड पर महसूस किया जिसे दबा कर वो मुझे अपने से और चिपकाने की कोशिश कर रहे थे। चूमते चूमते उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी साड़ी के पल्लू को हटा कर मेरे वक्ष पर हाथ फ़िराने लगे। मर्द-हाथ के एहसास ने ही मेरी योनि गीली कर दी थी। मौसी का डंडा और मौसी का हाथ दोनों ही इस हाथ के एहसास के सामने फीके थे।
अजय ने अब मुझे चूमना शुरू कर दिया था। वो मेरे अंग अंग को चूमना चाहता था इसी लिए वो एक एक करके मेरे कपड़े भी कम करता जा रहा था। पहले अजय ने मेरे ब्लाउज के हुक खोला तो मेरी चूचियाँ ब्रा में कसी खुली हवा में सर उठा कर खड़ी हो गई। अजय बेहताशा इन्हें चूम रहा था साथ साथ अपनी हथेली से मसल भी रहा था। मैं तो आनंद सागर में गोते लगा रही थी।
तभी मेरा ध्यान नीचे अजय के लिंग की तरफ गया तो दिल जोर से धड़क गया क्योंकि तौलिया खुल चुका था और लिंगदेव सर उठाये मेरी योनि का मंथन करने को बेताब से नज़र आ रहे थे। कुछ ही देर के बाद मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था और मैं पूर्ण रूप से उत्तेजित हो अजय से लिपटी हुई अपनी चुदाई की प्रतीक्षा कर रही थी।
मेरा बदन चूमते-चूमते अजय नीचे की तरफ जा रहा था। मेरा मन मचल गया यह सोच कर कि क्या अब अजय मेरी योनि का मुख-मंथन करेगा। मौसी ने एक दो बार मुख-मंथन का मज़ा दिया था। सच बहुत मज़ा है इसमें। और फिर वही हुआ।
अजय ने अपने होंठ मेरी चूत के मुख पर रख दिए। अजय अपनी जीभ से मेरी योनि को चाट रहा था। मेरा दिल अब डर रहा था कि कहीं अजय को मेरे शादी से पहले के मज़े का पता ना लग जाए। पर अजय को भी तो बहुत इंतज़ार के बाद चूत के दर्शन हुए थे तो वो पूरी मस्ती के साथ मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे बेहाल कर रहा था। मेरे हाथ अजय के सर पर थे और उसके सर को अपनी चूत पर दबा रहे थे।
थोड़ी देर और चाटने के बाद अजय उठा तो मैंने सोचा कि अब यह अपना लण्ड डालेगा मेरी चूत में ! पर अजय उठ कर मेरे सर की तरफ आया और अपना लगभग छ: सात इंच का लंबा लण्ड मेरे मुँह के सामने कर दिया और मुझे चूसने को बोला।
मैंने तो अपनी जिंदगी में लण्ड को इतनी नजदीक से पहली बार देखा था। हाँ मौसी का लकड़ी का मस्त कलंदर जरूर आजमाया था बहुत बार। मैंने मना किया तो अजय ने थोड़ा प्यार से अनुरोध किया तो मैं टाल नहीं पाई और मैंने मुँह खोल कर अजय का लिंग अपने मुँह में भर लिया। मैं धीरे धीरे लण्ड को अपनी जीभ से सहला रही थी और चूस रही थी। मेरे लिए यह पहला अवसर था इस तरह के मज़े का। कुछ ही देर में मेरा मुँह दुखने लगा तो मैंने लण्ड मुँह से बाहर निकाला और अजय को बेशर्म होकर कह ही दिया- अजी, अब और मत तड़पाओ… नहीं तो मर जाऊँगी !
अजय ने भी मेरे अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मेरी टांगों को अपने कंधों पर रख कर अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया। मेरे दिल के डर ने एक बार फिर दस्तक दी और मुझे मौसी की हिदायत याद आई। मैंने जांघों को थोड़ा भींचते हुए अपनी योनि को थोड़ा कसने की कोशिश की। तभी अजय ने एक दमदार धक्का लगा दिया।
अजय का लण्ड लकड़ी के मस्त कलन्दर से मोटा था तो जैसे ही वो मेरी चूत में सरका, मेरी चींख निकल गई। मुझे दर्द भी हुआ क्योंकि मैंने अपनी जांघें भींची हुई थी। लण्ड रगड़ खता हुआ लगभग दो तीन इंच अंदर घुस गया। मौसी ने मुझे थोड़ा चीखने-चिल्लाने को भी कहा था पर मैं वो सब भूल कर अब सिर्फ अजय के मोटे लण्ड का मज़ा लेना चाहती थी।
अजय का धक्का इतना तेज था कि मेरी आँखों में आँसू आ गए। अजय ने मेरे आँसू अपनी जीभ से साफ़ करते हुए कहा- मेरी जान.. पहली बार में दर्द होता ही है.. बस थोडा सा दर्द सहन कर लो, फिर देखना तुम्हें सारी उम्र जन्नत की सैर करवाया करूँगा। मैं मन ही मन खुश हुई कि अजय को कुछ पता नहीं चला।
तभी अजय ने एक और शानदार धक्का लगा कर मुझे अपनी उपस्थिति का एहसास करवाया और अपना आधे से ज्यादा लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। मैं एक बार फिर चिहुंक उठी। अब मैंने भी अपनी जांघे थोड़ी ढीली कर दी तो अजय ने अगले दो ही धक्कों में अपना पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर फिट कर दिया। अजय के अंडकोष मेरी योनि से मिल गए थे। पूरा लण्ड डालने के बाद अजय मेरे ऊपर झुका और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मौसी की हिदायत के अनुसार मैं ऐसा दर्शा रही थी जैसे मुझे बहुत ज्यादा पीड़ा हो रही हो पर अंदर से मैं अजय के मोटे लण्ड का आनंद ले रही थी और अपनी असल धकाधक वाली चुदाई का इंतज़ार कर रही थी।
तभी अजय ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। पहले तो मैं आराम से लेटी रही पर कब तक निश्चल लेटी रहती। मस्ती मेरे ऊपर हावी होने लगी और मैं भी गांड उठा उठा कर अजय के धक्कों का जवाब देने लगी- आह आह्हह ओह्ह्ह उफ्फ्फ़ ! कमरा सिसकारियों और सीत्कारों से गूंजने लगा था।
मेरा दिल कर रहा था कि मैं मौसी की तरह मस्त हो कर गन्दी गन्दी गालियाँ दूँ पर शर्म के मारे मैं सिर्फ गांड उछाल कर मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी। ‘मज़ा आ गया मेरी रानी… बहुत मस्त हो तुम… तुम सच में मेरी रानी हो और आज से तुम मेरे दिल की रानी…’ अजय ना जाने क्या क्या बड़बड़ा रहा था। कुछ देर के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं झड़ने की स्थिति में आ गई थी और किसी भी क्षण मैं झड़ सकती थी।
तभी अजय ने भी अपनी गति तेज कर दी। अब वो दनादन धक्के लगा रहा था। मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी थी जिस कारण अब कमरे में फच्च फच्च फच्चा फच की आवाजें भी आने लगी थी।
मैंने अजय को अपनी टांगों और बाहों से जकड़ लिया था कि तभी मैं झड़ने लगी। मेरी गर्मी झर-झर करके झरने लगी, मैं मदहोश हो गई थी और इन उत्तेजक पलों का आनन्द लेने लेगी। तभी मुझे अपनी चूत में गर्म लावे का एहसास हुआ जो फव्वारा बन कर मेरी चूत में फैलता जा रहा था। इस लावे के एहसास ने झड़ने का आनंद दोगुना कर दिया था। मैं किसी लता की तरह अजय से लिपट गई थी और फिर बहुत देर तक हम दोनों इसी तरह लेटे रहे। आनन्द के नशे के मारे मेरी आँखें ही नहीं खुल रही थी।
करीब दस मिनट के बाद अजय मुझ से अलग हुआ और बाथरूम में घुस गया। मेरा शरीर और मन इतना हल्का हो गया था कि मेरा हिलने को भी मन नहीं कर रहा था। अजय के आने बाद मैं जैसे तैसे उठी और बाथरूम में गई और अपने आप को साफ़ किया पर जैसे ही कमरे में वापिस आई तो अजय अपने खड़े लण्ड के साथ मेरा स्वागत कर रहा था।
फिर तो हम लोग वहाँ जितने दिन रहे हमने ना दिन देखा ना रात बस मस्ती ही मस्ती.. थोड़ी देर घूमने जाते और फिर आते ही बिस्तर पर हमारी कामक्रीड़ा शुरू हो जाती… मेरे पति को मेरे शादी से पहले की मस्ती का पता नहीं चला था… तब से अब तक मेरे पति और मैं अपने जीवन में बेहद खुश हैं। आपको मेरी मेरी कहानी कैसी लगी? आपके मेल का इंतज़ार रहेगा। आपकी बरखा मेरा मेल आईडी है [email protected] इस कहानी को लिखने में मेरे एक मित्र राज ने मेरी मदद की है तो आप राज को मेल करके जरूर बताना कि उसकी मेहनत कितनी सफल रही है। राज की आईडी है [email protected] 1954
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000