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प्रेषक : राज कार्तिक
सोनिया अब मस्त गांड उठा उठा कर मेरा लण्ड ले रही थी अपनी चूत में।
करीब दस मिनट के बाद सोनिया का शरीर अकड़ने लगा और वो चिल्ला उठी- मैं तो गईईई.. मेरे राजा…मेरा तो निकाला…जोर से मार.. आह्ह्ह.. गईईइ …ऊम्म्म्म्म… निकल गया…
और इसी के साथ सोनिया झड़ गई।
मेरा अभी नहीं निकला था सो मैं धक्के लगाता रहा। पानी निकलने के बाद सोनिया थोड़ी सुस्त सी हुई पर थोड़ी ही देर के बाद वो फिर से गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और सोनिया को घोड़ी बना कर पीछे से लंड सोनिया की चूत में डाल दिया। कमरे में अँधेरा हो गया था क्यूंकि सूरज छिप गया था। मैं अँधेरे में ही सोनिया की चूत पेलता रहा।
लगभग अगले पन्द्रह मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो मैंने भी जितनी तेज कर सकता था अपनी गति उतनी तेज कर दी। उधर सोनिया भी अब दुबारा से झड़ने को तैयार थी और मस्ती में गालियों से मेरे लण्ड से निकलने वाले अमृत का स्वागत कर रही थी।
“भर दे मेरे राजा अपने अमृत से मेरी चूत.. बहुत दिन इंतज़ार किया है इस पल का… बहन के लण्ड जल्दी जल्दी जोर जोर से चोद.. मेरा होने वाला है..”
“मैं भी आ रहा हूँ मेरी जान…” और फिर मैं भी पूरे जोर से झड़ने लगा सोनिया की चूत में। सोनिया की चूत से भी गंगा-जमना बह रही थी और सोनिया ने मुझे बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया था। मैं भी सोनिया के नाजुक बदन से लिपटा हुआ अभी खत्म हुई चुदाई के एहसास का मज़ा ले रहा था। घड़ी में समय देखा तो होश उड़ गए आठ बज चुके थे, गांव के माहौल के हिसाब से बहुत देर हो गई थी।हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ चल दिए। घर पर सबके गुस्सा होने का डर सताने लगा था। हम जल्दी जल्दी चलने लगे तो सोनिया लड़खड़ा गई। उसकी चूत सूज गई थी और दर्द भी कर रही थी। जिस कारण उससे चला नहीं जा रहा था। मैंने सोनिया को अपनी गोदी में उठाया और जल्दी से घर की तरफ चल दिया। सोनिया ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल ली और मुझ से लिपट गई। गांव से थोड़ी देर पहले मैंने सोनिया को उतारा और करीब साढ़े आठ बजे घर पहुंचे। महिला-संगीत का कार्यक्रम चल रहा था। सिर्फ बुआ ने ही हमें देखा। बाकी सबकी निगाह से किसी तरह हम दोनों बच गए थे।
नौ बजे जब संगीत खत्म हुआ तो बुआ मेरे पास आई और पूछने लगी- कहाँ गए थे?
तो मैंने सब कुछ बता दिया। बुआ पहले तो थोड़ा गुस्सा हुई- अगर पकड़ा जाता तो?
पर फिर एकदम से मुझे गले से लगा कर मुझे नई चूत की बधाई दी।
मैंने बुआ को बोला- प्लीज़ रात का कुछ इंतजाम करो ! अब रात को नहीं रहा जाएगा।
दस बजे के करीब बुआ मेरे पास आई और बोली- शन्नो चाची के घर सोने का इंतजाम हो गया है। सोनिया और मैं वही सोने जा रही हैं।
यह मेरे लिए सुराग था।
बुआ के जाने के बाद मेरे लिए एक एक मिनट पहाड़ जैसा लगने लगा था। पर मेरे दोस्त मुझे छोड़ ही नहीं रहे थे। निकलते निकलते मुझे एक बज गया।
मैं रात के एक बजे शन्नो चाची के घर पहुँचा। जब दरवाजा खोलने की कोशिश की तो देखा दरवाज़ा खुला हुआ था। मैं समझ गया कि यह सब बुआ की योजना है। अंदर जाकर देखा तो बुआ और शन्नो चाची अभी भी बातें कर रही थी और सोनिया उनके बगल में ही सो रही थी।
बुआ बोली- अरे राज बहुत देर कर दी तुमने… ? कहाँ रह गए थे..? हम तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी।
बस बुआ दोस्तों ने ही नहीं छोड़ा ! मैंने जवाब दिया और उन्ही के पास पलंग पर बैठ गया।
शन्नो चाची की आँखों में ना जाने क्यों मुझे एक शरारत सी नज़र आ रही थी।
तभी बुआ ने शन्नो चाची को कान में कुछ कहा और दोनों हंस पड़ी। तभी बुआ और शन्नो चाची उठी और मुझे सोने के लिए बोल कर दूसरे कमरे में चली गई। मैं कुछ समझ नहीं पाया था। मैंने बुआ से पूछा तो बुआ ने आँख मारी और बोली- राज.. आज तेरी सुहागरात है मेरे राजा ! मौज कर !
मैं शरमा गया।
उन लोगों के जाने क बाद मैंने सोती हुई सोनिया को देखा। एकदम परी के जैसी लग रही थी मेरी जान। मैंने धीरे से सोनिया के पेट पर हाथ रखा और सहलाने लगा। फिर अपने होंठ सोनिया के नंगे पेट पर रख कर सोनिया की नाभि को जीभ से चाटने और सहलाने लगा।
सोनिया थोड़ी कसमसाई और एक कामुक अंगड़ाई ली। मैं थोड़ा ऊपर की तरफ सरका और अपने होंठ सोनिया के कोमल होंठों पर रख दिए। सोनिया ने एकदम से आँख खोल दी। उसने चौंक कर कमरे में इधर उधर देखा पर कमरे में तो सिर्फ हम दोनों ही थे। उसने बुआ के बारे में पूछा तो मैंने उसको सब कुछ बता दिया। वो पहले तो थोड़ा सकपकाई पर फिर एकदम खुश होकर मेरे गले से लग गई।
अगले ही पल हम दोनों वासना के समुंदर में गोते लगाने लगे। कपड़ो ने शरीर का साथ छोड़ दिया। बिस्तर पर अब दो नंगे जिस्म एक दूसरे में खो जाने को बेकरार आपस में लिपटे हुए थे। मैं सोनिया के और सोनिया मेरे होंठों को चूस रही थी। मेरे हाथ सोनिया की चूचियों की गोलाईयाँ माप रहे थे।
कुछ देर ऐसे ही मज़े लेने के बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और सोनिया मेरा लंड और मैं सोनिया की चूत का मुख-मंथन करने लगा।
“अब नहीं रहा जाता राज…. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल दे मेरे राजा !”
मेरा लंड भी अब अकड़ कर बम्बू बन चूका था तो मुझ से भी अब सबर नहीं हो रहा था।
मैं सोनिया की टांगों के बीच आ गया और अपना लंड सोनिया की सूजी हुई चूत के मुँह पर रख दिया। शाम को हुई चुदाई से सोनिया की चूत सूज गई थी।
मैंने लंड को सही से रखा और एक जोरदार धक्का चूत के पानी से गीली और चिकनी हुई चूत पर लगा दिया। लंड करीब तीन इंच तक चूत में समा गया।
लंड घुसते ही सोनिया चिल्ला उठी दर्द के मारे- राज… बहुत दर्द हो रहा है !
मैंने सोनिया की बात को अनसुना करते हुए एक और धक्का लगा दिया और लंड आधे से ज्यादा चूत में घुस गया। कसी चूत का सच में अलग ही मज़ा है। सोनिया थोड़ा कसमसाई और अपने हाथों से मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी। मैंने भी उसको मजबूती से पकड़ रखा था। मैं थोड़ा रुक कर सोनिया की चूचियों को सहलाने और मसलने लगा। सोनिया की आँखों से आंसू बह निकले थे।
मैंने जीभ से चाट कर सोनिया की गाल पर आये आँसू साफ़ किये। फिर अपने होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए। थोड़ी देर बाद जैसे ही सोनिया ने अपना बदन थोड़ा ढीला किया तो मैंने एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड सोनिया की चूत में घुसेड़ दिया।
सोनिया एक बार जोर से चीखी पर जब उसे पता लगा कि पूरा लंड घुस गया है तो वो मेरी छाती में सर को डाल कर दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी।
कुछ देर के बाद जब दर्द खत्म हुआ तो फिर से कमरे में मस्ती का आलम हो गया और कमरे में सिसकारियाँ गूंजने लगी। सोनिया भी अब मस्त होकर लंड का मज़ा लेने लगी। मैं भी उसकी मस्त कसी चूत का मज़ा ले रहा था। जैसे जैसे जोश बढ़ने लगा सोनिया भी गांड उछाल उछाल कर लंड लेने लगी और मैं भी पूरे जोश से धक्के लगाने लगा।
“चोद मेरे राजा चोद … जोर जोर से चोद मेरे राजा.. बहुत मज़ा आ रहा है …. अह्ह्ह आह्हह्ह मेरे राजा !”
मेरा मस्त कलन्दर सोनिया की चूत में धमाल मचा रहा था। सोनिया के मुँह से गालियाँ फूटने लगी थी और वो झड़ने के कगार पर पहुँच चुकी थी- मादरचोद…बहन के लोडे…फाड़ मेरी चूत को फाड़…. जोर जोर से चोद बहनचोद…”
सोनिया अब आपने आप को रोक नहीं पा रही थी और फिर उसके शरीर में थरथराहट हुई और वो पूरे जोर से झड़ने लगी।
मैं अभी भी धक्के लगा रहा था। कुछ देर के बाद मेरा भी होने को हुआ तो मैंने धक्को की गति बढ़ा दी।
पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद मेरे लंड ने भी अपनी गर्मी पिचकारी के रूप में सोनिया की चूत में भर दी। गर्म गर्म वीर्य का का एहसास होते ही सोनिया एक बार फिर से झड गई और उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर जकड़ ली और मुझसे लिपट गई। फिर तो हम दोनों झड़ने के आनंद में डूब गए। रात काफी हो चुकी थी तो ऐसे ही लेटे लेटे हम दोनों को नींद आ गई। जब नींद खुली तो सोनिया बिल्कुल नंगी मुझ से लिपट कर सो रही थी। मुझे उस पर बहुत प्यार आया और मैंने उसका माथा चूम लिया। जब उसकी चूत पर निगाह गई तो देखा चूत बिलकुल सूज कर डबलरोटी हो गई थी। मैं तो एक बार और करना चाहता था पर तभी बुआ ने कमरे में आकर बताया कि सुबह के छ: बज चुके हैं, कोई भी आ सकता था तो मैं उठा और बाहर घूमने चला गया।
दो दिन गांव में बिताने के बाद हम सब शहर वापिस आ गए और फिर मैं एक भी रात अकेला नहीं सोया। बुआ ने सोनिया मुझे सौंप दी थी। तब से सोनिया के साथ चुदाई चल रही है।
आज के लिए बस इतना ही …….
आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा।
आपका राज
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