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सोनिया की मम्मी-2 से आगे की कहानी
प्रेषक : राज कार्तिक
दोस्तो,
आपने मेरी कहानी
बुआ हो तो ऐसी-1
और
सोनिया की मम्मी-1
पढ़ी और पसंद की, धन्यवाद..
आपके इतने मेल मिले कि दिल खुश हो गया आप लोगों का प्यार देख कर ! आप में से बहुत से दोस्त आगे की कहानी यानि सोनिया की चुदाई के बारे में जानने के बेताब हैं तो आज समय निकाल कर मैं सोनिया की चुदाई की कहानी आप लोगों के सामने रख रहा हूँ।
जैसे कि आपको पता ही है कि मैंने सोनिया की मम्मी को बहुत दिल लगा कर चोदा और मेरी चुदाई से वो भी मस्त हो गई थी। मैंने उसे बता दिया था कि मैं सोनिया को लेने आया हूँ और अगली सुबह ही चला जाऊँगा। यह सुन कर वो थोड़ी उदास हो गई और बोली- मैंने तो सोचा था कि तुम कुछ दिन यहाँ रुकोगे और मेरी प्यास बुझाओगे।
सच कहूँ तो दोस्तो, सोनिया की मम्मी किरण थी ही इतनी मस्त कि एक बार तो मेरा भी दिल किया कि छोड़ो सोनिया को, किरण के ही मजे ले लेते हैं। पर फिर सोनिया की मस्त जवानी मेरी आँखों के सामने आ गई और किरण मुझे बासी चावल लगने लगी।
जिन लोगों ने मेरी पहली कहानियाँ नहीं पढ़ी हैं उनके लिए बता दूँ कि सोनिया एक बीस साल की मदमस्त जवान, अल्हड़ मुटियार है। इस उम्र में ही उसकी जवानी की निशानियाँ किसी भी शादीशुदा औरत से ज्यादा मस्त थी। 36 इंच की चूचियाँ 26 इंच की पतली कमर, और 36 इंच की मदमस्त गाण्ड। यही वो चीजें हैं जो किसी नपुंसक का लण्ड भी कुछ देर के लिए खड़ा कर दे।
अब आते है असली कहानी पर।
शाम को जब सोनिया अपनी सहेली की सगाई से वापस आई तो उसको देखते ही मैं तो अपने होश खो बैठा। क्या लग रही थी यार। आखिर वो सगाई में सजधज कर गई हुई थी। जब वो आई तो एक मादक खुशबू पूरे कमरे में फ़ैल गई।
कपड़े बदल कर वो मेरे पास आई और मुझसे बातें करने लगी। वो बोलती जा रही थी और मैं एक टक उसको देखता जा रहा था। यह सोच सोच कर मेरा लण्ड लोहा होता जा रहा था कि घर जाकर इस हसीना की चूत मेरे लण्ड को नसीब होने वाली है। शायद यही सोच कर मेरा लण्ड भी इतरा रहा था और बैठने का नाम नहीं ले रहा था। बिल्कुल कोयल जैसी मीठी आवाज है सोनिया की। मैं तो एकदम से खो सा गया था। मेरी मदहोशी तब उतरी जब सोनिया की मम्मी ने कमरे में आकर हमें खाना खा लेने को कहा।
मैं सोनिया के साथ बैठ कर खाना खाने लगा। खाना खाने के बाद किरण बोली- तुम लोगों को सुबह जल्दी जाना है तो अब जल्दी सो जाओ।
सोनिया भी थकी हुई थी तो वो अपने कमरे में सोने चली गई और मैं भी अपने बिस्तर पर लेट गया। काम खत्म करने के बाद किरण मेरे पास आई और हम दोनों का लण्ड चूत का खेल एक बार फिर शुरू हो गया जो रात को करीब तीन बजे तक चला।
अगली सुबह जब मैं उठा तो सोनिया चलने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैं भी जल्दी से उठा और नहा-धोकर चलने के लिए तैयार हो गया। किरण बहुत बेचैन थी। वो मुझे जाने देना नहीं चाहती थी पर मैं तो सोनिया की चूत के सपने में खोया था और यही सोच रहा था की कब अपने शहर पहुँच जाऊँ और सोनिया को नंगी करके अपना मस्त कलंदर उसकी चूत में डाल कर उसकी मस्त चुदाई करूँ।
घर से निकलते निकलते ग्यारह बज गए थे। मैं सोनिया को लेकर बस स्टैंड पहुँचा और बस पकड़ कर चल दिया। बस में बहुत भीड़ थी। हमें सिर्फ एक ही सीट मिली थी। मैंने उस पर सोनिया को बैठा दिया पर वो थोड़ा सरक कर बोली- तुम भी बैठ जाओ !
तो मैं भी उसके साथ ही बैठ गया। सोनिया का बदन मुझ से बिल्कुल सटा हुआ था। दो घंटे का सफर था। कुछ देर बाद ही सोनिया को नींद आने लगी और वो मेरी कंधे पर सर रख कर ऊँघने लगी। थोड़ी देर के बाद हमारी साथ वाली सीट खाली हुई तो मैं और सोनिया थोड़ा सरक कर बैठ गए।
सोनिया बोली- मुझे तो बहुत नींद आ रही है !
तो मैंने कह दिया- मेरे कंधे पर सर रख कर सो जाओ।
पर वो मेरी गो़द में सर रख कर लेट गई। उसके बदन के स्पर्श मात्र से मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था जो उसके गाल से बार बार छू रहा था।शायद इसका एहसास सोनिया को भी हो गया था। मैंने अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख लिया और धीरे धीरे सहलाने लगा।
खैर किसी तरह सफर खत्म हुआ और हम अपने शहर पहुँच गए।
रिक्शा पकड़ कर हम घर पहुँच गए। बुआ हम दोनों को देख कर खुश हो गई। मैंने जाते ही बुआ को बोल दिया- बुआ, अब मुझसे ज्यादा इंतज़ार नहीं होगा। जल्दी से कुछ करो और सोनिया की चूत का उदघाटन करवाओ।
बुआ ने मुझे दो दिन इंतज़ार करने को बोला पर मेरा दिल तो कर रहा था कि अभी सोनिया को उठाकर बेडरूम में ले जाऊ और लण्ड को एक ही झटके में घुसेड़ दूँ उसकी कुंवारी चूत में।
दिन बीता, रात हुई तो सोने का इंतजाम होने लगा। मैंने सोचा था कि बुआ फूफा के पास सोएगी और मैं सोनिया के साथ सो जाऊँगा।
पर फूफा ने मेरी सारी योजना खराब कर दी और बोले- राज, तू मेरे पास सो जाना और सोनिया तुम्हारी बुआ के पास सो जायेगी।
मैं भला क्या कहता !
मैं भागा बुआ के पास गया और कुछ जुगाड़ लगाने को बोला, तो बुआ ने भी इंतज़ार करने की सलाह दे दी।
वो रात मैंने कैसे काटी, यह मैं ही जानता हूँ।
खैर सुबह हुई तो मैंने उठते ही सबसे पहले सोनिया के कमरे का रुख किया। सोनिया अभी सो रही थी। उसने एक ढीला सा नाईट सूट पहन रखा था जो थोड़ा सा ऊपर सरक गया था। सूट के ऊपर सरकने के कारण सोनिया का गोरा गोरा नंगा पेट दिखाई दे रहा था जिसे देखते ही मेरा लण्ड फुँकारने लगा पर अभी कुछ कर नहीं सकता था।
तभी बुआ की आवाज़ आई- राज… जरा सोनिया को उठा दो वो चाय बना देगी।
मैं इस सुनहरे मौके को भला कैसे छोड़ देता। मैं सोनिया के बिस्तर के पास गया और उसके नंगे पेट पर हाथ फेरते हुए उसको उठाने के लिए हिलाया।
उसके मक्खन जैसे मुलायम पेट के स्पर्श से मेरा लण्ड फटने को हो गया था। सोनिया अभी भी गहरी नींद में सो रही थी तो मैंने अपने हाथ को थोड़ा और आगे बढ़ाते हुए उसकी नंगी चूची को स्पर्श करके देखा।
हाय ! मेरा लण्ड अब मेरे काबू से बाहर होता जा रहा था।
मैंने एक बार फिर सोनिया को हिलाया तो वो एकदम से उठ बैठी और अपने कपड़े ठीक करने लगी।
तुम्हें बुआ बुला रही है ! मैंने सफाई देते हुए कहा।
मैं अभी आती हूँ…! कहकर सोनिया बाथरूम में घुस गई।
मैं बाथरूम के दरवाजे के पास जाकर अंदर की आवाज़ सुनने लगा। अंदर से सुरर्र-सुर्र की तेज आवाज आ रही थी। सोनिया पेशाब कर रही थी।
दिल किया कि अभी दरवाज़ा खोल कर अंदर चला जाऊँ और …. पर मजबूर था।
ऐसे ही तीन दिन गुज़र गए। मैं चूत सामने होते हुए भी लण्ड हाथ में लेकर घूम रहा था। बुआ को चोद नहीं सकता था क्यूंकि वो गर्भवती थी और सोनिया को चोदने का कार्यक्रम नहीं बन पा रहा था। मैंने बुआ से कई बार कहा भी पर वो हर बार इंतज़ार करने के बोल देती।
और तीन दिन बाद अचानक गाँव से बुलावा आ गया। गाँव में कोई पारिवारिक कार्यक्रम था। बुआ को भी बुलाया था। सो हम सब उसी शाम को गाँव के लिए निकल पड़े। फूफा हमारे साथ नहीं गए थे।
मैं करीब चार महीने के बाद गाँव आया था। इसलिए मेरा बहुत स्वागत हो रहा था। सोनिया भी हमारे साथ ही थी तो गाँव के दोस्त इतनी सुन्दर हसीना को मेरे साथ देख कर मेरे आसपास ही मंडरा रहे थे।
बुआ अपने हमउम्र औरतों के साथ गप्पें मारने लेगी तो सोनिया बोर हो रही थी।
वो मेरे पास आकर बोली- राज, मैं तो यहाँ बोर हो रही हूँ, मुझे कहीं घुमा कर लाओ ना !
शाम का धुंधलका फ़ैल चुका था, मैंने कहा- अब तो देर हो चुकी है, हम लोग सुबह घूमने चलेंगे।
पर वो जिद करने लगी तो मैंने सोचा कि गाँव के पास के खेत तक घुमा लाता हूँ।
हम दोनों बातें करते करते गाँव से बाहर की ओर चल दिए। रास्ते भर हम दोनों इधर उधर की बातें करते रहे।
फिर अचानक सोनिया ने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं सोनिया का मुँह ताकने लगा। मुझे सोनिया से ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी। पर जब सोनिया ने पूछा तो मेरा काम थोड़ा आसान हो गया।
मैंने ना करते हुए सोनिया पर उल्टा सवाल दाग दिया- तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है…?
सोनिया हँस पड़ी और बोली- हाँ है ना.. तुम हो ना मेरे बॉय फ्रेंड… क्यों क्या नहीं हो?
अँधेरा हो चुका था। मैंने अँधेरे में ही सोनिया का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा तो सोनिया एकदम से मेरी बाहों में आ गई। मैंने सोनिया का चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर अपनी तरफ किया और चूमने की कोशिश की तो सोनिया एकदम से मुझ से छुट कर भाग गई..
मैं भी उसके पीछे भागा। चारों तरफ ज्वार के खेत थे। अचानक सोनिया एक खेत में घुस गई। मैं भी सोनिया के पीछे ही था और कुछ दूर जाकर मैंने सोनिया को पकड़ लिया तो सोनिया एकदम से मेरे गले से लिपट गई और उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए।
कुछ पल के लिए तो मैं हैरान हुआ, पर चाहता तो मैं भी यही था।
मैंने भी सोनिया को अपनी बाहों में भर लिया और मस्त हो कर सोनिया के रसीले होंठ चूसने लगा। कुछ देर होंठो की चुसाई के बाद सोनिया बोली- अब घर चलो ! रात हो गई है, सब लोग हमें तलाश कर रहे होंगे।
पर मेरा तो लण्ड खड़ा हो कर लोहे की छड़ बन चुका था, मैं भला कैसे सोनिया को बिना चोदे घर ले जाता।
कहानी जारी रहेगी।
आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा।
आपका राज
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