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लेखक : भवानी भाई
दोस्तो, आज मैं आपको अपनी बहन मंजू की चुदाई की कहानी बता रहा हूँ।
एक बार मैं और मंजू उसकी एक सहेली की शादी से रात को तीन बजे वापस आ रहे थे, मैं बाइक चला रहा था, मंजू मेरे पीछे बैठी थी, सर्दी का समय था, मंजू ने जीन्स और शर्ट पहन रखी थी।
मैं भी पार्टी में था, वहाँ मंजू को देखकर सब लड़के आहें भर रहे थे। एक तो मेरे को आकर बोला- भाई, तुमने तो क्या माल पटाया है !
वो यह नहीं जानता था कि वो मेरी बहन है। तो मैं उसको बोला- वो मेरी बहन है !
तो वो सॉरी बोल कर चला गया, मेरे अन्दर का मर्द जाग गया और मैं मंजू की चुदाई के सपने देखने लग गया।
रास्ते में मैं बाइक पर बहुत पीछे हो कर बैठा था ताकि मंजू मेरे से चिपक कर बैठे। मंजू भी मेरे से चिपक कर बैठी थी, बोली- भाई सर्दी ज्यादा है !
उसकी चूचियाँ मेरी पीठ में चुभ रहे थे मेरा लंड तन रहा था। घर पहुँचने तक मेरी हालत ख़राब हो गई थी, मंजू की चूचियाँ पहले से ज्यादा भारी लग रहे थी।
घर आते ही मैं बोला- मंजू सर्दी लग रही है, कॉफ़ी तो पिला !
वो बोली- ठीक है, मैं बनाकर लाती हूँ।
मैं वस्त्र बदलने चला गया, मैंने पैंट उतारी और चड्डी में देखा तो कुछ चिपचिपा पानी निकल गया था। मैंने नेकर पहन लिया और अपने कमरे में आ गया।
थोड़ी देर में मंजू कॉफ़ी लेकर आ गई। मम्मी और पापा आगरा शादी में गये हुए थे। कॉफ़ी पीने के बाद मैं सोने लगा तो मंजू बोली- भाई, मुझे अकेले में डर लगता है !
तो मैं बोला- तुम यहीं सो जाओ ! मैं सोफे पर सो जाता हूँ।
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि मंजू यहीं मेरे कमरे में ही सोना चाहती है।
फिर वो बोली- मैं कपड़े बदल कर आती हूँ।
वो चली गई और नाइटी पहन कर आई। मैं सोफे पर सो गया और वो मेरे बेड पर सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं मंजू को ही देख रहा था, मेरी तरफ मंजू की गांड थी जो बहुत भारी थी। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था।
एक घंटे बाद मंजू ने करवट बदली तो नाइटी ऊपर उठ गई, मंजू ने नीचे चड्डी नहीं पहन रखी थी, उसकी चूत मुझे दिखने लगी, बिना बालों के बहुत ही अच्छी लग रही थी। अब मैं अपने आप को नहीं रोक पाया, मैं उठकर उसके बेड पर चला गया और उसके साथ ही लेट गया, एक टांग मंजू के ऊपर डाल दी और एक हाथ से मंजू के चूचे दबाने लगा।
फिर मैंने धीरे से उसकी नाइटी को ऊपर कर दिया और मैंने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख लिया।
और फिर मैं मंजू की नाइटी को खोलने लगा तो मंजू उठ गई और बोली- भैया, यह क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मंजू, तुम बहुत सुन्दर हो, तुम्हें देखकर आज मैं सब कुछ भूल गया हूँ !
फिर मैं मंजू के ऊपर लेट गया और उसके स्तन दबाने लगा।
फिर वो कुछ नहीं बोली।
फिर मैंने उसकी नाइटी उतार दी, अब वो बिल्कुल नंगी हो गई थी, वो बोली- मुझे शर्म आ रही है !
मैं बोला- तुम आँखें बंद कर लो !
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। मैं मंजू के होंठों को चूस रहा था। फिर उसके चुचूकों को चूसने लगा तो वो अह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह ! मर गई ! करने लगी।
मैं चूसता रहा।
फिर नीचे होकर उसकी चूत पर होंठ रखे तो मंजू की हालत ही ख़राब हो गई, वो बुरी तरह से मुँह से आवाजें निकालने लगी तो मैं घूम गया और लंड उसके मुँह पर दिया और एक हाथ से उसके होंठों पर लंड फिराने लगा तो मंजू ने मुँह खोल दिया। मंजू मेरे लंड को चूसने लगी। थोड़ी देर के बाद मंजू ने मेरे मुँह पर पानी निकाल दिया, मैं वो पानी चाट गया। मंजू बुरी तरह से मेरे लंड को चूस रही थी।
तभी मैं बोला- अब बाहर निकालो और सीधी हो जाओ !
तो वो सीधी हो गई। अब उसने आँखे खोल रखी थी, वो बोली- भाई, बहुत मोटा है, यह अन्दर नहीं जायेगा।
तो मैं बोला- चला जायेगा।लेकिन वो बोली- दर्द होगा ! नहीं, मैं नहीं करवाऊँगी !
तो मैं बोला- वैसलीन लगा कर करूंगा, दर्द नहीं होगा।
फिर मैंने वैसलीन ली और मंजू की चूत पर लगा दी और अपने लंड पर भी अच्छी तरह से लगा ली। फिर मंजू के पैरों को उठाकर कन्धों पर रखा और लंड को चूत के मुँह पर रखकर धक्का दिया तो थोड़ा सा अन्दर गया।
मंजू बोली- दर्द हो रहा है !
मैं रुक गया, थोड़ी देर के बाद मैंने एक जोर से धक्का दिया तो मंजू की चीख निकल गई और लंड आधा चूत के अन्दर चला गया।
मंजू रोने लगी, मैं फिर रुक गया और उसके चुचूकों को चूसने लगा।
फिर कुछ देर बाद मंजू नीचे से धक्के लगाने लगी तो मैं समझ गया कि उसका दर्द कम हो गया है। मैंने फिर एक जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा अन्दर चला गया। मंजू ने आँखें बंद कर रखी थी और अपने होंठों को काट रही थी। मैं फिर जोर जोर से धक्के लगाने लगा तो मंजू के मुंह मादक आवाजें आ रही थी। मैं भी पूरे जोश से मंजू की कुँवारी चूत को चोद रहा था और मंजू भी पूरी मस्ती में थी, वो बोल रही थी- भैया, आपने पहले क्यों नहीं चोदा? बहुत मजा आ रहा है, जोर जोर से चोदो।
फिर उसके मुँह से चीख निकली और वो ऐंठने लगी और झर गई लेकिन मैं कब रुकने वाला था, जोर जोर से लगा रहा मगर मेरा भी अंत आ गया था, मैंने भी मंजू की चूत के अन्दर ही पानी डाल दिया और ऊपर ही लेटा रहा।
मैंने मंजू की तरफ देखा तो वो हंसने लगी।
तो मैं बोला- क्या हुआ?
तो बोली- मैं खुद ही आज आपसे चुदवाना चाहती थी, इसलिए ही मैं आपके कमरे में सोई थी और ब्रा और चड्डी भी नहीं पहन कर आई थी।
फिर मैं बोला- रोज ही चुदवाना ! मजा आएगा !
तो बोली- भैया, आज तो सहेली के साथ ही मेरी भी सुहागरात हो गई !
मैंने उसकी चूत को देखा तो सूज गई थी और खून भी आ रहा था, बेडशीट पर भी खून लग गया था।
फिर वो बोली- अब सो जाओ !
लेकिन मैं उसे कई बार चोदना चाहता था, मैं बोला- आज की रात नहीं सोना ! आज तो पूरी रात तुम्हारे साथ ही बीतेगी।
वो बोली- मैं अब और नहीं चुदवा सकती, दर्द हो रहा है।
तो मैं बोला- एक बार फिर करते हैं, अब दर्द नहीं होगा।
तो उसने साफ़ मना कर दिया पर मैं उसके स्तन फिर दबाने लगा तो बोली- भैया, अब नहीं होगा ! कल दिन में कर लेना !
तो मैं बोला- एक बार गांड मारने दे !
तो वो गुस्से में बोली- वो कोई चोदने की चीज होती है?
तो मैं बोला- एक बार चुदवा कर तो देख ! बहुत मजा आएगा, चूत से भी ज्यादा !
मैंने उसे जबरदस्ती से उल्टा कर दिया और घोड़ी बना दिया। मैंने वैसलीन की डिब्बी उठाई और उसकी गांड पर लगा दी।
वो रोने लगी- बहुत दर्द होगा !
फिर मैंने लंड को गांड के मुँह पर लगाकर धक्का दिया, वो बुरी तरह से चीखने लगी लेकिन मुझे भी पता नहीं क्या हो गया, मैं रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैंने पूरा लंड अन्दर डाल दिया। उसकी गांड से खून आने लगा, वो रो रही थी, मैं बुरी तरह से धक्के मार रहा था। कुछ देर के बाद मंजू ने रोना बंद कर दिया और उसके मुँह से आवाज निकल रही थी- अह्ह्हह्ह ऊईईइ माआआ मर गई ! अह्ह्ह्हह्ह्ह रुक जाओ !
मेरा जोश और भी ज्यादा हो गया था।
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