लांघे की लाजो

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प्रेषक : उदय

मेरे प्यारे दोस्तो, मुझे यकीन है कि आप मुझे भूले नहीं होंगे, मेरी पिछली कहानी

मैं और मेरी शालू

आपने पढ़ी होगी।

तो दोस्तो, अब मैं अपनी नई कहानी लेकर आया हूँ अपने दोस्त की जिसका नाम लांघा है, लांघा भी मनाली में रहता है, बहुत बड़ा रंडीबाज़ है वो ! क्या बताऊँ उसके बारे में !

पेशे से वो ठेकेदार है। ठेकेदार है तो जाहिर सी बात है कि उसके पास मज़दूर भी होगें।

एक दिन की बात है कि वो अपने मज़दूरों से काम करवा रहा था। कि उसकी नज़र एक काम करने वाली पर पड़ी। उस दिन मैं भी उसके साथ मैं था।

वो थी ही सच में बड़ी सेक्सी !

तभी लांघा बोलने लगा- यार, यह मिल जाए तो मज़ा आ जाये !

थी भी वो 24-25 साल की।

उसे पास बुला कर कुछ देर लांघा ने उसके साथ बात की और उसके बाद हम उसकी सफारी में चले गए। शाम हो गई थी, तभी हमें हमारा दोस्त इन्घा मिल गया और हम ऐपल वैली चले गए पैग मारने के लिए !

तीन तीन पैग पीने के बाद हमें चढ़ गई और लांघा उसके ख्वाब लेने लगा। उस लड़की का नाम लाजो था। इन्घा भी बड़ा खुश हो रहा था लांघा की बातें सुन कर !

रात के साढ़े ग्यारह हो गए थे, हम लोग रात का खाना खाकर चले गए।

लांघा के खुरापाती दिमाग में अभी भी वो बिहारन लगातार घूम रही थी, वो सोच रहा था कि मैं कैसे उसकी लूँ?

सुबह हम लोग मिले और उसके मुँह पर फिर वही बात थी। लाजो की ! इन्घा भी खुश हुए जा रहा था !

उसके बाद वो अपने काम पर चला गया। आज उसकी डार्लिंग लाजो काम पर नहीं आई थी तो उसने अपने मुंशी हीरू से पूछा- अबे ओये हीरू ! वो लाजो कहाँ है?

तो वो कहता- साहब वो बीमार है, और घर पर है !

लांघा ने काम का मुयाना किया, दो चार गालियाँ मज़दूरों को बकी और चलता बना।

मन में लाजो की चाहत लिए वो लाजो की झुग्गी में पहुँच गया।

लाजो बिस्तर पर लेटी थी।

तभी उसके नज़र अपने ठेकेदार पर पड़ी, कहती- बाबू जी ! आप कैसे आ गए !

तो लांघा कहता- मैंने सोचा, चल तुझे पूछ आऊं ! कैसी है अब तबीयत ?

कहती- पहले से ठीक हूँ !

और लांघा उसके पास जा कर बैठ गया, धीरे धीरे उसकी टांगों पर हाथ फेरने लगा। उसको मौका मिल गया था, वो भी कुछ नहीं बोल रही थी।फिर क्या था मानो कुत्ते के मुँह में हड्डी आ गई हो !

फिर तो लांघा ने न तो आव देखा न ताव ! चढ़ बैठा उसके ऊपर !

लगा उसके साथ चूमाचाटी करने !

तभी उसने उसके बड़े बड़े रसदार मोमे चूसने शुरू कर दिए। साला लांघा अब उसे पूरा नंगा कर चुका था और अपना पप्पू निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया।

साला था गाण्ड का बड़ा शौकीन ! लगा वो उसकी गाण्ड को चाटने !

और फ़िर अपना लण्ड उसने उसकी गाण्ड में डाल दिया और लगा उसकी फुचक फुचक चुदाई करने !

साला था ही बहुत बड़ा गांड मारू !

तकरीबन दस मिनट तक गांड चुदाई के बाद निकाल दिया उसने अपना माल और पड़ गया लाजो की बाँहों में !

तभी लाजो बोली- बाबू जी, आपने मेरी गांड तो मार ली ! अब फुद्दी कब लोगे?

तब लांघा ठेकेदार बोला- अगली बार बेबी !

कह कर उसे सौ का नोट दिया और वहाँ से चलता बना।

पहली बार साले ने चुदाई के बाद किसी को पैसे दिए होंगे।

अब तो क्या बात थी ! लाजो बन गई थी लांघा की रानी !

उससे न काम करवाता था न कुछ और !

लाजो के भी मज़े और लांघा के भी !

तो कैसी लगी दोस्तो आपको मेरी कहानी? मुझे मेल करें।

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