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तभी नीचे से दादाजी की आवाज आई। वो मुझे बुला रहे थे। उनकी आवाज सुन कर हम घबरा गए। आंटी घबरा कर अलग हुई और अपने कपड़े पहनने लगी।
फिर बोली,” अभी तुम जाओ, बाकी का आज रात को सिखा दूंगी।”
मैं मन मार कर चला आया। दादाजी को कुछ दवाइयाँ मंगवानी थी, मैं केमिस्ट की दुकान से ले आया।
आज मैं रात होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था और रात हो ही नहीं रही थी। मुझे इंतज़ार के पल काटने मुश्किल लग रहे थे।
खैर, किसी तरह से रात हुई और मैं खाना खाकर आंटी के कमरे में गया। मैंने देखा कि आंटी ने एक झीनी नाइटी पहन रखी थी, जिसमें से उनकी ब्रा और पैंटी झलक रही थी। मेरा लण्ड तुरंत ही खड़ा हो गया।
मैंने बेडरूम का दरवाज़ा अंदर से बन्द किया और आंटी के करीब पहुँचा। फिर उन्हें बाहों के दायरे में लेकर चूमने लगा। आंटी भी खुल कर मेरा साथ दे रही थी।
मैंने धीरे धीरे उनकी नाइटी को उतार दिया, वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में हो गई। काले रंग की ब्रा और पैंटी में उनका गोरा जिस्म ऐसा कहर ढा रहा था कि मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा जमीं पर उतर आई हो और मेरी किस्मत में लग गई।
तुरंत ही मैंने उनके स्तनों को आजाद किया और उनके स्तनों पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। उनके स्तनों को जी भर कर मैंने चूसा। इसके आगे मुझे पता ही नहीं लगा कि अब क्या करूँ?
फिर मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से हाथ रख दिया। उनकी मुनिया तो इतनी गर्म हो रही थी कि उसका एहसास मुझे पैंटी के बाहर से ही हो रहा था। मैंने उसे बाहर से ही हाथ से मसल दिया। आंटी आह कर उठी। उनकी पैंटी गीली हो चुकी थी।
तभी उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और बोली,”मैंने तुमसे कहा था ना कि जैसे मैं बताऊँगी, वैसे ही करना है।”
“लेकिन आंटी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है !”
“बर्दाश्त करो, तभी तो पूरा मजा आएगा।”
फिर आंटी ने मेरा हाथ अपनी कमर में डाल दिया और दूसरा हाथ उनकी पीठ पर था। मैं उनकी चिकनी गोरी पीठ पर हाथ फिसला रहा था। फिर उन्होंने मेरा चेहरा अपने हाथो में लिया और चूमने लगी। फिर मेरा चेहरा अपने स्तनों के नीचे कर दिया और सीत्कार भरते हुए बोली,”किस मी !”
मैं उनकी चूचियों पर चूमने लगा पागलों की तरह ! फ़िर उनके पेट पर पहुँच गया, उनकी नाभि तक पहुँचा और नाभि में जीभ डाल दी।
वो बेकाबू हो रही थी।
फिर मैंने उनकी करवट बदल दी और उनकी पीठ पर चूमने लगा। अब मेरे हाथ उनके नितम्बों पर आ पहुँचे। क्या सेक्सी गांड थी उनकी। बड़ी फुर्सत से बनाया गया फिगर था उनका। अब मैं उनकी जांघों को चूम रहा था। वो लगातार सीत्कार भर रही थी।
मैं भी अब बेकाबू हो गया था। मैंने उनकी पैंटी उतार डाली, और उनके नितम्बों को देख कर पागल होने लगा।
मैंने अपना अंडरवीयर भी उतार फेंका और मेरा पप्पू पूरी तरह से खड़ा था। मैं अब समय बर्बाद किये बिना चोदना चाहता था लेकिन आंटी पता नहीं क्या कर रही थी।
उन्होंने मेरा पप्पू हाथ में ले लिया, मुझे तो मानो करेंट लग गया। जब मैंने उनकी चूत देखी तो पागल सा हो गया।
गुलाबी रंग की चूत थी उनकी। इतनी नर्म और डबल रोटी की तरह फूली हुई ! गुलाबी रंग की चूत इतनी सेक्सी लग रही थी कि जी कर रहा था कि इसी में समां जाऊँ। वहाँ पर घुंघराले बाल थे जिन्होंने उनकी मुनिया को ढक रखा था।
आंटी ने मेरे लण्ड को आजाद कर दिया। अब तक वो सांप के फन की तरह नाच रहा था। अब मैं उनको चोदने चाहता था।
आज काफी देर तक मैं झडा नहीं था पर शायद आंटी झड़ गई थी। आंटी ने मुझे चोदने नहीं दिया, बोली,”आज नहीं …..यह कल सिखाऊँगी।”
“नहीं आंटी, आज !”
“बोला ना कल !”
“प्लीज़ आंटी !”
“देखो हड़बड़ी करने से कुछ नहीं होता, कल करेंगे, ओके ?”
“ओके आंटी, पर मैं इसका क्या करूँ?” मैं अपना लंड हिलाते हुए कहा।
“कुछ नहीं, लाओ इसका इलाज मैं कर देती हूँ।”
आंटी ने मेरा लंड हाथ में लिया और जोर जोर से हिलाने लगी। थोड़ी देर में मैं झड़ गया। फिर हम सो गए।
अगले दिन स्कूल से वापस आकर सीधा आंटी के पास गया और उन्हें बाहों में भर कर चूमने लगा।
आंटी ने कहा- आज की रात हमारी मिलन की रात होगी ! इसलिए मुझे तैयार होने दो, अभी तुम जाओ ….रात को ही मेरे कमरे में आना !
मैं अपने कमरे में चला आया और रात के ख्वाबों में डूब गया।
शेष कहानी तीसरे भाग में !
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