This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
प्रेषक : प्रेम सिसोदिया
“तो क्यों नहीं किया यार, मेरा दिल तो सच कहूं तेरी गाण्ड मारने पर आ ही गया था। साला कितना सेक्सी लगता है तू, तेरी गाण्ड देख कर यार मेरा तो साला लौड़ा खड़ा हो जाता था। लगता था कि तेरी प्यारी सी गाण्ड मार दूँ।”
“मेरा भी यही हाल था, तेरी मस्त गाण्ड देख कर मेरा जी भी तेरी गाण्ड चोदने को करता है।”
हम दोनों गले मिल गये और एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे।
“विनोद, दिल्ली में पहुंच कर तबियत से गाण्ड चुदवाना यार !”
“तेरी कसम अजय, मेरी गाण्ड अब तेरी है, तबियत से चुदवाऊंगा यार, पर तू भी अपनी गाण्ड में तेल लगा कर रखना, जम के तबियत से चोदूंगा मैं इसे, गाण्ड मरवाने में पीछे मत हटना।”
हम दोनों फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लगे। बीच में कुछ देर के लिये बस रुकी। हम दोनों ने ठण्डा पिया। बस कण्डक्टर को भी हमने ठण्डा पिला दिया।
“सर, मेरे लायक कोई सेवा हो तो बताना !” मुस्कराते हुये वो बोला।
“आपको कैसे पता कि हमें पीछे की सीट की आवश्यकता है?”
“सर, मैं परदे की आड़ से सब देख लेता हूँ, आपने जो किया वो भी मैंने देखा है, पर बहुत से गे होते है ना, पर विश्वास रखिये मैंने भी ऐसा बहुत बार किया है, इसी बस में ! इसीलिये मैं उन सभी को पूरी हिफ़ाजत देता हूँ जो मस्ती करना चाहते हैं।” फिर वो मुस्कराता हुआ बोला,”दिल्ली में यदि रुकना हो तो ये मेरे दोस्त का पता है। उसका एक गेस्ट हाऊस है, सौ रुपये में ही दोनों को ठहरा देगा।”
हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और खुश हो गये। उसने उसका कार्ड दे दिया।
बस दिल्ली की ओर चल पड़ी थी। अब मेरी बारी थी अजय के लण्ड को चूसने की। उसने अपनी जिप खोल दी। मैंने उसका लण्ड पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। फिर धीरे से उसके लण्ड पर झुक गया। उसका सुपाड़ा मैंने मुख में ले लिया। मुख में वेक्यूम कर के मैं लण्ड को चूसने लगा। मैंने जिंदगी में पहली बार लण्ड चुसाया था और अब चूस भी रहा था। यह नया अनुभव था। उसका कड़क लण्ड रबड़ जैसा लग रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ कर जोर से दबा दबा कर पीना आरम्भ कर दिया था। कुछ ही देर में उसकी सांसें भरने लगी। वो जोर जोर से सांस लेने लगा। उसकी उत्तेजना बढ़ चली थी। फिर उसने मेरा सर थाम लिया और अपना लण्ड मेरे मुख में दबा दिया। हल्का सा जोर लगा कर उसने मेरे मुख में ही लण्ड ने वीर्य उगल दिया।
मेरा सर दबाये हुये वो बोला,”पी ले साले पी ले, पूरा पी ले।”
क्या करता, उसका लण्ड मेरी हलक तक आ गया था। पीने की जरूरत ही नहीं हुई वो तो सीधे गले में उतरता ही चला गया। उसने जोर से सर थाम कर कई चुम्मे ले डाले। फिर हमने अपनी कुर्सी पीछे झुकाई और लेट गये। आज मेरे दिल को शान्ति मिल गई थी।
सवेरे कन्डक्टर ने हमे उठाया,”बहुत अधिक मस्ती कर ली थी क्या ?”
“नहीं नहीं, बस एक एक बार किया था।”
हम अपना सामान ले कर नीचे उतर पड़े। कण्डकटर ने एक टूसीटर वाले को बुला कर उसे पता बताया,”सोनू को कहना कि ये रघु कण्डक्टर के मेहमान हैं।”
हम सीधे ही गेस्ट हाऊस आ गये। परिचय पाकर उसने सबसे अच्छा कमरा दे दिया। रात की अधूरी नींद लेने के लिये हम दोनों फिर से सो गये। दिन को भोजन करके हमने मेडिकल की दुकानों और डॉक्टरों से मिल कर अपना रोज का काम निपटाया और सात बजे तक हम कमरे में आ गये थे। लड़के ने हमारे कमरे में दो गिलास और नमकीन रख दी थी। व्हिस्की हम साथ ही रखते थे।
कुछ ही पलों में हमे शराब का सरूर चढ़ चुका था। मुझे लग रही थी कि जल्दी से अपनी गाण्ड चुदवाऊं। बहुत लग रही थी मुझे तो अपनी गाण्ड चुदवाने की।
“विनोद, तेल लाया है गाण्ड मराने के लिये?” अजय ने पूछा।
“अरे वो अपनी कम्पनी की क्रीम है ना, वो ट्यूब, बढिया है गाण्ड चुदवाने के लिये।”
“तो हो जाये एक कुश्ती … चल साले भोसड़ी के, तेरी गाण्ड की मां चोदता हूँ।”
मैंने अपनी लुंगी उतार कर दूर फ़ेंक दी। बनियान भी उतार दी। गाण्ड चुदाने के लिये मैं तैयार था।
“मां के लौड़े, तू क्या कपड़े पहन कर चोदेगा मुझे?” उसकी ओर मैंने देखा और हंस कर कहा।
“तो ये ले … ” अजय ने भी कपड़े उतार दिये।
उसने एक क्रीम की ट्यूब मुझे उछाल कर दे दी। मैंने उसे उसे खोल दी,”ले जब मैं झुक जाऊँ तो इसे गाण्ड में भर देना। और देख जब गाण्ड मारे ना, तब मेरी मुठ भी मार देना साथ में !”
अजय ने किसी घोड़ी तरह मेरे शरीर पर हाथ फ़ेरा और पुठ्ठे पर दो हाथ जमा दिये।
“चल घोड़ी बन जा।”
मैं पलंग पर दोनों हाथ टिका कर झुक गया, दोनों टांगें को फ़ैला दी, गाण्ड का छेद सामने खुल कर आ गया।
अजय ने मेरी गाँड में क्रीम लगा दी। मैं झुका हुआ इन्तज़ार करता रहा। फिर मुझे उसके लण्ड का अग्र भाग की नरमी महसूस हुई। सुपाड़ा छेद में चिपक गया था। उसने मेरी कमर पर हाथ से सहलाया और कहा,”विनोद, अब गाण्ड ढीली छोड़ दे।”
“मुझे पता है, कब से ढीली छोड़ रखी है, बस अब अन्दर ही लेना है।”
उसने जोर लगाया तो उसका लण्ड धीरे धीरे अन्दर आने लगा। मेरा छेद खिल कर चौड़ा होने लगा और खुलने लगा। तभी मुझे लगा लण्ड भीतर आ चुका है।
“अब ठीक है, हो जा तैयार चुदने को !”
“अरे तैयार तो हूँ, पर पहले मेरा तो लौड़ा थाम ले !”
“चिन्ता मत कर यार, तेरा रस भी लण्ड को निचोड़ कर निकाल दूंगा।”
उसका हाथ मेरे लण्ड पर आ गया। मेरा लण्ड भी इस प्रक्रिया में उत्तेजना से बेकाबू हो रहा था। उसने जोर लगा कर धीरे धीरे अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड के अन्दर घुसेड़ दिया। उसके लण्ड की मोटाई मुझे महसूस नहीं हुई। बस लगा कि कोई एक रबड़ का डण्डा भीतर घुस गया है। पर उत्तेजना इस बात की थी कि मेरी गाण्ड मारी जा रही थी, चोदी जा रही थी। अब उसने मेरा कड़क लण्ड पकड़ लिया और मेरी गाण्ड धीरे धीरे चोदने लगा। अब मुझे मेरे लण्ड का मुठ मारने का मजा भी देने लगा था। तभी मुझे लगा कि अजय की उत्तेजना बढ़ती जा रही है। उसका लण्ड फ़ूलने लगा था। मेरी गाण्ड में उसका लण्ड महसूस होने लगा। वो भारी सा लगने लगा था।
उसकी रफ़्तार बढ़ गई थी। थोड़ा सा झुक कर वो मेरी गाण्ड चोद रहा था और मेरे लण्ड पर उसका हाथ सटासट चल रहा था। मेरे आनन्द की कोई सीमा नहीं थी। तभी मेरी कसी गाण्ड के कारण वो मेरी गाण्ड में ही झड़ गया। मुझे आश्च्र्य हुआ कि वो इतनी जल्दी कैसे झड़ गया। फिर भी यह एक नया अनुभव था सो बहुत मजा आया।
अब मेरी बारी थी उसकी गाण्ड मारने की। मैंने जल्दी से उसे घोड़ी बनाया और ट्यूब की क्रीम उसकी गाण्ड में भर दी। मेरा तनतनाता हुआ लण्ड उसकी गाण्ड में घुसने की तैयारी करने लगा। पहली बार मैं किसी की गाण्ड मार रहा था। उसकी गाण्ड तो नरम सी थी। लण्ड का जरा सा जोर लगते ही लण्ड गाण्ड में घुसता चला गया। मुझे लगा कि मेरा लण्ड शायद उसके कसे छेद के करण रगड़ खाकर शायद छिल गया था। पर मैंने मस्ती से उसकी गाण्ड चोदी। खूब मस्ती से धक्के पर धक्के लगाये। ऐसा करने से मेरे लण्ड में गजब की मिठास भर गई। उसके शरीर का स्पर्श मुझे अब बहुत की आनन्दित कर रहा था। मैं रह रह कर उससे चिपक जाता था। जब मैं झड़ गया तो मुझे बहुत शान्ति महसूस हुई।
“यार अजय, मजा आ गया !”
“हां विनोद, अब रोज ही चुदाना, इसी मस्ती से और तबियत से !”
“साले, तेरी गाण्ड तो चूत की तरह निकली यार?”
“पहले भी लण्ड खाये है ना, मन ही नहीं भरता है।”
रात को गाण्ड मारने का एक दौर और चला। यूं हमने अपने दो दिन यात्रा के दौरान खूब गाण्ड की चुदाई की। घर आ कर तो हमने हद ही कर दी थी। जब समय मिलता तभी गाण्ड चुदाई करने लग जाते थे। कभी उसके घर में और कभी मेरे घर में।
आपका
प्रेम सिसोदिया
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000