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प्रेषक : शिमत
प्रथम भाग से आगे :
फिर दीदी ने कहा- तुम दोनों एक दूसरे बात करो, मैं कॉफ़ी बना कर लाती हूँ।
फिर सोनिया बोली- तुम क्या कर रहे हो पढ़ाई में?
मैंने कहा- मैं एम बी ए कर रहा हूँ।
फिर वो बोली- तुम्हारी किस खेल में रुचि है?
तो मैंने कहा- वॉलीबाल।
फिर मैंने कहा- तुम क्या खेलती हो?
तो वो बोली- मैं स्विमिंग करती हूँ।
कुछ देर तक ऐसे ही बात चलती रही, इतने में दीदी कॉफ़ी लेकर आ गई और कहा- मैं थोड़ी देर अपने कमरे में सोने जा रही हूँ, तुम बात करो।
फिर मैंने कहा- कल तुम्हारा किस विषय में एक्ज़ाम है और कहाँ है?
उसने कहा- मेरी बैंक की प्रवेश-परीक्षा है।
तो मैंने कहा- मैं तुम्हें पढ़ाऊँगा।
तो उसने कहा- पता है ! भाभी ने बताया है मुझे।
काफी देर तक बात चलती रही। हम फिल्म देखते रहे और बाते कर रहे थे। लेकिन जब टीवी में एक रोमांटिक सीन आया तो सोनिया एकदम शरमा सी गई।
मैं बोला- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं, बस ऐसे ही।
तो मैंने कहा- आपको रोमांटिक फिल्म अच्छी नहीं लगती क्या ?
वो बोली- ऐसी कोई बात नहीं है।
फिर मैंने टीवी का चैनल बदल दिया, लेकिन दूसरे चैनल पर भी चुम्बन दृश्य चल रहा था। वो उसको देख कर अजीब सी हो गई। मैंने टीवी बंद कर दिया।
वो बोली- टीवी बंद क्यों कर दिया?
मैं बोला- शायद आपको अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए बंद कर दिया।
वो बोली- कोई बात नहीं ! आजकल की फिल्मों में तो यह सब चलता रहता है।
मैं बोला- शायद आप को किसी अनजान के सामने यह सब देखना अच्छा नहीं लगा होगा इसलिए शायद आपको शर्म सी आ रही है।
वो बोली- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, और आप कोई अनजान नहीं हो, आप तो मेरी भाभी के भाई हो।
मैं बोला- मैं भाई तो आपकी भाभी का ही हूँ पर यहाँ तो अनजान हूँ, क्योंकि मैं न तो आपका दोस्त, न ही बॉयफ्रेंड !
वो हंस कर बोली- आप मेरे दोस्त ही तो हो, ऐसी क्या बात है।
फिर उसने टीवी चला दिया और उसमें से वो सीन चला गया था, सोनिया के हाथ से एकदम टीवी का रिमोट नीचे गिर गया। जैसे ही वो उसे उठाने के लिए झुकी, उसके मोटे-मोटे स्तनों पर मेरी नज़र गई। मेरी आँखें तो फटी की फटी रह गई लेकिन उसने मुझे उसके वक्ष देखते हुए देख भी लिया।
मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो वो बोली- कहाँ जा रहे हो? अगर कुछ चाहिए तो बता दो !
मैं बोला- कुछ नहीं चाहिए, मैं कमरे में जा रहा हूँ बस ऐसे ही !
और मैं वहाँ से कमरे में चला गया। लेकिन मेरे सामने वही चूचियाँ बार बार आ रही थी। मैं मुठ मारने लगा, पता नहीं मुझे ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है।
पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नहीं था।
फिर मैं अपना माल गिरा कर रिलैक्स हो गया।
रात को जब मैं छत पर खड़ा था तो वहाँ दीदी आई और बोली- मैंने तुझे एक अच्छा मौका दिला दिया है, हाथ से मत जाने देना।
वो बोली- सोनिया को चोदने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
इतने में सोनिया वहाँ आ गई। दीदी रसोई में काम का बहाना बना कर चली गई। सोनिया मेरे पास आकर खड़ी हो गई और बोली- अभी मेरी तैयारी करवा दो !
मैंने कहा- ठीक है ! तुम चलो, मैं आता हूँ।
मेरे तो मन में ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। वो मेरे कमरे में आ गई, मेरी नज़र तो उसकी छातियों पर थी। जैसे ही मैंने उसको पढ़ाना शुरू किया और वो झुकी उसके वक्ष पर मेरी नज़र गई और मैं देखता रह गया।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोली और बैठी रही। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके हाथ को सहलाना शुरू कर दिया।
उसने अपना हाथ हटा लिया और बोली- तुम क्या कर रहे हो?
मैं डर गया और बोला- कुछ नहीं !
वो बोली- मुझे पता है कि तुम जब से क्या देख रहे हो और क्या करने की सोच रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं !
वो बोली- मैंने शाम को देखा था तुम कमरे में मुठ मार रहे थे।
मैं बोला- वो तो बस ऐसे ही गर्मी को निकाल रहा था।
वो बोली- गर्मी को हाथ से निकालते हैं?
फिर वो बोली- अपने हाथों को क्यों तकलीफ दे रहे हो? मैं हूँ ना मुँह में लेने के लिए !
मुझे तो जैसे मुँह मांगी मुराद मिल गई हो।
मैंने तुरंत अपने होंठ उसके होंठो से मिलाये और चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उसको नंगी किया और अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और चाटना शुरु कर दिया।
वो सिसकारिययाँ लेने लगी, वो आआअ ईईई सीईइस्स्सीईईइ ऊउईइ ऊऊऊऊओ कर रही थी।
और मैं जोर-जोर से चाटने में लगा हुआ था। फिर मैंने उसकी गांड को चाटना शुरू कर दिया। वो तो एक दम पागल सी हो गई और बोली- मुझे चोद दे ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !
मैंने भी देर न करते हुए अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख दिया और हल्का सा धक्का मारा पर लण्ड फिसल कर बाहर आ गया।
फिर मैं दोबारा लण्ड घुसाने लगा तो थोड़ा अंदर जाते ही उसको बहुत दर्द होने लगा। मैं रुक गया और उसको चूमने लगा, चूचियाँ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसके होठों को चूसते हुए एक जोरदार झटका लगाया और वो चीख पड़ी, चूत से खून निकल आया और आँखों से आँसू निकलने लगे।
फिर मैं उसको प्यार से समझाते हुए चूमने लगा। थोड़ी देर बाद जब लगा कि वो गर्म हो गई है तो मैंने अन्दर-बाहर करना शुरू किया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ा दी और चोदने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा था। करीब बीस मिनट तक चोदने के बाद वो झड़ चुकी थी और मैं भी अब झड़ने वाला था तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसके पेट पर अपना सारा वीर्य निकाल दिया।
फिर कुछ देर बाद हम फिर से मस्ती में आ गये और हमारा कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया। मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में डाल दिया। वो तो मानो स्वर्ग के मज़े ले रही थी, अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरा लंड डलवा रही थी और बोल भी रही थी- चोदो ! ज़ोर ज़ोर से चोदो.. फाड़ डालो मेरी चूत को ! बहुत मज़ा आ रहा है ! आज जी भर के चोदो मुझे, सारी रात चोदो।
अब मैंने जोर-जोर लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरु किया। उसे बहुत मजा आ रहा था, वो अपनी गाण्ड उठा-2 कर चुदाई का मजा लूट रही थी। उसे मुँह से ओह्ह्ह्ह ऊऊऊऊ यस्स्स आआअ सीईईई आह आह आह्ह्ह्ह निकल रहा था।
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया, उसके मुँह की चुदाई करने लगा। कुछ देर बाद वो झड़ गई और थोड़ी देर में मेरा भी काम होने वाला था, मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है।
मैं भी झड़ गया वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
हम दोनों एक ही शहर के है और जब भी मैं दीदी के घर जाता हूँ मुझे चुदाई के लिए दो-दो रांड मिलती हैं, मजा आ गया जिंदगी का !
आप लोगो को मेरी यह कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।
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