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लेखक : राज शर्मा
प्रथम भाग से आगे :
वो बोली- जब तुम्हें देख कर मेरा हाल खराब हो रहा है तो लड़कियों का क्या होता होगा।
मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं?
वो मेरे थोड़ा और नजदीक आई और बोली- रुको, मैं समझाती हूँ।
कहकर उसने एकदम से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मैं सकपका गया। मैं तो बेटी को पटाने के चक्कर में था पर यहाँ तो माँ बिना कुछ करे ही झोली में आ रही थी। मैंने भी अब शर्म त्याग दी और किरण की मस्त चूची को पकड़ कर मसलते हुए उसके होंठ चूमने लगा। जैसे जैसे मैं होंठ चूम रहा था किरण मुझ से चिपटती जा रही थी।
दोनों तरफ मदहोशी का आलम था। कपड़े रुकावट डाल रहे थे तो कपड़े उतरने शुरू हो गए। सबसे पहले किरण ने मेरी शर्ट उतारी तो मैंने भी बदले में किरण की कमीज उतार दी। ब्रा में कसी चूचियाँ क्या मस्त नजारा पेश कर रही थी। मैंने ब्रा के उपर से ही चूचियों को चूमना शुरू कर दिया। किरण भी अब मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से सहला रही थी और लण्ड लोहे का डण्डा बन कर पैंट फाड़ने को तैयार हो चुका था।
किरण मेरी पैंट खोलने लगी तो मैंने भी किरण की ब्रा खोल दी। दोनों खरबूजे कबूतर की तरह फड़फड़ाते हुए बाहर की तरफ उछल पड़े। बड़ा सा भूरे रंग का एरोला जिसके ऊपर एकदम तन कर खड़ा चुचूक। बहुत मस्त चूची थी किरण की। किरण मेरी पैंट उतार चुकी थी अंडरवियर समेत। मेरा लंबा लण्ड सर तन के किरण के सामने खड़ा था। किरण ने आव देखा न ताव- झट से मेरा तना हुआ लण्ड मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
हाय क्या मस्त होकर लण्ड चूस रही थी यार ! बहुत मजा आ रहा था। मैं भी मस्त हो किरण की चूचियाँ को मसल रहा था। चूचियाँ इतनी बड़ी बड़ी थी कि मेरे हाथ में नहीं आ रही थी। मैं किरण के चुचूक पकड़ पकड़कर मसल रहा था। जिस कारण किरण बीच बीच में आह कर उठती थी।
कुछ देर लण्ड चूसने के बाद किरण ने मुझे 69 की पोजीशन में आने को कहा।
मैं समझ गया कि वो अब अपनी चूत चटवाना चाहती है। मैंने किरण की सलवार और पैंटी उतारी और झट से दशा बदली और लगा किरण की चूत चाटने। किरण की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। था तो मैं भी चूत का पिस्सू ही ना। मैं सारा पानी अपनी जीभ से चाट गया। मेरी जीभ की छुअन से किरण सीत्कार उठी और मस्ती के मारे आह्हह्ह आह्हह्ह करने लगी। मैं मस्त हो कर किरण की चूत चाट रहा था और किरण ने भी मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था।
करीब दस-पन्द्रह मिनट तक दोनों तरफ से चूसा-चासी होती रही फिर एकदम से किरण कुछ अकड़ने लगी और उसकी चूत ने ढेर सारा गाढ़ा गाढ़ा पानी मेरे मुँह पर डाल दिया। हाय, क्या स्वादिष्ट पानी था किरण की चूत का। बुआ की चूत से कभी इतना पानी नहीं निकला था। मैं मस्ती में सारा चाट गया। तभी मेरे लण्ड ने भी किरण के मुँह में पिचकारी छोड़ दी और किरण भी मेरा सारा माल चाट गई। झड़ने के बाद दोनों ठण्डे हो चुके थे।
किरण मेरे से अलग हुई और कमरे से बाहर चली गई। मैं वहीं बिस्तर पर लेटा हुआ लण्ड को सहलाने लगा क्योंकि अभी किरण की मस्त चूत में लण्ड भी तो पेलना था। लण्ड फिर से सर उठाने लगा था। मैं भी उठा और कमरे से बाहर निकला यह देखने के लिए कि मेरी जान किरण कहाँ है।
किरण मुझे रसोई में मिली। वो अभी भी बिलकुल नंगी थी। नंगा तो मैं भी था। मैं गया और किरण को पीछे से पकड़ लिया। मैं फिर से किरण की मस्त चूची को मसलने लगा।
किरण बोली- मेरी जान, थोड़ा रुको ! पहले कुछ नाश्ता तो कर लो।
मैं बोला- मेरी रानी, अभी तो तुम्हारी रसीली चूत का रस पीकर नाश्ता किया है। अब तो मेरा लण्ड नाश्ता मांग रहा है पहले इसको नाश्ता करवा दो।
यह कह कर मैंने एक हाथ से किरण की चूत को सहलाना शुरू कर दिया। किरण फिर से सिसकारने लगी। गर्मी एक बार फिर बढ़ने लगी। मैंने किरण, जो कुछ भारी भी थी, को उठाया और कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और अपने लण्ड को किरण के मुँह के पास कर दिया जिसे किरण ने झट से मुँह में ले लिया। लण्ड फिर से लोहे जैसे अकड़ गया। मैंने किरण की चूत को थोड़ा सा चाटा और फिर अपना कड़क लण्ड चूत पर रख कर पेल दिया।
किरण सीत्कार उठी। लण्ड बिल्कुल बच्चादानी से जा टकराया था। एक जोरदार आह किरण के मुँह से निकली और बोली- धीरे-धीरे डाल मेरी जान। बहुत दिनों के बाद लण्ड नसीब हुआ है मेरी चूत को।
मैंने धक्के मारते मारते पूछा- क्यों ? सोनिया के पापा नहीं चोदते क्या मेरी जान को?
अरे चोदते तो हैं, पर हफ्ते-दस दिन में एक बार। अब तो लुल्ली बड़ी मुश्किल से खड़ी होती है साले की। एकदम बेकार आदमी है। एक सोनिया के बाद कुछ कर ही नहीं पाया। मैं तरसती रही कि एक बेटा भी पैदा हो पर उस आदमी के बस की बात नहीं है अब ! किरण ने जवाब दिया।
मैं समझ गया कि किरण एक प्यासी औरत है। पर मुझे क्या ! मुझे तो सिर्फ चूत से मतलब था जिसमे मैं लण्ड घुसा चुका था। मैं जोर जोर से धक्के मारता रहा और किरण मस्त हो चुदवाती रही। किरण की सिसकारियाँ और आहें कमरे के माहौल को और भी सेक्सी बना रही थी।
किरण ने बाद में बताया कि पूरे दो साल के बाद किरण की चूत में लण्ड गया था। मस्त चुदाई चालू थी। मैंने पूरे बीस पच्चीस मिनट तक किरण की चूत का भुरता बनाया। इस बीच किरण ना जाने कितनी बार चूत का रस खाली कर चुकी थी। फिर मैंने भी तेज तेज धक्के मारते हुए अपना लण्ड किरण की चूत में ही निचोड़ दिया। दोनों पूरी तरह से संतुष्ट हो चुके थे। कुछ देर मैं किरण के ऊपर ही लेटा रहा फिर किरण ने मुझे अपने से अलग किया और बाथरूम में चली गई।
मैंने भी उठ कर किरण की पैंटी से अपना लण्ड साफ़ किया और कपड़े पहन लिए।
आज इतना ही … सोनिया की चुदाई अगली बार……
कहानी सच्ची है इस बात की मैं गारन्टी लेता हूँ। पर कहानी अच्छी है या नहीं यह गारन्टी तो आप लोग ही दोगे………
आपकी मेल के इंतज़ार में :
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