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प्रेषक : मुन्ना भाई एम बी ए
लखनऊ 8-7-2010 समय: 1-30 शाम
आज मुझे अपनी गाड़ी की सर्विसिंग करानी थी इसलिए मैं ऑफिस से जल्दी ही निकल गया था। गाड़ी सर्विस कराने के बाद मैं घर पहुचा। मैं अभी लंच लेने के बाद सोने की सोच ही रहा था कि बाहर किसी ने दरवाज़ा खटखटाया।
मेरी भाभी ने कहा- मुन्ना देखो बाहर कौन है !
मैं बाहर निकला तो देखा कि गेट पर किरण खड़ी है, मैंने उससे पूछा- क्या बात है ?
तो उसने कहा- मुझे आप से ही काम है।मैने कहा- अन्दर आ जाओ।
तो किरण अन्दर आ गई। तब तक मेरी भाभी भी रसोई से निकल कर हम लोगों के पास आ गई और किरण से पूछा- क्या बात है किरण?
किरण ने कहा- कुछ नहीं भाभी, असल में मुझे कोचिंग में एक होमवर्क मिला है, वो मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे करूँ ! कोचिंग से लौटते समय मैंने मुन्ना भैया की गाड़ी बाहर खड़ी देखी तो सोचा कि इन्हीं से पूछ लूँ, ये भी तो एम बी ए कर चुके हैं, इसलिए आई हूँ।
भाभी बोली- हां-हां, बिल्कुल ! जाओ मुन्ना देख लो और बाहर से दरवाज़ा बन्द कर लेना, मैं सोने जा रही हूँ, तुमको आने में देर हो सकती है।
मैंने कहा- ठीक है भाभी।
और फिर हम दोनों मुख्य-द्वार बन्द करके किरण के घर चले गए। किरण कोचिंग के बाद इस वक्त अकेली ही घर पर रहती थी क्योंकि उसके भाई और भाभी दोनों एक ही साथ ऑफिस में काम करते थे और एक ही साथ आते-जाते थे।
खैर, मैंने किरण से पूछा- क्या समस्या है?
तो उसने कहा- आज मेरा इंग्लिश का टेस्ट हुआ था उसमे बहुत कम अंक मिले, सर ने कहा है कि रीडिंग और स्पीकिंग सही करो। मेरा उच्चारण भी सही नहीं है। तो मुन्ना भैया बताइये कि मैं कैसे सुधार करूँ।
मैंने कहा- बहुत आसान है, नेट पर ऑनलाइन बहुत सी साइट हैं जिस पर तुम प्रैक्टिस कर सकती हो।
तो वो बोली- प्लीज़ आप नेट पर सर्च कर दीजिए।
मैंने कहा- ठीक है, कम्प्यूटर कहां है?
उसने कहा- मेरे बेडरूम में है।
और फिर बोली- आइये !
मैं उसके पीछे उसके बेडरूम चल दिया। उसका बेडरूम बहुत सलीके से सजा था, एक डबलबेड कमरे के बीचोंबीच था, उसके पैताने एक कम्प्यूटर-टेबल पर कम्प्यूटर रखा था उसके सामने एक कुर्सी थी और उसके बगल में कमरे का दरवाजा था।
उसने कुर्सी पर बैठ कर अपना कम्प्यूटर ऑन किया और नेट कनेक्ट करके मुझसे कहा- आप सर्च करिये, तब तक मैं कपड़े बदल कर आप के लिए चाय बनाती हूँ।
मैंने कहा- हाँ, चाय तो चलेगी।
फिर मैं गूगल पर साइट सर्च करने लगा। एक साइट मुझे कुछ समझ में आई कि अचानक लाइट चली गई और यूपीएस न होने की वजह से कम्प्यूटर भी बन्द हो गया। इसी बीच किरण अपनी जीन्स-टॉप उतार कर और गाउन पहन कर अपने दोनों हाथों से चाय की ट्रे पकड़े हुए कमरे में आई और बोली- लीजिए आप चाय पीजिये ! तब तक शायद बिजली आ जाये।
मैंने कहा- ठीक है ! उसने ट्रे कम्प्यूटर-टेबल के एक कोने पर रख दी और खुद मेरे बगल में बिस्तर पर बैठ कर चाय पीने लगी। अभी हम लोग चाय पी ही रहे थे कि बिजली आ गई। मैंने कप रखा और कम्प्यूटर ऑन किया। फिर नेट कनेक्ट किया, फिर ब्राउज़र खोला, फिर मैंने सोचा कि दुबारा सर्च करने से क्या फायदा, वेब हिस्ट्री में तो पड़ा ही होगा, उसी से दुबारा साइट खोल लेंगे।
फिर मैंने वेब हिस्ट्री खोली, उसमें वो साइट तो थी ही लेकिन मेरी नजर अन्तर्वासना साइट पर पड़ी तो मैंने बगल में बैठी चाय पीते हुए किरण से पूछा कि ये सिस्टम कौन-2 प्रयोग करता है?
तो उसने कहा- मैं और मेरी भाभी।
फिर मैंने सीधे ही पूछ लिया कि तुम अन्तर्वासना साइट की कहानियाँ पढ़ती हो?
यह सुनते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया और घबरा कर बोली- नहीं तो !
मैंने कहा- देखो यहाँ ! पिछ्ले एक हफ्ते में रोज यह साइट खोली जाती है।
इस पर वो कुछ नहीं बोली और निगाहें नीचे करके बिल्कुल डरी सी बैठी रही।
मैंने सोचा कि ज्यादा हड़काना ठीक नहीं है फिर मैंने उसे कूल डाउन किया यह बोल कर कि- अरे यार आजकल तो ज्यादातर लड़के-लड़कियाँ ये कहानियाँ पढ़ते हैं। इसमे डरने जैसी कौन सी बात है, मैं खुद पढ़ता हूँ इस पर वो कुछ सामान्य हुई।
मैंने फिर पूछा- अच्छा यह बताओ कि तुमने स्पर्म थैरेपी पढ़ी है?
तो उसने सकुचाते हुए कहा- हाँ पढ़ी है !
मैंने फिर पूछा- कैसी लगी?
तो उसने बताया- अच्छी है।
फिर मैंने पूछा- क्या तुम उस लेखक से चैट करती हो? सच बताना, नहीं तो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगा।
तो वो थोड़ा सा रुक कर बोली- हाँ, मैं रोज उनसे बात करती हूँ।
तो मैंने कहा- तुम उससे रीमा नाम से बात करती हो ना?
तुरन्त उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आए और उसने पूछा कि आप को कैसे पता?
मैंने कहा- वो मुन्ना सिंह मैं ही हूँ जिससे तुम रोज चैट करती हो।
इस पर वो शरमा गई और मेरे पीठ पर हल्के से हाथ मार कर कहा- आपने तो मेरी जान ही निकाल दी थी, मैं तो बहुत घबरा गई थी कि न जाने आप क्या सोचेंगे।
मैंने कहा- चलो, भगवान जो करता है वो ठीक ही करता है। वैसे भी तुम मुझसे मिलने का वादा कर चुकी हो।
इस पर वो शरमा कर मुस्कुराने लगी।
फिर मैंने कहा- उस दिन तो तुमने चैटिंग में मेरा के एल पी डी कर दिया था, आज जब भगवान ने खुद मौका दिया है तो उसका लाभ लेना चाहिए।
इस पर वो बोली- आज नहीं कल ! आज मैं मानसिक तौर से तैयार नहीं हूँ, आपने तो आज मुझे कई झटके दिये हैं पहले मैं सामान्य तो हो जाऊँ।
फिर मैंने उससे सीधे पूछा- यह बताओ कि तुम्हारे पीरियड तो नहीं चल रहे हैं?
वो बोली- नहीं अभी काफी दिन हैं।
मैंने फिर पूछा- तुमने बुर के बाल कब शेव किये थे?
तो उसने कहा- एक महीने पहले किये थे !तो मैं बोला- अब तो बड़े हो गये होंगे?
वो बोली हाँ, कुछ तो बड़े हैं।
मैंने कहा- एक काम करो !
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- आज ही तुम अपनी झांटों को इस तरह बनाओ कि मेरे नाम का पहला अक्षर तुम्हारी झांटों से लिख जाए। तभी मैं समझूंगा कि तुम मुझसे प्यार करती हो।
वो सिर्फ मुस्करा कर बोली- आप बहुत बदमाश हैं ! लेकिन मुझे यह बताइये कि नाम वाला आइडिया आप को कहाँ से मिला?
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी का आइडिया है !
उसने बड़े आश्चर्य से पूछा- राधा भाभी का?
मैंने कहा- हाँ !
फिर मैंने 15-6-2010 की राधा भाभी और सुरेश की चुदाई की सारी बात किरण को बताई।जिसको सुन कर किरण मुस्कराने लगी और बोली- राधा भाभी बहुत सेक्सी हैं, वो भी अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ती हैं, कई बार तो वो मुझे बताती हैं कि कौन सी कहानी बहुत अच्छी है। आपकी कहानी भी उन्होंने ही मुझे पढ़ने को कहा था, तभी मैंने पढ़ी थी।
यह जान कर मैं बहुत खुश हुआ।
फिर किरण बोली- अच्छा अब आप जाइये !
मैंने कहा- ठीक है, कल इसी समय तुम मेरे घर आ जाना और भाभी के सामने मुझे किसी बहाने बुला लेना।
उसने कहा- ठीक है !
फिर मैंने उसको एक साइट सर्च कर के दी और कहा- इस पर तुम रीडिंग करो और हेड फोन से सुनो और बोल कर प्रैक्टिस करो।
उसने कहा- थैन्क्स।
मैंने कहा- अब इसकी कोई जरूरत नहीं।
और फिर मैंने उसको पकड़ कर एक जोरदार चुम्बन लिया और उसकी एक चूची हल्के से दबा दी और कहा- सी यू टुमॉरो।
इसके बाद मैं अपने घर आकर अपने लण्ड को सोहराते हुए सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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