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लेखक की पिछली कहानी: पहले ननद फिर भौजाई, दोनों ने चूत मराई
लगभग दो साल से हमारे सामने वाले घर में सुधीर और उसकी पत्नी रीना रह रहे हैं. सुधीर मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है और रीना हाउसवाइफ है. इनकी शादी को पांच साल हो गये हैं लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं है. बहुत भले लोग हैं और हमारे साथ इनके पारिवारिक रिश्ता है.
एक दिन शाम को रीना अपने गेट पर खड़ी थी और मैं मोबाइल पर बात करते हुए वहीं सड़क पर चहलकदमी कर रहा था. असल में मेरी पत्नी को मेरा सिगरेट पीना पसन्द नहीं है, इसलिये मुझे जब सिगरेट की तलब लगती है तो मैं घर के बाहर सड़क पर टहलने आ जाता हूँ.
मेरी मोबाइल पर बात समाप्त हुई तो मैंने एक लम्बा कश खींचकर सिगरेट का बाकी टुकड़ा फेंक दिया.
तभी रीना ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली- सिगरेट का जो टुकड़ा आपने फेंक दिया, अगर मुझे दे देते तो मेरी बरसों की अधूरी तमन्ना पूरी हो जाती. “ऐसी कौन सी तमन्ना आपने पाल रखी है जो बरसों से अधूरी है?” “कुछ नहीं, बेमतलब की तमन्ना है. दरअसल कॉलेज के दिनों से ही मुझे सिगरेट की स्मैल बहुत पसंद है, सिगरेट पीने वाले लड़के मुझे अच्छे लगते थे, इच्छा थी कि शादी के बाद पति की सिगरेट चुरा चुरा कर पिया करुंगी लेकिन पति ऐसा सूफी संत मिला है जो सिगरेट छूता ही नहीं है.”
“मैं पिला दूं? कहिये तो एक पैकेट ला दूं?” इतना कहते हुए मैं जेब से सिगरेट की डिब्बी निकालने लगा. तो रीना बोली- अभी नहीं, अभी ये आने वाले हैं, कल जब ऑफिस चले जायेंगे तब!
अगले दिन सुधीर के ऑफिस जाने के बाद मैं उसके घर पहुंचा और सिगरेट सुलगा कर रीना को पकड़ा दी.
पहला कश खींचते ही उसको खांसी आने लगी तो उसकी पीठ मलते हुए मैंने उसको कश मारने का तरीका सिखाया.
उस दिन हम दोनों ने मिलकर दो सिगरेट पीं, फिर यह रोज का क्रम बन गया. हम लोग घंटों बातचीत करते और सिगरेट के कश खींचते रहते.
इसी सारी बातचीत के दौरान उसने यह भी बताया कि प्रेग्नेंसी डिले के कारण हम लोग कई डॉक्टरों से मिल चुके हैं, कुछ टेस्ट भी हुए थे जिससे पता चला कि इनके स्पर्म में कुछ प्राब्लम है, उसकी दवा ये खा रहे हैं, ईश्वर चाहेगा तो कभी भी हो जायेगा.
मैंने पूछा: आपने कभी व्हिस्की पी है? “न बाबा, कभी नहीं पी.” “किसी दिन दो पेग मारकर देखो, जिन्दगी संवर जायेगी.”
“ऐसी बात है तो किसी दिन ये भी ट्राई कर लेते हैं, व्हिस्की है कोई जहर थोड़े है. दुनिया पीती है, हम भी चख लें तो क्या बुराई है. ले आओ कल ही.” “नहीं कल नहीं, व्हिस्की का मजा शाम को पीने में है, सात बजे पीना शुरू करो तो दस बजे तक पीते रहो.” “फिर तो तीन दिन रुकना पड़ेगा.” “क्यों?” “क्योंकि मंगलवार रात को ये एक हफ्ते के लिए टूर पर जा रहे हैं. इसलिये बुधवार शाम को पार्टी पक्की.”
मंगलवार रात को सुधीर चला गया तो बुधवार दिन में हम लोग स्मोकिंग का आनंद लेते रहे और व्हिस्की के साथ स्नैक्स फाइनल किये.
बुधवार शाम को व्हिस्की का हाफ और 600 मिली लीटर की पेप्सी और स्नैक्स लेकर मैं पहुंच गया. एक प्लेट और दो गिलास लेकर रीना आ गई. पेग बने, उसमें पेप्सी मिला कर हम दोनों सिप करने लगे. व्हिस्की खत्म करते करते साढ़े नौ बज गये.
रीना पूरी तरह से टुन्न हो गई थी लेकिन होश में थी, मुझसे बोली: मुझे तो भूख नहीं है, तुम्हारे लिये कुछ बना दूं? “नहीं, मुझे भी भूख नहीं है. और भूख लगेगी तो दूध पिला देना.” यह कहते हुए मैं मुस्कुरा दिया.
मैंने उससे कहा: दस बजने वाले हैं, चलो सो जाओ. इतना कहकर मैंने उसका हाथ पकड़ा और बेडरूम में ले आया.
बेड पर बैठते ही वो लेट गई. मैंने कहा- अरे, चेंज तो कर लो, गाउन पहन लो तब सोना. “निकाल दो, सामने अलमारी से निकाल दो.”
अलमारी से उसका गाउन निकाल कर दिया तो बोली- रहने दो यार, ऐसे ही ठीक है, ऐसे ही सोने दो. “नहीं, ऐसे नहीं सोते, लाओ मैं चेंज करा दूं.” इतना कहकर एक एक करके रीना के सारे कपड़े मैंने उतार दिये.
30-32 साल की उम्र, गोरा रंग, पांच फुट छह इंच कद, 38 साइज की चूचियां, मांसल जांघें और किसी का लण्ड खड़ा कर देने वाले भारी भारी चूतड़, नशे में चूर आँखें. मुझे अपने कपड़े उतारने पर मजबूर करने के लिये यह नजारा काफी था.
मैंने अपने भी कपड़े उतारे और रीना के बगल में लेटकर उसकी चूचियां चूसने लगा. “तुमने मुझे गाउन नहीं पहनाया?” “पहना दूंगा, अभी बाद में पहना दूंगा.” “बाद में क्यों? अभी पहना दो.” “अभी नहीं, अभी मुझे दूध पीने दो.”
मैं रीना की चूचियां चूसते समय हल्के से दांतों से काट लेता तो चिहुंक उठती.
अब मैंने रीना की चूत में उंगली चलाना शुरू किया. धीरे धीरे रीना का शराब का नशा उतर रहा था और सेक्स का नशा हावी होने लगा था.
मुझे अपनी बांहों में जकड़ते हुए रीना बोली- ये क्या कर दिया, विजय? कहाँ ले आये मुझे? तुमने तो मुझसे बेवफाई करा दी. सुधीर को पता लगेगा तो क्या सोचेगा? “कुछ नहीं सोचेगा, हमारे मिलन का जो फल होगा वो सुधीर की नजरों में तुम्हारी कद्र बढ़ा देगा.”
रीना के होंठों को अपने होंठों में दबाते हुए मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया.
मैं रीना के होंठों का रसपान कर रहा था और रीना के सहलाने से मेरा लण्ड कोबरा नाग की तरह फुफकारने लगा था. तभी रीना उठी और मेरा लण्ड देखते हुए बोली- कितना बड़ा है तुम्हारा और मोटा भी. मैंने कहा- इसे मुंह में लेकर चूसो.
रीना मेरा लंड चूसने लगी जिससे लण्ड पूरी तरह से टनटना गया.
मैं रीना के ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की शीशी लेकर बेड पर आया और रीना की दोनों टांगें अपने कंधों पर रख लीं. मैं घुटनों के बल खड़ा था. मैं रीना को अपनी ओर खींच कर उसकी चूत अपने लण्ड के पास ले आया. शीशी से क्रीम निकाल कर अपने लण्ड पर मली और क्रीम से सनी उंगली रीना की चूत में फेर दी.
अब रीना की चूत के होंठों को फैलाकर अपने लण्ड का सुपारा रखा और रीना की कमर पकड़कर अपना पूरा लण्ड उसकी गुफा में पेल दिया. “आआआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह!” करके ऐसे चिल्लाई जैसे चूत में पेला गया लण्ड गले तक पहुंच गया हो.
थोड़़ी देर में सामान्य होकर बोली- तुम्हारा बहुत बड़ा है यार, थैंक गॉड, मैं इतना लम्बा और मोटा लण्ड झेल गई.
“मेरा लण्ड बहुत बड़ा है, बहुत लम्बा है, बहुत मोटा है. यह सब बता रही हो, यह बताओ, आज तक कितने लण्ड खाये हैं तुमने?” “कसम से झूठ नहीं बोलूंगी. तुमसे पहले चूसे दो हैं और खाया एक है.” “एक तो सुधीर है, ये दूसरा कौन है? सच सच बताना.”
दूसरा मेरा चाचा था. यह बात तब की है जब मैं इण्टरमीडिएट के एग्जाम देने के बाद बी टेक का एडमिशन टेस्ट देने मुम्बई गई. वहां मेरे चाचा रहते थे.
चाचा चाची दोनों टीचर थे और अलग अलग सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे, साल भर पहले ही उनकी शादी हुई थी. एक बेडरूम का छोटा सा फ्लैट था. उसी में एक ही बेड पर हम तीनों सोते थे, बीच में चाची सोती, आजू बाजू मैं और चाचा.
एक रात को करीब दो बजे मेरी आँख खुली तो देखा चाची बिल्कुल नंगी लेटी हुई थीं और चाचा उन पर चढ़े हुए थे.
मैंने चुपचाप आँखें बंद कर लीं लेकिन चाचा मेरी खुली आँखें देख चुके थे.
अगले दिन सुबह चाचा चाची स्कूल चले गये. उसके बाद मैं नहाकर निकली तो डोरबेल बजी, मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो चाचा थे. मैंने दरवाजा खोला और पूछा- चाचा, आज जल्दी आ गये? कहने लगे- हां स्कूल में मन नहीं लग रहा था इसलिए चला आया.
मेरा हाथ पकड़कर चाचा बेडरूम में ले आये और बोले- दरअसल मैं रात से बड़ी उलझन में हूँ. तुमने जो देखा, तुम क्या सोच रही होगी. इस उम्र में लड़कियां जो कुछ देखती हैं, वैसा ही करना चाहती हैं, ऐसे में कोई गलत लड़का मिल जाये तो लड़की का भविष्य खराब हो जाता है. इसलिये मैंने सोचा, तुमने जो देखा है उसका अनुभव मैं ही करा दूं.
ऐसा कहकर चाचा ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और बेतहाशा चूमते हुए मेरी चूत पर हाथ फेरने लगे. रात का दृश्य मेरी आँखों के सामने आ गया. फिर भी मैंने चाचा से कहा- यह ठीक नहीं है, मुझे छोड़ दीजिये. “अच्छा ठीक है, बस दूध पिला दे, एक बार अपनी चूची चुसा दे.” यह कहते कहते मेरा टॉप उतार दिया.
ब्रा मैंने पहनी ही नहीं थी क्योंकि धोकर सूखने डाल आई थी.
चाचा मेरी चूचियां चूसने लगे, मुझे भी अच्छा लगने लगा था.
इस बीच चाचा ने मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और मेरे चूतड़ सहलाने लगे. अब मेरे शरीर पर सिर्फ़ पैन्टी थी.
तभी चाचा उठे और अपने सारे कपड़े उतार दिये. मुझे बेड पर बैठाकर मेरे सामने खड़े हो गये और अपना लण्ड मुझे चुसाने लगे. चूसने से उनका लण्ड टाइट हो गया और उस समय उनका लण्ड तुम्हारे लण्ड से करीब आधा था और पतला भी था.
इसके बाद चाचा ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी पैन्टी उतार दी. चाचा मेरी टांगों के बीच आकर मेरी चूत चाटने लगे, कभी कभी उंगली भी अन्दर डाल देते.
मेरी चूत गीली हो चुकी थी, मैं शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से चुदवाने के लिए बेकरार हो रही थी.
तभी चाचा उठे, मेरी टांगों के बीच आकर उन्होंने मेरी चूत के लब खोलकर अपना लण्ड रख दिया, चाचा का लंड बहुत गर्म और चिकना था. पहली बार लण्ड अन्दर जाने के अहसास से मैं मदमस्त हो रही थी.
चाचा ने अपना लण्ड अन्दर धकेला लेकिन गया नहीं, चाचा ने फिर से लण्ड को सेट किया और कोशिश की लेकिन फिर नहीं गया.
तो चाचा किचन में गये और सरसों के तेल एक कटोरी में डाल कर उठा लाये. तेल में उंगली डुबोकर मेरी चूत के अन्दर डाली.
दो तीन बार ऐसा करने के बाद चाचा फिर मेरी टांगों के बीच आ गये और अपने लण्ड को हिलाने लगे. फिर अचानक मेरे करीब आकर लण्ड मेरे मुंह में डालते हुए बोले: इसे चूसो, चूसने से टाइट हो जायेगा तभी अन्दर जायेगा. दरअसल तुम्हारी चूत बहुत छोटी है, इसलिये जा नहीं पा रहा.
मैं चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी इसलिए जल्दी जल्दी चूसने लगी, तभी अचानक चाचा ने मेरे मुंह में ही पिचकारी छोड़ दी.
चाचा बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहे थे, उन्होंने जल्दी से कपड़े पहने और ‘अभी आता हूँ.’ कहकर चले गये.
दस मिनट बाद लौटे, वो वियाग्रा की गोली लेकर आये थे, उन्होंने आते ही वियाग्रा की गोली खाई और नंगे होकर बेड पर आ गये. मैं तब तक कपड़े पहन चुकी थी. चाचा जी ने मेरे कपड़े उतार दिये और मेरी चूचियां चूसने लगे.
चाचा ने मेरा हाथ अपने लण्ड पर रखकर सहलाने का इशारा किया तो मैं सहलाने लगी, थोड़ी ही देर में चाचा का लण्ड टाइट हो गया तो चाचा ने मेरे मुंह में डालकर कहा- इसे गीला कर दे.
इसके बाद चाचा मेरी टांगों के बीच आये और मेरी कमर उठा कर एक तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया और तेल से भिगोकर अपनी उंगली मेरी चूत में फेर दी. अब चाचा ने मेरी चूत के लब खोले और अपना लण्ड मेरी चूत के मुहाने पर रखा.
तभी डोरबेल बजी. चाचा ने पूछा- कौन? जवाब में चाची बोलीं- अरे मैं हूँ, दरवाजा खोलो.
चाचा ने मुझे बाथरूम में घुसा दिया और जल्दी से लोअर पहनकर भागे. उसी रात की ट्रेन से मेरा रिजर्वेशन था, मैं वापस आ गई.
रीना की यह आपबीती सुनने के दौरान मेरा लण्ड रीना की चूत की अच्छे से मंजाई कर रहा था.
बड़ी दर्दनाक कहानी है तुम्हारे चाचा जी की, इतना बदनसीब मैंने तो कभी नहीं देखा.
रीना बोली- चाचा जी का तो पता नहीं लेकिन तुम बहुत खुशनसीब हो, तुमको मेरे बच्चे का पिता होने का गौरव हासिल होने वाला है. डॉक्टर ने मुझसे कहा था कि माहवारी के दसवें से पन्द्रहवें दिन के दौरान सहवास करने से गर्भाधान की प्रबल संभावना रहती है. आज मेरी माहवारी का ग्यारहवां दिन है और अगले एक हफ्ते तक मुझे कपड़े नहीं पहनने हैं, ऐसे ही इसी बेड पर हूँ, मेरा तन मन तुम्हारे कदमों में है.
मैंने रीना की टांगें अपने कंधों से उतारीं, उसके चूतड़ के नीचे तकिया रखा और उसके होंठों को चूमकर चोदना शुरू कर दिया. जैसे जैसे मेरे डिस्चार्ज का समय करीब आ रहा था, मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थीं. रीना भी नीचे से चूतड़ उचकाकर माहौल को और रंगीन बना रही थी.
एक हफ्ते तक मैंने रीना को भरपूर चोदा, नतीजा यह हुआ कि आज सुधीर बाबू एक सुन्दर से प्यारे से बेटे के पिता हैं. [email protected]
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