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सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को बहुत बहुत सतिकार, प्यार ! भगवान् करे सब के लौड़े मस्त रहें ,खड़े रहें अपनी-अपनी बीवियों को खुश करते रहें !
मेरा नाम है साधना, उम्र पच्चीस साल, अमृतसर, पंजाब की रहने वाली हूँ, पांच फ़ुट पांच इंच कद, तीखे से नयन नक्श, गुंधा हुआ जिस्म, कहर ढहाने वाली छाती जो मेरी ख़ूबसूरती में सबसे ज्यादा हाथ रखती हैं। जवानी से लेकर स्कूल, कॉलेज में मैं अपनी छातियों के लिए मानी जाती थी। हर लड़की मुझे कॉम्प्लीमेंट करती कि काश मेरी छाती साधना जैसी गोल होती तो मैं लड़कों की जान निकाल देती ! हर मर्द देख दिल पर हाथ रख लेता !
और इस छाती की मलाई सबसे पहले मनोज नाम के लड़के ने उतारी। मेरा पहला बॉय फ्रेंड था वो ! मलाई के साथ साथ उसने मेरी खुमारी भी उतारी, हेकड़ी भी !
उसके बाद तो न जाने कितने लड़कों ने मेरी जवानी लूटी होगी। अपने समय की पहले स्कूल फिर कॉलेज की मानी जानी वाली रांड ही, समझ लो, थी। मेरे बहके कदमों की बात जब घर तक आई और घर वालों ने कुछ हद तक मुझ पर लगाम लगाई।
कहते हैं न कि आग और जवानी जब मचती है तो कोई पाबंदी उसको नहीं रोक पाती, माँ ने जल्दी से लड़के की तलाश शुरू कर दी और जल्दी ही मेरी सगाई मोहन से कर दी। मोहन मुझे अच्छा ही लगा। उसने मुझे सगाई के बाद मिलने को कहा और उसके बाद वो मुझे अकसर मिलने बुलाता।
एक रोज़ उसने मुझे अपनी बाँहों में लेकर आगे कदम उठाया लेकिन मैंने रोक दिया कि यह सब शादी के बाद ! उसने मुझे कहा- ऊपर से तो मजे ले लेने दो !
हर लड़के की तरह उसने भी पहला हाथ मेरी छाती पर डाला, खूब दबाई, चुचूक चूसे, जांघें सहलाई ! मैं नहीं चाहती थी कि इतनी जल्दी उसको कुछ करने दूँ ! वरना वो मुझे ऐसी-वैसी लड़की समझता (वो तो मैं थी ही ! लेकिन !) फिर भी इमेज ख़राब न हो और फिर मेरी शादी की तारीख तय हुई और मैं उसकी दुल्हन बन कर उसके घर चली गई। सगाई के बाद से मुझे बाहर आने-जाने नहीं दिया था, जिससे मेरी फुद्दी में थोड़ा कसाव आ गया था और मेरी एक भाभी ने मुझे एक क्रीम भी दी थी जिसकी मालिश सुबह-शाम को फुद्दी की फांकों में लगा कर मालिश करनी थी।
रात को वो मेरे पास आया उसने काफी पी भी रखी थी जिससे मुझे हौंसला सा हुआ कि मेरी चोरी शायद न पकड़ी जाए। चूमा चाटी में मैंने कभी भी उसके लौड़े को नहीं पकड़ा था। पहली बार उसने मेरा हाथ आगे कर अपने पजामे में घुसा दिया और उसका लौड़ा काफी मोटा-तकड़ा लगा। फिर एक-एक कर उसने मुझे नंगी किया। सिर्फ कच्छी में थी मैं ! मैंने शर्माने की पूरी एक्टिंग की, उसने खुद को भी निर्वस्त्र किया। उसका लौड़ा बहुत बड़ा था मोटा-ताजा निकला। मैं अन्दर से बहुत खुश थी।
वो बोला- जान, आज तो इसको सहलाओ, चूसो ! अब तो शादी हो गई !
मैंने उसका लौड़ा मुँह में लेकर चूसना शुरु किया, वो आहें भर-भर कर मेरे बालों में हाथ फेरता गया। उसका लौड़ा चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसने खींच कर मेरी कच्छी उतार दी और मेरी फुद्दी में ऊँगली डाली, फुद्दी गीली थी, चिकनी भी ! सुबह ही पार्लर वाली ने बाल साफ़ किये थे। उसने मुझे ऐसी दशा में लिटाया जिससे वो मेरी फुद्दी साथ साथ चूस सके। जुबान से मेरा दाना चाटा, मैं भड़क उठी। उसने मुझे सीधा लिटाया और घुसा दिया।
मैंने खूब एक्टिंग मारी- धीरे करो ! दर्द होता है !
असल में मुझे मजा आ रहा था, पूरी रात उसने मेरी चुदाई की। मैं उससे खुश थी ! हर रात वो मुझे चोदता ! क्यूंकि उसने एक महीने के अन्दर वापिस अमेरिका जाना था। फिर वहां से मेरे पेपर अप्लाई करने थे। फिर साल बाद मेरी फाइल खुलनी थी और मेरा वीसा आना था। हर रात वो मुझे दबा कर चोदता।
फिर वो चला गया, मैं रात को प्यासी बिस्तर पर तड़फती- बिन पानी जैसे मछली तड़पे ! वैसे ही हालात में सावन आया और माँ मुझे मायके लेकर आई। पहला सावन था ! कहते हैं कि बहू सावन के दिनों में सास का चेहरा नहीं देखती !
कुछ दिन मैंने जैसे-तैसे काटे और मैंने मनोज से बात की। उसने मुझे मिलने बुलाया लेकिन कैसे जाती ! मैंने कहा- मुझे तो ट्रैवल-एजेंट से मिलना है, जिसने मेरी फाइल लगाई है !
मैंने अपना एक्टिवा लिया और चली गई। जाते ही मां-चोद मनोज ने मुझे दबोच लिया- खूब चूमा-चाटी हुई ! फिर उसने मुझे दबा कर चोदा ! बहुत मजा आया !
मैंने माँ से कहा- मोहन जी अमेरिका से मेरे साथ इन्टरनेट पर चैट करते हैं इसलिए कैफे जाती हूँ ! वहां कभी किसी से मिलती, कभी किसी से ! फिर से अपने आशिकों को गफ्फे लगवाती !
मेरी छोटी बहन ने मुझसे पहले ही अपने आशिक के साथ शादी कर ली थी कोर्ट में ! और फिर दोनों के घरवालों को मानना पड़ा और रस्मी शादी भी करवाई गई थी।
और वो पेट से थी, उसके दिन करीब ही थे। वैसे तो उसकी जेठानी और सास उसका बहुत ध्यान रखती थी लेकिन उसकी सास के घुटने में तकलीफ थी और किसी ने उनको बाबा रामदेव के शिवर में जाने की सलाह दी। जेठानी को सास-ससुर के साथ जाना पड़ा था। मैं खाली थी इसलिए माँ ने मुझे कहा- अपनी सास से पूछ कर अगर एक हफ्ता तू वहाँ लगा दे?
मेरी सासू माँ ने फ़ोन पर मुझे इजाज़त दे दी।
मैं वहाँ चली गई। उसका जेठ बहुत बहुत सुंदर था, उन्नत मांसपेशियाँ थी उसकी ! वैसे तो मेरे जीजू भी मुझ में दिलचस्पी लेते थे लेकिन बहन का जेठ मुझे बहुत भाया था और मैं उसको !
मैंने अपनी बहन से कहा- तेरा जेठ बड़ा मस्त है ! वो बोली- तो दीदी लपेट लो ! हट गंदी ! मैंने कहा। लेकिन बात दिल में बैठ गई।
मैं उसके साथ काफी घुलमिल गई, कभी पल्लू सरका लेती, झुक जाती, होंठ चबा अपनी वासना उसके सामने उजागर करती।
एक दिन डाइनिंग टेबल के नीचे से उसने मेरा पाँव दबा दिया। समझदार को इशारा काफी होता है !
उसने योजना तैयार की, बिज़नेस के सिलसिले में जीजा जी को शहर से बाहर भेज दिया ! रास्ता साफ़ था ! लोहा गर्म था ! जीजा जी को तीन-चार दिन और लगने थे, एक रात इशारों ही इशारों सब तय हो गया। घर से बाहर जा घर कर फ़ोन पर फ़ोन किया और रात को कमरे में बुलाया !
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