वो काला भुसण्ड लौड़ा

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लेखिका : शमीम बानो कुरेशी

इन दिनों मेरे मौसा जी आये हुये थे और मेरा छत वाला कमरा उन्हें दे दिया था। फ़ुर्सत का समय मैं उसी कमरे में बिताती थी। मौसा भी साला बड़ा जालिम था। मेरे पर वो टेढ़ी नजर रखता था, पर मुझे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था, साला ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगा, मुझे चोद देगा ना … तो उसमें मुझे कहां आपत्ति थी। पर वो मादरचोद एक बार शुरू तो करे।

मुझे एक रात नींद नहीं आ रही थी। रात का एक बज रहा था। मन में बहुत बैचेनी सी थी। एक तो बहुत दिनों से चुदी नहीं, वो हरामी, भोसड़ी का अब्दुल भी बाहर चला गया था। मैं उठ बैठी और धीरे धीरे सुस्ताती सी छत की तरफ़ चल दी। सीढियाँ चढ़ कर मैं ज्यों ही मौसा के कमरे के पास पहुंची तो देखा लाईट जल रही थी। मैंने झांकने की कोशिश तो देखा मौसा नंगा हो कर हस्तमैथुन कर रहा था। मेरा दिक धक से रह गया। उसका मोटा काला भुसण्ड लण्ड देख कर मेरा दिल दहल गया। मैं उत्सुकतापूर्वक उसे देखती रही … वो कभी लण्ड को ऊपर नीचे हिलाता फिर आगे पीछे करके मुठ मारता … मेरा दिल भी मचल उठा … साला 40 साल में भी अपनी जवानी का सत्यानाश कर रहा था। मन में आया कि अन्दर चली जाऊँ और जी भर कर चुदा लूँ। पर शराफ़त इसकी इजाजत नहीं देती थी। मेरे दिल में आग सी लग गई। मैं अपने कमरे में आ गई और अपनी चूत दबा कर सोने की कोशिश करने लगी।

अगले दिन मेरी नींद जरा देर से खुली। देखा तो मौसा जी मेरे कमरे में खड़े हुये मुझे घूर रहे थे। मेरी उठी हुई शमीज में से मेरे चूतड़ों की गोलाईयों को निहार रहे थे। मेरी छोटी सी पैन्टी मेरे चूतड़ों में एक डोरे की तरह फ़ंसी हुई थी। मैने तुरन्त अपनी शमीज नीचे खींच ली। मुझे अपनी ओर देखने से मौसा जी झेंप गये और बाहर निकल गये।

नाश्ते के बाद मैने मौसा जी को धीरे से कहा,”भेन चोद, मुझे सोते हुये देखता है !”

“बानो, मस्त लगती है तू तो !”

“भोसड़ी के, तेरे बेटी नहीं क्या, उसे देख कर लण्ड हिलाया कर !”

“ऐ बानो, साली मां की चूत, खुद तो उघाड़े पड़ी थी, चड्डी भी तो डोरे जैसी पहनती है, देख लिया तो क्या हुआ?”

“मुझे चूतिया समझ समझ रखा है ना, साला लण्ड पर मुठ मारता है ! बात करता है !”

“मुठ, हट ! तुझे क्या पता बानो !”

“उह्… साला इतना लम्बा काला लण्ड यूँ हिला हिला कर मुठ मार रहा था कि कोई देखे तो बस चुदाने की इच्छा हो जावे !”

“साली, बड़ी मर्द मार है, छुप छुप कर देखती है, कभी मौका मिलने दे तो साली को फ़ाड़ कर रख दूंगा !”

“क्यों मां के लौड़े, अभी मौका नहीं है क्या … “

उसने मुझे पकड़ लिया और मुझे दीवार से टकरा दिया और मेरे बड़े बड़े बोबे भींच दिये। मैं आनन्द से सीत्कार कर उठी।

“भोसड़ी के, अपनी माँ को चोदा है कभी ?”

“ऐ बानो, ज्यादा मत बोला कर…”

“अच्छा तो अपनी बहन की गाण्ड मारी है क्या…”

“बहुत हो गया, बानो … साली की चूत फ़ाड़ डालूंगा “

“तो बेटी को तो जरूर चोदा होगा, साली शकीला है भी मस्त राण्ड !”

“बहुत बोलती है, जब तेरी मां को चोदूंगा ना तो मजा आयेगा !”

“मेरी माँ तो कब का चोद चुका होगा तू ! अब मुझे चोद दे ना … चोद ना मौसा !”

“रात को ऊपर आ जाना, साली को मस्त कर दूंगा !”

“अम्मी, मौसा को तो देख, मुझे तंग रहा है … !!!!”

“साला, मरा, अब मेरी बेटियो को छेड़ेगा … अभी आई … मादरचोद की गाण्ड मार दूंगी “

मैं खिलखिलाती हुई भाग खड़ी हुई। तभी अम्मी जान बड़बड़ाती हुई आ गई।

“घर की जवान लड़कियों पर भी नजर रखता है भेनचोद, गण्डमरा जाने कब मरेगा यहाँ से…”

मौसा जी घबरा कर छत पर कमरे में चले गये।

रात के बारह बजे के करीब मैं दबे पांव ऊपर कमरे के बाहर आ गई। तभी मौसा ने दरवाजा खोल कर मुझे अन्दर घसीट लिया।

“लगी आग चूत में ना … चली आई चुदवाने?”

“अरे जा रे, तेरे जैसे बहुत से देखे है मैंने … तू क्या सोचता है लण्ड तेरे पास ही है क्या?

“फिर तेरी भोसड़ी में आग क्यूँ लगी है … ये ले मेरा काला लौड़ा … “

मौसा ने अपनी लुन्गी उतार दी और पूरा नंगा हो गया।

“हाय रे मौसा, सच में लौड़ा है तो घोड़े जैसा, यह तो मेरी फ़ाड़ डालेगा, देख तो मेरी छोटी सी मुनिया !”

मैंने भी अपनी शमीज ऊपर उठा दी, पैण्टी मैं पहन कर नहीं आई थी, चुदना जो था ना। मेरी चिकनी सी रस भरी चूत को देखते ही मौसा मचल उठा। उसका काला लण्ड घोड़े के लण्ड की तरह खड़ा हो कर झूलने लगा। मुझे उसने अपनी तरफ़ खींच लिया और मुझे बेदर्दी से प्यार करने लगा। मुझे भी एक मस्त कठोर शरीर वाला मर्द चाहिये था जो मुझे ऐसे मसल कर रख दे कि बस … हाय चुदाई की इच्छा हर बार होने लगे।

मेरे बदन में एक वासना भरी लहर चलने लगी। मेरी चूचियाँ कठोर होने लगी। बदन में जैसे रस भरने लगा। उसके खुरदरे हाथ मेरी चूचियों का मर्दन करने लगे। मेरा हाथ उसके कड़े और मोटे लण्ड पर आ गया। स्पर्श करते ही मुझे पता चल गया कि यह मेरी चूत को फ़ाड़ ही डालेगा। मोटा, लम्बा और खुरदरा लौड़ा, लगता था चूत को छलनी कर देगा। पर फिर भी मेरी चूत उसके लण्ड की रगड़ खा कर मस्त होने लगी। मेरी चूत लपलप करने लगी, चूत का द्वार जैसे अपने आप ही खुलने लगा। मैने एक गहरी आह भरते हुये उसके लण्ड को पकड़ कर चूत से सटा लिया।

“मौसा, भोसड़ी के ! चोद दे मुझे … घुसा ना अपना काला लण्ड !”

“चल खाट पर टांगें चौड़ी कर ले … देख तेरी चूत कैसे गपागप लेती है मेरा लौड़ा।”

खाट पर लेट कर मैने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। भारी भरकम मौसा ने अपना लण्ड पकड़ कर मेरी चूत पर रख दिया।

“ऐ मां की लौड़ी, तैयार है ना …?”

“साले हरामी, टांगें उठा अपनी मां चुदवा रही हूँ क्या, चल घुसेड़ दे अपना काला भुसन्ड लौड़ा”

तभी मेरे मुख से चीख निकल गई। उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत में कसता हुआ अन्दर जाने कोशिश में था।

“मौसा नहीं, धीरे से … यह तो बहुत मोटा है।”

“तेरी मां दी फ़ुद्दी, चूत फ़ाड़ी नहीं तो फिर लण्ड ही क्या ?”

मेरे मुख से हल्की चीख निकल गई। उसका खुदरा लण्ड काफ़ी घुस चुका था। और अन्त में मौसा ने मेरा मुख दबा कर जोर का भचीड़ मार दिया। मेरी चीख मुख में ही घुट गई। लगा कि मानो चूत फ़ट गई हो। मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े।

“बस गन्डमरी राण्ड, बोल गई ना चूँ … अब आराम से…” मौसा अब रुक गया। मेरी सांस में सांस आई। चूत में मोटा सा लण्ड फ़ंसा हुआ लग रहा था कि जैसे किसी ने रबड़ का डण्डा घुसेड़ दिया हो। उसने धीरे धीरे मेरी चूचियाँ मलनी शुरू कर दी। मेरे शरीर को दबाना और सहलाना आरम्भ कर दिया।

धीरे धीरे मुझ पर लण्ड फ़ंसा होने के बावजूद मस्ती छाने लगी। मेरी चूत अपने आप हिलने लगी। चुदाई बड़े धीरे से और प्यार से होने लगी। उसका मोटा लण्ड अन्दर बाहर होने लगा। मेरी चूत के दाने पर उसकी रगड़ बढ़ने लगी और मैं दूसरी दुनिया में खोने लगी। ऐसी मस्ती भरी चुदाई मैंने पहली बार पाई थी। मोटे और लम्बे लण्ड का मजा कुछ ओर ही होता है यह मैंने आज जान लिया था। मेरे शरीर में साज तरंग बजने लगे थे … तन थरथरा रहा था, अन्दर आग गहराती जा रही थी। मुझे मौसा जी अब बहुत अच्छे और सुन्दर लगने लगे थे। उनका बोझ मेरे ऊपर फ़ूलों सा जान पड़ रहा था। मेरी चूत उसका लण्ड उछल-उछल कर ले रही थी। सारा शरीर जैसे आग हो रहा था।

“हाय मौसा जी, जरा जोर से … खींच कर चोदो … आह मैं मरी रे … अम्मी जान … यह तो मेरी ही जान निकाल देगा !”

“आई ना मस्ती… तेरी जवान चूत का मजा भी गजब का है बानो !” मौसा जी वासना में बहक रहे थे और बोले जा रहे थे,”तेरी भेन को चोदू, रण्डी, छिनाल … अब तक क्यूँ नहीं चुदाया रे …”

उसके भरपूर शॉट मेरी चूत पर पड़ रहे थे। जाने कब तक वो मुझे कस कस कर चोदते रहे और फिर … अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरी चूत लहरा कर पानी निकालने लगी। मेरा सारा जोश ठण्डा होने लगा। फिर उसके लण्ड की मार से मुझे दर्द होने लगा।

“बस, मौसा अब मुझे छोड़ दे … बहुत लग रही है … बस कर…”

मौसा तो पागल हो रहा था। जाने उसमें कहां से इतनी शक्ति आ गई कि उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल कर मुझे उल्टा पटक दिया। और मेरा मुख दबा कर मेरी गाण्ड में, मेरे रज से सना हुआ चिकना लण्ड घुसेड़ दिया। मेरी आंखें जैसे उबल पड़ी। दो तीन शॉट में तो उसका मोटा लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा घुस चुका था। वो पागल की तरह मुझे चोदे जा रहा था। मारे दर्द के मेरा बुरा हाल था। मैने अपने मुख से उसका हाथ हटा दिया और रोती हुई मेरी सिसकियाँ मुख से फ़ूट पड़ी। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने मेरी टाइट गाण्ड के दबाव से अपना वीर्य हवा में उछाल दिया … और हांफ़ता हुआ जैसे वीर्य की वर्षा करने लगा। मेरे बाल, पीठ सब वीर्य से सन गये। मौसा धीरे धीरे शान्त होने लगा।

“मौसा मेरी गाण्ड से खून निकला होगा ना?”

“बानो तुम तो बस … कोई खून नहीं है …”

मुझे विश्वास ही नहीं हुआ, ऐसा तेज और तीखा दर्द हुआ था … पर सच में मेरी चूत और गाण्ड ने सब कुछ झेल लिया था।

“बानो, अब जी करे तो रोज आ जाना, मन की पूरी कर लेना, मेरी भी मन की पूरी हो जायेगी !”

“मौसा, तुम बहुत खराब हो ! अपनी बानू की तो खूब मारी, जानते हो कितना दर्द हुआ !”

“इसी में तो मजा है, तुम्हें लगा ना कि अब तुम्हारी मस्ती भरी चुदाई हुई है, मानती हो ना?”

“धत्त, मुझे तो रुला दिया तुमने …”

“फिर कल … देखना कितना उछल उछल कर चुदाओगी… और हंसोगी !”

“हाय अल्लाह, तुम तो बहुत बेशरम हो…” मैं एक मर्द के सामने मैं पहली बार शरमाई थी, मैं मुस्करा कर और सिर झुका कर नीचे कमरे में भाग आई …

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