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लेखक : रोहन (छोटा गुरु)
यह कहानी मेरे बड़े भाई समान प्रेम गुरु को समर्पित है, तथा उनके द्वारा संशोधित है।
दोस्तो ! मेरी यह पहली कहानी है। पहली कहानी हो या पहला प्रेम दोनों ही जीवन भर रोमांचित करते रहते हैं। मेरा नाम रोहन है। आज आपको अपने पहले प्रेम का किस्सा बताने जा रहा हूँ :
बात तब की है जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ता था। मैं पढ़ने में बहुत अच्छा था। मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी जिसका नाम रश्मि था। वो बहुत ही सुंदर थी। हिरनी जैसे नयन, काली घटाओं जैसी मतवाली जुल्फें, आँखों में मदमस्त कर देने वाला काजल, जब चलती थी तो अपने मटकते हुए नितम्बों से अच्छे अच्छों का जीना हराम कर देती थी। क्लास में हर लड़का उससे बात करने के लिए जैसे दीवाना हुआ रहता था उसकी एक झलक के लिए पूरे दिन तरसते रहते थे।
मुझे भी वो बहुत पसंद थी, मैं भी उससे दोस्ती करना चाहता था पर डरता था कि कहीं वो बुरा न मान जाए।
हमारे साथ क्लास में एक और लड़का था जिसका नाम पीयूष था, वो लड़कियों से बहुत ही फ्लर्टिंग करता था। उसने धीरे धीरे रश्मि के साथ भी फ्लर्टिंग करना शुरू कर दी और कुछ दिनों में ही उसे पटा लिया। वो दोनों साथ साथ घूमने जाने लगे थे पर पीयूष तो अपनी आदत से मजबूर था, उसने तब भी दूसरी लड़कियों के साथ फ्लर्टिंग करना नहीं छोड़ा। यह बात रश्मि को बहुत बुरी लगती थी। वो हमेशा उसको मना करती थी पर पीयूष नहीं मानता था। कुछ समय बाद ही दोनों में झगड़े होने लगे और उनका फिर अलगाव हो गया। इन सब बातों से रश्मि बहुत दुखी हुई और क्लास में चुप रहने लगी।
एक दिन वो कैंटीन में अकेली बैठी हुई थी। मैं जब कैंटीन पंहुचा तो वहाँ बैठने की जगह नहीं थी। मैं रश्मि के पास चला गया और उसके साथ वहीं बैठ गया। मैंने अच्छा मौका देख कर उससे पूछा “रश्मि बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?”
“हाँ बोलो”
“तुम आजकल इतना चुपचाप क्यों रहने लगी हो?”
“नहीं, कुछ नहीं !” कह कर उसने अपनी गर्दन झुका ली।
“तुम ना बताना चाहो तो कोई बात नहीं !”
“नहीं ऐसा कुछ नहीं है…. बस मैं तो पी……..” वो बोलते बोलते रह गई।
मैं सारी बात जानता था। मौका अच्छा था, मैंने कहा,”मैं तो तुम्हें पहले ही उस पीयूष के बारे में बताना चाहता था कि वो एक नंबर का धोखेबाज़ है।”
वो बेबस आँखों से बस मेरी तरफ देखती रही, बोली कुछ नहीं।
उसके बाद तो हम अक्सर कैंटीन में काफी पीते और बातें भी करते रहते। मैं अपनी क्लास में अच्छे अंक लाता था और टीचर्स की नज़रों में भी मेरी काफी अच्छी छवि थी। इस वजह से रश्मि अब क्लास में मेरे साथ ही रहने लगी। उसे कोई समस्या आती थी तो वो मुझी से पूछ लेती थी और फिर हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। हम हर विषय पर बात कर लिया करते थे पर सेक्स पर कभी बात नहीं की।
अब हमारी परीक्षा आने वाली थी और अब हम दोनों ज्यादातर वक्त अपनी पढ़ाई में ही लगाने लगे थे। परीक्षाओं के बीच में होली का त्यौहार भी था जिसके लिए हमें आठ दिन की छुट्टी मिली थी। उसके बिल्कुल बाद गणित की परीक्षा थी। होली की छुट्टियों में ही रश्मि के बड़े भाई की शादी बंगलौर से तय हो गई और रश्मि के घर वालों को उसमें जाना पड़ा। परीक्षाओं के कारण रश्मि को घर पर ही रहना पड़ा, क्योंकि उसे परीक्षा की तैयारी करनी थी। रश्मि का घर काफी बड़ा था। रश्मि का कमरा अलग था वो उसी में पढ़ा करती थी।
छुट्टी के दूसरे दिन ही रश्मि का फोन आया और उसने मुझे शाम को अपने घर आने को कहा। मैं तो बस उसके घर जाने या मिलने का बहाना ही खोज रहा था, मुझे भला क्या ऐतराज़ हो सकता था। पर मैंने कहा कि अभी आ जाऊँ क्या तो उसने मना कर दिया बोली शाम को ही आना। मैं भी सोच में पड़ गया कि यह शाम का क्या चक्कर है।
फिर मैं उस दिन शाम को रश्मि के घर गया। उसने बड़े ही जोश से मेरा स्वागत किया। आज वो बिलकुल क़यामत लग रही थी उसने वक्षों तक उभार वाला टॉप और घुटनों तक की कैप्री पहनी हुई थी। उसने हाथ में एक लाल रंग की रेशम की डोरी पहनी हुई थी जिसमें एक छोटा सा घुँघरू बंधा था। जब भी वो अपना हाथ ऊपर नीचे करती तो घुँघरू की रुनझुन कानों में रस सा घोल देती।
फिर वह मुझे अपने कमरे में ले गई वहा एक केक रखा हुआ था। उसने मुझे तब बताया कि आज उसका जन्मदिन है।
मैंने उसे उलाहना देते हुए कहा,”क्या तुम मुझे सुबह नहीं बता सकती थी मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट ले आता ?”
“तुम्हारी दोस्ती ही मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है। मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी।”
“वो सब तो ठीक है पर गिफ्ट तो मैं तुम्हें दूँगा,”
“अच्छा जी, क्या दोगे?”
“एक किस दूँगा।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
इस पर रश्मि शरमा गई। उसके शरमाने की अदा भी इतनी प्यारी थी कि मैं तो अंदर तक रोमांच से भर गया। फिर मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन लिया। वो कुछ नहीं बोली पर शर्म के मारे उसने जैसे अपने चेहरे पर हाथ रख लिए। मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने उसका एक हाथ हटाया और उसके गाल पर दूसरा चुम्बन ले लिया। उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया। मेरे अंदर धीरे धीरे एक आग जलने लगी, उसके नाजुक से बदन को छू कर मुझे भी एक मीठी सी चुभन महसूस होने लगी।
अचानक रश्मि ने भी अपने चेहरे से दोनों हाथ हटा कर अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और वो भी मुझे चूमने लगी। हम दोनों सब कुछ भूल कर एक दूसरे में खो गए। फिर मैंने अपने होंठ उसके रसीले होंठों से लगा दिए और उन्हें चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम दोनों स्मूचिंग करने लगे। उसकी सांसें तेज चलने लगी थी। मेरा भी यही हाल था। हम काम के आवेग में सब कुछ भूल गए थे।
उसने धीरे से अपना हाथ मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे कामदेव पर रख दिया। मैंने भी अपना हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिए और उसके स्तनों को दबाने लगा।
उसने कांपती आवाज़ में कहा,”ओह रोहन आई लव यू !”
“मेरी जान, मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।”
थोड़ी देर हमने चूमा चाटी की और फिर हम पलंग पर बैठ गए। फिर मैंने उससे अपना टॉप उतार देने को कहा तो उसने अपना टॉप उतार दिया। वो काले रंग की नायलोन की पारदर्शी सी ब्रा पहने हुई थी जिसमें से उसके गुलाबी चुचूक साफ़ साफ़ दिख रहे थे। ब्रा में तो वो बिल्कुल किसी परी जैसी लग रही थी। मैं तो बस सोचे ही जा रहा था कि रोहन बेटा, क्या सिकंदर तकदीर पाई है तुमने।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसका चुचूक मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा। उसके मुँह से सीत्कार निकलने लगी थी। वो मुझसे बोली,”रोहन तुम भी अपनी जींस उतार दो न !”
मैंने अपनी जींस और शर्ट उतार फेंकी। अब मैं बस अंडरवीयर में था तो उसने उसे भी उतारने को कहा।
मैंने कहा- मैं ही सब उतार दूँगा तो तुम्हारे कौन उतारेगा?
मेरी बात सुन कर वो जोर जोर से हंसने लगी।
फिर मैंने उसके ब्रा खोल दी और उसके दोनों स्तनों को आजाद कर दिया उसके स्तन बिलकुल गोल और भारी थे फिर मैंने उसकी कैप्री और पेंटी भी उतार दी। अब वो मेरे सामने बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में थी और बहुत शरमा रही थी। उसके योनिद्वार पर हल्के-हल्के रोये थे, चीरा बिलकुल गुलाबी था। मैंने अपना मुँह उसकी योनि के पास रखा तो उसकी योनि की गंध मेरी नाक में भर मुझे मदहोश कर गई। मैंने अपनी जीभ उसकी योनि पर रख दी और उसे चाटने लगा। उसकी योनि ने चिकना सा पानी छोड़ दिया। रश्मि सिसकारियां भरने लगी। मैंने अब अपनी जीभ उसकी योनि में अंदर तक भरनी चाही तो रश्मि थोड़ी सी कुनमुनाई और मेरा सर पकड़ कर अपनी योनि से सटा लिया। रश्मि का जिस्म अकड़ने लगा और वो उसने अपना रज छोड़ दिया जिसे मैंने चाट के साफ़ कर दिया।
रश्मि अब उठ खड़ी हुई और मुझे एक बार फिर जोर से चूमते हुये बोली,”आई लव यू रोहन, सो मच !”
मैं भी कहा,”आई लव यू टू रश्मि !”
मैंने घड़ी में देखा कि 8:30 बज गए थे। मैंने रश्मि से कहा,” ओह माय गोड ! मुझे तो घर जाना है !”
तो रश्मि बोली “ओह रोहन ! प्लीज, थोड़ी देर रुक जाओ अभी मत जाओ ना ! घर पर फोन करके कह दो कि तुम अपने दोस्त के घर ग्रुप स्टडी कर रहे हो।”
मेरा भी मन जाने का कहाँ कर रहा था। मैंने घर फोन कर दिया।
हम अभी भी प्राकृतिक अवस्था में ही थे। फिर रश्मि को शरारत सूझी और उसने मुझे बेड पर धक्का दे दिया और झट से मेरे ऊपर आ गई और मेरा अंडरवीयर खींच कर उतार दिया और अपना मुँह नीचा करके मेरे लिंग को सहलाने लगी मेरा लिंग बिलकुल तन गया था। वो अपने होंठों से उस पर पुचकारने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था धीरे धीरे उसने लिंगमुंड पर जीभ फिरानी शुरू कर दी और फिर पूरा लिंग मुँह में भर कर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था। वो उसको ऐसे कस के चूस रही थी जैसे उसे पूरा ही निचोड़ लेगी। मैं अपने आपको ज्यादा देर नहीं रोक पाया और मैंने अपना कामरस उसके मुँह में ही छोड़ दिया। वो मेरा सारा कामरस पी गई। मैंने उठ कर उसके होंठों को चूम लिया।
रश्मि ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा जैसे पूछ रही हो,”कैसा लगा?”
“रश्मि मेरी जान बहुत मज़ा आया।”
वो तो बस मंद मंद मुस्कुराती ही रही।
“रश्मि क्या कभी पहले तुमने सेक्स किया है?” मैंने पूछा।
“धत्त…. ?” उसने शरमा कर अपनी नज़रें झुका लीं!
मैं जानता था कि रश्मि तो अभी बिलकुल कोरी है। मैंने पूछा “प्लीज बताओ न?”
वो शरमाते हुए बोली,”किया तो नहीं पर………!”
“पर क्या………..?”
“पर… मन बहुत करता है करने का !”
“ओह मेरी प्यारी रश्मि ! तुमने तो मेरे मुँह की बात बोल दी, तुम कितनी अच्छी हो तुम, अगर तुम मेरा साथ दो तो हम अपने प्रेम प्रसंग की नई गाथा लिख सकते हैं। क्या तुम मेरा साथ दोगी?”
रश्मि ने शरमाते हुए अपना सर नीचे कर लिया और उसने हाँ में सर हिला दिया बस, कहा कुछ नहीं।
फिर मैंने रश्मि की कमर हाथ डाल कर उसे फिर से बाहों में भर लिया। मैं उसके गर्दन, होंठों, गालों और स्तनों पर जहां तहां चूमने लगा। रश्मि ने मुझे एक धक्का दिया और नीचे गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई।
“ओह… तुमसे तो कुछ होता नहीं है ! अब मैं तुम्हें चोदूंगी!”
मुझे उसकी इस नादानी और भोलेपन पर हँसी आ गई। मैंने कहा,”ठीक है मेरा कौन सा कोई नुकसान है, बात तो एक ही है, चाहे छूरी तरबूजे पर गिरे या तरबूज छुरी पर !”
“चलो देखते हैं।” कह कर वो मेरा काम दंड पकड़ कर अपने योनिछिद्र पर मलने लगी।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकले जा रही थी। फिर मैंने उसकी कमर पकड़ कर धीरे से नीचे से ही एक झटका लगा दिया। लिंगमुंड उसकी योनि में गच्च की आवाज के साथ प्रवेश कर गया। उसकी एकदम से चीख निकल गई।
एक बार तो मैं भी डर ही गया पर बाद में मैंने उसे पुचकारा।
“ओह…… रोहन बहुत दर्द हो रहा है !”
वैसे दर्द तो मुझे भी हो रहा था क्योंकि उसकी योनि बहुत ज्यादा भिंची हुई थी। मैंने उससे कहा- पहली बार में दर्द होता है, पर बाद में बहुत मज़ा आएगा !
तो उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और सुस्ताने लगी। धीरे धीरे उसका दर्द कम हो गया, मुझे चूमने लगी और होले होले खुद धक्के लगाने लगी। मैंने रोशनी में देखा कि मेरा लिंग पूरा लाल हो रहा है जो कि रश्मि की कुंवारी चूत से निकला खून था।
वो ऐसे ही मुझे करीब 5 मिनट तक धक्के देती रही, और उसके हाथ में बंधी रेशम की डोरी कानों में मधुर संगीत घोलती रही। मुझे लगा कि वो थक गई है। मैंने झट से उसे नीचे कर दिया और खुद उसके ऊपर आ गया।
उसने अचंभित होकर मेरी ओर देखा तो मैंने कहा,”मैं किसी का उधार नहीं रखता ! अभी तक तुमने मुझे चोदा ! अब मैं तुम्हें चोदूंगा !”
वो खिलखिला कर हंस पड़ी।
और फिर मैं जोर जोर से धक्के देने लगा। करीब 8-10 मिनट धक्के लगाने के बाद रश्मि ने मुझे कस के पकड़ लिया और अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए। मैं समझ गया कि रश्मि ने दुबारा अपना रज छोड़ दिया है।
मैं भी अपना कामरस छोड़ने वाला था और अपना लिंग उसकी योनि से बाहर निकालने लगा तभी रश्मि ने अपनी टाँगे मेरी कमर में डाल दी और कहा- निकालो नहीं, अंदर ही डाल दो।
और फिर मैंने रश्मि कि योनि में ही अपने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ दी। रश्मि की योनि मेरे द्रव से भर गई। मैं उसके ऊपर निढाल होकर गिर गया और वो मेरे गालों पर किस करने लगी।
हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे और एक दूसरे को नज़रों से ही धन्यवाद का भाव प्रकट कर रहे थे। मैंने रश्मि को कस कर बाहों में पकड़ा और एक बार फिर से चूम लिया। फिर मैं रात को रश्मि के घर ही रुक गया और रात को हमने दो बार और प्रेम मिलन किया। मैं उसे सारी रात अपनी बाहों में लिए सोता रहा।
अगले दिन मैंने रश्मि को मेडिकल स्टोर से आई-पिल लाकर दी। मैं उसे गर्भवती कैसे होने दे सकता था। मैंने उससे हमारे प्रेम के प्रतीक के रूप में उसके हाथ में बंधी रेशम की डोरी मांग ली। उसने बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए वो डोरी मेरी ओर बढ़ा दी। आज भी वो डोरी मैंने बहुत जतन से संभाल कर रखी है।
यह मेरी जिंदगी का पहला प्रेम सम्बन्ध था। आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल करना।
आपके मेल की प्रतीक्षा में :
आपका रोहन उर्फ छोटा गुरु
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