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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्रणाम !
आज मैं अपनी पहली कहानी अब मैं तुम्हारी हो गई-1 का दूसरा भाग लिख रहा हूँ, लेकिन यह कहानी मेरी एक खास दोस्त, जिसका नाम “प” से शुरु होता है, को समर्पित है।
कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा :
यह कहानी मेरे घर की है, मेरे घर में मैं, मेरी पत्नी, एक छोटा भाई, उसकी पत्नी और हमारे छोटे बच्चे एक संयुक्त परिवार की तरह रहते हैं। मेरी पत्नी का नाम उषा है, मेरे भाई की बीवी नाम शीला है (बदला हुआ)। शीला से प्यार का रिश्ता हो जाने के बाद मैंने उसकी जमकर चुदाई की थी जो मैंने पहली कहानी में लिखा था।
उसके बाद सबकी मौजूदगी में वो मेरे सामने भी नहीं आती, लेकिन घर के सदस्य इधर-उधर होते हैं तो मैं उसे आँख मारता हूँ तो वो भी मुस्कुरा के “घर पर सब हैं !” का इशारा करके दूसरे कमरे में भाग जाती है।
गर्मी का मौसम था। गर्मियों में मेरी माता और हमारे सभी बच्चे ऊपर छत पर ही सोते हैं। मैं ओर मेरी पत्नी उषा अपने बेडरूम में और छोटा भाई और उसकी पत्नी शीला अपने बेडरूम में सोते हैं। ऐसे ही एक महीना बीत गया।
एक दिन अचानक मेरा छोटा साला आ गया। उसके घर के सभी सदस्य एक हप्ते के लिये बाहर जाने वाले थे तो वो मेरी सासु माँ की देखभाल के लिये मेरी पत्नी को लेने आया था।
मेरी पत्नी उषा मायके जाने के लिये तैयार हो गई।
जब मैं दोपहर ऑफ़िस से आया तो उषा ने सासु माँ की देखभाल के लिये जाने की बात की। मैंने उसे जाने को कहा और वो शीला से घर के बारे में जरुरी निर्देश देने लगी। बच्चे भी मामा के घर जाने को उत्सुक थे तो वो भी साथ चले गये।
उनके जाने के बाद मैंने शीला की तरफ़ देखा तो काफ़ी खुश थी, उसने मुझे एक मादक मुस्कान दी।
शाम को मैं सात बजे जब घर पर आया तो छोटे भाई के बच्चे बाहर खेल रहे थे। जब मैं घर के अन्दर गया तो शीला अकेली थी और रसोई में काम कर रही थी।
मैंने उससे पूछा- मम्मी कहाँ है?
उसने जवाब दिया- पड़ोसी के यहाँ गई हैं।
मैं समझ गया कि मैदान साफ़ है। मैंने समय न गँवाते हुए शीला को पीछे से पकड़ कर बांहों में ले लिया और मेरे हाथ उनके स्तनों पर चले गये।
उसके मुँह से सीत्कार निकल गई, वो हँस कर बोली- मुझे पता था कि मुझे अकेली देखकर तुम जरुर शरारत करोगे !
इतना कहकर उसने पीछे मेरी तरफ़ मुँह घुमाया। जैसे ही उसने मेरी तरफ़ मुँह घुमाया, मेरे होंठ उसके होंठों पर जम गए औए एक जोरदार चुम्बन ले लिया। वो छटपटाने लगी तो मैंने मुँह हटा लिया। वो एक लम्बी साँस लेकर बोली- तुम तो मुझे अकेली देखकर कच्ची ही खा जाओगे !
मैंने कहा- डार्लिंग ! हमें मिले काफ़ी समय हो गया ना ! इसीलिए अपने को रोक नहीं पाया।
मेरे दोनों हाथ उसके वक्ष पर थे। मैंने कहा- शीला उषा एक हफ़्ते के लिये घर पर नहीं है, हमें इसका पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए।
शीला बोली- मैं भी अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती ! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ ! मौका मिलते ही मैं तुम्हारे पास चली आउँगी।
मैंने कहा- ठीक है ! तुम्हें तो मालूम है कि उषा घर पर नहीं होतीं तो मैं रात को दरवाजा खुला रख कर सोता हूँ।
हम बातें कर रहे थे, तभी बाहर स्कूटर की आवाज आई, शीला बोली- लगता है वो आ गये !
मैंने फ़ौरन शीला को छोड़ कर बाहर हॉल में आ गया और टीवी ऑन करके समाचार देखने लगा। तभी मेरा भाई आ गया और साथ में बाहर खेलते उनके बच्चे भी उसके साथ आ गये। भाई ने थोड़ी देर मेरे साथ बैठ कर समाचार देखे, बाद में वो नहाने चला गया। इतने में मम्मी भी आ गई।
बाद में मैं भी स्नान करके हॉल में आ गया। साढ़े आठ बज़े सबने साथ बैठकर खाना खाया। शीला ने आज दूधपाक बनाया था जो सिर्फ़ मेरी पसंद का था।
भाई बोला- क्या बात है ! आज इतना मजेदार खाना बनाया है !
शीला ने इतना मजेदार खाना क्यों बनाया है यह बात सिर्फ़ मैं और शीला ही जानते थे।
रात को खाना खाने के बाद हम टीवी पर एक मूवी देखने बैठ गये। काम खत्म करके शीला भी आकर हमारे साथ बैठ गई। साढ़े दस बज़े मम्मी को नींद आने लगी तो वो बच्चो को साथ लेकर ऊपर छत पर सोने चली गई। थोड़ी देर बैठ कर शीला भी अपने बेडरुम में चली गई। अब सिर्फ़ मैं और भाई तकिया लगाकर नीचे लेटे हुए टीवी देख रहे थे।
सब चले गये तो भाई ने पूछा- बीएफ़ देखनी है?
मैंने कहा- लगा दे !
क्योंकि अकसर हम दोस्तों के साथ बैठ कर बीएफ़ देखते थे तो साथ में भाई भी होता था। हमने साथ में कई ऐसी फ़िल्में देखी हैं और वो जानता था आज उषा घर पर नहीं है। हम साथ बैठ कर मूवी देखने लगे। एक तो गर्मी थी ऊपर से यह फ़िल्म ! आधे घंटे की फ़िल्म के बाद भाई एकदम गरम हो गया, उससे अब कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो वो उठ कर बोला- तुम देखकर सीडी निकाल कर अपने साथ ले जाना ओर उसे कहीं छुपा देना !
कहकर वो अपने बेडरुम में चला गया और दरवाजा बंद कर दिया। मैंने सोचा कि वो जाते ही शीला पर टूट पड़ेगा। मैं झट से उठा और उनके की-होल से देखने लगा क्योंकि उनका बेड की-होल के बिल्कुल सामने है।
भाई ने अपने सारे कपड़े उतार दिये। शीला अभी सोने की तैयारियाँ कर रही थी। वो कुछ समझे, इससे पहले भाई ने शीला का गाउन खींच कर निकाल दिया और उसे बिस्तर पर पटक कर उस पर जंगली की तरह चढ़ गया। भाई ने अपना मुँह सीधा उसकी बुर में लगा दिया ओर जोरों से चूमा-चाटी करने लगा और ऊपर बढ़ता गया। पहले बुर, बाद में पेट, फ़िर स्तनों के चुचूकों को मुँह में लेकर जोर से चूसने लगा।
शीला छटपटाने लगी और कहने लगी- तुम्हें अचानक क्या हो गया है? मैं भागी नहीं जा रही हूँ !
भाई ने एक न सुनी, वो उनके मुँह को पागलों की तरह चूमता रहा और अपना लंड जबरदस्ती से शीला की बुर में ठोक दिया। शीला की बुर अभी चिकनी भी नहीं हुई थी तो दर्द के मारे उसकी आँखों में आँसू आ गए। भाई ने उसे जबरदस्ती चोदना शुरु कर दिया। शीला भी थोड़ा गरम होने लगी। भाई तेज़ धक्के मारने लगा, शीला भी चूतड़ उछाल-उछाल कर साथ देने लगी कि अचानक भाई ने शीला के होंठों पर अपना होंठ रख दिए और वो उसकी बुर में झड़ गया। वो पसीने से तरबतर था और शीला के ऊपर ढल गया।
मैंने घड़ी में देखा तो पौने बारह बज़े थे। थोड़ी देर बाद भाई उठा, अपना तकिया लिया और शीला को कहने लगा- यहाँ बहुत गर्मी है, मैं छत पर सोने जा रहा हूँ।
मैं फ़ौरन टीवी बंद करके अपने बेडरुम में चला गया और दरवाजा धीरे से बंद कर दिया। मैं अपने दरवाजे के की-होल से देख-सुन रहा था, भाई शीला को कह रहा था- तुम हॉल का दरवाजा अंदर से बंद करके सो जाना। भाई भी अपने कमरे में जाकर सो गये हैं।
और वो तकिया लेकर ऊपर छत पर सोने चले गए। थोड़ी ही देर में शीला अपना गाउन पहनकर दरवाजा बंद करने हॉल में आई और दरवाजा बंद करके पीछे मुड़ी तो मैंने अपना दरवाजा खोलकर उसको इशारा करके बुलाया। वो थोड़ी देर के बाद आने का इशारा करके अंदर चली गई। मैंने भी अपने कपड़े बदल कर सिर्फ़ लुंगी पहन ली और शीला का इन्तज़ार करने लगा।
जब शीला आई तो मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया। वो रोने लगी। मैंने उसे शांत करने की कोशिश की और पूछा- क्या हुआ ?
तो कहने लगी- आपका भाई बिल्कुल जंगली है, मेरी भावनाएं समझता ही नहीं !
मैं जानता था, फ़िर भी उसे पूछा- क्या किया उसने ?
तो कहने लगी- जाने दो ! इतने दिनों के बाद हम मिले हैं, हमारे मिलन का मजा खराब करना नहीं चाहती ! मैं तुम्हें बहुत चाहती हूँ ! आज हम जी भर कर प्यार करेंगे।
मैंने उसे खड़े-खड़े ही अपनी बांहों में ले रखा था। मैंने उसे शंत करने के लिये अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और आहिस्ता-आहिस्ता उनको चूमने लगा। चूसते-चूसते अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी। हम दोनों उत्तेजित हो रहे थे। अब शीला ने अपना मुँह अलग किया और मेरे चेहरे पर पागलों की तरह चूमने लगी। उसने मेरी लुंगी की गांठ कब खोल दी, मुझे पता ही नहीं चला। लुंगी सरक कर नीचे गिर पड़ी तो वो हंसने लगी। उसने मेरे साथ शरारत की, उससे वो बहुत खुश थी। मैं भी तो यही चाहता था कि वो खुश रहे।
मैंने उसका गाउन निकाल दिया और उसको गोदी में उठाकर बेड पर आ गया। बेड पर बैठ कर उसका सर मेरे पैरों पर रखकर उसको लिटाया और उसे सहलाने लगा।
हम प्यार की बातें करने लगे। वो शिकायत करने लगी- सबकी मौजूदगी में तुम मुझे क्यों इशारा करते हो? कहीं हम पकड़े गये तो मारे जायेंगे।
मैंने उसे कहा- तुम वादा करो कि रोज सुबह तुम मुझे एक अच्छी सी मुस्कान दोगी ताकि पूरा दिन तुम्हारी यादों में गुजर जाए !
उसने वादा किया और अचानक मेरा तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और लंड को सहलाने लगी। मैं भी मस्ती में आ गया, उसके स्तन को पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता दबाने लगा। वो काफ़ी उत्तेजित हो गई और सीत्कार करने लगी। उसका सर मेरे पैरों पर था मेरे खड़े हुए लंड के पास, जो उसने पकड़ कर रखा था, वो अपनी जीभ निकाल कर मेरे तने हुए लंड के टोपे पर फ़ेरने लगी। मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया, मैंने अपना एक हाथ उसकी बुर पर रख दिया और सहलाने लगा। शीला छटपटाने लगी और जोश में आकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लंड को अंदर-बाहर करने लगी।
मैंने भी अपनी दो उँगलियाँ उसकी बुर में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। हम ऐसे ही थोड़ी देर मजे लेते रहे। हम दोनों काफ़ी उत्तेजित हो गये थे। शीला की चूत ने पानी छोड़ दिया, वो एक बार झड़ गई। मेरा भी छुटने वाला था, मैंने शीला को कहा- मेरा छुटने वाला है !
तो वो जोरों से अपने मुँह में लंड अंदर-बाहर करने लगी और उनके मुँह से आवाज निकलने लगी- अम्…उम…मंमं…ओउ मं…
और मैंने जोर से उसके स्तन पकड़ लिये एक जोरदार पिचकारी मेरे लंड से निकली और शीला का मुँह भर गया, वो सारा रस पी गई।
थोड़ी देर बाद वो बोली- मेरे को बाथरुम जाना है !
मैं शीला को उठाकर बाथरुम में ले गया। उसने अपना मुँह साफ़ किया और बाद में मेरा लंड भी साफ़ किया। हम दोनों फ़्रेश हो गये, मैंने शीला को चलने नहीं दिया, उसको गोद में उठाकर वापिस बिस्तर पर आ गया, वो बहुत खुश लग रही थी।
मैं शीला को प्यार भरी नजरों से देखता रहा।
वो बोली- क्या देख रहे हो ?
मैंने कहा- तुम्हें देख रहा हूँ ! कितनी खूबसूरत लग रही हो ! काश उषा से पहले तुम मुझे मिली होती।
वो झट से मुझसे लिपट गई और उसकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने उसके आँसू पौंछे और कहा- आई लव यू !
उसने कहा- आई लव यू टु ! मैं तुमसे बहुत-बहुत प्यार करती हूँ ! आज हमारी पहली रात है दूसरो को याद करके क्यों हमारी सुहागरात खराब करें !
कहकर उसने मेरे होठों पर एक हल्का सा चुम्बन किया। मैं भी उससे प्यार से लिपट गया और उसके चेहरे को चूमता रहा।
मैंने शीला से कहा- आज मैं तुम्हें पूरी रात सोने नहीं दूंगा, पूरी रात तुम्हें प्यार करता रहूंगा और चोदता रहूंगा।
शीला हंसने लगी और कहने लगी- देखते हैं कौन किसको चोदता है !
शीला पूरे रंग में आ गई थी, उसने मुझे एक हल्का सा धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और मुझ पर सवार हो गई।
मेरे ऊपर चढ़कर मुझे जोरो से चूमने लगी। मैं भी उसका स्तन अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। एक बार हम फ़िर जोश में आ गए। मैंने उसे 69 अवस्था में किया। मैंने उसकी चूत को चूमना चालू किया तो शीला भी मेरा लंड अपने मुँह मे लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मेरे दोनों हाथ शीला के चूतड़ों को सहला रहे थे और मैंने एक उंगली शीला की गांड में घुसा दी। शीला दर्द के मारे छटपटाने लगी और मुझे उंगली निकालने को कहने लगी- बहुत दर्द होता है, प्लीज़ बाहर निकालिये ना !
मैंने कहा- डार्लिंग ! थोड़ी देर के लिये थोड़ा दर्द होगा, बाद में मज़ा आयेगा !
और वो मान गई। जब उसका दर्द कम हुआ तो कहने लगी- अब तकलीफ़ नहीं है लेकिन आप अपना लंड अन्दर डालने से पहले थोड़ी क्रीम लगा लीजिएगा, नहीं तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी।
मैंने कहा- ठीक है डार्लिंग अब तुम इधर आ जाओ !
और मैं उसे अपनी बगल में लिटाकर उसके स्तन और होंठ चूसने लगा। वो भी एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
हम पूरी तरह उत्तेजित हो चुके थे। शीला से अब बर्दाश्त नहीं होता था, वो मुझे अपना लंड अन्दर डालने को कहने लगी- प्लीज़ अन्दर डालिये ना !
मैंने अपने लंड का सुपारा शीला की चूत पर रखा। चूत काफ़ी गीली हो गई थी, मैंने एक हल्का सा धक्का दिया, मेरा आधा लंड शीला की चूत में चला गया।
शीला के मुँह से उइमां….. आह… और मैंने अपने होंठ शीला के होंठों पर रख दिये और दूसरे धक्के से पूरा लंड अन्दर चला गया। शीला की आंखों में आंसू आ गए लेकिन वो हल्का सा मुस्कराई और थोड़ा रुकने को कहा। इसी बीच मैं उसको चूम चूम कर प्यार करता रहा, वो सीत्कार करती रही। अब उसने मुझे आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने को कहा। मैं उसे चोदने लगा। शीला के मुँह से आह……आह…… आप मेरे असली पति हैं ! चोदो… उइमां…… आइ…… उह……ओर जोर से चोदो मेरे राजा अपनी रानी की चूत फ़ाड दो उइमां….. आह…… आह……….
और मैं शीला को जमकर चोदने लगा। शीला भी चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी। अचानक शीला ने मुझे जकड़ लिया। वो छुटने वाली थी।
मैं उसे चोदता रहा, शीला के दो बार झड़ जाने के बाद मैंने अपना लौड़ा निकाल लिया और शीला को कुतिया की तरह होने को कहा। वो समझ गई कि आज उसकी गांड फ़टने वाली है- प्लीज़, आप धीरे- धीरे डालियेगा !
मैंने कहा- चिंता मत करो डार्लिंग ! मुझे भी तुम्हारी चिंता है !
कह कर अपने लंड पर थोड़ी क्रीम लगाई और गांड पर रखकर एक झटका मारा, आधा लंड घुस गया, शीला की चीख निकल गई और वो रोने लगी- प्लीज़ निकाल लो ! बहुत दर्द है !
मैं थोड़ी देर रुक गया। इसी बीच मैं उसके स्तन को सहलाता रहा। थोड़ी देर के बाद दर्द काफ़ी कम हो गया तो वो लंड अन्दर- बाहर करने को कहने लगी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना चालू किए। उसे अब थोड़ा-थोड़ा मज़ा आने लगा और वो ओइमां… ओह…. की आवाज़ करने लगी। मैंने धक्के मार मार कर पूरा लंड अन्दर डाल दिया था।
वो कहने लगी- अभी कितना बाहर है?
मैंने कहा- डार्लिंग पूरा का पूरा लंड तू अन्दर ले चुकी है !
तो वो पीछे मुँह करके आश्चर्य से मुझे देखकर कहने लगी- आप तो गांड मारने में बड़े माहिर हो ! एक आपका भाई है जो मुझे ठीक तरह से चोदता भी नहीं और मुझे प्यासी छोड़ कर सो जाता है।
मैंने फ़ौरन कहा- यहाँ दूसरों की बात करना मना है। यह हमारी सुहागरात है !
तो वो हंसकर कहने लगी- सॉरी डार्लिंग ! मैं भूल गई थी !
और मैं उसे सजा के तौर पर जोर से धक्के मारने लगा। शीला भी समझ गई और उइमां…. सॉरी…. आह……सॉरी सॉरी करने लगी।
मैंने कहा- शीला मैं छुटने वाला हूँ !
तो शीला बोली- गांड में नहीं, मैं तुम्हारा रस अपनी चूत में लेना चाहती हूँ !
मैं रुक गया, अपना लंड निकाला और शीला को सीधा लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड डाल कर तेज धक्के मारने लगा। शीला भी चूतड़ उछाल कर मेरा साथ देने लगी और जोश में आकर आह …… स ….. सीस….. जैसी आवाज करने लगी।
शीला बोली- डार्लिंग मैं भी छुटने की तैयारी में हूँ !
मैं जोरों से उसे चोदने लगा। मैंने शीला के होंठो पर एक जोरदार चुम्बन किया और तीन चार गरम पिचकारियाँ शीला की चूत में छोड़ दी। साथ में शीला भी झड़ गई। हम दोनों साथ में झड़ गये थे इसलिये शीला ने मुझे चूम लिया और थेन्क्स कहा। शीला बोली- आज मैं बहुत खुश हूँ ! कितने दिनों के बाद तुम्हारा साथ मिला है। अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी।
मैंने कहा- देखना सबकी हाजरी में कुछ गड़बड़ मत करना ! मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ !
और मैं शीला को गोद में उठाकर बाथरुम में ले गया। उसने मेरे लंड को साफ़ किया और मैंने भी उसकी चूत को साफ़ किया। फ़िर मैं उसको उठा के वापिस बिस्तर पर ले आया।
बाद में मैं फ़्रिज़ से दो गिलास दूध और कुछ नाश्ता लेकर आया। मैंने उसे दूध पिलाया और कुछ खाने को भी दिया।
शीला मुझे आभारवश देखती रही और उसकी आँखों में आँसू आ गये। वो मुझे बार बार थेन्क्स कहती रही।
फ़िर हमारे तीन दौर और हुए, मैं शीला को साढ़े चार बज़े तक चोदता रहा। फ़िर हम सो गये। सुबह छः बज़े शीला मुझे जगा कर मेरे होंठ पर चूमकर “जल्दी ही हम दोबारा मिलेंगे” कहकर अपने कमरे में चली गई।
इसके बाद हम शीला के कहने के मुताबिक मिले और चार दिनों तक हमने खूब मजे किये।
यह कहानी फ़िर कभी !
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी ?
मुझे आपकी मेल का इन्तज़ार रहेगा, खास करके मेरी वो “प” नाम वाली दोस्त का बाय…बाय…
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