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प्रेषक : कुमोद कुमार
बात उस समय की है जब मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैं उसी समय एक स्कूल में टीचर के रूप में भी काम करता था। मैं दसवीं तक के बच्चों को पढ़ाता था। उसमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही थी। दसवीं क्लास की लड़कियों को मैं हमेशा पटाने की कोशिश में रहता था। उनकी चूचियों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ जाता था।
उसी समय दसवीं की एक लड़की मेरे से पट गई। वो बहुत ही सुंदर थी, उसकी चूची देख कर तो मैं पागल ही ही जाता था। वो उस समय ब्रा नहीं पहनती थी, केवल टॉप पहनती थी और ऊपर से शर्ट ! जब वो चलती थी तो उसकी चूचियाँ इस तरह से उछलती थी जैसे कि दो गेंदें उछल रही हों।
एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने स्कूल से छुट्टी ले ली और उसको भी बहाने से घर पर ही बुला लिया। वो सलवार कमीज़ पहन कर आई थी। उसके आते ही मैंने सारे दरवाजे बंद कर दिए और उसको अपनी गोद में उठा लिया। मैं उसको होठों को चूसने लगा और वो मुझसे लिपटने लगी।
मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसकी शमीज भी उतार दी और अब मेरे सामने उसके दो बड़े बड़े संतरे जैसी चूचियाँ थी। मैंने एक को अपने हाथ में लिया और एक को अपने मुँह में !हाथ वाली को मैं बेदर्दी से मसलने लगा और मुँह वाली को मैं जोर से दांत से काट रहा था। वो बुरी तरह से तड़प रही थी पर मैं तो पागल हो गया था और उसकी कोई बात नहीं सुन रहा था।
फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके सलवार को भी उतार दिया। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया और उसकी बुर को देखने लगा। बुर पर पूरा पानी पानी हो रहा था और झांटों से भरी थी। उसकी बुर पर एक छोटा सा दाना था।
मैंने उसकी बुर में सीधे एक ऊँगली पेल दी।
बाप रे !
उसकी बुर तो भट्टी की तरह गरम थी। उसने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने अपनी ऊँगली को अंदर-बाहर करना शुरु किया और वो सिसकियाँ भरने लगी। मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वो उसको चूसने लगी। शुरु में तो कुछ नखरा दिखाया पर बाद में तो वो लंड को मुँह से छोड़ने को तैयार नहीं थी, मैंने किसी तरह से उसके मुँह से अपना लंड निकला और उसकी टांगों को फैला कर बुर के छेद पर अपने लौड़ा को टिकाया और उसके कमर के नीचे एक तकिया दिया जिससे कि उसकी बुर ऊंची उठ जाये और मुझे बुर पूरी खुली हुई मिले।
अब मुझे बुर का छेद पूरा खुला हुआ दिख रहा था और मैंने अपने लंड को छेद पर रख कर दबाना शुरु किया, वो तड़पने लगी। लेकिन मुझे पहले से पता था कि वो कुंवारी है इसी लिए मैंने उसको इस तरह से जकड़ लिया था कि वो मेरे चुंगल से निकल नहीं सके। मैंने अपने होठों से उसके होंठ दबा रखे थे जिससे कि वो चीख भी नहीं सकती थी।
अब मैंने एक बार पूरी ताकत लगा कर धक्का मारा और अपने लंड को उसकी बुर के जड़ तक पेल दिया। वो पूरी ताकत लगा कर चीखना चाहती थी पर ऐसा हो न सका। वो दर्द की अधिकता से अर्ध- बेहोशी के हाल में पहुच गई क्यूंकि उस समय उसकी उमर केवल 18 साल थी और वो पहली बार चुद रही थी। मैंने बिना रुके उसी हालत में धक्के लगाने शुरु किये और जब देखा कि कोई प्रतिरोध नहीं हो रहा है तो और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और अपने लंड को बुर के अंत तक पहुँचाने लगा।
दस मिनट तक मैं उसको बेदर्दी से चोदता रहा और वो अर्ध बेहोशी की हालत में रही। फिर उसे होश आया और उसने लंड को अपनी बुर में महसूस किया। अब शायद उसे भी मजा आने लगा था। अचानक ही उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछालना शुरु किया और अब वो मेरे लंड को अपने बुर की अंतिम गहराई तक लेने की कोशिश करने लगी। यह देख कर मैंने भी अपना स्पीड बढ़ा दी और पूरी ताकत से उसको चोदने लगा।
जल्दी ही मैंने महसूस किया कि उसके बुर से कुछ रिस रहा है और उसने अपने आंखें बंद कर ली हैं। अचानक ही उसने मुझे इस कदर जकड़ा कि मुझे अपनी हड्डियाँ टूटती हुई महसूस हुई और उसने जोर से मेरे कंधे पर अपने दाँत गड़ा दिए। उसकी बुर से पानी साफ़ निकलता हुआ महसूस होने लगा।
मैं भी रुका नहीं और धक्के लगाता रहा और मैंने भी अपना सारा माल उसकी बुर में ही डाल दिया और निढाल हो कर उसके ऊपर गिर पड़ा। थोड़ी देर के बाद हम दोनों को होश आया कि यह हमने क्या किया ! क्यूंकि हमने कंडोम का इस्तेमाल ही नहीं किया और मैंने सारा माल उसकी बुर में ही छोड़ दिया था।
वो रोने लगी- अब मै प्रेगनंट हो जाउंगी !
डर तो मै भी गया था पर मैंने शो नहीं किया और एक केमिस्ट की दुकान पर जाकर एक गोली लाकर उसको खिला दी।
उसके बाद हमारा एक महीना कैसे बीता, यह हम ही जानते हैं क्यूँकि उसकी अगली माहवारी तक हमारी फटी रही !
लेकिन जब सही समय पर उसकी माहवारी हुई तब जाकर मैंने चैन की सांस ली। इस बीच लगभग एक सप्ताह तक वो सही रूप से चल नहीं पाई क्यूँकि जब भी वो चलती थी, उसकी बुर में बहुत जोरों का दर्द होता था।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी?
कृपया मुझे [email protected] पर मेल कर के बताएं। मुझे आपके मेल का इन्तज़ार रहेगा।
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