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प्रेषक : लंडवा
दोस्तो, आप ही की तरह मैं भी अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना में बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। इन कहानियों को पढ़ कर मैंने सोचा कि क्यूँ न मैं भी आपको अपने कुछ अनुभव बताऊँ !
मैं अपनी छुट्टियों में अपनी ससुराल या बड़ी साली के घर जाता था। वैसे एस साल भी गया हुआ था। उसी दिन ससुरजी का मेरी बीवी को फ़ोन आया कि किसी रिश्तेदार की मौत हुई है, तुम गीता के घर से यहाँ आ जाओ, हम लोग मिलकर जायेंगे।
मेरे बड़ी साली का नाम गीता है, उसके पति उदय जी आर्मी में हैं, साल में कभी कभार ही घर आते हैं। मेरी बड़ी साली को अभी कोई बच्चा नहीं था उनकी शादी को तब चार साल ही हुए थे लेकिन उदय जी शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए गीता के साथ ज्यादा समय नहीं रह पाए थे।
पहले मैंने कभी गीता को ग़लत नजरों से नही देखा था, लेकिन एक दिन गीता बाज़ार गई हुई थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था। उस समय मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी। मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैं घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो, लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं, मैं बेकार में डर रहा था।
मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बाहर गीता खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी। मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र गीता की कमर पर पड़ी जहाँ पर उनकी गुलाबी साड़ी के ब्लाऊज़ से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी।
गीता ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली- राजाजी, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए आप मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो, मैं तौलिया ले आया तो गीता मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
मैंने पूछा- क्या काम है?
गीता बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
मैंने कहा- क्यूँ नहीं?
गीता सोफे पर बैठ गई। मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके गोरे गालों पर बह रहा था। मैं गीता के पीछे बैठ गया, उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा। गीता का गोरा और भीगने के बाद भी गरम बदन मेरे पैरों में हलचल पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। गीता ने कोई आपत्ति नहीं की। धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी।
तभी अचानक गीता कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ।
वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद गीता को मेरे इरादे मालूम हो गए। कमरे में जाकर गीता ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए। जल्दी में गीता ने दरवाजा बंद नहीं किया वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी, उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतार दिया। मैंने देखा कि गीता बड़ी गौर से अपने बदन को ऊपर से नीचे तक ताक रही थी। मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी। अबकी बार गीता ने मुझे देख कर अनदेखा कर दिया. शायद ये मेरे लिए हरी झण्डी थी।
मैं कमरे में अन्दर चला गया। गीता बोली- अरे राजा, मैंने अभी कपड़े नहीं, पहने तुम बाहर जाओ !
मैं बोला- गीता, मैंने तुम्हें कपड़ो में हमेशा देखा, लेकिन आज बिन कपड़ों के देखा है, अब तुम्हारी मर्ज़ी है, तुम मेरे सामने ऐसे भी रह सकती हो!
और यह कहते हुए मैंने उनको बाहों में ले लिया। उन्होंने थोड़ी सी ना-नुकर की लेकिन मैंने ज्यादा सोचने का समय नही दिया और बिंदास उनको चूमना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि गीता ने आँखें बंद कर ली हैं। इसमें उनकी सहमति छुपी थी। मैं दस मिनट तक उसे चूमता रहा। इस बीच मेरे गरम होंट उसके गोरे बदन के ज़र्रे ज़र्रे को चूम गए।
अचानक गीता ने मुझे जोर से धक्का दिया और मैं नीचे गिर गया। एक बार को मैं फ़िर डर गया लेकिन अगले ही पल मैंने पाया कि गीता मेरे ऊपर आकर लेट गई और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों के बीच से कपड़ो की दीवार हट चुकी थी। मेरा लंड पूरी तरह तैनात खड़ा था। तभी उसने मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपने नरम होंटों से छुआ और अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे ऊपर इस तरह बैठी थी कि उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठों पर आ टिकी थी। मैंने चूत को बिंदास चाटना शुरू कर दिया। उसके मुँह से मेरा लण्ड आजाद हो गया था और आआहऽऽ …आआऽऽऽ …ऊऊऊऊ …….ऊओफ्फ्फ्फ़ की आवाज उसके मुँह से आने लगी थी।
तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो मुझसे बोली- ओह मेरी चूत तुम्हारे इस सुडौल लंड को लिए बिना नही रह सकती, प्लीज़ अपने इस खिलाड़ी को मेरी चूत के मैदान में उतार दो ताकि यह अपना चुदाई का खेल सके।
गीता अब मेरे लंड को लेने के तड़पने लगी थी। मैंने भी उसी वक्त गीता को बाहों में भरा और उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। गीता की चूत रसीली हो रखी थी, मैं गीता के ऊपर लेट गया, मेरा लंड गीता के चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। गीता ने चूत को अपने दोनों हाथों से खोल दिया और मैंने धीरे से गीता की चूत में अपना लंबा लंड डालना शुरू कर दिया। काफी दिनों से गीता की चुदाई नहीं हुई थी इसलिए गीता की चूत एक दम टाईट थी। मैंने जोर से झटका लगाया और लंड पूरी तरह चूत की आगोश में समां चुका था। गीता के मुँह से आआह्ह मार डाला की आवाज़ निकल गई और मुझे थोड़ी देर हिलने से मना कर दिया। कुछ देर बाद वो नीचे से हल्के-हल्के झटके लगाने लगी।
अब मुझे भी चूत का मजा आने लगा और मैंने गीता की चुदाई शुरू कर दी। जितने ज़ोर से मैं गीता की चुदाई करता, वो उतनी सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकालने लगी- आह्ह ….आह ……..ऊऊ ऊऊ …ईई ईशश्र्श्र्श्र ……….आआआआ …………..ऊऊओफ़ फफ ….ऊऊऊ फफ फ अआ ह्ह्ह . धीरे धीरे चूत ढीली होने लगी।
हम दोनों ने कम से कम आधे घंटे तक चुदाई की। आधे घंटे बाद अचानक गीता मुझसे जोर से लिपट गई और उसकी चूत थोड़ी देर के लिए कस सी गई। कुछ और झटके लगाने के बाद मेरे लंड ने अपना वीर्य चूत में छोड़ दिया और वो फ़िर से मुझे लिपट गई। मैं इसी तरह दस मिनट तक गीता के ऊपर लेटा रहा।
उस दिन की बरसात से लेकर और अब तक ये आपका राजा अपनी गीता के प्यासे बदन पर हर साल बरसता है। मैं कभी कभी मीटिंग के बहाने जाता हूँ या कभी कभी वो अपनी बहन से मिलने हमारे घर आती है तो उसे चोदता हूँ।
आप सबको कैसी लगी मेरी साली की चुदाई की कहानी?
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